संसद में महिला आरक्षण का प्रश्न आज प्रत्येक व्यक्ति की चर्चा का विषय है। इसकी आवश्यकता इतनी बढ़ी है कि अन्तर्जाल पर भी चर्चा की जा रही है। चर्चा होना तो अच्छी बात है किन्तु उसका सार्थक ना होना उतना ही दुःख दाई है।
हमारे कुछ पुरूष मित्रों ने इसे नारी जाति पर प्रहार करने का तथा उनपर हँसने का मुद्धा बनाया है। मैं नहीं जानती कि यह कैसी मानसिकता है । महिलाओं के लिए हल्के शब्दों का प्रयोग करके अथवा अश्लील शब्दों की टिप्पणी देकर वे क्या साबित करना चाहते हैं ।
सत्य तो यह है कि महिला आरक्षण की चर्चा केवल दिखावटी है। कोई भी दल नहीं चाहता कि जिनका वे सदा से शोषण करते आए हैं, पैरों की जूती समझते आए हैं वे उनके साथ आकर खड़ी हो जाए। इसी कारण २० साल से यह विषय मात्र चर्चा में ही है। ना कोई इसका विरोध करता है और ना खुलकर समर्थन। उसको लाने का सार्थक कदम तो बहुत दूर की बात है। उनको लगता है कि नारी यदि सत्ता में आगई तो उनकी निरंकुशता कुछ कम हो जाएगी, उनकी कर्कशता एवं कठोरता पर अंकुश लग जाएगा तथा महिलाओं पर अत्याचार रोकने पड़ेंगें ।
अपने साथी मित्रों को मैं यह बताना चाहती हूँ कि यह पुरूष विरोधी अभियान कदापि नहीं है । इसलिए उटपटाँग शब्दावली का प्रयोग कर अपनी विकृत मानसिकता का परिचय ना दें। पुरूष और स्त्री अगर साथ चलेंगें तो समाज में सुन्दरता ही आएगी कुरुपता नहीं।
मुझे लगता है ३३ ही नही ५० स्थान महिलाओं को मिलने चाहिएँ। आज महिला बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक, आत्मिक किसी भी क्षेत्र में कम नहीं फिर उसे आगे आने के अवसर क्यों ना दिए जाएँ? आपत्ति क्यों है ?
निश्चित रहिए -'नारी नर की शक्ति है उसकी शत्रु नहीं । आपस में दोषारोपण से सम्बन्धों में तनाव ही आएगा।
आज समय की माँग है कि नारी को उन्नत्ति के समान अवसर मिलें और खुशी-खुशी उसे उसके अधिकार दे दिए जाएँ।
कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता की आज महिला बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक, आत्मिक किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है. यह पश्न भी सार्थक है की उसे आगे आने के अवसर क्यों ना दिए जाएँ? पर महिला आरक्षण में प्रारम्भ से ही राजनीति का प्रवेश रहा है. यदि सार्थक राजनीति होती तब भी कोई बात नहीं थी. पर यह तो घटिया राजनीति है.
ReplyDeleteमेरे विचार में महिलाओं को सब राजनितिक पार्टियों को मजबूर करना चाहिए की उन्हें संसद में उचित प्रतिनिधित्व मिले. इसके लिए आरक्षण का इंतज़ार करना जरूरी नहीं है. यदि यह पार्टियाँ तैयार नहीं होतीं तब महिलाओं को अपनी एक पार्टी बनानी चाहिए और संसद की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार ला कर संसद में में बहुमत हासिल कर अपनी सरकार बनानी चाहिए. मुझे विश्वास है की सभी सही सोचने वाले उन्हें वोट देंगे.
ऒरत ने अपने हक के लिये हमेशा खुद संघर्ष किया हॆ। यहां भी उसे खुद ही अपनी आवाज़ सत्ता के गलियारों में गूंजानी होगी। राजनॆतिक दल तो अपना उल्लू सीधा कर रहे हॆं। हम ऒरतों को मिलकर ही कोई मज़बूत आन्दोलन शुरू करना होगा।
ReplyDeleteनारी आरक्षण की बात होती क्यों हैं जबकि आबादी का वह आधा हिस्सा है .लेख में कई सही बातें आपने ली हैं ..
ReplyDeleteनारी दोनों घर और बाहर का मोर्चा जितने अच्छे से संभाल पाती है ..उतना पुरूष नही .