" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
April 28, 2013
April 26, 2013
फ़िल्मी शादी
मै बराबरी की पक्षधर हूँ अगर पुरुष को अधिकार हैं की वो फिल्म और मॉडल से कमा खा सके तो स्त्री को भी हैं .
हर सात फेरे की शादी को जो फिल्म में होती हैं उसको मान्यता क्यूँ नहीं दी जाती हैं .
क्यूँ नहीं हमारे धर्म गुरु और हमारा समाज इसके खिलाफ कभी कुछ कहता हैं
हर फिल्म से पहले अब सिगरेट पीने को हानि कारक बताया जाता हैं और डिस्क्लेमर होता हैं की फिल्म के कलाकार अगर इस का सेवन कर रहे तो एक्टिंग कर रहे हैं वो इसका प्रमोशन नहीं कर रहे
फिर क्यूँ ये जो शादी . फेरे , मन्त्र , इत्यादि दिखाये जाते हैं उनके लिये कोई डिस्क्लेमर नहीं होता .
नारी अपने को बेचती हैं फिल्मो में डांस करके , अश्लील गाने गा के ये सब कहना हमेशा मुद्दे के लिये उसी को जिम्मेदार बनाने जैसा होता हैं जो हमेशा से समाज का दोयम दर्जा माना गया .
ये सब एक हिस्सा हैं समस्या का जिसके तहत यौन हिंसा होती हैं लेकिन ये मानना की यही कारन हैं यौन हिंसा का खुद गलत सोच का हिस्सा हैं .
जब फिल्म नहीं बनती थी औरते तब भी मंदी और बाजारों में नंगी नचवाई जाती थी , बेची और खरीदी जाती थी . उस यौन हिंसा मे किस फिल्म अभिनेत्री का हाथ था ???
लोग
जिस दिन फरक करना सीख जायेगे की ये मॉडल , ये प्रोनो ये फिल्मो के सीन
इत्यादि एक नाटक हैं जो होता नहीं हैं बस भ्रम मात्र देता हैं उस दिन से
बदलाव होगा
फिल्म बनाना तकनीक हैं जहां जो होता हैं महज
तकनीक से होता हैं वरनाहर सात फेरे की शादी को जो फिल्म में होती हैं उसको मान्यता क्यूँ नहीं दी जाती हैं .
क्यूँ नहीं हमारे धर्म गुरु और हमारा समाज इसके खिलाफ कभी कुछ कहता हैं
हर फिल्म से पहले अब सिगरेट पीने को हानि कारक बताया जाता हैं और डिस्क्लेमर होता हैं की फिल्म के कलाकार अगर इस का सेवन कर रहे तो एक्टिंग कर रहे हैं वो इसका प्रमोशन नहीं कर रहे
फिर क्यूँ ये जो शादी . फेरे , मन्त्र , इत्यादि दिखाये जाते हैं उनके लिये कोई डिस्क्लेमर नहीं होता .
नारी अपने को बेचती हैं फिल्मो में डांस करके , अश्लील गाने गा के ये सब कहना हमेशा मुद्दे के लिये उसी को जिम्मेदार बनाने जैसा होता हैं जो हमेशा से समाज का दोयम दर्जा माना गया .
ये सब एक हिस्सा हैं समस्या का जिसके तहत यौन हिंसा होती हैं लेकिन ये मानना की यही कारन हैं यौन हिंसा का खुद गलत सोच का हिस्सा हैं .
जब फिल्म नहीं बनती थी औरते तब भी मंदी और बाजारों में नंगी नचवाई जाती थी , बेची और खरीदी जाती थी . उस यौन हिंसा मे किस फिल्म अभिनेत्री का हाथ था ???
