नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।

यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का

15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं

15th august 2012

१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं

"नारी" ब्लॉग

"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।

" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "

हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

September 29, 2012

हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , अंतिम तिथी 15 अक्तूबर 2012

हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , विषय नारी 

इस आयोजन के लिये प्रविष्टियाँ आनी शुरू हो गयी हैं . मुझे सुखद आश्चर्य हैं की लोग इस से जुड़ रहे हैं .
आयोजन के विषय में पूरी जानकारी इन दो लिंक पर उपलब्ध हैं


आप को बस इतना करना हैं की प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथी   15 अक्तूबर 2012 हैं   
 अपनी ब्लॉग पोस्ट का लिंक { लेख या कविता } जो निम्न विषय पर हो
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण

यहाँ कमेन्ट में दे दे 
नियम और प्रक्रिया सम्बंधित कुछ जानकारियाँ 
  1.  केवल एक ही ब्लॉग पोस्ट का लिंक दे  
  2. कविता या लेख  
  3. पोस्ट का लिंक दे केवल ब्लॉग यु आर एल नहीं चाहिये  
  4. लिंक के साथ ये अवश्य लिखे की लिंक किस दिये हुए तीन विषयों में से किस के लिये हैं 
  5. केवल और केवल एक प्रविष्टि आमंत्रित हैं जिन पाठको ने दो प्रविष्टि दी हैं उनकी पहली प्रविष्टि इस आयोजन में शामिल कर दी जाएगी और दूसरी निरस्त्र मानी जाएगी . अंतिम तिथि तक आप अपनी प्रविष्टि डिलीट करके नयी भी दे सकते हैं .  
  6. पोस्ट ब्लॉग पर छपी होनी चाहिये , पहले से प्रिंट मीडिया में छपे  लेख / कविता { यानी किताब , या न्यूज़ पेपर इत्यादि  } जिन्हे आप ने दुबारा ब्लॉग पर दिया हो वो नहीं मान्य होंगे . हां अगर पहले ब्लॉग पर पोस्ट किया हैं बाद में किताब में / न्यूज़ पेपर इत्यादि में दिया है तो वो मान्य हैं  
  7. 100 पोस्ट आते ही प्रविष्टियाँ बंद कर दी जाएगी . नया ब्लॉग बना दिया जायेगा और आप अपनी पसंद के निर्णायक पेज के नीचे अपनी पोस्ट को पेस्ट कर के आंकलित करवा सकेगे . निर्णायक 100 अंक में से नंबर  देंगे . निर्णायक आकलन करने से पहले अगर चाहेगे तो कमेन्ट करके कोई प्रश्न भी कर सकते हैं पोस्ट सम्बंधित . अपनी 25 पोस्ट का निर्णय निर्णायक एक निश्चित तिथि पर हर पोस्ट में कमेन्ट मे देंगे या मुझे ईमेल कर देगे और मै  वो ईमेल उनके ईमेल आईडी के कमेन्ट मे पेस्ट कर दूंगी . लेकिन 100 पोस्ट का रिजल्ट या अंक एक ही दिन पेस्ट होंगे  
  8. उसके बाद एक और नया ब्लॉग बनेगा जहां 12 टॉप पोस्ट पुनः प्रकाशित होगी और अब पाठक उस पर अंक देगें . केवल उन्ही पाठक के अंक जुडेगे जो 12 मे से हर पोस्ट को अंक देंगे . पाठक को ये अधिकार नहीं होगा की किसी को अंक दे किसी को ना दे . पाठक भी अंक देने से पहले प्रश्न कर सकता हैं . अंक देने और प्रश्न पूछने का माध्यम भी कमेन्ट ही होगा . 0-5 तक के अंक पाठक नहीं दे सकेगे .  
  9. अंत में निर्णायक के अंक और पाठक के अंक जोड़ कर रिजल्ट खुद बा खुद सामने होगा
कोई दुराव , छिपाव , जोड़ना , घटाना , नेगेटिव , पोसिटिव इत्यादि करने की , एक्सेल शीट , ग्राफ इत्यादि की जरुरत नहीं होगी 
इसके बाद एक मीट  मे  इन 12 पोस्ट को पढने के लिये लेखक आमंत्रित किये जायेगे . ना आ सकने  की स्थिति मे वो दिल्ली मे रहने वाले अपने किसी भी मित्र ब्लोग्गर को अपनी पोस्ट पढने के लिये नोमिनेट कर सकते हैं . वहाँ उपस्थित दर्शक जो ब्लोग्गर भी होंगे और किसी कॉलेज के छात्र भी वो किस प्रकार से अपनी पसंद , अंक के रूप में दे सकेगे इस पर मे जल्दी ही सूचित करुँगी या केवल 12 पोस्ट पढ़ी जाएगी , विमर्श होगा और जो तीन टॉप पूर्व घोषित हैं उनकी घोषणा होंगी, या वहां उपस्थित ब्लोगर अंक दे सकेगे बस अभी इस पर मंथन चल रहा हैं 
तब तक अपनी पोस्ट भेज दे और अपने ब्लोगर मित्र को भी कह दे की वो भी भेज दे 
 आप नारी ब्लॉग की इस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर लिंक के साथ दे सकते हैं . 



