पिछली पोस्ट से आगे ,
अंशुमाला , रश्मि प्रभा और निर्णायक मनोज जी चाहते हैं की इस कार्यक्रम में ब्लॉग पोस्ट को समय से ना बंधा जाये .
इस लिये अगर आप ने
विषय
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण
लेख और कविता , कहानी की विधा इस बार नहीं रखी जाएगी
एक ब्लॉगर किसी भी विषय मे बस एक प्रविष्टि भेजे,
100 प्रविष्टि का अर्थ हुआ 100 ब्लॉग पोस्ट { लेख और कविता विधा की }
पर
कभी भी अपने ब्लॉग पर कोई भी पोस्ट पब्लिश की हैं तो उसका लिंक आप यहाँ दे सकते हैं
अगर हमारे पास 100 पोस्ट आगयी तो ये कार्यक्रम / आयोजन नारी ब्लॉग करेगा . लेकिन अगर 100 प्रविष्टियाँ नहीं आती हैं तो फिर पहले इन विषयों पर और चिंतन और पोस्ट की आवश्यकता हैं .
नारी ब्लॉग की सदस्य नारी ब्लॉग से अपनी कोई भी पोस्ट दे सकती हैं बस मेरी कोई भी पोस्ट इस आयोजन के लिये नहीं हैं . मेरे अलावा कोई भी निर्णायक अपनी पोस्ट शामिल नहीं कर सकता हैं .
आप को संभावित निर्णयको के नाम इस लिये बता दिये हैं ताकि आप जान सके की आप की पोस्ट को कौन आंकलित कर सकता हैं . अगर आप को निर्णायक ना पसंद हो , या आप को लगता हैं वो इस इस काबिल नहीं हैं हैं की आप की पोस्ट का आंकलन कर सके तो आप से विनम्र आग्रह हैं पोस्ट का लिंक ना दे
इस आयोजन को किस नाम से किया जाये इस पर सुझाव आमंत्रित हैं
आप इस मे पोस्ट देने के अलावा किस प्रकार से जुड़ना चाहते हैं वो अवश्य बताये .
प्रविष्टियों के लिये समय सीमा नहीं हैं आप अपने ब्लॉग पर पब्लिश की हुई नयी या पुरानी प्रविष्टि भेज सकते हैं
अंशुमाला , रश्मि प्रभा और निर्णायक मनोज जी चाहते हैं की इस कार्यक्रम में ब्लॉग पोस्ट को समय से ना बंधा जाये .
इस लिये अगर आप ने
विषय
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण
लेख और कविता , कहानी की विधा इस बार नहीं रखी जाएगी
एक ब्लॉगर किसी भी विषय मे बस एक प्रविष्टि भेजे,
100 प्रविष्टि का अर्थ हुआ 100 ब्लॉग पोस्ट { लेख और कविता विधा की }
पर
कभी भी अपने ब्लॉग पर कोई भी पोस्ट पब्लिश की हैं तो उसका लिंक आप यहाँ दे सकते हैं
अगर हमारे पास 100 पोस्ट आगयी तो ये कार्यक्रम / आयोजन नारी ब्लॉग करेगा . लेकिन अगर 100 प्रविष्टियाँ नहीं आती हैं तो फिर पहले इन विषयों पर और चिंतन और पोस्ट की आवश्यकता हैं .
नारी ब्लॉग की सदस्य नारी ब्लॉग से अपनी कोई भी पोस्ट दे सकती हैं बस मेरी कोई भी पोस्ट इस आयोजन के लिये नहीं हैं . मेरे अलावा कोई भी निर्णायक अपनी पोस्ट शामिल नहीं कर सकता हैं .
आप को संभावित निर्णयको के नाम इस लिये बता दिये हैं ताकि आप जान सके की आप की पोस्ट को कौन आंकलित कर सकता हैं . अगर आप को निर्णायक ना पसंद हो , या आप को लगता हैं वो इस इस काबिल नहीं हैं हैं की आप की पोस्ट का आंकलन कर सके तो आप से विनम्र आग्रह हैं पोस्ट का लिंक ना दे
इस आयोजन को किस नाम से किया जाये इस पर सुझाव आमंत्रित हैं
आप इस मे पोस्ट देने के अलावा किस प्रकार से जुड़ना चाहते हैं वो अवश्य बताये .