April 22, 2013
आप का एक गलत समझोता कहीं और बूम रेंग करता हैं -- बदलाव आते नहीं हैं लाये जाते हैं
हर दिन हो रहे बलात्कार को ले कर आम जनता बस एक ही सोच में डूबी हैं
किस तरीके से रुके ये सब
बस एक ही तरीका
विरोध उस पहले अपमान जनक शब्द का जो किसी भी नारी को इस लिये दिया जाता हैं क्युकी वो नारी हैं
नारी पर निरंतर विरोध होता आया हैं उन बातो को जो ब्लॉग जगत की किसी भी नारी का अपमान करने के लिये , या नारी जाति का अपमान करने के लिये कहीं गयी हो
उस पहले अपशब्द को
उस पहली गाली को
उस पहले अश्लील कमेन्ट को
उस पहले अश्लील व्यंग को
उस पहले विपरीत लिंग मज़ाक को
रोकने की शक्ति अगर हम सब पैदा करले तो बलात्कार रोकना आसान होगा क्युकी शुरुवात यही से होती हैं
हम सब सोचते हैं "हमे तो कह नहीं रहे " या ह" हमारे परिवार की माँ , बहिन या बेटी "तो हैं नहीं फिर हम क्यूँ चिंता करे
बस यही सेल्फिश सोच समाज में उन लोगो को सर उठाने देती हैं तो सभ्यता का नकाब पहने रहते हैं और महिला के प्रति अपने दिमाग में दोयम का दर्जा रखते हैं
बहिष्कार करना होगा ऐसे लोगो का जो औरत को महज शरीर समझते है क्युकी इन सभ्य लोगो से सीख कर देख कर ही एक ऐसी भारतीय कोम तैयार हो रही हैं जिसके लिये औरत के शरीर पर जुल्म करना महज और महज एक घिनोना खेल मात्र होता जा रहा हैं
ये ना सोचिये की कोई बदलाव नहीं आया हैं , आया हैं बदलाव बहुत बड़ा आया हैं . आज लोगो ने कहना करीब करीब बंद कर दिया हैं की इसमे औरत के कपड़ो की गलती हैं वरना इसी ब्लॉग जगत में बलात्कार के विषय पर जब भी चर्चा होती रही हैं हमेशा बात कपड़ो पर आ कर रुक जाती हैं
अपने आस पास शिनाख्त करिये उनलोगों की जो आप से कमजोर हैं और बोल नहीं सकते .
आज ही मेरी सोसाइटी के गॉर्ड ने मेरी १६ साल की मैड को गेट पर रोक कर कहा अपनी फोटो और पहचान पत्र दे दो . उसने आकर मुझे कहा , मैने तुरंत गॉर्ड को फ़ोन करके के कहा की उसको जो पेपर चाहिये मुझसे मांगे और ले कर जाए
गेट पास बनवाने के लिये पुलिस के कैम्प लगते हैं तब फॉर्म भरा जाएगा , तब फोटो दी जाएगी , अभी से क्यूँ ??? गार्ड का उत्तर था सोसाइटी के प्रेजिडेंट ने माँगा हैं . मैने कहा ठीक हैं तुम मुझ से लेकर जाओ
अपनी मेड इत्यादि के साथ रहिये , जहां तक को उनको एक सहारा देने की कोशिश करिये ताकि कोई भी किसी भी कोने से निकल कर उनका शोषण ना कर सके .
मैने आप सब के साथ मिल कर ही ना जाने कितने अश्लील चित्रों को हिंदी ब्लॉग पर से हटवाया हैं . कितनी पोस्ट के हैडिंग हम सब ने मिल कर बदलवाए हैं
कितनी बार हमने उन शब्दों के उपयोग पर विद्रोह किया हैं जो नारी अस्मिता के विरुद्ध हैं
क्युकी आप और हम जानते हैं
बदलाव आते नहीं हैं लाये जाते हैं कोशिश जारी रखिये , कोई बोले ना बोले , आप के साथ खडा हो ना हो पर आप समझोता ना करे क्युकी आप का एक गलत समझोता कहीं और बूम रेंग करता हैं
मत करिये उनलोगों के किसी भी काम की तारीफ़ जो महिला के प्रति अनादर का भाव रखते हैं . ये ना कहिये अरे हमे तो पता नहीं था क्युकी हम सब को सब पता होता हैं बस हम अपने लिये ही सोचते हैं
देखिये पिछली पोस्ट पर एक संवाद को जो कमेन्ट में हुआ है
किस तरीके से रुके ये सब
बस एक ही तरीका
विरोध उस पहले अपमान जनक शब्द का जो किसी भी नारी को इस लिये दिया जाता हैं क्युकी वो नारी हैं
नारी पर निरंतर विरोध होता आया हैं उन बातो को जो ब्लॉग जगत की किसी भी नारी का अपमान करने के लिये , या नारी जाति का अपमान करने के लिये कहीं गयी हो
उस पहले अपशब्द को
उस पहली गाली को
उस पहले अश्लील कमेन्ट को
उस पहले अश्लील व्यंग को
उस पहले विपरीत लिंग मज़ाक को
रोकने की शक्ति अगर हम सब पैदा करले तो बलात्कार रोकना आसान होगा क्युकी शुरुवात यही से होती हैं
हम सब सोचते हैं "हमे तो कह नहीं रहे " या ह" हमारे परिवार की माँ , बहिन या बेटी "तो हैं नहीं फिर हम क्यूँ चिंता करे
बस यही सेल्फिश सोच समाज में उन लोगो को सर उठाने देती हैं तो सभ्यता का नकाब पहने रहते हैं और महिला के प्रति अपने दिमाग में दोयम का दर्जा रखते हैं
बहिष्कार करना होगा ऐसे लोगो का जो औरत को महज शरीर समझते है क्युकी इन सभ्य लोगो से सीख कर देख कर ही एक ऐसी भारतीय कोम तैयार हो रही हैं जिसके लिये औरत के शरीर पर जुल्म करना महज और महज एक घिनोना खेल मात्र होता जा रहा हैं
ये ना सोचिये की कोई बदलाव नहीं आया हैं , आया हैं बदलाव बहुत बड़ा आया हैं . आज लोगो ने कहना करीब करीब बंद कर दिया हैं की इसमे औरत के कपड़ो की गलती हैं वरना इसी ब्लॉग जगत में बलात्कार के विषय पर जब भी चर्चा होती रही हैं हमेशा बात कपड़ो पर आ कर रुक जाती हैं
अपने आस पास शिनाख्त करिये उनलोगों की जो आप से कमजोर हैं और बोल नहीं सकते .
