हमारे यहाँ जैसे ही किसी बलात्कार की रिपोर्ट मीडिया देता हैं सब जगह पहला सवाल होता हैं
समय क्या था
लड़की / महिला ने पहना क्या था
शराब पी रखी थी क्या
अकेली थी
हर किसी की अदालत मे मुजरिम वो लड़की / महिला हो जाती हैं तो खुद ही एक जुर्म का शिकार बन चुकी हैं
उसके "रेप हो जाने की वजह से " बाकी सब लड़कियों पर बंदिशों का दौर शुरू हो जाता हैं
लोग खाप पंचायत के कानून को गलत बता देते हैं लेकिन हमारे देश के हर घर मे आज भी एक अनलिखा कानून हैं लड़कियों के लिये जो कहता हैं
समय से घर आ जाओ , अंधेरे में बाहर मत जाओ , रात को घर से किसी पार्टी में मत जाओ , ये पहनो और ये मत पहनो , उन लड़कियों से दोस्ती मत करो जो "फास्ट " हैं
और ये सब इस लिये क्युकी हम सब कहीं ना कहीं आतंकित हैं अपनी बेटियों की सुरक्षा के लिये
जिन की बेटियाँ नौकरी करती हैं और देर से घर आती हैं उनकी सांसे रुकी ही रहती हैं जब तक बेटी घर ना आजाये
क्यूँ हो रहा हैं ये सब क्युकी हम कानून और संविधान में दिये हुए अधिकार , समानता के अधिकार को समझना ही नहीं चाहते . आज भी स्त्री किसी की संपत्ति ही बनी हुई हैं और उसको लूट कर लोग आनंदित होते हैं .
नारी को बराबरी का दर्जा देना यानी अपनी सत्ता का हिस्सा बाँट करना इसलिये बलात्कार सबसे आसान औजार हैं किसी भी नारी को "उसकी सही जगह दिखाने का " .
वही दूसरे देश अपने कानून का पूरा उपयोग कर रहे हैं
एक खबर के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में एक टैक्सी ड्राइवर ने जो भारतीये था एक महिला का बलात्कार किया . महिला कहीं से शराब पीकर आयी थी और उसकी टैक्सी में घर गयी थी . पूरी खबर इस लिंक पर हैं
बलात्कार के बाद उस ड्राइवर को पुलिस ने पकड़ा पर छोड़ना पडा क्युकी सबूत पूरे नहीं थे .
ड्राइवर ने उसी दिन जा कर इंडिया का वन वे टिकेट खरीदा और इंडिया वापस चल दिया . तारीख थी 6 फरवरी 2010 .
वहाँ की पुलिस ने अपनी कार्यवाही नहीं रोकी और सबूत जोड़े और फिर 5 जनवरी 2012 को भारतीये पुलिस की साहयता से इस ड्राइवर को पकड़ा गया और ये पहले हिन्दुस्तानी बना जिसको देश से निकाल कर विक्टोरिया { ऑस्ट्रेलिया } भेज दिया गया . Mutta was taken into custody by Indian authorities on January 5 this year before being extradited. It was the first time an Indian national had been extradited to Victoria.
हेना फोस्टर केस भी ऐसा ही था
और यहाँ गुहाटी में हो या कहीं और हफ्तों मुजरिम का पता ही नहीं चलता . पकड़ भी जाए तो सजा इतनी मामूली हैं की बेल मिली और ये जा और वो जा .
आज अखबार में हैं की अब रेप को क्रिमिनल असौल्ट का नाम दिया जाएगा और सजा अब उम्र कैद ही होंगी
ये दोनों जेंडर पर लागू होगा यानी वो जो भ्रान्ति थी की पुरुष का बलात्कार नहीं होता वो ख़तम होगी , पुरुष भी चाहे तो शिकायत दर्ज करवा सकते हैं , ध्यान दे अभी तक ज्यादा मामले वो सामने आये हैं जहां पुरुष दूसरे पुरुष के साथ जबरदस्ती यौन सम्बन्ध बनाता हैं , जो अब कानून अपराध माना जायेगा , इस लिये इसको ये ना समझा जाए की महिला ने बलात्कार किया .
इस के अलावा तेज़ाब फेकने की सजा भी उम्र कैद होगी
बदलाव शुरू हो रहा है पर बदलाव अपनी मानसिकता में भी लाना होगा . लडकियां क्यूँ असुरक्षित रहती हैं सुनसान जगह ?? इस पर विचार आमंत्रित हैं .
चलते चलते
मुझ पर आरोप रहता हैं की मै कमेन्ट डिलीट कर देती हूँ . कहा जाता हैं चर्चामंच पर कुछ निर्भीकता दिखानी चाहिए.... वहाँ द्वार हमेशा खुले रखने चाहिए... चाहे कोई अपनी गंदगी ही उड़ेल जाये.. उससे उसकी मानसिकता का ही तो पता चलेगा.