लेबल के जरिये इस विषय से सम्बंधित सब पोस्ट पढ़ कर पूरी जानकारी ले  

September 26, 2012

कब होता हैं विधवा विलाप



पति की अर्थी उठने से पहले हाथो की चूड़िया एक पत्थर पर तोड़ कर अर्थी पर चढ़ाई जाती हैं . हाथो लहू लोहन हो जाए तो विधवा विलाप होता हैं
पैरो के बिछिये खीच कर उतारे जाते हैं चोट लगने पर जो आवाज आती हैं वो होता हैं विधवा विलाप
नाक की कील निकाली जाती हैं , तब जो दर्द होता हैं , जो आवाज निकलती हैं वो होता हैं विधवा विलाप
सर्दी हो या गर्मी सबके सामने बिठा कर सर से पानी डाल कर मांग के सिंदूर को बहाया जाता हैं और तब जो चीत्कार होता हैं वो होता हैं विधवा विलाप
गीली साडी उतरवा कर सफ़ेद साडी पहनाई जाती हैं और  सबके बीच बिठा कर आँचल को पसारने को कहा जाता हैं ताकि वहाँ उपस्थित लोग उसमे कुछ आर्थिक राशी डाल  सके यानी एक प्रकार की भिक्षा . तब जो आह निकलती हैं वो होता हैं विधवा विलाप .

आग्रह हैं जिन लोगो को अपने आस पास किसी ऐसी परम्परा का पता हो जो विधवा विलाप का कारण हो तो इस पोस्ट में जोड़ दे . कम से कम जो ये नहीं जानते विधवाओ को क्या क्या सदियों से झेलना पडा हैं वो जान सके और संभव हैं तब वो समझ सके जिन्दगी की सचाई भाषा विज्ञान से इतर   होती हैं
कल की पोस्ट और उस पर आये कमेन्ट यहाँ देखे . लिंक 

September 24, 2012

विधवा विलाप इसे कहते हैं, संतोष त्रिवेदी जी , प्रवीण शाह जी और अरविन्द मिश्र जी

विधुर शायद ही कभी विलाप करते हो , वो उनके परिजन उनके विधुर होते ही उनके लिये नयी जीवन संगिनी खोजते हैं ताकि उनका जीवन फिर किसी नारी के सहारे सुखमय कट सके . समाज की नज़र में सधवा का मरना उस सधवा के लिये एक भाग्यशाली होने की निशानी हैं क्युकी पति के रहते वो स्वर्ग सिधार गयी . यानी स्त्री का भाग्य उसके पति की कुशलता से जुडा होता हैं और पति का भाग्य . सौभाग्य कभी भी स्त्री / पत्नी के जीवन से नहीं जुडा होता हैं .
इसीलिये विधवा विलाप एक बहुत ही करुण स्थिति मानी गयी हैं जहां एक स्त्री अपने पति के मरते ही अपनी सुध बुध  खो देती हैं और चीख चीख कर अनगर्ल प्रलाप करती हैं क्युकी आने वाले जीवन में समाज उस से बहुत कुछ छीनने वाला हैं .
आज से सालो पहले जब बाल विवाह होते थे , गौना होता था , तब ना जाने कितनी बच्चिया गौने से पहले ही विधवा हो जाती थी और मेरी अपनी दादी { जो मेरी दादी की ममेरी बहिन थी } खुद ९ वर्ष की उम्र में विधवा हो गयी थी . फिर भी ससुराल गयी और ९० वर्ष की उम्र में उनका निधन हमारे पास १९७० ही हुआ था . ९ वर्ष से ९० वर्ष का सफ़र अपनी ममेरी बहिन की ससुराल में उन्होने काटा क्युकी १३ वर्ष की आयु में ही उनकी ससुराल में या मायके में क़ोई भी नहीं बचा था . उनको क़ोई अपने साथ भी नहीं रखना चाहता था क्युकी विधवा का विलाप क़ोई नहीं सुनना चाहता था . हमारी दादी उनको अपने साथ ले आई थी लेकिन क्या स्थिति थी उनकी इस घर में केवल और केवल एक ऐसी स्त्री की जिसको क़ोई अपने साथ ही नहीं रखना चाहता . उनके खाना पकाने के बरतन तक अलग होते थे . तीज त्यौहार पर उनके लिये खाना सब के खाना खाने के बाद ही परोसा जाता था , उनको ये अधिकार नहीं था की वो एक ही चूल्हे पर अपने लिये "कडाई चढ़ा सके { यानि कुछ तल सके जैसे पूरी } . जब घर के पुरुष और सधवा खा लेगी तब उन्हे तीज त्यौहार पर "पक्का खाना" दिया जाता था .
२ रूपए की पेंशन उनके पति की आती थी , उस पति की जिसे ना कभी उन्होने देखा या जाना था , बहिन के चार बेटों और १ बेटी को बड़ा करने में ही उन्होने अपन जीवन लगा दिया फिर भी उस घर की नहीं कहलाई . बस रही एक विधवा दूसरे घर  की जिसको सहारा दिया हमारी दादी ने . दादी की पहली बहू , दूसरी बहू तो उनको एक नौकरानी से ज्यादा नहीं समझती थी क्युकी दोनों तकरीबन निरक्षर थी और "संस्कारवान " थी . वो संस्कार जो समाज ने उनको दिये थे की विधवा बस एक विधवा होती हैं . एक ऐसी स्त्री जिससे दूर रहो .

माँ हमारी दादी की तीसरी बहू थी , जब शादी हुई १९५9  तो लखनऊ विश्विद्यालय में प्रवक्ता थी और उम्र थी महज २२ साल . शादी के बाद माँ ने दादी की ममेरी विधवा बहिन यानी मेरी दादी को बहुत मानसिक संबल दिया क्युकी माँ शिक्षित थी . माँ ने कभी उन्हे विधवा नहीं कहा . जब तक माँ ससुराल में रही दादी के लिये जितना सम्मान अर्जित करवा सकती थी उन्होने किया . १९६५ में माँ सपरिवार दिल्ली आगयी और मेरी दादी को साथ लाई . ५ साल दादी हमारे साथ दिल्ली रही और कहती रही ये उनकी जिंदगी के सबसे बेहतर साल रहे . हमारे घर में उन्हे बिना खिलाये खाना नहीं खाया जा सकता था , जो कुछ भी मिठाई इत्यादि अगर कभी कहीं से आत्ती थी तो सीधे दादी के हाथ में दे दी जाती थी ताकि वो अपने लिये पहले निकाल ले और झूठा ना हो जाए , उनके निकलेने के बाद ही हम उसमे से खा सकते थे .