आज ही मेरी सोसाइटी के गॉर्ड ने मेरी १६ साल की मैड को गेट पर रोक कर कहा अपनी फोटो और पहचान पत्र दे दो . उसने आकर मुझे कहा , मैने तुरंत गॉर्ड को फ़ोन करके के कहा की उसको जो पेपर चाहिये मुझसे मांगे और ले कर जाए
गेट पास बनवाने के लिये पुलिस के कैम्प लगते हैं तब फॉर्म भरा जाएगा , तब फोटो दी जाएगी , अभी से क्यूँ ??? गार्ड का उत्तर था सोसाइटी के प्रेजिडेंट ने माँगा हैं . मैने कहा ठीक हैं तुम मुझ से लेकर जाओ
अपनी मेड इत्यादि के साथ रहिये , जहां तक को उनको एक सहारा देने की कोशिश करिये ताकि कोई भी किसी भी कोने से निकल कर उनका शोषण ना कर सके .
मैने आप सब के साथ मिल कर ही ना जाने कितने अश्लील चित्रों को हिंदी ब्लॉग पर से हटवाया हैं . कितनी पोस्ट के हैडिंग हम सब ने मिल कर बदलवाए हैं
कितनी बार हमने उन शब्दों के उपयोग पर विद्रोह किया हैं जो नारी अस्मिता के विरुद्ध हैं
क्युकी आप और हम जानते हैं
बदलाव आते नहीं हैं लाये जाते हैं कोशिश जारी रखिये , कोई बोले ना बोले , आप के साथ खडा हो ना हो पर आप समझोता ना करे क्युकी आप का एक गलत समझोता कहीं और बूम रेंग करता हैं
मत करिये उनलोगों के किसी भी काम की तारीफ़ जो महिला के प्रति अनादर का भाव रखते हैं . ये ना कहिये अरे हमे तो पता नहीं था क्युकी हम सब को सब पता होता हैं बस हम अपने लिये ही सोचते हैं
देखिये पिछली पोस्ट पर एक संवाद को जो कमेन्ट में हुआ है
राजनApril 21, 2013 at 3:14 PM
सजा
तो दी ही जाती है ऐसे लोगों को भले ही तुरंत नहीं।लेकिन फिर भी इन अपराधों
में कोई कमी नहीं आई है।क्या बलात्कारियों को पता नहीं कि ऐसे अपराध के
लिए उसे सजा हो सकती है?लेकिन फिर भी वह अपराध करता है।ऐसा भी नहीं है कि
हर एक बलात्करी सजा से बच ही जाता हो लेकिन इन घटनाओं पर फिर भी कोई अंकुश
नहीं है ।बल्कि सजा से बचने के लिए ही वह सिर्फ बलात्कार नहीं करते बल्कि
पीडित की जान ही ले लेते हैं या उसकी पूरी कोशिश करते हैं।इस बच्ची वाले
केस में भी यही हुआ और इससे पहले वाले मामले में भी।इसलिए ऐसा नहीं है कि
केवल सजा से ही यह अपराध रुक जाएगा।जल्दी और कड़ी सजा जरूरी है पर यह कोई
अंतिम उपाय नहीं।जरूरी तो है घरों में लड़कों को यह सिखाना कि महिलाओं के
साथ उनका व्यवहार कैसा होना चाहिए।उनकी संगति पर नजर रखनी चाहिए और उनकी
छोटी छोटी गलती जैसे गाली बकना महिलाओं के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी
करना आदि को गंभीरता से लेना चाहिए।लेकिन क्या करें यहाँ तो खुद बड़े ऐसा
व्यवहार करते हैं तो वो अपने से छोटों को क्या सिखाएँगे।
ReplyDelete
Replies
- राजन, तुम्हारी बात पर मैंने बहुत गौर किया और मुझे लगता है, बहुत ही सही बात कही है तुमने। महिलाओं के प्रति छोटी-छोटी गैरजिम्मेदाराना बातों की ओर हम ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन किसी भी व्यक्ति की मानसिकता छोटी-छोटी बातों से ही बनती है। ब्लॉग जगत में भी ऐसी बातें बहुत हो चुकीं हैं। अब इस बात का भी विरोध करना बहुत ज़रूरी है कि कोई भी महिलाओं के लिए अभद्र टिप्पणी या अभद्र पोस्ट न लिखे।Delete
मानसिकता बदलनी है तो फिर इसकी शुरुआत भी होनी ही चाहिए। मैं तो यही कहूँगी, ब्लॉग जगत में महिलाओं के लिए किसी भी तरह की अभ्रद टिप्पणी और अभद्र पोस्ट का पूर्ण रूप से बहिष्कार होना चाहिए।
April 21, 2013
बलात्कार करने वाले ६ महीने से ८ ० साल तक की नारी का बलात्कार कर रहे हैं क्यूँ क्युकी उनको डर ही नहीं हैं
हर दिन बलात्कार की खबर न्यूज़ पेपर और टी वी पर ज्यादा से ज्यादा आ रही हैं
जगह जगह ब्लॉग पर भी तमाम पोस्ट इसको ले कर आ गयी हैं
