लोग मीटू को समझ ही नहीं पा रहे हैं। ये अभियान सजा दिलवाने के लिये नहीं शुरू किया गया हैं। ये अभियान उन महिला ने शुरू किया हैं जिन्हे लगा की उन्होंने सही समय पर आवाज नहीं उठाई। उन्होंने अपने अंदर के दर्द को सबसे साझा किया हैं और ये भी बताया हैं की वो क्यों नहीं बोल सकी जब वो सेक्सुअल हरस्मेंट का शिकार हुई।
हर व्यक्ति को इस दुनिया में समान अधिकार हैं वो स्त्री हो या पुरुष या किसी और लिंग का। विश्व भर में महिला का यौन शोषण हो रहा हैं सदियों से क्युकी पुरुष महिला को अपने बराबर नहीं मानता हैं। वो या तो महिला का रक्षक हो सकता हैं या महिला का भक्षक।
महिला का रक्षक होने के लिये उसके साथ किसी सम्बन्ध का होना आवश्यक हैं , पिता , भाई , बेटा , मामा , चचा , ताऊ , भतीजा , भांजा , दोस्त यही कुछ सम्बन्ध हैं जहां पुरुष स्त्री के रक्षक की मुद्रा में आता हैं। बाकी वो सब जगह अपने को विपरीत लिंग का समझता और नारी के साथ सेक्सुअल रिलेशन बनाने को उत्सुक रहता हैं।
महिला का नौकरी करना पुरुष को कभी नहीं भाता हैं क्युकी उसको लगता हैं महिला अगर आर्थिक रूप से स्वतंत्र होगयी तो निरंकुश हो गयी।
लोग कह रहे हैं अगर किसी महिला को नौकरी करते समय किसी जगह सेक्सुअल अंदेशा हो तो उसको नौकरी छोड़ देनी चाहिये।
कभी सोच कर देखिये दो विपरीत लिंग के बच्चे एक साथ पढ़ रहे हैं , बड़े हो रहे हैं। दोनों अपनी अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी करने जाते हैं। दस साल बाद जब दोनों मिलते हैं तो पता चलता हैं समान क्वालिफिकेशन में बाद लड़का तो अपने करियर में बहुत आगे हैं पर लड़की ने घर से काम करना शुरू कर दिया हैं क्युकी उसको समझ आ गया था की एक पोजीशन पर पहुंचने के बाद अगर उसको आगे जाना हैं तो शारीरिक कोम्प्रोमाईज़ करना होगा। उसने रास्ता बदल दिया पर जब उसने अपने सहपाठी की तरक्की देखी तो उसको लगा उसको ये ोपपरटूनिटी केवल इसलिये नहीं मिली क्युकी वो लड़की थी।
ये अपने आप में एक हरस्मेंट हैं।
ये कहना उन महिला ने जो मीटू पर पोस्ट दे रही हैं अपने करियर के लिये कोम्प्रोमाईज़ किया बिलकुल गलत हैं। उनको मजबूर लिया गाया। उनका उस समय ना बोल सकना महज अपना नाम बचाना था। नाम के साथ उनका करियर जुड़ा था। अगर वो उस समय बोलती तो आर्थिक रूप भी अक्षम हो जाती।
न केवल उनके शरीर को वॉइलेट , एब्यूज किया गया अपितु उनके नाम को करियर को भी किया गया। इसलिये उनके पास चुप रहने के अलावा कोई ऑप्शन था ही नहीं।
आज वो इसलिये नहीं बोल रही हैं की वो सजा दिलवा देगी। आज वो इसलिये बोल रही हैं ताकि वो समाज को बता सके उनके साथ भीषण ज्यादती की गयी हैं क्युकी वो नारी थी।
आज वो इसलिये बोलरही हैं ताकि वो अपने आदर के दर्द को बाहर निकाल सके। ताकि वो दूसरी लड़कियों को इस रास्ते के कांटे कंकरो के विषय में आगाह करसके।
सबसे ज्यादा तो दुःख तब होता हैं जब और नारियां इस अभियान को गलत बता कर उन सब विक्टिम को ही कटघरे में खड़ा कर रही हैं
आज भी वो अपनी आहुति ही दे रही हैं , क्युकी ना तो समाज ने उनको पहले न्याय दिया हैं और ना अब देने को तैयार हैं।
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