हमारी माँ के बीमार पडते ही हमारी दादी अपने को ही कोसती { विधवा विलाप इसे कहते हैं संतोष त्रिवेदी , प्रवीण शाह और अरविन्द मिश्र } की वो अपशकुनी हैं जिसके पास रहती हैं वो मर जाता हैं . उस समय वो एक एक उस व्यक्ति को याद करती जो मर गया था और उन्हे अपशकुनी , विधवा बना गया था . माँ उनको कितना भी समझाती पर वो यही कहती दुल्हिन हम अपशकुनी हैं तुमको भी खा जायेगे .


हमे तो दादी के देहांत तक कभी ये पता ही नहीं था की वो हमारी दादी की ममेरी बहिन हैं , विधवा , बेसहारा , अपशकुनी .
जिस दिन दादी नहीं रही तो संस्कार करने की बात हुई , अडोस पड़ोस के लोगो ने पापा से और माँ से कहा की आप इनके बड़े बेटे को बुला कर संस्कार करा दे , या सबसे छोटे को , क्युकी मझला बेटा संस्कार नहीं करता . तब माँ - पिता ने कहा की ये हमारी माँ नहीं मौसी हैं . फिर मेरी माँ ने पूरे सनातन धर्म के रीती रिवाजो से उनका संस्कार पापा से करवाया . पापा क्युकी इन सब में विश्वास नहीं रखते थे इस लिये मैने कहा माँ ने करवाया . १३ दिन हम सब जमीन पर सोये वही खाया जो बाहर से पडोसी दे गए .

क्या होता हैं विधवा होना , ये क़ोई उस परिवार से पूछे जहां ऐसी विधवा होती हैं . क्या संतोष त्रिवेदी जानते हैं या प्रवीण शाह जानते हैं या अरविन्द मिश्र जानते हैं की विधवा को पखाना जाने के समय बिना कपड़ो के जाना होता था . विधवा को कोरा कपड़ा पहनाना माना होता था ,
हमने देखा हैं अपनी दादी को बिना कपड़ो के पखाना जाते . दिल्ली आने पर भी वो जाती थी , हज़ार बार पापा ने उनको माना किया पर नहीं उनके विधवा होने के संस्कार उनको अपने को बदल कर रहने की परमिशन नहीं देते थे . कम से कम वो अपना अगला जीवन अपशकुनी हो कर नहीं गुजारना चाहती थी ,

कितनी आसानी से संतोष त्रिवेदी , प्रवीण शाह और अरविन्द मिश्र ने नारीवादियों के लेखन को ""रंडापा टॉइप स्यापा " " कह दिया , और फिर मुझे समझा दिया की रंडवा का मतलब विधवा विलाप होता हैं . बड़ी आसानी से समझा दिया की विधवा विलाप तो स्त्री पुरुष दोनों के लिये आता हैं . क्या जानते हैं वो विधवा विलाप के बारे में ??

क्यूँ हैं आज समाज में नारी वादियाँ क्युकी उन्हे सुनाई देता हैं विधवा विलाप . देखा हैं मैने अपने घर में और भी बहुत से घरो में क्या होता हैं क्या हैं हमारे समाज में विधवा की स्थिति और क्या होता हैं विधवा विलाप . और आप तो उस विधवा का भी अपमान करते हैं क्युकी आप को तो "रंडापा टॉइप स्यापा " लगता हें विधवा का विलाप .

दादी कहती थी माँ से दुल्हिन वो तो तुम्हारी सास ले आयी सो कम से कम एक छत मिल गयी वरना विधवा को रांड बनाने को सब तैयार रहते हैं .

अगली पोस्ट में लिखूँगी उस विधवा के बारे में जो १९८६ में २५ की उम्र में विधवा हुई , क्या विलाप था उसका और क्या बीती उस पर . शायद संतोष त्रिवेदी , प्रवीण शाह और अरविन्द मिश्र की संवेदन शीलता उनको एहसास कराये की नारीवादी लेखन को "रंडापा टॉइप स्यापा " कहना और फिर उसकी तुलना विधवा विलाप से करना गलत हैं .







मुझे से आप नाराज़ हैं , जील से आप नाराज हैं , अंशुमाला से आप नाराज हैं , मुक्ति से आप नाराज हैं , कोई बात नहीं जितने शब्द , अपशब्द कहने हैं  हमारा नाम लेकर कहे , लेकिन हमारी वजह से नारीवादियों को विधवा ना कहे , उनके लेखन को विधवा और "रंडापा टॉइप स्यापा " " कह कर उनका अपमान ना करे


हमे कहे और फिर हमारी प्रतिक्रया के लिये तैयार रहे पर जब भी विधवा शब्द "रंडापा टॉइप स्यापा " " और छिनाल इत्यादि का प्रयोग करने " आम " के लिये नहीं नाम लेकर करे . इतनी हिम्मत रखें . 