लोगो को लगता हैं ये सब " नये जमाने " की वजह से हैं क्युकी अब प्रोनो और अश्लील साहित्य और गेम नेट की वजह से ज्यादा उपलब्ध हैं
क्या वाकई ये सब पुराने जमाने में होता ही नहीं था , क्या नारी सदियों से "सुरक्षित " थी और आज अचानक वो भारत में कंप्यूटर क्रांति आने की वजह से "असुरक्षित " होगयी
लोग भूल जाते हैं हम उसी देश की बात कर रहे हैं
जहां द्रौपदी का चीर हरण भरे पूरे परिवार के सामने हुआ था ,
जहां सीता को रावन उठा कर लेगया था
जहां एक बच्ची फूलन देवी बन गयी थी
जहां हवाई जहाज में काम करती एयर होस्टेस को हवाई जहाज में मोलेस्ट किया जाता रहा हैं साधिकार
जहां रुपन पटेल आईएस के बॉटम पर के पी एस गिल हाथ मारते थे साधिकार
जहां १४ साल की रुचिका को राठोर मोलेस्ट करता हैं और हंसते हुए जेल से बाहर आता हैं
और ऊपर कही हर बात के समय नेट था नहीं
जो बलात्कार करते हैं वो जानते हैं और मानते हैं की ये उनका अधिकार हैं , नेट की मौजूदगी से ऐसे लोगो में बस एक ही फरक आया हैं की वो और क्रिमिनल और क्रुएल होगये हैं
इस के अलावा जब एक मजदूर ये देखता हैं की एक बड़ा आदमी रेप करने के बाद छुट सकता हैं तो वो शायद यही सोचता होगा मै तो पकड़ में ही क्या आउंगा
अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिये हम को खुद ध्यान देना होगा लेकिन इस का अर्थ ये बिलकुल नहीं हो सकता की हम लड़कियों को जेल में बंद करदे . सबसे जरुरी हैं की हमारी न्याय प्रणाली कुछ ऐसे फैसले दे जो डर पैदा करे उनलोगों में जो नारी शरीर को रौंदने का अधिकार अपना समझते हैं
जब तक ऐसा नहीं होगा लोगो में बलात कुछ भी करने की इच्छा बलवती रहेगी .
बलात्कार करने वाले ६ महीने से ८ ० साल तक की नारी का बलात्कार कर रहे हैं क्यूँ क्युकी उनको डर ही नहीं हैं और इस डर को पैदा करने की लिये exemplary punishment देना बहुत ही आवश्यक हैं
एक ऐसी सजा जिसको तुरंत दे दिया जाये
जगह जगह ब्लॉग पर भी तमाम पोस्ट इसको ले कर आ गयी हैं
लोगो को लगता हैं ये सब " नये जमाने " की वजह से हैं क्युकी अब प्रोनो और अश्लील साहित्य और गेम नेट की वजह से ज्यादा उपलब्ध हैं
क्या वाकई ये सब पुराने जमाने में होता ही नहीं था , क्या नारी सदियों से "सुरक्षित " थी और आज अचानक वो भारत में कंप्यूटर क्रांति आने की वजह से "असुरक्षित " होगयी
लोग भूल जाते हैं हम उसी देश की बात कर रहे हैं
जहां द्रौपदी का चीर हरण भरे पूरे परिवार के सामने हुआ था ,
जहां सीता को रावन उठा कर लेगया था
जहां एक बच्ची फूलन देवी बन गयी थी
जहां हवाई जहाज में काम करती एयर होस्टेस को हवाई जहाज में मोलेस्ट किया जाता रहा हैं साधिकार
जहां रुपन पटेल आईएस के बॉटम पर के पी एस गिल हाथ मारते थे साधिकार
जहां १४ साल की रुचिका को राठोर मोलेस्ट करता हैं और हंसते हुए जेल से बाहर आता हैं
और ऊपर कही हर बात के समय नेट था नहीं
जो बलात्कार करते हैं वो जानते हैं और मानते हैं की ये उनका अधिकार हैं , नेट की मौजूदगी से ऐसे लोगो में बस एक ही फरक आया हैं की वो और क्रिमिनल और क्रुएल होगये हैं
इस के अलावा जब एक मजदूर ये देखता हैं की एक बड़ा आदमी रेप करने के बाद छुट सकता हैं तो वो शायद यही सोचता होगा मै तो पकड़ में ही क्या आउंगा
अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिये हम को खुद ध्यान देना होगा लेकिन इस का अर्थ ये बिलकुल नहीं हो सकता की हम लड़कियों को जेल में बंद करदे . सबसे जरुरी हैं की हमारी न्याय प्रणाली कुछ ऐसे फैसले दे जो डर पैदा करे उनलोगों में जो नारी शरीर को रौंदने का अधिकार अपना समझते हैं
जब तक ऐसा नहीं होगा लोगो में बलात कुछ भी करने की इच्छा बलवती रहेगी .
