एक छठी क्लास की लड़की ऐश्वर्या पराशर ने लखनऊ से आर टी आई के जरिये सरकार से पूछा की
महात्मा गाँधी को "राष्ट्र - पिता " कब और किसने बनाया ?
सरकार के पास कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं हैं जिस मे ये आर्डर दिया गया हो की आज की तारीख से सरकार महात्मा गाँधी को "राष्ट्र -पिता " की पदवी देती हैं .
आर टी आई के जवाब में सरकार ने ऐश्वर्या से कहा की वो आर्काइव में रखे दस्तावेजो पर रीसर्च कर के पता कर सकती हैं "राष्ट्र - पिता " शब्द का इतिहास .
ख़ैर मुझे तो ऐसी खबरे, जहां हमारी नन्ही मुन्नी बेटियाँ "कितनी जहीन और दूरगामी " सोच लेकर आरही हैं , बड़ा सुख देती हैं .
इससे पहले ऐश्वर्या मायावती के दफ्तर में भी आर टी आई लगा चुकी हैं जब वो 8 वर्ष की थी जिसके लिये उन्होने अपनी गुल्लक से 10 रूपए दिये थे .
ऐश्वर्या देश की सबसे छोटी आर टी आई activist हैं
हमारी दुआ उनके साथ हैं
गाँधी जी पर बाद मे जानकारी खोजी गयी तो पता चला की नेता जी ने सबसे पहले सिंगापुर रेडियो प्रसारण जुलाई 6 , 1944 को गांधी जी को इस नाम से संबोधित किया था , उसके बाद सरोजिनी नायडू ने 28 अप्रैल 1947 और इसको ओफ्फिशियल घोषणा, गाँधी जी मृत्यु के पश्चात दिये गये , नेहरु जी के रेडियो प्रसारण को माना जाता हैं
महात्मा गाँधी को "राष्ट्र - पिता " कब और किसने बनाया ?
सरकार के पास कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं हैं जिस मे ये आर्डर दिया गया हो की आज की तारीख से सरकार महात्मा गाँधी को "राष्ट्र -पिता " की पदवी देती हैं .
आर टी आई के जवाब में सरकार ने ऐश्वर्या से कहा की वो आर्काइव में रखे दस्तावेजो पर रीसर्च कर के पता कर सकती हैं "राष्ट्र - पिता " शब्द का इतिहास .
ख़ैर मुझे तो ऐसी खबरे, जहां हमारी नन्ही मुन्नी बेटियाँ "कितनी जहीन और दूरगामी " सोच लेकर आरही हैं , बड़ा सुख देती हैं .
इससे पहले ऐश्वर्या मायावती के दफ्तर में भी आर टी आई लगा चुकी हैं जब वो 8 वर्ष की थी जिसके लिये उन्होने अपनी गुल्लक से 10 रूपए दिये थे .
ऐश्वर्या देश की सबसे छोटी आर टी आई activist हैं
हमारी दुआ उनके साथ हैं
गाँधी जी पर बाद मे जानकारी खोजी गयी तो पता चला की नेता जी ने सबसे पहले सिंगापुर रेडियो प्रसारण जुलाई 6 , 1944 को गांधी जी को इस नाम से संबोधित किया था , उसके बाद सरोजिनी नायडू ने 28 अप्रैल 1947 और इसको ओफ्फिशियल घोषणा, गाँधी जी मृत्यु के पश्चात दिये गये , नेहरु जी के रेडियो प्रसारण को माना जाता हैं
ऐसी जागरूक बेटियाँ ही आगे इतिहास रचेंगी. अपने अधिकारों के लिए और अपने जैसी बेटियों के लिए जो बोल नहीं पाती हें आवाज उठाएंगी और तब ये समाज , सरकार और क़ानून जवाब लेने के लिए मजबूर होंगे.
ReplyDeleteAisi bachchio par ham sab ko garva hai. Maao se guhaar hai ki we apni betio ko chup rahna nahi balki bolna sikhae.
ReplyDeletesundar ...........aishi bachchiyon ki pratibha ko badhawa dena hoga .
ReplyDeleteमुझे भी पढ़कर भला लगा था.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
हा इस बारे में कुछ दिनों पहले पढ़ा था , अच्छा है यदि सभी अपने अधिकारों को जाने और उसका उपयोग करे तो हम देश को काफी बदल सकते है आज की तारीख में कई घोटालो का भी खुलासा सूचना के अधिकार के तहत ही हुआ है |
ReplyDeleteये खबर सच में बहुत अच्छी है. आजकल के बच्चे बहुत जागरूक हैं. कुछ दिनों में बच्चे इससे भी अधिक गंभीर बातें पूछेंगे, तब हमारे देश के नीति-निर्माताओं को अक्ल आयेगी. इसकी शुरुआत इस लड़की ने कर ही दी.
ReplyDeleteअच्छी खबर है रचना जी. बहुत दिन हुए, तब चर्चा में आई थी.
ReplyDeleteऐसी जागरूक बेटियों पर भारत गर्व कर सकता है !!
ReplyDeleteTruly inspiring...
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