नारीवादी कह कर उपहास करदेना कितना आसान हैं , गाव के रीती रिवाज की जानकारी देना मुझे , गाँव के मुहावरे समझना मुझे बहुत आसन हैं पर उन सब को ही बदलने और उन सब के खिलाफ आवाज उठाने के लिये ही तो मैने ये नारी ब्लॉग बनाया हैं
शब्दकोष और बोलचाल में नारी के अपमान को , नारी के दोयम के दर्जे को ही तो बदलना हैं .
और जितनी तीव्रता से मुझे समझाया जाता हैं उस से दस गुना ज्यादा तीव्रता से मै बदलाव की बयार को लाने की मुहीम चलाने के लिये प्रेरित होती हूँ


प्रवीण शाह की पोस्ट 
संतोष त्रिवेदी का कमेन्ट
अरविन्द मिश्र की पोस्ट
संतोष त्रिवेदी का कमेन्ट 
प्रवीण शाह का कमेन्ट 
जील की पोस्ट  

मेरी दादी 


September 20, 2012

नारी सशक्तिकरण ,घरेलू हिंसा , यौन शोषण - विषयों पर ब्लॉग पोस्ट आमंत्रित हैं

नारी ब्लॉग की कोशिश हैं की नारी आधारित विषयों पर ब्लॉग पर पोस्ट आये . इस लिये नारी ब्लॉग एक आयोजन कर रहा हैं जिसमे 3 विषयों पर ब्लॉग पोस्ट आमंत्रित हैं .
ये तीन विषय हैं
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण
अगर आप ब्लॉग लिखते हैं यानी ब्लॉगर  हैं . ध्यान दे ब्लॉगर लिंग - न्यूट्रल शब्द हैं इस लिये आप नारी हो या पुरुष या बच्चे या ट्राँस जेंडर  आप इस विमर्श का हिस्सा बन सकते हैं  आप की प्रविष्टि पहले से प्रिंट मीडिया यानी अखबार , किताब या मैगजीन मे प्रकशित नहीं होनी चाहिये . आप को पहले वो प्रविष्टि अपने ब्लॉग पर पब्लिश करनी होगी फिर नारी ब्लॉग के लिंक पर


 आयोजन के विषय में पूरी जानकारी इन 3  लिंक पर उपलब्ध हैं
लिंक 1 
लिंक 2 

लिंक 3
प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथी  15 अक्तूबर 2012

September 19, 2012

ये जो बार बार नारी को "उसका सही स्थान दिखाते हैं " किस कोख से आये हैं भूल जाते हैं .

नारी को शुरू से ही बहुत भावुक माना जाता रहा हैं जो आज के सन्दर्भ में "इमोशनल फूल " कहा जाता हैं . आप कहेगे इसका क्या मतलब हुआ , भावुक होने से कोई बेवकूफ नहीं होता हैं . होता हैं जी होता हैं . नारी भावुक हैं इस लिये ही बेवकूफ हैं .

सालो से सुनती रही हैं "नारी ही नारी की दुश्मन हैं " फिर भी समझती ही नहीं . प्रेक्टिकल हो कर सोचती ही नहीं .
कितना भी समझाओ "बहिनी एक दूसरे के साथ खड़े होना सीखो "

जवाब मिलता हैं "नहीं जी हम तो सही को सही और गलत को गलत कहेगे अब अगर कोई नारी गलत लिखेगी , कहेगी , करेगी , हम तो जी उसके खिलाफ आवाज जरुर उठायेगे जैसे हम पुरुष के खिलाफ उठाते हैं अगर वो गलत लिखता हैं , कहता हैं या करता हैं . "

लो बोलो इसमे नया क्या करदिया . यही तो तुम सदियों से कर रही हो , नारी को तुम कभी "बेनेफिट ऑफ़ डाउट " देती ही नहीं हो . उसको सीधा सूली पर चढ़ा देती हो क्युकी तुम को हमेशा "न्याय प्रिय " रहना और "अच्छे बने रहने " का खब्त सवार रहता हैं .
अब इसमे वैसे तुम्हारी इतनी गलती भी नहीं हैं , यही तो ठोंक ठोंक कर वर्षो तुम्हारे अन्दर कूट कूट कर भर दिया गया हैं . सौम्य रहो , अच्छी बनी रहो और अपनी ही जैसी दुसरो को नीचा दिखाती रहो और अगर उनको नीचा ना भी दिखाना चाहो तो कम से कम उनका साथ तो दो ही मत .
गलत हेमशा गलत ही होता पुरुष करे या स्त्री लेकिन तुमको तो समझाया गया है   what is wrong is wrong whether a woman says it or a man says it. in fact it is worse when a woman says it
यानी पुरुष का गलत "माफ़ी के काबिल हैं " स्त्री का  नहीं . स्त्री को हमेशा परफेक्ट होना होगा और परफेक्ट वो तभी हो सकती हैं जब वो दुसरो को भी परफेक्ट बनाती रहे . एक दूसरे के खिलाफ खड़ी होती रहे .

सोच कर देखो , आस पास देखो , कितनी जल्दी पुरुष समाज प्रेक्टिकल होजाता हैं और एक दूसरे के साथ खडा हो जाता हैं अगर उन मे से कोई गलत भी होता हैं तो असंख्य उसके साथ खड़े होजाते और फ़ील्डिंग करने लगते हैं . और जो नहीं होते हैं उन पुरुषो को "नारी वाद का हिमायती " कह कर जमात से अलग कर दिया जाता  हैं . वही तुम सही , अच्छी बनी रहने के चक्कर में  पुरुषो के गलत कृत्यों को इग्नोर करती हो लेकिन नारी की मामूली सी गलती को "सुधारे" बिना नहीं रहती हो .

अब बताओ अगर तुम ये ना करो , तो क्या प्रलय आ जाएगी ?? अगर जिस शिद्दत से तुम "दूसरो की गलती " को इग्नोर करती हो क्या अपने आस पास की नारियों की नहीं कर सकती .

कभी कोई नारीवादियों  को "रांड"  कह जाता हैं
लिंक 
और तुम चुप रहती हो क्युकी तुम "इन जैसो के " बातो को इग्नोर करना चाहती हो .

लेकिन वही अगर किसी स्त्री ने किसी स्त्री के खिलाफ कुछ लिख दिया तो तुम सबसे पहली होती हो जो उस स्त्री को "असंस्कारी से संस्कारी " बनाने की होड़ में सबसे आगे होती हो .