बलात्कार करने वाले ६ महीने से ८ ० साल तक की नारी का बलात्कार कर रहे हैं क्यूँ क्युकी उनको डर ही नहीं हैं और इस डर को पैदा करने की लिये exemplary punishment देना बहुत ही आवश्यक हैं
एक ऐसी सजा जिसको तुरंत दे दिया जाये
April 19, 2013
April 15, 2013
April 13, 2013
the indian woman has arrived जस्टिस मुक्ता गुप्ता
आज मे आप का परिचय अपने साथ ११ कक्षा तक पढ़ी मुक्ता गुप्ता से करवा रही हूँ
एक साधरण मिडिल क्लास की लड़की आज जस्टिस मुक्ता गुप्ता के नाम से जानी जाती हैं
Justice Mukta Gupta
Born on 28th June, 1961, did her schooling from Montfort School. After completing graduation in (B.Sc. Zoology Hons.) from Hindu College, Delhi University in 1980, did LL.B from Campus Law Centre in 1983. Was enrolled with the Delhi Bar Council as an advocate in the year 1984. Practicing as a lawyer, has conducted cases on civil, criminal, constitutional and service laws. Was appointed Additional Public Prosecutor in Delhi High Court in January, 1993. Was appointed as the Standing counsel (Crl) for the Govt. of NCT of Delhi in Delhi High Court in August 2001. Has conducted many criminal cases including Parliament and Red Fort shootout cases, Jessica Lal murder case, Naina Sahni murder case, Nitish Katara murder case in the High Court and Supreme Court. Had been counsel for All India Institute of Medical Sciences.Had been Special Counsel for CBI in the cases like Naval war room leak case, Priyadarshini Matoo murder case, Madhumita Sharma murder case. Was also a member of Delhi Legal Services Authority. Had been associated with issues and programmes for rehabilitation of destitute women, juveniles and prisoners.Was elevated to Delhi High Court as an Additional Judge on 23rd October 2009
ना जाने कितने केस मे उसकी बहुमूल्य राय ली जाती रही हैं . जेसिका लाल , प्रियदर्शनी मटो , नैना सहनी , नितीश कटारा ह्त्या कांड , मधुमती हत्या कांड में वो स्पेशल कौंसिल की तरह थी
अपने पिता की ये दूसरी संतान हैं { तीनो बेटियाँ हैं एक से एक बढ़ कर } और अपने पिता के ही नकशे कदम पर चल कर
the indian woman has arrived को चरितार्थ कर रही हैं
एक साधरण मिडिल क्लास की लड़की आज जस्टिस मुक्ता गुप्ता के नाम से जानी जाती हैं
Justice Mukta Gupta
Born on 28th June, 1961, did her schooling from Montfort School. After completing graduation in (B.Sc. Zoology Hons.) from Hindu College, Delhi University in 1980, did LL.B from Campus Law Centre in 1983. Was enrolled with the Delhi Bar Council as an advocate in the year 1984. Practicing as a lawyer, has conducted cases on civil, criminal, constitutional and service laws. Was appointed Additional Public Prosecutor in Delhi High Court in January, 1993. Was appointed as the Standing counsel (Crl) for the Govt. of NCT of Delhi in Delhi High Court in August 2001. Has conducted many criminal cases including Parliament and Red Fort shootout cases, Jessica Lal murder case, Naina Sahni murder case, Nitish Katara murder case in the High Court and Supreme Court. Had been counsel for All India Institute of Medical Sciences.Had been Special Counsel for CBI in the cases like Naval war room leak case, Priyadarshini Matoo murder case, Madhumita Sharma murder case. Was also a member of Delhi Legal Services Authority. Had been associated with issues and programmes for rehabilitation of destitute women, juveniles and prisoners.Was elevated to Delhi High Court as an Additional Judge on 23rd October 2009
