सीनियर सिटिज़न एक्ट 2007
आज से ये एक्ट पूरे भारत में लागू हो गया हैं .
इस एक्ट की कुछ परिभाषाये
60 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति , जिनके पास भारतीये नागरिकता हैं , जो चाहे भारत में हो या विदेश में वो सीनियर सिटिज़न कहलायेगे { इस एक्ट के लिये }
परेंट का अर्थ माँ और पिता होता हैं इस मे सौतले माँ पिता और adoptive माँ पिता सब शामिल हैं
बच्चो का अर्थ , एडल्ट बेटा , बेटी , और ग्रैंड चिल्ड्रेन .
इस एक्ट की सबसे प्रमुख बात ये हैं की अब कानून बच्चो को अपने माँ पिता को आर्थिंक सहायता देनी होगी अगर उन के पेरेंट उन से इसकी मांग करते हैं . बच्चो के अलावा वो कोई भी व्यक्ति जिसके पास सीनियर सिटिज़न की संपत्ति का संचालन हैं या जिनको वो सम्पत्ति सीनियर सिटिज़न की मृत्यु उपरांत मिलने वाली हैं उस सीनियर सिटिज़न की देखभाल के लिये जिम्मेदार होगा .
अविवाहित के केस मे जिसको सम्पत्ति मिलेगी वो जिम्मेदार माना जाएगा .
इस एक्ट के अंतर्गत बच्चो पर 5000 रूपए जुर्माना , 3 महीने की सजा या दोनों का प्रावधान हैं
इस एक्ट के विषय मे पूरी जानकारी यहाँ उपलब्ध हैं .
आप से आग्रह हैं इस एक्ट को ध्यान से पढ़ ले और अपने घर मे , आस पास में , किसी भी सीनियर सिटिज़न को परेशान देखे तो अवश्य उनको इस विषय मे जानकारी दे और उनकी आवाज / परेशानी पास के अधिकारी तक पहुचाए . आप को ये अधिकार दे दिया गया हैं .
अगर आप खुद सीनियर बनने जा रहे हैं तो इस एक्ट को सावधानी से पढ़े और समय रहते अपनी सम्पत्ति को अपने सब बच्चो में इस प्रकार से विल / गिफ्ट कर दे की आप की संपत्ति के कारण आप के बच्चो में आपसी द्वेष ना हो . सब बच्चो को बराबर समझे और उनके अधिकार और कर्त्तव्य भी बराबर माने .
कोई भी बच्चा अपने परेंट के रहते उनकी सम्पत्ति पर से अपना अधिकार नहीं छोड़ सकता हैं यानी अपने कर्तव्यो को ना निभाने के लिये ऐसा कदम नहीं उठा सकता हैं सम्पत्ति पर अधिकार संपत्ति मिलने के बाद ही छोड़ा जा सकता हैं . इस लिंक को अवश्य देखे . एक बात हमेशा ध्यान देनी चाहिये की अगर आप से कोई राय मांगता हैं तो कानून संगत राय दे जजमेंट नहीं .
अगर आप किसी के बच्चे हैं तो उनकी देखभाल की नैतिक जिम्मेदारी आप की ही हैं और अब कानून भी .
कानून बनाये जा सकते हैं , बदले जा सकते हैं पर उनको निभाना आप के और हमारे ही हाथ मे हैं
परिवार का अर्थ महज आप की चारदीवारी के अन्दर के लोग नहीं हैं , बाहर भी आगर किसी को आप की जरुरत हैं क्युकी वो अब अशक्त हैं तो उसकी भी जिम्मेदारी उठाये .
आप से निवेदन हैं किसी सीनियर सिटिज़न को आर्थिक साहयता ना देकर उनके अधिकार दिलाने की प्रक्रिया शुरू करवाए .
सहायता और अधिकार में अंतर हैं . हमसे जो बना कर दिया ना कह कर आप को उन लोगो को इस एक्ट को समझाना चाहिये जिनको इसकी समझ नहीं हैं
आज कल बैंक रिवर्स मोर्टगेज के तहत किसी की संपत्ति अपने पास रख कर हर महीने आर्थिक धन राशि भी देता हैं और सम्पत्ति में रहने का अधिकार भी . आगे चल कर अगर वारिस को सम्पत्ति के मालिक की मृत्यु के बाद वो संपत्ति चाहिये तो वो बैंक से उस संपत्ति को पैसा दे कर छुडवा सकता हैं अन्यथा मालिक के बाद वो संपत्ति बैंक की होगी .