कभी सोच कर देखना अगर तुम अपने आस पास की हर नारी को "बेनिफिट ऑफ़ डाउट " देना शुरू कर दो और हर उस जगह जहां पुरुष समाज , पूरे स्त्री समाज को "रांड " कह रहा हैं वहाँ आवाज उठाने लगो तो क्या तस्वीर होगी आने वाले समाज की .

कभी प्रेक्टिकल बन कर सोचो की संस्कार देने की जरुरत किसी को हैं
कभी प्रेक्टिकल बन कर सोचो की किस के साथ खड़े होने से समाज में सुधार होगा

क्युकी ये जो बार बार नारी को "उसका सही स्थान दिखाते हैं " किस कोख से आये हैं भूल जाते हैं

कम से कम तुम तो उस कोख की लाज रखो .
वैसे जानती हूँ बोलोगी तो तुम आज भी नहीं पर सावधान हो जाओ , इस लिये लिंक के साथ सूचना दे रही हूँ
हो सकता आज जितनी "रांड " नारिवादियाँ हैं कल को "छिनाल" कह दी जाए . जो सुहागिने हैं ब्लॉग जगत में वो सब "विधवा " बना दी जाए . उस से पहले  अगर तुम ब्लॉग जगत से जाना चाहो तो चली जाओ वरना तुम्हारी बेटियाँ शायद ही तुमको माफ़ कर सके 
लिंक क्लिक करो 


दिस्क्लैमेर

"रांड " शब्द उस विधवा के लिये इस्तमाल होता हैं जो विधवा होने के बाद अपनी दैहिक भूख मिटाने के लिये पुरुष का इस्तमाल करती हैं .
"रांड" शब्द भ्रष्ट हिंदी का शब्द हैं और बेहद अपमान जनक हैं  एक गाली हैं .
ज़रा इस शब्द को गूगल कर के देखे , ये कहां कहां प्रयोग होता हैं और किस किस रूप में और किस किस सन्दर्भ में https://www.google.co.in/search?q=%22%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A1%22+&ie=utf-8&oe=utf-8&aq=t&rls=org.mozilla:en-US:official&client=firefox-a





September 18, 2012

हिंदी ब्लॉग पोस्ट आयोजन 1 - 23 प्रविष्टियाँ आ चुकी हैं , भेजने वाले ब्लॉगर अपनी प्रविष्टि चेक कर ले और विषय बताये


हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , विषय नारी 

इस आयोजन के लिये प्रविष्टियाँ आनी शुरू हो गयी हैं . मुझे सुखद आश्चर्य हैं की लोग इस से जुड़ रहे हैं .
आयोजन के विषय में पूरी जानकारी इन 3  लिंक पर उपलब्ध हैं
लिंक 1 
लिंक 2 
लिंक 3
प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथी  15 अक्तूबर 2012 
 ब्लॉग पोस्ट का लिंक { लेख या कविता } जो निम्न विषय पर हो
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण

ऊपर दिये हुआ लिंक 1 के कमेन्ट मे पेस्ट कर दे
जहां आप ने लिंक पोस्ट किया हैं वहाँ का ईमेल सब्सक्रिप्शन भी ले ले ताकि नयी ईमेल आप को मिलती रहे 
इसके अलावा इस से सम्बंधित जानकारियाँ नारी ब्लॉग पर आती रहेगी इस लिये इस ब्लॉग की नयी पोस्ट पर भी नज़र रखे 
आप के मन में कोई भी प्रश्न या विचार हो या सुझाव हो तो ईमेल की जगह पोस्ट पर ही कमेन्ट दे दे . 
आयोजक हर कमेन्ट को पढ़ते हैं . 
आप इस आयोजन में और किस प्रकार से जुड़ना चाहेगे ?? संभव और मन हो तो बताये . 
अभी तक प्राप्त प्रविष्टियों के लिंक नीचे हैं , जिन ब्लॉगर ने अपने लिंक का विषय नहीं बताया हैं वो कृपा कर के बता दे . जो प्रविष्टि नहीं भेज सके हैं भेज दे , ऊपर दिये विषयों पर हम ब्लॉग प्रविष्टियाँ चाहिये कम से कम 100 ताकि ये आयोजन किया जा सके , क्युकी ये प्रतियोगिता नहीं हैं इस लिये आप इसकी जानकारी और मित्रो को भी दे जो ब्लॉग लिखते हैं ताकि वो भी अपनी प्रविष्टि भेज सके . 
 
 1
नीम निम्बौरी से-http://neemnimbouri.blogspot.in/2012/08/blog-post_21.html
 2
http://pushymitr.blogspot.in/2012/07/blog-post_10.html
 3
http://ajaykumarjha.com/archives/2321... 
 4
Vibha Rani ShrivastavaSeptember 5, 2012 9:23 AM
http://vranishrivastava1.blogspot.in/2012/02/blog-post.html यौन शोषण
 5
http://vandana-zindagi.blogspot.in/2012/01/blog-post_6855.html
 6
Vijay Kumar SappattiSeptember 5, 2012 12:14 PM
http://poemsofvijay.blogspot.in/2010/09/blog-post.html 
 7
http://alokitajigisha.blogspot.in/2011/09/blog-post_15.html
 8
http://soniyabgaur.blogspot.in/2012/07/blog-post_31.html
 9
http://lifeteacheseverything.blogspot.in/2012/07/blog-post_14.html
 10
http://gullakapni.blogspot.in/2011/12/blog-post.html
 11
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/premras/entry/family-prostitution
 12
http://rashmiravija.blogspot.in/2010/09/blog-post_29.html घरेलू हिंसा
 13
http://devendra-bechainaatma.blogspot.in/2012/05/blog-post_25.html
 14
dheerendra11.blogspot.in/2011/11/blog-post_07.html#links
 15
राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )September 9, 2012 10:10 PM
http://kavikeekavita.blogspot.in/2011/01/blog-post_19.htm
 16
http://anamika7577.blogspot.in/2011/12/blog-post_30.html
 17
http://jindagikeerahen.blogspot.in/2011/06/blog-post_29.html 
 18
mridula pradhanSeptember 10, 2012 1:59 PM
http://blogmridulaspoem.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
 19
http://yehmerajahaan.blogspot.in/2012_04_01_archive.html नारी सशक्तीकरण
 20
http://sonal-rastogi.blogspot.in/2012/07/blog-post_10.html 
 21
http://shobhanaonline.blogspot.in/2011_11_01_archive.html
 22
http://mktvfilms.blogspot.in/2011/06/blog-post_27.html(यौन शोषण)
 23
http://vangaydinesh.blogspot.in/2011/03/blog-post_5074.html

