एक बेटी का बाप जब दूसरे की बेटी के प्रति रोमांटिक नज़रिया रखता हैं और
उसको ढोल पीट पीट कर जाहिर भी करता हैं , तब कैसे भूल जाता हैं की कहीं
क़ोई और किसी और बेटी का बाप उसकी बेटी के प्रति भी ऐसा ही "जायज़ " नज़रिया
रखता होगा .
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नयी पीढ़ी को बदलने से बेहतर हैं पहले खुद को बदले . शुचिता और नैतिकता का पाठ तब पढ़ाए जब खुद पढ़ा हो
भावनाए गलती से एक बार बहक सकती हैं बार बार अगर बहकती हैं तो वो मनोविकार हैं और उसका ईलाज किसी
डॉक्टर के पास होता हैं . हर साल अपनी प्रेमिका खोजना गलती तो हो ही नहीं सकती .
दो लोगो मे , कभी पढ़ा था , नैतिकता का बोझ उन पर ज्यादा होता हैं जो उम्र में बड़ा हो पर लगता हैं नैतिकता केवल एक शब्द मात्र हैं जिसको बच्चो को सिखा कर भूल जाना जरुरी होता हैं
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नैतिकता क्या होता है? नाम कुछ सुना-सुना सा लग रहा है।
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से आभार।