नारी ब्लॉग पर तकरीबन 980 पोस्ट आ चुकी हैं . 1000 पोस्ट आने के बाद नारी ब्लॉग को केवल निमंत्रित पाठको के लिये रखा जायेगा . जो भी इस ब्लॉग को पढने के इच्छुक हैं वो अपना ईमेल भेज कर इस ब्लॉग से जुड़ सकते हैं .
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ऐसा फैसला क्यों लिया गया है ?
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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सूचना हो या विचार ही, किसी को भी महज कुछ खास के लिये सीमित कर देने व इस तरह एक नये आभिजात्य वर्ग का गठन करने को मैं गलत मानता हूँ...
मैं नारी को उस रूप में पढ़ने का इच्छुक नहीं हूँ...
आभार!
...
मेरी सोच को गलत मानना आप का अधिकार हैं , बात ग्रुप बनाने की नहीं हैं बात हैं ब्लॉग के जरिये अपने को आगे ले जाने की . अपना मानसिक उत्थान करने की जो ब्लॉग के इस स्वरुप में संभव नहीं हैं
Deleteपता नहीं आप जानती हैं या नहीं - किन्तु मेरे संज्ञान में तो ब्लोगर सिर्फ १०० तक ही invited पाठक रखने की सहूलियत देता है, इससे अधिक नहीं |
ReplyDeleteagree with praveen ji word for word
I am happy with even 10 who want to DISCUSS things to evolve together
Deleteये तो नहीं पूछेंगे कि क्या कारण हैं लेकिन ये जरूर चाहेंगे कि आप इस पर फिर से विचार करें.
ReplyDeleteराजन
Deleteतुम पर तो अपना अधिकार समझती हूँ , इस तुम्हारा ईमेल तो जोड़ दूंगी अपने आप . जिंदगी में बदलाव जरुरी हैं ताकि हम प्रोग्रेस कर सके . एक दूसरे के विचारो को बेहतर जान सके
I am regular reader, but as a invited reader I wont be intrested.
ReplyDeletei think you should read my reply at the end and i am sure if you are regular reader it would be good to discuss rather than just read and move on .
Deleteएक नियमित पाठक के तौर पर मुझे आपका यह फैसला सही नहीं लगा है रचना जी, एतराज़ दर्ज किया जाए.
ReplyDeleteआशा करता हूँ कि मेरे इस एतराज़ पर विचार किया जाएगा.
२००७ से हिंदी ब्लॉग लेखन के अनुभव ने बताया हैं की यहाँ विमर्श नहीं हो सकता . जब भी हम कुछ लिखते हैं हम उस पर अपने पाठक से तर्क करना चाहते हैं पर वो यहाँ संभव नहीं हैं क्युकी यहाँ बात बहुत जल्दी व्यक्तिगत हो जाती हैं . केवल लिखना ही मकसद नहीं हैं लिख कर दुसरे क्या सोचते हैं वो जो सोचते हैं उसको कहते हैं तो उस पर हम क्या सोचते हैं इत्यादि सब के लिये एक ग्रुप होना जरुरी हैं ताकि मेरी अपनी जागरूकता बढ़े .
Deleteजब निमंत्रित पाठक यानी जो लोग मुझे पढते हैं और आगे भी पढना चाहते हैं मुझसे खुल कर तभी कुछ कह सकते हैं जब बात व्यक्तिगत धरातल पर ना चली जाये .
निमात्रित पाठक होने से नियंत्रित कमेन्ट भी होगे और मोडरेशन की आवश्यकता नहीं होगी
मेरी एक एक पोस्ट २०० लोग पढ़ ते हैं पर विमर्श होता ही नहीं हैं २०० पाठक पढ़ कर चले जाए और कुछ ना कहे तो मेरी खुद की उर्जा मे नष्ट कर रही हूँ सो बेहतर हैं २० ही पढ़े और आपस में हम एक दुसरे से इस "नारी " मुद्दे से जुड़े
जो लोग ईमेल देना चाहते हैं वो सीधा मेरे ईमेल पर दे दे , यहाँ ना दे ताकि ईमेल सबको ना दिखे
मैं इस ब्लॉग की सभी पोस्ट्स हमेशा पढना चाहता हूं।
ReplyDeleteantar.sohil@gmail.com
प्रणाम स्वीकार करें
jarur
DeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteआशा है मुझे ब्लॉग पढ़ने को मिलेगा।
ReplyDeletejarur
Deleteआमंत्रित ही करना है पाठकों को तो यह ब्लॉगर की स्वयं की पसंद होनी चाहिए , वह किसे आमंत्रण देता है , किसे नहीं !
ReplyDeleteवाणी
Deleteआप पढना चाहे तो लिखे ,
भारत में निमन्त्रण का अर्थ हैं किसी को आमंत्रित करना , हम यहाँ आमंत्रित करने वाले से पूछते नहीं हैं जबकि बाकी जगह आमत्रित करने वाले से पहले पूछा जाता हैं "क्या आप आना पसंद करेगे , क्या आप आ सकते हैं " . जब उनसे सहमति मिल जाती हैं तब उनको निमन्त्रण भेजा जाता हैं .
