अभी कुछ देर पहले मैने वंदना जी की एक कविता पढी
कविता नारी देह को लेकर हैं , नारी के वक्ष का कैंसर के दौरान निकाल दिया जाना यानी नारी देह का खंडित होना , नारी सौंदर्य का खंडित होना . कविता के ऊपर एक और लिंक दिया हैं जो कविता जी के ब्लॉग का हैं जहां एक लेखिका ने कुछ कविताओं पर आपत्ति उठाई हैं जहां ब्रेस्ट कैंसर के कारण वक्ष को निकलवा चुकी महिला पर शरीर खंडित होने जैसी बात कह कर उनका उपहास उड़ाया गया हैं
वंदना जी ने अपनी तरफ से ज्यादा बेहतर शब्दों को रख कर बात कहने का प्रयास किया हैं . और पूछा भी हैं क्या बात इस तरह नहीं कही जा सकती थी ?? मुझे उनकी कविता का थीम ही गलत लगा , कविता कैसी हैं सवाल ये नहीं है क्युकी वो एक रचनात्मक क्रिया हैं पर कविता किस थीम पर हैं ये जरुर सोचने की बात हैं
कैंसर पर विजय पाना एक उपलब्धि हैं पढना हो तो आर अनुराधा की किताब पढ़े ,
शरीर का एक अंग अलग करने से शरीर खंडित होगया , ये कौन सी सोच हैं ????
क्या स्त्री महज एक शरीर मात्र हैं आज भी ??
लोगो की यही सोच कैंसर विजेताओं को जो शल्य चिकित्सा करवा चुकी हैं , मजबूर करती हैं की वो कृत्रिम वक्ष लगाए या पेडिद ब्रा का इस्तमाल करे जो बेहद दर्दनाक होता हैं .
एक तरफ हम लोग हैं जो औरत की खंडित सौंदर्य / शरीर पर कविता लिख रहे हैं और दूसरी तरफ हैं जोदी जैक्स जिन्होंने अपने दोनों वक्ष निकवा कर कैंसर पर विजय पाई . उन्होने "टॉप लेस " स्विमिंग के लिये अर्जी देकर अपने लिये इसकी परमिशन ली क्युकी उनके अनुसार स्विम सूट पहनने से दर्द होता था . अब वो बाकी सब कैंसर विजेताओ को लिये भी इस परमिशन को लाने की मुहीम चलवा रही हैं .
बीमारी से ज्यादा बीमारी पर विजय की बात करनी होगी ना की विजय से हुए शरीर के बदलाव की बात करनी चाहिये और ये तो कभी भी ना कहे की कितनी मानसिक तकलीफ हुई होगी उस महिला को जिसने शल्य चिकत्सा से कैंसर से ग्रसित वक्ष को निकलवा दिया . आप का एक गलत कदम / कविता / कहानी किसी कैंसर पीड़ित महिला को शल्य चिकित्सा से रोक भी सकता हैं .
मेरे पड़ोस में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर हुआ उसके माता पिता नहीं थे , उसके सास ससुर ने बिना एक मिनट की देरी किये उसको शल्य चिकित्सा करने की प्रेरणा दी और उसके पति ने रात दिन एक करके उसकी सेवा की . महिला की उम्र महज 35 साल हैं . आज 5 साल बाद वो बिलकुल ठीक हैं और आराम से अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं .
नारी के वक्ष उसका सौंदर्य नहीं , नारी का जीवित होना उसका सौन्दर्य हैं , विमर्श का विषय ये होना चाहिये .
Please dont discuss beauty , body when life is at stake . There is nothing better then to live . Such poems and articles may dissuade a patient from going for breast removal as they worry about social acceptance .http://www.breastcancerindia.net/
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
कविता नारी देह को लेकर हैं , नारी के वक्ष का कैंसर के दौरान निकाल दिया जाना यानी नारी देह का खंडित होना , नारी सौंदर्य का खंडित होना . कविता के ऊपर एक और लिंक दिया हैं जो कविता जी के ब्लॉग का हैं जहां एक लेखिका ने कुछ कविताओं पर आपत्ति उठाई हैं जहां ब्रेस्ट कैंसर के कारण वक्ष को निकलवा चुकी महिला पर शरीर खंडित होने जैसी बात कह कर उनका उपहास उड़ाया गया हैं
वंदना जी ने अपनी तरफ से ज्यादा बेहतर शब्दों को रख कर बात कहने का प्रयास किया हैं . और पूछा भी हैं क्या बात इस तरह नहीं कही जा सकती थी ?? मुझे उनकी कविता का थीम ही गलत लगा , कविता कैसी हैं सवाल ये नहीं है क्युकी वो एक रचनात्मक क्रिया हैं पर कविता किस थीम पर हैं ये जरुर सोचने की बात हैं
कैंसर पर विजय पाना एक उपलब्धि हैं पढना हो तो आर अनुराधा की किताब पढ़े ,
शरीर का एक अंग अलग करने से शरीर खंडित होगया , ये कौन सी सोच हैं ????
क्या स्त्री महज एक शरीर मात्र हैं आज भी ??
लोगो की यही सोच कैंसर विजेताओं को जो शल्य चिकित्सा करवा चुकी हैं , मजबूर करती हैं की वो कृत्रिम वक्ष लगाए या पेडिद ब्रा का इस्तमाल करे जो बेहद दर्दनाक होता हैं .
एक तरफ हम लोग हैं जो औरत की खंडित सौंदर्य / शरीर पर कविता लिख रहे हैं और दूसरी तरफ हैं जोदी जैक्स जिन्होंने अपने दोनों वक्ष निकवा कर कैंसर पर विजय पाई . उन्होने "टॉप लेस " स्विमिंग के लिये अर्जी देकर अपने लिये इसकी परमिशन ली क्युकी उनके अनुसार स्विम सूट पहनने से दर्द होता था . अब वो बाकी सब कैंसर विजेताओ को लिये भी इस परमिशन को लाने की मुहीम चलवा रही हैं .
बीमारी से ज्यादा बीमारी पर विजय की बात करनी होगी ना की विजय से हुए शरीर के बदलाव की बात करनी चाहिये और ये तो कभी भी ना कहे की कितनी मानसिक तकलीफ हुई होगी उस महिला को जिसने शल्य चिकत्सा से कैंसर से ग्रसित वक्ष को निकलवा दिया . आप का एक गलत कदम / कविता / कहानी किसी कैंसर पीड़ित महिला को शल्य चिकित्सा से रोक भी सकता हैं .
मेरे पड़ोस में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर हुआ उसके माता पिता नहीं थे , उसके सास ससुर ने बिना एक मिनट की देरी किये उसको शल्य चिकित्सा करने की प्रेरणा दी और उसके पति ने रात दिन एक करके उसकी सेवा की . महिला की उम्र महज 35 साल हैं . आज 5 साल बाद वो बिलकुल ठीक हैं और आराम से अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं .
नारी के वक्ष उसका सौंदर्य नहीं , नारी का जीवित होना उसका सौन्दर्य हैं , विमर्श का विषय ये होना चाहिये .
Please dont discuss beauty , body when life is at stake . There is nothing better then to live . Such poems and articles may dissuade a patient from going for breast removal as they worry about social acceptance .http://www.breastcancerindia.net/
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