मेरा उत्तर हैं
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
समय क्या था
लड़की / महिला ने पहना क्या था
शराब पी रखी थी क्या
अकेली थी
हर किसी की अदालत मे मुजरिम वो लड़की / महिला हो जाती हैं तो खुद ही एक जुर्म का शिकार बन चुकी हैं
उसके "रेप हो जाने की वजह से " बाकी सब लड़कियों पर बंदिशों का दौर शुरू हो जाता हैं
लोग खाप पंचायत के कानून को गलत बता देते हैं लेकिन हमारे देश के हर घर मे आज भी एक अनलिखा कानून हैं लड़कियों के लिये जो कहता हैं
समय से घर आ जाओ , अंधेरे में बाहर मत जाओ , रात को घर से किसी पार्टी में मत जाओ , ये पहनो और ये मत पहनो , उन लड़कियों से दोस्ती मत करो जो "फास्ट " हैं
और ये सब इस लिये क्युकी हम सब कहीं ना कहीं आतंकित हैं अपनी बेटियों की सुरक्षा के लिये
जिन की बेटियाँ नौकरी करती हैं और देर से घर आती हैं उनकी सांसे रुकी ही रहती हैं जब तक बेटी घर ना आजाये
क्यूँ हो रहा हैं ये सब क्युकी हम कानून और संविधान में दिये हुए अधिकार , समानता के अधिकार को समझना ही नहीं चाहते . आज भी स्त्री किसी की संपत्ति ही बनी हुई हैं और उसको लूट कर लोग आनंदित होते हैं .
नारी को बराबरी का दर्जा देना यानी अपनी सत्ता का हिस्सा बाँट करना इसलिये बलात्कार सबसे आसान औजार हैं किसी भी नारी को "उसकी सही जगह दिखाने का " .
वही दूसरे देश अपने कानून का पूरा उपयोग कर रहे हैं
एक खबर के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में एक टैक्सी ड्राइवर ने जो भारतीये था एक महिला का बलात्कार किया . महिला कहीं से शराब पीकर आयी थी और उसकी टैक्सी में घर गयी थी . पूरी खबर इस लिंक पर हैं
बलात्कार के बाद उस ड्राइवर को पुलिस ने पकड़ा पर छोड़ना पडा क्युकी सबूत पूरे नहीं थे .
ड्राइवर ने उसी दिन जा कर इंडिया का वन वे टिकेट खरीदा और इंडिया वापस चल दिया . तारीख थी 6 फरवरी 2010 .
वहाँ की पुलिस ने अपनी कार्यवाही नहीं रोकी और सबूत जोड़े और फिर 5 जनवरी 2012 को भारतीये पुलिस की साहयता से इस ड्राइवर को पकड़ा गया और ये पहले हिन्दुस्तानी बना जिसको देश से निकाल कर विक्टोरिया { ऑस्ट्रेलिया } भेज दिया गया . Mutta was taken into custody by Indian authorities on January 5 this year before being extradited. It was the first time an Indian national had been extradited to Victoria.
हेना फोस्टर केस भी ऐसा ही था
वहाँ महिला का अकेले रात को घूमना, भड़कीले कपड़े पहनना , शराब पीना , टेक्सी मे अकेल घर आना इत्यादि जुर्म नहीं माना गया वहा जुर्म था बलात्कार और दोषी था बलात्कार करने वाला और उसको सजा दिलवाने के लिये वहाँ की पुलिस उसको यहाँ से वहाँ ले ही गयी
और यहाँ गुहाटी में हो या कहीं और हफ्तों मुजरिम का पता ही नहीं चलता . पकड़ भी जाए तो सजा इतनी मामूली हैं की बेल मिली और ये जा और वो जा .
आज अखबार में हैं की अब रेप को क्रिमिनल असौल्ट का नाम दिया जाएगा और सजा अब उम्र कैद ही होंगी
ये दोनों जेंडर पर लागू होगा यानी वो जो भ्रान्ति थी की पुरुष का बलात्कार नहीं होता वो ख़तम होगी , पुरुष भी चाहे तो शिकायत दर्ज करवा सकते हैं , ध्यान दे अभी तक ज्यादा मामले वो सामने आये हैं जहां पुरुष दूसरे पुरुष के साथ जबरदस्ती यौन सम्बन्ध बनाता हैं , जो अब कानून अपराध माना जायेगा , इस लिये इसको ये ना समझा जाए की महिला ने बलात्कार किया .
इस के अलावा तेज़ाब फेकने की सजा भी उम्र कैद होगी
बदलाव शुरू हो रहा है पर बदलाव अपनी मानसिकता में भी लाना होगा . लडकियां क्यूँ असुरक्षित रहती हैं सुनसान जगह ?? इस पर विचार आमंत्रित हैं .
चलते चलते
मुझ पर आरोप रहता हैं की मै कमेन्ट डिलीट कर देती हूँ . कहा जाता हैं चर्चामंच पर कुछ निर्भीकता दिखानी चाहिए.... वहाँ द्वार हमेशा खुले रखने चाहिए... चाहे कोई अपनी गंदगी ही उड़ेल जाये.. उससे उसकी मानसिकता का ही तो पता चलेगा.