प्रविष्टियों के लिये समय सीमा नहीं हैं आप अपने ब्लॉग पर पब्लिश की हुई नयी या पुरानी प्रविष्टि भेज सकते हैं
संभव है कि किन्हीं कारणों से ऐसी पोस्टों के लिंक न भेजे जाएं जो आपके हिसाब से इस आयोजन के लिए उत्तम हैं। ऐसी प्रविष्टियों को आप स्वयं नामित कर सकती हैं।
ReplyDeleteराधारमण जी
Deleteप्रविष्टि ब्लोगर खुद ही भेजे ताकि उनकी सहमति रहे की उनकी प्रविष्टि शामिल की जाए
दूसरी बात अगर निर्णायक या आयोजक चुनाव करेगे शामिल करने का तो उनकी अपनी पसंद शामिल हो जाती हैं और पारदर्शिता नहीं होती
यहाँ बात पुरूस्कार की नहीं हैं यहाँ विषय पर क्या काम हुआ हैं और कितना उसकी हैं
आशा है आप पारदर्शिता के नए आयाम कायम करेंगी ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
आप से आग्रह हैं २००७-२००८ के बीच में आप ने अपने ब्लॉग पर काफी पोस्ट दी थी आप उनमे से एक इस मे शामिल कर दे अगर सही समझे
Deleteशुब्कमाना से कुछ नहीं होगा काम करना होगा सो सबसे पहले नाम सुझाये
वाह... यह तो बहुत अच्छी पहल है.... बहुत-बहुत स्वागत है और हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteक्या हमारिवानी पर किसी जगह इस की चर्चा की जासकती हैं , जिस से की नारी blog पाठको के अलावा भी लोग इससे जुड़ सके
Deleteअनंत की मरीचिका ...इस आयोजन को कह सकते हैं
ReplyDeleteमैं भी अपनी कोई प्रविष्टि नहीं भेजूँगी. आपने समय सीमा हटाकर अच्छा किया. अब ज्यादा से ज्यादा प्रविष्टियाँ सम्मिलित की जा सकती हैं.
ReplyDeleteसमय सीमा हटाकर अच्छा किया मगर यदि हमने कोई पोस्ट अभी लिखी हो और ब्लोग पर ना हो तो क्या वो भी भेजी जा सकती है?और जिन्होंने पहले अपना लिंक दिया हो और अब आपकी योजना मे बदलाव के बाद वो दूसरा लिंक या कविता देना चाहें तो कौन सी स्वीकार्य होगी कृपया स्पष्ट करें।
ReplyDeleteवंदना जी आप पहले ब्लॉग पर पोस्ट कर दे और फिर लिंक यहाँ दे दे
Deleteपिछली पोस्ट का लिंक डिलीट कर दे
अंतिम तिथि तक जो पोस्ट आ जाएगी वही सम्मिलित होगी
रचना जी , आपने तो बहुत कन्फ्यूज़ कर दिया ! इस विषय पर बहुत से आलेख लिखे हैं , निर्णय नहीं ले पा रही हूँ कौन सी प्रविष्टि शामिल करूँ...कृपया मदद करें !
ReplyDeleteमै इंतज़ार में थी की आप कुछ कहेगी या चुप ही रहेगी
Deleteआप अपनी पसंद की बेहतरीन दे दे
रचना जी, पता नहीं कितनी पोस्ट लिखीं, सभी सामजिक विषयों पर हैं, लेकिन अफ़सोस की दिए गए विषयों पर मैंने कोई पोस्ट नहीं लिखी :( इस आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल न हो पाने का दुःख रहेगा. चुनी हुई पोस्ट पद्धति रहूंगी, साथ में जुडी तो हूँ ही.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteअंतिम तिथि तक प्रकाशित पोस्ट सम्मिलित की जा सकती हैं वंदना जी और अंतिम तिथि में अभी एक महीने से ज्यादा हैं
Deleteरचना जी, अपनी एक कविता 'आक्रोश' की लिंक भेज रही हूँ ! यह 'नारी सशक्तिकरण' विषय के अंतर्गत है ! यदि पसंद आये तो इसे भी आयोजन में सम्मिलित कर लीजियेगा ! मुझे इस आयोजन के साथ जुड कर हार्दिक प्रसन्नता होगी !
ReplyDeletehttp://sudhinama.blogspot.in/2012/03/blog-post_09.html
अपनी रचना आत्म्द्ग्धा जो २०१० में लिखी थी की लिंक भेज रही हूँ |यह महिला हिंसा के लिए है |
ReplyDeleteयदि पसंद आए तो मुझे इस आयोजन के साथ जुड कर हार्दिक प्रसन्नता होगी |http://akanksha-asha.blogspot.in/2010/01/blog-post_20.html
आशा
कविता का नाम है "आत्मदग्धा " पहले गलत टाइप हो गया था |
ReplyDeleteआशा
मेरी समझ में नहीं आ रहा की मैं इसमें अपनी रचना कैसे भेजूँ। इसलिए यहा दे रही हूँ। आप इसे लगा दें, यह अनुरोध। लिंक है- http://chhammakchhallokahis.blogspot.in/2012/07/blog-post_11.html और रचना- मेरे पापा!