ये एक सेट प्रोसेस हैं जो हमारे यहाँ अभी केवल कुछ वर्गों में प्रचलित हैं .
इस लिये गूगल ने ये सुविधा प्रदान कर रखी हैं . अगर आप पढना चाहे तो आप का ईमेल जोड़ दिया जाएगा .
It's an absurd decision. Think again.
ReplyDelete२००७ से हिंदी ब्लॉग लेखन के अनुभव ने बताया हैं की यहाँ विमर्श नहीं हो सकता . जब भी हम कुछ लिखते हैं हम उस पर अपने पाठक से तर्क करना चाहते हैं पर वो यहाँ संभव नहीं हैं क्युकी यहाँ बात बहुत जल्दी व्यक्तिगत हो जाती हैं . केवल लिखना ही मकसद नहीं हैं लिख कर दुसरे क्या सोचते हैं वो जो सोचते हैं उसको कहते हैं तो उस पर हम क्या सोचते हैं इत्यादि सब के लिये एक ग्रुप होना जरुरी हैं ताकि मेरी अपनी जागरूकता बढ़े .
ReplyDeleteजब निमंत्रित पाठक यानी जो लोग मुझे पढते हैं और आगे भी पढना चाहते हैं मुझसे खुल कर तभी कुछ कह सकते हैं जब बात व्यक्तिगत धरातल पर ना चली जाये .
निमात्रित पाठक होने से नियंत्रित कमेन्ट भी होगे और मोडरेशन की आवश्यकता नहीं होगी
मेरी एक एक पोस्ट २०० लोग पढ़ ते हैं पर विमर्श होता ही नहीं हैं २०० पाठक पढ़ कर चले जाए और कुछ ना कहे तो मेरी खुद की उर्जा मे नष्ट कर रही हूँ सो बेहतर हैं २० ही पढ़े और आपस में हम एक दुसरे से इस "नारी " मुद्दे से जुड़े
जो लोग ईमेल देना चाहते हैं वो सीधा मेरे ईमेल पर दे दे , यहाँ ना दे ताकि ईमेल सबको ना दिखे
ReplyDeleteइस फैसले को अलोकतांत्रिक मानते हुए भी मैं ब्लाग को पढ़ते रहना चाहूंगा...
मेरी नज़र में टिप्पणी का आप्शन खत्म करना, माडरेशन ये सब कहीं न कहीं अलोकतांत्रिक हैं...
एक सवाल और ...ब्लाग को आमंत्रित पाठकों के लिए कर दिए जाने के बाद उसे तमाम एग्रीगेटर से हटा लिया जाना चाहिए...क्योंकि एग्रीगेटर पर पोस्ट को देखकर कोई पढ़ने जाता है और उसे वहां नोटिस मिलता है कि ये उसके पढ़ने के लिए नहीं हैं तो कहीं न कहीं उसके साथ ठीक नहीं होता...
शेष आप जैसा ठीक समझें...
जय हिंद...
ReplyDeleteइस फैसले को अलोकतांत्रिक मानते हुए भी मैं ब्लाग को पढ़ते रहना चाहूंगा...
मेरी नज़र में टिप्पणी का आप्शन खत्म करना, माडरेशन ये सब कहीं न कहीं अलोकतांत्रिक हैं...
एक सवाल और ...ब्लाग को आमंत्रित पाठकों के लिए कर दिए जाने के बाद उसे तमाम एग्रीगेटर से हटा लिया जाना चाहिए...क्योंकि एग्रीगेटर पर पोस्ट को देखकर कोई पढ़ने जाता है और उसे वहां नोटिस मिलता है कि ये उसके पढ़ने के लिए नहीं हैं तो कहीं न कहीं उसके साथ ठीक नहीं होता...
शेष आप जैसा ठीक समझें...
जय हिंद...
@उसे तमाम एग्रीगेटर से हटा लिया जाना चाहिए...क्योंकि एग्रीगेटर पर पोस्ट को देखकर कोई पढ़ने जाता है
ReplyDeleteमेरा मानना हैं की एग्रीगेटर ब्लॉग के बाद आये हैं यानी ब्लॉग हैं तो एग्रीगेटर हैं , अगर ब्लॉग नहीं होगे तो एग्रीगेटर का भी कोई फायदा नहीं हैं
नारद , ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत सब बंद होगये पर ब्लॉग आज भी हैं
और इस समय केवल हमारिवानी , एग्रीगेटर हैं कल वो भी हो ना हो पर ब्लॉग फिर भी होंगे
पाठक एग्रीगेटर से आते हैं पर सब नहीं .
और एग्रीगेटर से आने वाले पाठक के लिये सुचना हैं की वो निमंत्रण मांग सकते हैं
और लोकत्रंत में आपत्ति का अधिकार हैं आप को भी हैं