September 14, 2012

एक प्रश्न शिखा वार्ष्णेय से ???

एक प्रश्न शिखा वार्ष्णेय से ???

मैडम
ज़रा ये तो बताये , किसी सम्मान समारोह में आप को मंच पर बैठने का अधिकार किस ने और कब दिया ???

September 11, 2012

हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 - जानकारी


हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , विषय नारी 

इस आयोजन के लिये प्रविष्टियाँ आनी शुरू हो गयी हैं . मुझे सुखद आश्चर्य हैं की लोग इस से जुड़ रहे हैं .
आयोजन के विषय में पूरी जानकारी इन 3  लिंक पर उपलब्ध हैं
लिंक 1 
लिंक 2 
लिंक 3
प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथी  15 अक्तूबर 2012 
 ब्लॉग पोस्ट का लिंक { लेख या कविता } जो निम्न विषय पर हो
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण

ऊपर दिये हुआ लिंक 1 के कमेन्ट मे पेस्ट कर दे
जहां आप ने लिंक पोस्ट किया हैं वहाँ का ईमेल सब्सक्रिप्शन भी ले ले ताकि नयी ईमेल आप को मिलती रहे 
इसके अलावा इस से सम्बंधित जानकारियाँ नारी ब्लॉग पर आती रहेगी इस लिये इस ब्लॉग की नयी पोस्ट पर भी नज़र रखे 
आप के मन में कोई भी प्रश्न या विचार हो या सुझाव हो तो ईमेल की जगह पोस्ट पर ही कमेन्ट दे दे . 
आयोजक हर कमेन्ट को पढ़ते हैं . 
आप इस आयोजन में और किस प्रकार से जुड़ना चाहेगे ?? संभव और मन हो तो बताये . 

September 09, 2012

हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , विषय नारी - नियम और प्रक्रिया सम्बंधित कुछ जानकारियाँ

हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , विषय नारी 

इस आयोजन के लिये प्रविष्टियाँ आनी शुरू हो गयी हैं . मुझे सुखद आश्चर्य हैं की लोग इस से जुड़ रहे हैं .
आयोजन के विषय में पूरी जानकारी इन दो लिंक पर उपलब्ध हैं
लिंक 1 

लिंक 2 


आप को बस इतना करना हैं की प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथी  15 सितम्बर 2012 हैं की जगह 15 अक्तूबर मान  ले और अपनी ब्लॉग पोस्ट का लिंक { लेख या कविता } जो निम्न विषय पर हो

नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण

ऊपर दिये हुआ लिंक 1 के कमेन्ट मे पेस्ट कर दे


नियम और प्रक्रिया सम्बंधित कुछ जानकारियाँ 
  1.  केवल एक ही ब्लॉग पोस्ट का लिंक दे  
  2. कविता या लेख  
  3. पोस्ट का लिंक दे केवल ब्लॉग यु आर एल नहीं चाहिये  
  4. लिंक के साथ ये अवश्य लिखे की लिंक किस दिये हुए तीन विषयों में से किस के लिये हैं 
  5. केवल और केवल एक प्रविष्टि आमंत्रित हैं जिन पाठको ने दो प्रविष्टि दी हैं उनकी पहली प्रविष्टि इस आयोजन में शामिल कर दी जाएगी और दूसरी निरस्त्र मानी जाएगी . अंतिम तिथि तक आप अपनी प्रविष्टि डिलीट करके नयी भी दे सकते हैं .  
  6. पोस्ट ब्लॉग पर छपी होनी चाहिये , पहले से प्रिंट मीडिया में छपे  लेख / कविता { यानी किताब , या न्यूज़ पेपर इत्यादि  } जिन्हे आप ने दुबारा ब्लॉग पर दिया हो वो नहीं मान्य होंगे . हां अगर पहले ब्लॉग पर पोस्ट किया हैं बाद में किताब में / न्यूज़ पेपर इत्यादि में दिया है तो वो मान्य हैं  
  7. 100 पोस्ट आते ही प्रविष्टियाँ बंद कर दी जाएगी . नया ब्लॉग बना दिया जायेगा और आप अपनी पसंद के निर्णायक पेज के नीचे अपनी पोस्ट को पेस्ट कर के आंकलित करवा सकेगे . निर्णायक 100 अंक में से नंबर  देंगे . निर्णायक आकलन करने से पहले अगर चाहेगे तो कमेन्ट करके कोई प्रश्न भी कर सकते हैं पोस्ट सम्बंधित . अपनी 25 पोस्ट का निर्णय निर्णायक एक निश्चित तिथि पर हर पोस्ट में कमेन्ट मे देंगे या मुझे ईमेल कर देगे और मै  वो ईमेल उनके ईमेल आईडी के कमेन्ट मे पेस्ट कर दूंगी . लेकिन 100 पोस्ट का रिजल्ट या अंक एक ही दिन पेस्ट होंगे  
  8. उसके बाद एक और नया ब्लॉग बनेगा जहां 12 टॉप पोस्ट पुनः प्रकाशित होगी और अब पाठक उस पर अंक देगें . केवल उन्ही पाठक के अंक जुडेगे जो 12 मे से हर पोस्ट को अंक देंगे . पाठक को ये अधिकार नहीं होगा की किसी को अंक दे किसी को ना दे . पाठक भी अंक देने से पहले प्रश्न कर सकता हैं . अंक देने और प्रश्न पूछने का माध्यम भी कमेन्ट ही होगा . 0-5 तक के अंक पाठक नहीं दे सकेगे .  
  9. अंत में निर्णायक के अंक और पाठक के अंक जोड़ कर रिजल्ट खुद बा खुद सामने होगा
कोई दुराव , छिपाव , जोड़ना , घटाना , नेगेटिव , पोसिटिव इत्यादि करने की , एक्सेल शीट , ग्राफ इत्यादि की जरुरत नहीं होगी 
इसके बाद एक मीट  मे  इन 12 पोस्ट को पढने के लिये लेखक आमंत्रित किये जायेगे . ना आ सकने  की स्थिति मे वो दिल्ली मे रहने वाले अपने किसी भी मित्र ब्लोग्गर को अपनी पोस्ट पढने के लिये नोमिनेट कर सकते हैं . वहाँ उपस्थित दर्शक जो ब्लोग्गर भी होंगे और किसी कॉलेज के छात्र भी वो किस प्रकार से अपनी पसंद , अंक के रूप में दे सकेगे इस पर मे जल्दी ही सूचित करुँगी या केवल 12 पोस्ट पढ़ी जाएगी , विमर्श होगा और जो तीन टॉप पूर्व घोषित हैं उनकी घोषणा होंगी, या वहां उपस्थित ब्लोगर अंक दे सकेगे बस अभी इस पर मंथन चल रहा हैं 
तब तक अपनी पोस्ट भेज दे और अपने ब्लोगर मित्र को भी कह दे की वो भी भेज दे 
 आप नारी ब्लॉग की इस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर लिंक के साथ दे सकते हैं . 