THE MAINTENANCE AND WELFARE OF PARENTS AND SENIOR CITIZENS ACT, 2007
is now being implemented all over india . Lets all implement it in our minds , in our homes and lets not wait for some celebrity to raise this cause on tv and media sing praises
Our parents need us and we need our children ,its a circle and lets complete it as a circle .
Besides that lets take care of all the senior citizen around us and make them aware of their rights . And if we are senior citizens lets wake up to the harsh reality of life that age makes us dependent on others physically so we need to learn to adapt ourselfs according to our children .
When we are born as a child we are dependent on our parents for feed and all related things and we adhere to laws laid by the parents , so as we grow old we get dependent SO WE NEED TO ADHERE TO THE LAWS LAID BY OUR CHILDREN . Lets not feel that we are being bossed by our children lets understand that its part and parcel of growing old
amen
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
आज से ये एक्ट पूरे भारत में लागू हो गया हैं .
इस एक्ट की कुछ परिभाषाये
60 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति , जिनके पास भारतीये नागरिकता हैं , जो चाहे भारत में हो या विदेश में वो सीनियर सिटिज़न कहलायेगे { इस एक्ट के लिये }
परेंट का अर्थ माँ और पिता होता हैं इस मे सौतले माँ पिता और adoptive माँ पिता सब शामिल हैं
बच्चो का अर्थ , एडल्ट बेटा , बेटी , और ग्रैंड चिल्ड्रेन .
इस एक्ट की सबसे प्रमुख बात ये हैं की अब कानून बच्चो को अपने माँ पिता को आर्थिंक सहायता देनी होगी अगर उन के पेरेंट उन से इसकी मांग करते हैं . बच्चो के अलावा वो कोई भी व्यक्ति जिसके पास सीनियर सिटिज़न की संपत्ति का संचालन हैं या जिनको वो सम्पत्ति सीनियर सिटिज़न की मृत्यु उपरांत मिलने वाली हैं उस सीनियर सिटिज़न की देखभाल के लिये जिम्मेदार होगा .
अविवाहित के केस मे जिसको सम्पत्ति मिलेगी वो जिम्मेदार माना जाएगा .
इस एक्ट के अंतर्गत बच्चो पर 5000 रूपए जुर्माना , 3 महीने की सजा या दोनों का प्रावधान हैं
इस एक्ट के विषय मे पूरी जानकारी यहाँ उपलब्ध हैं .
आप से आग्रह हैं इस एक्ट को ध्यान से पढ़ ले और अपने घर मे , आस पास में , किसी भी सीनियर सिटिज़न को परेशान देखे तो अवश्य उनको इस विषय मे जानकारी दे और उनकी आवाज / परेशानी पास के अधिकारी तक पहुचाए . आप को ये अधिकार दे दिया गया हैं .
अगर आप खुद सीनियर बनने जा रहे हैं तो इस एक्ट को सावधानी से पढ़े और समय रहते अपनी सम्पत्ति को अपने सब बच्चो में इस प्रकार से विल / गिफ्ट कर दे की आप की संपत्ति के कारण आप के बच्चो में आपसी द्वेष ना हो . सब बच्चो को बराबर समझे और उनके अधिकार और कर्त्तव्य भी बराबर माने .
कोई भी बच्चा अपने परेंट के रहते उनकी सम्पत्ति पर से अपना अधिकार नहीं छोड़ सकता हैं यानी अपने कर्तव्यो को ना निभाने के लिये ऐसा कदम नहीं उठा सकता हैं सम्पत्ति पर अधिकार संपत्ति मिलने के बाद ही छोड़ा जा सकता हैं . इस लिंक को अवश्य देखे . एक बात हमेशा ध्यान देनी चाहिये की अगर आप से कोई राय मांगता हैं तो कानून संगत राय दे जजमेंट नहीं .