ना जाने कितने केस मे उसकी बहुमूल्य राय ली जाती रही हैं . जेसिका लाल , प्रियदर्शनी मटो , नैना सहनी , नितीश कटारा ह्त्या कांड , मधुमती हत्या कांड में वो स्पेशल कौंसिल की तरह थी
अपने पिता की ये दूसरी संतान हैं { तीनो बेटियाँ हैं एक से एक बढ़ कर } और अपने पिता के ही नकशे कदम पर चल कर
the indian woman has arrived को चरितार्थ कर रही हैं
the indian woman has arrived जस्टिस मुक्ता गुप्ता
आज मे आप का परिचय अपने साथ ११ कक्षा तक पढ़ी मुक्ता गुप्ता से करवा रही हूँ
एक साधरण मिडिल क्लास की लड़की आज जस्टिस मुक्ता गुप्ता के नाम से जानी जाती हैं
Justice Mukta Gupta
एक साधरण मिडिल क्लास की लड़की आज जस्टिस मुक्ता गुप्ता के नाम से जानी जाती हैं
Justice Mukta Gupta
April 12, 2013
April 10, 2013
सभी पाठको , सदस्यों और शुभचिंतको को नारी ब्लॉग के ५ वे जनम दिन की बधाई
नवसंवत्सर शुभकामनायें------- »
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्यै नमो नमः॥
नव वर्ष---नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें
हिंदी तिथि के अनुसार नारी ब्लॉग को नवरात्रि के पहले दिन अप्रैल २००८ को शुरू किया था
आज नारी ब्लॉग के पांच वर्ष पूरे किये
सभी पाठको , सदस्यों और शुभचिंतको को नारी ब्लॉग के ५ वे जनम दिन की बधाई
इन पांच सालो में हम निरंतर चल रहे हैं और उम्मीद हैं ये यात्रा चलती रहेगी
जिस बच्ची को तुरंत अस्पताल ले जा ना चाहिये था उसको जेल में बंद करके किस कानून का पालन किया गया हैं ??
एक दस वर्ष की बच्ची के साथ २४ साल का पडोसी युवक बलात्कार करता हैं
बच्ची की माँ बच्ची के साथ थाने में जा कर रिपोर्ट दर्ज करवाना चाहती हैं
थाने मे २ महिला कांस्टेबल , २ सब इंस्पेक्टर और १ थान इंचार्ज मौजूद हैं
तुरंत कार्यवाही करते हैं
बच्ची को सलाखों के पीछे डाल देते हैं
सारी रात वो वहीँ रहती हैं
दिल्ली १ ६ दिसम्बर को हुए ह्त्या कांड के बाद सुना था लड़कियों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी हैं
जिस बच्ची को तुरंत अस्पताल ले जा ना चाहिये था उसको जेल में बंद करके किस कानून का पालन किया गया हैं ??
बच्ची की माँ बच्ची के साथ थाने में जा कर रिपोर्ट दर्ज करवाना चाहती हैं
थाने मे २ महिला कांस्टेबल , २ सब इंस्पेक्टर और १ थान इंचार्ज मौजूद हैं
तुरंत कार्यवाही करते हैं
बच्ची को सलाखों के पीछे डाल देते हैं
सारी रात वो वहीँ रहती हैं
दिल्ली १ ६ दिसम्बर को हुए ह्त्या कांड के बाद सुना था लड़कियों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी हैं
जिस बच्ची को तुरंत अस्पताल ले जा ना चाहिये था उसको जेल में बंद करके किस कानून का पालन किया गया हैं ??
April 09, 2013
एक एक्टिविस्ट - नारी ब्लॉग
Activism consists of efforts to promote, impede, or direct social, political, economic, or environmental change, or stasis.
अगर आप को लगता हैं की "नारी ब्लॉग " ने पिछ्ले कुछ सालो में हिंदी ब्लॉग जगत में एक एक्टिविस्ट की भूमिका निभाई हैं तो आप इस लिंक पर जा कर नारी ब्लॉग को वोट दे सकते हैं
https://thebobs.com/hindi/category/2013/best-blog-hindi-2013/
ब्लॉग एक्टिविज्म के लिये नारी ब्लॉग का नोमिनेशन भी नारी ब्लॉग के पाठको ने किया हैं और वोट भी वही दे कर नारी ब्लॉग को आगे ले जा सकते हैं
https://thebobs.com/hindi/category/2013/best-blog-hindi-2013/
क्या है बॉब्स
डॉयचे वेले के अंतरराष्ट्रीय ब्लॉग पुरस्कार बेस्ट ऑफ ब्लॉग्स में 12 भाषाओं के उन ब्लॉग को पुरस्कृत किया जाता है जो इंटरनेट में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और खुले विचार पेश करते हैं. बॉब्स की शुरुआत 2004 में हुई. उस वक्त इसका मकसद था इंटरनेट में सूचना के नए तरीकों को बढ़ावा देना, नए मिसालों को पहचानना और अलग अलग भाषाओं में सूचना के नए तरीकों को बढ़ावा देना.
