एक और बलात्कार
इस बार महिला नहीं
एक बालिका तार-तार
बलात्कार तथा व्यभिचार की घटनाओं में प्रतिदिन इज़ाफा हो रहा है और हमारा प्रशासन मुँह ढ़ाँपकर सो रहा है। शर्म तो तब आती है,जब पुलिस कर्मी स्वयं इस घटना को अंजाम देते हैं। कौन सुनेगा पुकार जब रक्षक ही भक्षक बन जायेगा ?
इन सब घटनाओं से जहाँ एक ओर भय और आतंक का वातावरण फैलता है, वहीं बालिकाओं के हृदय में आत्म सुरक्षा के अनेक सवाल उठने लगते हैं। ऐसे में सबसे अच्छा तो यह है कि प्रत्येक माता-पिता अपनी बालिका को इसके विरूद्ध तैयार करें। मासूम बच्चियों की सुरक्षा अधिक सजगता से करें। उन्हें प्राथमिक स्तर पर ही सुरक्षा की सब जानकारी दें। उनमें आत्मविश्वास जगाएँ तथा जहाँ कोई भी कुत्सित दृष्टि से देखता या दुराचार करता पाया जाए उसे सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया जाए।
कानून से बचने पर भी समाज से बहिष्कृत होना शर्मनाक होता है। यदि उसकी माँ, बहन या बेटी ही उसका विरोध करेगी तो अपराधी शर्मसार होगा। शायद अपराध कुछ कम हों। दोषी कोई भी हो- छोटा या बड़ा, अपना या पराया-सब लोग खुलकर उसका विरोध करें। पाप को संरक्षण देना पाप को बढ़ावा देना ही होता है।
अपने पुरूष मित्रों से अनुरोध है कि अपने आस-पास इस प्रवृत्ति को रखने वाले का प्रतिकार करें। समाज में बढ़ते अपराध को रोकना सभी की जिम्मेदारी है। अपराधी को भागने या छिपने का मौका ना दें।
यदि सब लोग सहयोग करेंगें तो समाज का विकास होगा और नारी में भय के स्थान पर आत्मविश्वास आएगा।
इस बार महिला नहीं
एक बालिका तार-तार
बलात्कार तथा व्यभिचार की घटनाओं में प्रतिदिन इज़ाफा हो रहा है और हमारा प्रशासन मुँह ढ़ाँपकर सो रहा है। शर्म तो तब आती है,जब पुलिस कर्मी स्वयं इस घटना को अंजाम देते हैं। कौन सुनेगा पुकार जब रक्षक ही भक्षक बन जायेगा ?
इन सब घटनाओं से जहाँ एक ओर भय और आतंक का वातावरण फैलता है, वहीं बालिकाओं के हृदय में आत्म सुरक्षा के अनेक सवाल उठने लगते हैं। ऐसे में सबसे अच्छा तो यह है कि प्रत्येक माता-पिता अपनी बालिका को इसके विरूद्ध तैयार करें। मासूम बच्चियों की सुरक्षा अधिक सजगता से करें। उन्हें प्राथमिक स्तर पर ही सुरक्षा की सब जानकारी दें। उनमें आत्मविश्वास जगाएँ तथा जहाँ कोई भी कुत्सित दृष्टि से देखता या दुराचार करता पाया जाए उसे सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया जाए।
कानून से बचने पर भी समाज से बहिष्कृत होना शर्मनाक होता है। यदि उसकी माँ, बहन या बेटी ही उसका विरोध करेगी तो अपराधी शर्मसार होगा। शायद अपराध कुछ कम हों। दोषी कोई भी हो- छोटा या बड़ा, अपना या पराया-सब लोग खुलकर उसका विरोध करें। पाप को संरक्षण देना पाप को बढ़ावा देना ही होता है।
अपने पुरूष मित्रों से अनुरोध है कि अपने आस-पास इस प्रवृत्ति को रखने वाले का प्रतिकार करें। समाज में बढ़ते अपराध को रोकना सभी की जिम्मेदारी है। अपराधी को भागने या छिपने का मौका ना दें।
यदि सब लोग सहयोग करेंगें तो समाज का विकास होगा और नारी में भय के स्थान पर आत्मविश्वास आएगा।
गूँजे जग में गुंजार यही-
गाने वाला नर अगला हो
नारी तुम केवल सबला हो ।
नारी तुम केवल सबला हो ।
गाने वाला नर अगला हो
नारी तुम केवल सबला हो ।
नारी तुम केवल सबला हो ।
इस विषय पर कितनी रुदिवादिता हैं हमे समाज मे , जानना हैं तो ये लिंक जरुर देखे
bahut hi sharmnak harkat hai ye,ek choti si kali ko kuchlte hai,sahi kaha,aprad ka virod hona chahiye,apradhi ko bachana nahi chahiye,jab rakshak hi aisa karya karein,to manavta khatam one ke aasar nazar aate hai,har apradhi ko kadi saja honi chahiye,maut se kam kuch bhi nahi,shayad tabhi kanoon ka darr ho,bilkul sehmat hai aapse,balika ho aatma raksha karna sikh lena hoga aur sikhana bhi bahut hi jaruri hai.
ReplyDeleteयदि यही चेतना समाज में जाग जाए तो कितनी मासूम अपने घर में ही सुरक्षित हो जाए ..घर में जब कोई बच्ची किसी रिश्तेदार के किसी ग़लत हरकत के बारे में बताये तो उसको ध्यान से सुने ..अभी कुछ देर पहले टीवी पर देखा एक मोगा की घटना को जहाँ एक स्त्री अपने ही भतीजे द्वारा सताई गई उसकी शिकायत न पुलिस ने सुनी न घर वालों ने .और आखिर हार कर उसने जो विरोध का तरीका अपनाया वह एक बार सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर इस तरह की बातो पर घर वालों का साथ क्यों नही मिलता है ..?
ReplyDeleteभक्षकों को सिर्फ़ और सिर्फ़ जिस्म दिखता है,उम्र नहीं.कभी ८० साल की वृद्धा का बलात्कार होता है कभी कोई ५ वर्ष की बच्ची शोषित होती है.
ReplyDeleteरंजू जी की बात से सहमत है।
ReplyDeleteभारत मे बलात्कार के बाद भी लोग बच जाते है। इसकी सजा और कानून कड़े होने चाहिए।