ReplyDeleteमेरे पापा,
मैं आपकी आफरीन, फ़लक, रचना, पूजा, आमना, नाजनीन! आप मुझे अपना न मानें, मगर मैं आपको अपना ही समझती हूँ। कितना बड़ा सहारा होते हैं आप हमारे लिए- बरगद के पेड़ की तरह। सुना है कि बरगद अपने नीचे किसी को फलने-फूलने नहीं देता। यह भी सुना है कि बरगद अपनी जड़ें अपनी डालियों से ही फैलाता-बढ़ाता चलता है। हम तो आपकी ही जड़ें हैं न पापा? लोग कहते हैं कि जब जान दे नहीं सकते तो लेने का कोई अधिकार नहीं। यह शायद गैरों के लिए होता होगा! आप तो हमारे अपने हैं, शायद इसीलिए सोचा होगा कि जान देनेवाले आप, तो उसे ले लेने का पूरा अधिकार भी आपका।
लेकिन मेरी समझ में नहीं आया पापा कि आपने हमारी जान क्यों ली? मैं इतनी नन्हीं! आँखें तक खोलना नहीं आया था मुझे। आपको पहचानना भी नहीं। आप तो साइंस को जानते -मानते होंगे पापा। बाकी में भले न मानें, इलाज- बीमारी में तो मानना ही पड़ता है। तो आप यह भी जानते होंगे कि किसी बच्चे का जन्म भी एक वैज्ञानिक प्रक्रिया ही है। विज्ञान ने साबित कर दिया है कि हम बेटियों का जन्म आपके ही एक्स-एक्स से होता है। अब जब आपने ही हमें एक्स-वाई नहीं दिया तो हम खुद से अपने एक्स को वाई में कैसे बदल लेते? काश, साइंस इतनी तरक्की कर गया होता कि आप खुद ही मेरी माँ को एक्स-वाई दे देते या मैं ही उसे एक्स-वाई में तब्दील कर के आपकी बेटी के बदले बेटा बनकर जनमती और आपकी मुराद पूरी कर देती।
बताइये पापा कि जब आपको ही नहीं मालूम कि आप अपने अंश से क्या रचनेवाले हैं तो उसका खामियाजा हमारे मत्थे क्यो? बताइये पापा कि हम किसलिए आपकी नाराजगी सहें? क्या इसलिए कि आप हमारे पापा हैं, हमसे अधिक ताकतवर हैं, हमारे पालनहार हैं? यदि आप सचमुच ही हमारे पापा और पालनहार हैं, तो कोई भी बाप इतना निर्दय नहीं हो सकता कि वह अपनी ही संतान को माँर डाले और ना ही कोई माली इतना मूर्ख कि अपने ही लगाए पौधे कि जड़ों में मट्ठा डाले!
शायद आप ताकतवर हैं। दुनिया के आगे भले ना हो, हमारे लिए हैं। भूल गए पापा कि सभी धर्म अपने से कमजोर की रक्षा करने को कहता है। आप सब तो धर्म के बड़े- बड़े पैरोकार हैं। इतनी छोटी बात भूल गए? भूलना ही था। धर्म और मजहब या तो उचारने के लिए है या हम निरीहों को उससे बांधने के लिए। सभी ताकतवर अपने से कमजोर को दबाकर- कुचलकर चलते हैं। सीधी जबान में कहूँ तो अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है। माफ कीजिएगा पापा ऐसी तुलना के लिए। लेकिन मैं भी क्या करूँ? कभी हमारा लिंग जानकार पेट में ही हमें मार देते हैं, तो कभी तमाचे और जलती सिगरेट हम पर छोड़ देते हैं। बताइये पापा, क्या आपके मर्दाना थप्पड़ को सहने की ताकत हम आसन्न जन्मी जान में है? सोचिएगा पापा! हम तो विदा ले रही हैं, ले चुकी है, लेती रहेंगी। मगर बेटियाँ और भी आएंगी। आपके ही एक्स- एक्स से आएंगी। पहले अपनी कमजोरी पहचानिए पापा! फिर अपनी ताकत हम पर आजमाइए।
विभा जी
Deleteये कमेन्ट हटा कर आप केवल अपनी पोस्ट का लिंक छोड़ दे इस लिंक पर और ये जरुर बता दे की किस विषय के { तीन विषय दिये हैं } लिये ये प्रविष्टि हैं
आपके नारी ब्लॉग के लिए मैने कुछ समय (वर्षों) पूर्व आपके अभी दिए विषयों पर ही लगातार ७(सात) दिनों तक अपने लेख भेजे थे.अभी आपके ब्लॉग में देखा कि आपने आपने विषय के लिए पुराने प्रकाशित लेख भी पुनः भेजने कहा है तो पुराने लेखों के साथ इन्ही दिए गए विषयों पर नए लेख भी पूरे डाटा के साथ शीघ्र भेज रही हूँ.
ReplyDeleteआपके इस विशिष्ट आयोजन हेतु एक नया नाम भी भेजती हूँ ,पसंद आये तो अच्छा.
अलका मधसूदन पटेल
लेखिका-साहित्यकार
आपने अपने आयोजन द्वारा सभी लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है.
ReplyDeleteआयोजन का नाम-----*चैतन्या*----- कैसा है.
अलका मधुसूदन पटेल
लेखिका - साहित्यकार
आपने अपने आयोजन द्वारा सभी लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है.
ReplyDeleteआयोजन का नाम *चैतन्या*----- कैसा है.
अलका मधुसूदन पटेल
लेखिका - साहित्यकार