इस पुरस्कार के जरिए डॉयचे वेले कोशिश करता है कि खुली बहस हो और मानवाधिकारों को इंटरनेट में बढ़ावा मिल सके.
सामाजिक हित के लिए तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल
जनता पुरस्कार
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कुछ जानकारियाँ आप की सुविधा के लिये
क्या है बॉब्स
डॉयचे वेले के अंतरराष्ट्रीय ब्लॉग पुरस्कार बेस्ट ऑफ ब्लॉग्स में 12 भाषाओं के उन ब्लॉग को पुरस्कृत किया जाता है जो इंटरनेट में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और खुले विचार पेश करते हैं. बॉब्स की शुरुआत 2004 में हुई. उस वक्त इसका मकसद था इंटरनेट में सूचना के नए तरीकों को बढ़ावा देना, नए मिसालों को पहचानना और अलग अलग भाषाओं में सूचना के नए तरीकों को बढ़ावा देना.
इस पुरस्कार के जरिए डॉयचे वेले कोशिश करता है कि खुली बहस हो और मानवाधिकारों को इंटरनेट में बढ़ावा मिल सके.
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लोगों की वोटिंग के मुताबिक हर नामांकित ब्लॉगर को यह पुरस्कार दिया जाता है. जिस ब्लॉग या प्रोजेक्ट को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उसे इनाम दिया जाता है.
April 07, 2013
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हर क्षेणी में हिंदी के अलग अलग ब्लॉग हैं .
सादर
ब्लॉग मोडरेटर
April 02, 2013
नीरजा भनोत स्वतंत्र भारत की महान वीरांगना हैं।
5 सितम्बर 1986 को आधुनिक भारत की एक वीरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 400 यात्रियों की जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। भारत के कितने नवयुवक और नवयुवतियां उसका नाम जानते है।?? कैटरिना कैफ, करीना कपूर, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, विद्या बालन और अब तो सनी लियोन जैसा बनने की होड़ लगाने वाली युवतियां क्या नीरजा भनोत का नाम जानती हैं। नहीं सुना न ये नाम।
मैं बताती हूँ इस महान वीरांगना के बारे में। 7 सितम्बर 1964 को चंडीगढ़ के हरीश भनोत जी के यहाँ जब एक बच्ची का जन्म हुआ था तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान इस बच्ची को मिलेगा। बचपन से ही इस बच्ची को वायुयान में बैठने और आकाश में उड़ने की प्रबल इच्छा थी।
नीरजा ने अपनी वो इच्छा एयर लाइन्स पैन एम ज्वाइन करके पूरी की। 16 जनवरी 1986 को नीरजा को आकाश छूने वाली इच्छा को वास्तव में पंख लग गये थे। नीरजा पैन एम एयरलाईन में बतौर एयर होस्टेस का काम करने लगी। 5 सितम्बर 1986 की वो घड़ी आ गयी थी जहाँ नीरजा के जीवन की असली परीक्षा की बारी थी। पैन एम 73 विमान करांची, पाकिस्तान के एयरपोर्ट पर अपने पायलेट का इंतजार कर रहा था। विमान में लगभग 400 यात्री बैठे हुये थे। अचानक 4 आतंकवादियों ने पूरे विमान को गन प्वांइट पर ले लिया। उन्होंने पाकिस्तानी सरकार पर दबाव बनाया कि वो जल्द से जल्द विमान में पायलट को भेजे। किन्तु पाकिस्तानी सरकार ने मना कर दिया।
तब आतंकियों ने नीरजा और उसकी सहयोगियों को बुलाया कि वो सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित करें ताकि वो किसी अमेरिकन नागरिक को मारकर पाकिस्तान पर दबाव बना सके। नीरजा ने सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित किए और विमान में बैठे 5 अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट छुपाकर बाकी सभी आतंकियों को सौंप दिये। उसके बाद आतंकियों ने एक ब्रिटिश को विमान के गेट पर लाकर पाकिस्तान सरकार को धमकी दी कि यदि पायलट नहीं भेजा तो वह उसको मार देंगे। किन्तु नीरजा ने उस