मेरा उत्तर हैं
मै यहाँ ब्लॉग पर अपनी जिन्दगी के हिसाब से चलती हूँ
एक नियम हैं मेरा
अगर क़ोई हमारे घर आकर बेहूदी , गन्दी और ओछी बाते करता हैं , किसी की बुराई करता हैं , टेंशन बढाता हैं , तो हम उसको कहते हैं अपने घर जाओ हमारा घर मंदिर हैं
उसी तरह मेरा ब्लॉग मेरी मेहनत हैं , मेरी पूजा हैं मेरा मंदिर हैं यहाँ क़ोई वो कमेन्ट नहीं रहेगा जो गन्दी मानसिकता का होता हैं मेरी अपनी बेटियाँ और बहुये भी इसको पढती हैं , मेरी बहनों के परिवार के सदस्य पढते हैं , उनके ससुर भी इस ब्लॉग के फोल्ल्वर हैं . हिंदी ब्लॉग जगत में जिस प्रकार के कमेन्ट आते हैं या जिस प्रकार की बाते निरंतर महिला ब्लोग्गर पर कहीं जाती हैं , जिस प्रकार उनकी तस्वीरो पर लेबल लगा कर डाला जाता हैं , जैसी कविताएं रची जाती हैं ,
कभी सोच कर देखिएगा किसी की बेटी जब अपनी माँ के विषय में ये पढ़ेगी जो यहाँ कहा जाता हैं तो क्या सोचेगी
हो सकता हैं कभी यही सोच ले कहीं मेरी माँ ऐसी ही तो नहीं थी
अगर क़ोई हमारे घर आकर बेहूदी , गन्दी और ओछी बाते करता हैं , किसी की बुराई करता हैं , टेंशन बढाता हैं , तो हम उसको कहते हैं अपने घर जाओ हमारा घर मंदिर हैं
उसी तरह मेरा ब्लॉग मेरी मेहनत हैं , मेरी पूजा हैं मेरा मंदिर हैं यहाँ क़ोई वो कमेन्ट नहीं रहेगा जो गन्दी मानसिकता का होता हैं मेरी अपनी बेटियाँ और बहुये भी इसको पढती हैं , मेरी बहनों के परिवार के सदस्य पढते हैं , उनके ससुर भी इस ब्लॉग के फोल्ल्वर हैं . हिंदी ब्लॉग जगत में जिस प्रकार के कमेन्ट आते हैं या जिस प्रकार की बाते निरंतर महिला ब्लोग्गर पर कहीं जाती हैं , जिस प्रकार उनकी तस्वीरो पर लेबल लगा कर डाला जाता हैं , जैसी कविताएं रची जाती हैं ,
कभी सोच कर देखिएगा किसी की बेटी जब अपनी माँ के विषय में ये पढ़ेगी जो यहाँ कहा जाता हैं तो क्या सोचेगी
हो सकता हैं कभी यही सोच ले कहीं मेरी माँ ऐसी ही तो नहीं थी
नारी ब्लॉग को नारियों की सोच को आगे लेजाने के लिये बनाया हैं इस में हम अपनी सोच से चलना चाहते हैं , हम चाहते हैं की कोई अगर इस को कभी पढ़े तो हमारी सोच उसको दिखे , हम जो सही समझते हैं अपने लिये वो दिखे . इस माध्यम के जरिये हम देश और प्रांत की सीमा से दूर भी अपनी बात ले जा सकते हैं
और वैसे बहुत से ब्लोग्गर कमेन्ट रोकते हैं , मिटाते हैं लेकिन यहाँ हो जाए तो आपत्ति दर्ज करवाते हैं
मैने तो कमेन्ट रखना या मिटाना ब्लॉग मालिक का अधिकार मानती हूँ और जो लोग किसी महिला को समझा कर पोस्ट डिलीट करवाते हैं विवाद ख़तम करवाने के लिये वो मेरे कमेन्ट हटाने को आदत कहते हैं :) इसी दोहरी मानसिकता से लडने का मंच है नारी ब्लॉग
15 अगस्त को संझा ब्लॉग से इसको एकल ब्लॉग बनाया था क्युकी तब बहुत से सदस्य कहते थे हमे पता नहीं था यहाँ क्या क्या लिखा जाएगा हम तो गलती से सदस्य बन गये
अब 15 अगस्त से फिर इसको संझा करने का मन बनाया हैं कारण हैं जो कोई भी मेल दे कर पूछ सकता हैं
पिछली बार मैने लोगो को जोड़ा था इस बार उनके नाम जोड़ना चाहती हूँ जो खुद इच्छुक हो और इस ब्लॉग के नियमो को मानते हुए ही अपनी पोस्ट दे . पोस्ट देना कोई जरुरी नहीं हैं आप इस मंच के सदस्य ही बने रह सकते हैं यानी आप को लगता हैं की आप की बात यहाँ सही तरह से होती हैं
सभी पुराने सदस्यों को आने का न्योता हैं क्युकी ये ब्लॉग आप सबकी सोच से ही बना हैं
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
rachna - hats off to ur efforts
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