September 08, 2012

हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , विषय नारी

हिंदी ब्लॉग पोस्ट संकलन , आयोजन 1 , विषय नारी

इस आयोजन के लिये प्रविष्टियाँ आनी शुरू हो गयी हैं . मुझे सुखद आश्चर्य हैं की लोग इस से जुड़ रहे हैं .
आयोजन के विषय में पूरी जानकारी इन दो लिंक पर उपलब्ध हैं
लिंक 1 
लिंक 2 

आप को बस इतना करना हैं की प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथी  15 सितम्बर 2012 हैं की जगह 15 अक्तूबर मान  ले और अपनी ब्लॉग पोस्ट का लिंक { लेख या कविता } जो निम्न विषय पर हो
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण

ऊपर दिये हुआ लिंक 1 के कमेन्ट मे पेस्ट कर दे
अंतिम तिथि के बाद एक नया ब्लॉग बना कर आप को सूचित कर दिया जायेगा और फिर आप अपनी पूरी पोस्ट वहाँ दे सकेगे
केवल और केवल एक प्रविष्टि आमंत्रित हैं जिन पाठको ने दो प्रविष्टि दी हैं उनकी पहली प्रविष्टि इस आयोजन में शामिल कर दी जाएगी और दूसरी निरस्त्र मानी जाएगी . अंतिम तिथि तक आप अपनी प्रविष्टि डिलीट करके नयी भी दे सकते हैं .

अब एक राय चाहिये , मै चाहती हूँ ब्लॉग पोस्ट प्रषित करने वाले को ये अधिकार हो की वो सार्वजनिक मंच पर यानी जब आयोजन का ब्लॉग बन जाये , ब्लॉग पोस्ट उस पर संकलित कर दी जाये , अपनी पोस्ट के साथ ये बता सके की निर्णायक मंडल के किस सदस्य से वो अपनी पोस्ट आंकलित करवाने का इच्छुक हैं . 

मुझे लगता हैं , हर लेखक ये समझता हैं कौन सा पाठक उसके लिखे को वही / सही समझता हैं जो उसने लिखा  हैं , इस लिये वो निर्णायक मंडल से अपनी पसंद का पाठक चुन ले . हर निर्णायक के पास बस 25 प्रविष्टियाँ होंगी इस लिये जैसे ही प्रविष्टि संख्या पूरी होगयी किसी निर्णायक की फी ब्लोगर उसको अपना निर्णायक नहीं घोषित कर सकेगा 
इस आईडिया की कमजोरियां और और मजबुतिया { strength &threats } बता दे ताकि इस पर विचार कर सकूँ

September 06, 2012

प्रविष्टियों के लिये समय सीमा नहीं हैं आप अपने ब्लॉग पर पब्लिश की हुई नयी या पुरानी प्रविष्टि भेज सकते हैं

पिछली पोस्ट से आगे , 
अंशुमाला , रश्मि प्रभा और निर्णायक मनोज जी चाहते हैं की इस कार्यक्रम में ब्लॉग पोस्ट को समय से ना बंधा जाये .
इस लिये अगर आप ने
विषय
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण
लेख और कविता , कहानी की विधा इस बार नहीं रखी जाएगी 
एक ब्लॉगर किसी भी विषय मे बस एक प्रविष्टि भेजे, 
 100 प्रविष्टि का अर्थ हुआ 100  ब्लॉग पोस्ट { लेख और कविता विधा की } 

पर
कभी भी अपने ब्लॉग पर कोई भी पोस्ट पब्लिश की हैं तो उसका लिंक आप यहाँ दे सकते हैं
अगर हमारे पास 100 पोस्ट आगयी तो ये  कार्यक्रम / आयोजन नारी ब्लॉग करेगा . लेकिन अगर 100 प्रविष्टियाँ नहीं आती हैं तो फिर पहले इन विषयों पर और चिंतन और पोस्ट की आवश्यकता हैं .

