
आज इस ब्लॉग पर मिलिये "सुनीता कृष्णन और प्रज्वला से "
सुनीता कृष्णन ने हैदराबाद मे " प्रज्वला " नाम से NGO की स्थापना की हैं । १४ वर्ष की अल्प आयु मे सेक्सवोइलेंस का शिकार सुनीता आज ४० वर्ष की आयु मे एक डॉक्टर हैं और जगह जगह से उन लड़कियों को बचाती हैं जिन्हे "सेक्स ट्रेड एंड ट्रैफिकिंग " के लिये इस्तमाल किया जाता है ।
सेक्सA के लिये "लड़कियों , महिलाओ और बच्चो " का बेचना और खरीदना "ह्यूमन ट्रैफिकिंग " कहा जाता हैं । और
इसके लिये शादी करके लड़कियों को { नाबालिग } लाया जाता । एक लड़की को १४ साल की उम्र मे लाया गाया ४५००० रुपए मे और जब १६ की उम्र मे सुनीता ने उसको छुड़वाया तो वो hiv+ थी ।
इसके अलावा "सेक्स टूअरिस्म" के नाम पर ये व्यापार चल रहा हैं बहुत से देशो के नागरिक एशियन देशो मे "सेक्स टूअरिस्म" के लिये आते हैं । इनमे से २५% अमेरिका से आते हैं पर अमेरिका का कानून या सरकार उन पर कोई ठोस कदम /कार्यवाही नहीं करती हैं ।
सुनीता कृष्णन निरंतर इस काम मे अग्रसर हैं की जिन महिला और बच्चो को वो रेड लाईट एरिया से मुक्त कराती हैं उनको समाज मे फिर से "सामाजिक प्राणी " का टैग दिलवा सके । सुनीता को सबसे मुश्किल काम यही लगता हैं । हैदराबाद मे उनके केंद्र मे ५००० बच्चे पढ़ते हैं जिनकी माँ सेक्स वर्कर थी । उनके १० मिनट के भाषण { टेड } के बाद उनको १००००० डॉलर का डोनेशन मिला । इस भाषण मे उन्होंने ३२०० + महिला के द्रवित कर देने वाले किस्सों को सुनाया जिन को उन्होने रेड लाईट एरिया और अन्य बाजारों से मुक्त करवाया हैं । सुनीता कृष्णन का कहना हैं की वो चाहती हैं की "इन लोगो को इंसान समझा समाज मे " ।
सुनीता की प्रज्वला मे जो लोग हाथ बटाना चाहते हैं उनसे आग्रह हैं की एक बार इस वेबसाइट को अवश्य देखें ।
आज से हमने नारी ब्लॉग "प्रज्वला " ज्योति को जला दिया हैं और "ह्यूमन ट्रैफिकिंग " के विरोध मे हम अपना स्वर मिलना चाहते हैं ।
हम ""ह्यूमन ट्रैफिकिंग " का विरोध करते हैं ।और बहुत फकर से कहते हैं "THE INDIAN WOMAN HAS ARRIVED "
bahut hi sarahniya kaam ........bahut himmat ki jaroorat hoti hai.
ReplyDeleteसहमत हूँ वन्दना जी से ।
ReplyDeleteसुनीता कृष्णन की जितनी प्रशंसा की जाए,कम है....बहुत नेक काम कर रही हैं वे...उन्हें हर तरफ से पूरा सहयोग मिले और वे ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को मुक्त कराने में सक्षम हों,यही कामना है.
ReplyDeleteham sabhi ko is par mil kar kaam karne kii jaroorat hai.
ReplyDeleteSunita ji ko badhai aur shubhkamnayen.
suneeta ji ne jo alkh jgai hai prjvala ke madhym se unhe is kam utrotar sflta mile shubhkamnaye .
ReplyDeleterachnaji ke sath ham bhi virodh darj karte hai
सुनीता जी जैसे लोग इस दुनिया में मौजुद है इस्लिये ये दुनिया बची हुई है वरना कब की खत्म हो जाती...
ReplyDeleteसुनीता जी के जज़्बे को सलाम
ह्यूमन ट्रेफिकिंग समाप्त होना चाहिए। बालिग स्त्री पुरुषों के बीच संबंध पूरी तरह स्वैच्छिक होने चाहिए।
ReplyDeleteसुनीता जी को सलाम
ReplyDeleteSUNEETA AUR UNKEE " PRAJWALA " KO NAMN !
ReplyDeleteक्या बात है !इसी को तो हिम्मत कहते है !
ReplyDeleteसुनीता के इस कार्य में उनके हाथ मजबूत करने के लिए हमें भी आगे आना होगा. जितनी जिसकी सामर्थ्य या सीमा हो. कम से कम इस तरह से लोगों को एक दिशा तो दी ही जा सकती है. माना हर कोई सुनीता नहीं बन सकता लेकिन कुछ तो कर सकते हैं.
ReplyDeleteमहोदया की तारीफ क्या करुँ-
ReplyDeleteकुछ ऐसे ही लागों की बदौलत
नेकदिली आज भी बची हुई है |
धन्यवाद् ...
सुनीता जी के प्रयास को हम सभी सम्बल प्रदान करें तो बोतलों में बन्द सभी औरतों को छुड़ाया जा सकता है। यदि सभी कम से कम एक लड़की को रेड लाइट से बाहर लाने का संकल्प कर ले और उसके उचित पुनर्वास की व्यवस्था कर दे तो इस समाज से यह कोढ़ बहुत जल्दी मिट सकती है।
ReplyDeleteलेकिन चन्द भेड़ियों की लालची और हिंस्र दृष्टि इस कार्य को कठिन बना देती है। सामाजिक सोच को बदलना भी बहुत जरूरी है।
अपनी पीडा को दूसरों का मरहम बनाना वाकई काबिले तारीफ है...आज सुनीताजी ने ग़ालिब के इस शेर को नए मानी दिए हैं..."इशरते क़तर है दरिया में फ़ना हो जाना /दर्द का हद से गुज़रना है दावा हो जाना. शैतान की सीख
ReplyDeleteसुनीता के के परम पुनीत सद्प्रयासों के सम्मुख मैं नतमस्तक हूँ.....ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ की उन्हें अपने इस सद्प्रयास में शत प्रतिशत सफलता मिले......
ReplyDeleteइस प्रेरणादायी प्रसंग को सबके सामने लाने के लिए मैं आपलोगों का अभिनन्दन करती हूँ....