अगर आप किसी के बच्चे हैं तो उनकी देखभाल की नैतिक जिम्मेदारी आप की ही हैं और अब कानून भी .
कानून बनाये जा सकते हैं , बदले जा सकते हैं पर उनको निभाना आप के और हमारे ही हाथ मे हैं
परिवार का अर्थ महज आप की चारदीवारी के अन्दर के लोग नहीं हैं , बाहर भी आगर किसी को आप की जरुरत हैं क्युकी वो अब अशक्त हैं तो उसकी भी जिम्मेदारी उठाये .
आप से निवेदन हैं किसी सीनियर सिटिज़न को आर्थिक साहयता ना देकर उनके अधिकार दिलाने की प्रक्रिया शुरू करवाए .
सहायता और अधिकार में अंतर हैं . हमसे जो बना कर दिया ना कह कर आप को उन लोगो को इस एक्ट को समझाना चाहिये जिनको इसकी समझ नहीं हैं
आज कल बैंक रिवर्स मोर्टगेज के तहत किसी की संपत्ति अपने पास रख कर हर महीने आर्थिक धन राशि भी देता हैं और सम्पत्ति में रहने का अधिकार भी . आगे चल कर अगर वारिस को सम्पत्ति के मालिक की मृत्यु के बाद वो संपत्ति चाहिये तो वो बैंक से उस संपत्ति को पैसा दे कर छुडवा सकता हैं अन्यथा मालिक के बाद वो संपत्ति बैंक की होगी .
THE MAINTENANCE AND WELFARE OF PARENTS AND SENIOR CITIZENS ACT, 2007
is now being implemented all over india . Lets all implement it in our minds , in our homes and lets not wait for some celebrity to raise this cause on tv and media sing praises
Our parents need us and we need our children ,its a circle and lets complete it as a circle .
Besides that lets take care of all the senior citizen around us and make them aware of their rights . And if we are senior citizens lets wake up to the harsh reality of life that age makes us dependent on others physically so we need to learn to adapt ourselfs according to our children .
When we are born as a child we are dependent on our parents for feed and all related things and we adhere to laws laid by the parents , so as we grow old we get dependent SO WE NEED TO ADHERE TO THE LAWS LAID BY OUR CHILDREN . Lets not feel that we are being bossed by our children lets understand that its part and parcel of growing old
amen
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
achchi jankari di vistar se padhate hai
ReplyDeleteThanks for sharing this.
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteQuite informative and good....
ReplyDeletemy wife has tactically taken the possession of 1st floor of my house can my mother escalate the house by using this law??? place guide me my mail address is ratneshsir@Gmail. com
ReplyDeleteKanyon aapana Kam karega hame manav hit me sahyog karna hai
ReplyDeleteKanyon aapana Kam karega hame manav hit me sahyog karna hai
ReplyDeleteCivil suit of property me be 60 years and above is allowed or any other criteria is there? Please response
ReplyDeleteCivil suit of property me be 60 years and above is allowed or any other criteria is there? Please response
ReplyDeleteall those looking for guidance please consult a lawyer as this is just a blog to share info with society
ReplyDeleteSir if a Daughter in law & her parents are involved in this type of cases i.e.means they are forced to Boys Parents to live alone,Then is any action taken against them in LAW
ReplyDeleteSir if a Daughter in law & her parents are involved in this type of cases i.e.means they are forced to Boys Parents to live alone,Then is any action taken against them in LAW
ReplyDeleteTHANX YE ACT TO LEGALY RIGHT DE RAHA HAI APNE PARENTS KI JIMMEDARILENE KE LIYE LAKIN ESA SABHI KO SOHCHANA CHAHIYE ESA SAMAY HI N AAYE KI UNHE MANGANA PADE KHUD SABHI BACHHE APNE PARENTS KI JIMMEDARAI KHUSHI KHUSHI JIMEEDARI NHI APNA FARZ SAMJH KER PURA KRE KYUKI UNHI SE AAJ WO HAI.
ReplyDeleteYadi property father ke baad mother ke naam nahi hai to kya mother bete ko "द मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स ऐंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007" ghar se nikaal sakti hai ya nai,
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