आतंकी से बात करके उस ब्रिटिश नागरिक को भी बचा लिया। धीरे-धीरे 16 घंटे बीत गए। पाकिस्तान सरकार और आतंकियों के बीच बात का कोई नतीजा नहीं निकला। अचानक नीरजा को ध्यान आया कि प्लेन में फ्यूल किसी भी समय समाप्त हो सकता है और उसके बाद अंधेरा हो जायेगा। जल्दी उसने अपनी सहपरिचायिकाओं को यात्रियों को खाना बांटने के लिए कहा और साथ ही विमान के आपातकालीन द्वारों के बारे में समझाने वाला कार्ड भी देने को कहा। नीरजा को पता लग चुका था कि आतंकवादी सभी यात्रियों को मारने की सोच चुके हैं।
उसने सर्वप्रथम खाने के पैकेट आतंकियों को ही दिए क्योंकि उसका सोचना था कि भूख से पेट भरने के बाद शायद वो शांत दिमाग से बात करें। इसी बीच सभी यात्रियों ने आपातकालीन द्वारों की पहचान कर ली। नीरजा ने जैसा सोचा था वही हुआ। प्लेन का फ्यूल समाप्त हो गया और चारों ओर अंधेरा छा गया। नीरजा तो इसी समय का इंतजार कर रही थी। तुरन्त उसने विमान के सारे आपातकालीन द्वार खोल दिये।
योजना के अनुरूप ही यात्री तुरन्त उन द्वारों से नीचे कूदने लगे। वहीं आतंकियों ने भी अंधेरे में फायरिंग शुरू कर दी। किन्तु नीरजा ने अपने साहस से लगभग सभी यात्रियों को बचा लिया था। कुछ घायल अवश्य हो गये थे किन्तु ठीक थे अब विमान से भागने की बारी नीरजा की थी, किन्तु तभी उसे बच्चों के रोने की आवाज़ सुनाई दी। दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना के कमांडो भी विमान में आ चुके थे। उन्होंने तीन आतंकियों को मार गिराया। इधर नीरजा उन तीन बच्चों को खोज चुकी थी और उन्हें लेकर विमान के आपातकालीन द्वार की ओर बढ़ने लगी। कि अचानक बचा हुआ चैथा आतंकवादी उसके सामने आ खड़ा हुआ। नीरजा ने बच्चों को आपातकालीन द्वार की ओर धकेल दिया और स्वयं उस आतंकी से भिड़ गई। कहां वो दुर्दांत आतंकवादी और कहाँ वो 23 वर्ष की पतली-दुबली लड़की। आतंकी ने कई गोलियां उसके सीने में उतार डाली। नीरजा ने अपना बलिदान दे दिया। उस चौथे आतंकी को भी पाकिस्तानी कमांडों ने मार गिराया किन्तु वो नीरजा को न बचा सके।
नीरजा भी अगर चाहती तो वो आपातकालीन द्वार से सबसे पहले भाग सकती थी। किन्तु वो भारत माता की सच्ची बेटी थी। उसने सबसे पहले सारा विमान खाली कराया और स्वयं को उन दुर्दांत राक्षसों के हाथों सौंप दिया। 17 घंटे तक चले इस अपहरण की त्रासदी ख़ून ख़राबे के साथ ख़त्म हुई थी जिसमें 20 लोग मारे गए थे.मारे गए लोगों में से 13 भारतीय थे. शेष अमरीका पाकिस्तान और मैक्सिको के नागरिक थे. इस घटनाक्रम में सौ से अधिक भारतीय घायल हुए थे, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल थे.
भारतीय पीड़ितों की ओर से 178 लोगों ने ओबामा को लिखे पत्र में लिखा है कि वर्ष 2004 में इस बात का पता चला कि पैन एम 73 के अपहरण के पीछे लीबिया के चरमपंथियों का हाथ है और इसके बाद वर्ष 2006 में उन्होंने मुआवज़े के लिए अमरीकी अदालत में एक मुक़दमा दर्ज किया था.
नीरजा के बलिदान के बाद भारत सरकार ने नीरजा को सर्वोच्च नागरिक सम्मान अशोक चक्र प्रदान किया तो वहीं पाकिस्तान की सरकार ने भी नीरजा को तमगा-ए-इन्सानियत प्रदान किया। नीरजा वास्तव में स्वतंत्र भारत की महानतम वीरांगना है। ऐसी वीरांगना को मैं कोटि-कोटि नमन करती हूँ। (2004 में नीरजा भनोत पर टिकट भी जारी हो चुका है।)
नोट :- दोस्तो यह लेख मुझे बड़ा ही प्रेरक लगा। यह उन लोगों के लिए भी एक प्रेरणा का स्त्रोत हो सकता है, जो आज सन्नी लिओन के फैन बन रहे हैं, और अपने असली दुर्गा रूप को भूल रहे हैं।
Regards.
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