नारी ब्लॉग की सदस्य नारी ब्लॉग से अपनी कोई भी पोस्ट दे सकती हैं बस मेरी कोई भी पोस्ट इस आयोजन के  लिये नहीं हैं . मेरे अलावा कोई भी निर्णायक अपनी पोस्ट शामिल नहीं कर सकता हैं .

आप को संभावित निर्णयको के नाम इस लिये बता दिये हैं ताकि आप जान सके की आप की पोस्ट को कौन आंकलित कर सकता हैं . अगर आप को निर्णायक ना पसंद हो , या आप को लगता हैं वो इस इस काबिल नहीं हैं हैं की आप की पोस्ट का आंकलन कर सके तो आप से विनम्र आग्रह हैं पोस्ट का लिंक ना दे


इस आयोजन को किस नाम से किया जाये इस पर सुझाव आमंत्रित हैं
आप इस मे पोस्ट देने के अलावा किस प्रकार से जुड़ना चाहते हैं वो अवश्य बताये .



 प्रविष्टियों के लिये समय सीमा नहीं हैं आप अपने ब्लॉग पर पब्लिश की हुई नयी या पुरानी प्रविष्टि भेज सकते हैं 
 

September 03, 2012

15 अगस्त 2011 से 14 अगस्त 2012 के बीच में पुब्लिश की गयी ब्लॉग प्रविष्टियाँ आमंत्रित हैं .

15 अगस्त 2011 से 14 अगस्त 2012 के बीच में पुब्लिश की गयी ब्लॉग प्रविष्टियाँ आमंत्रित हैं .
विषय
नारी सशक्तिकरण
घरेलू हिंसा
यौन शोषण
लेख और कविता , कहानी की विधा इस बार नहीं रखी जाएगी 
एक ब्लॉगर किसी भी विषय मे बस एक प्रविष्टि भेजे, 
 100 प्रविष्टि का अर्थ हुआ 100  ब्लॉग पोस्ट { लेख और कविता विधा की }

अगर आप ने { महिला और पुरुष ब्लॉग लेखक } इन विषयों पर ऊपर दिये हुए समय काल के अन्दर कोई भी पोस्ट दी हैं तो आप उस पोस्ट का लिंक यहाँ दे सकते .
अगर नारी ब्लॉग के पास 100 ऐसी पोस्ट के लिंक आजाते हैं तो हमारे 4 ब्लॉगर  मित्र जज बनकर उन प्रविष्टियों को पढ़ेगे . प्रत्येक जज 25 प्रविष्टियों मे से 3 प्रविष्टियों को चुनेगा . फिर 12 प्रविष्टियाँ एक नये ब्लॉग पर पोस्ट कर दी जायेगी और ब्लॉगर उसको पढ़ कर अपने प्रश्न उस लेखक से पूछ सकता हैं .
उसके बाद इन 12 प्रविष्टियों के लेखको को आमंत्रित किया जायेगा की वो ब्लॉग मीट  में आकर अपनी प्रविष्टियों को मंच पर पढ़े , अपना नज़रिया दे और उसके बाद दर्शको के साथ बैठ कर इस पर बहस हो .
दर्शको में ब्लॉगर होंगे . कोई साहित्यकार या नेता या मीडिया इत्यादि नहीं होगा . मीडिया से जुड़े ब्लॉगर और प्रकाशक होंगे . संभव हुआ तो ये दिल्ली विश्विद्यालय के किसी  college के ऑडिटोरियम में रखा जाएगा ताकि नयी पीढ़ी की छात्र / छात्रा ना केवल इन विषयों पर अपनी बात रख सके अपितु ब्लोगिंग के माध्यम और उसके व्यापक रूप को समझ सके . इसके लिये ब्लोगिंग और ब्लॉग से सम्बंधित एक लेक्चर भी रखा जायेगा .
12 प्रविष्टियों मे से बेस्ट 3 का चुनाव उसी सभागार में होगा दर्शको के साथ .

आयोजक  नारी ब्लॉग
निर्णायक मंडल रेखा श्रीवास्तव  , घुघूती बसूती  , नीरज रोहिला , मनोज जी , निशांत मिश्र और मुक्ति  { 6 संभावित  नाम हैं ताकि किसी कार्य वश कोई समय ना दे सके तो }

प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथी  15 सितम्बर 2012 हैं .
सभी 12 प्रविष्टियों को पुस्तके और प्रथम 3 प्रविष्टियों को कुछ ज्यादा पुस्तके देने की योजना हैं लेकिन इस पर विमर्श जारी हैं

ब्लॉग मीट दिसंबर 2012 में रखने का सोचा जा रहा हैं लेकिन ये निर्भर होगा की किस कॉलेज मे जगह मिलती हैं .

आप से आग्रह हैं अपनी ब्लॉग पोस्ट का लिंक कमेन्ट मे छोड़ दे और अगर संभव हो तो इस पोस्ट को और और लोगो तक भेज दे
मेरी यानी रचना की , और जो भी निर्णायक मंडल होगा  उनकी कोई भी प्रविष्टि इस आयोजन में शामिल नहीं होगी हां वो लेखक से प्रश्न पूछने के अधिकारी होंगे अपना निर्णय देने से पहले .

मेरी कोशिश हैं की हम इस बार नारी आधारित मुद्दे पर चयन करे और फिर हर चार महीने मे एक  बार विविध सामाजिक मुद्दों पर चयन करे . हिंदी ब्लॉग को / आप की बात को कुछ और लोगो तक , ख़ास कर नयी पीढ़ी तक लेजाने का ये एक माध्यम बन सकता हैं .

आप अपने विचार निसंकोच कह सकते हैं . निर्णायक मंडल से आग्रह हैं की वो इस आयोजन के लिये समय निकाले .







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