अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। इसी के वशीभूत होकर संसार में बड़े-बड़े पाप और दुष्कृत्य किए जाते हैं। पुरूषों में यह अहं और भी विकृत रूप में सामने आता है। सृष्टि के आरम्भ से ही नारी उसके इस अहं का शिकार होतीरही है। रावण के अहंकार का शिकार हुई सीता, दुर्योधन के अहं का द्रोपदी । वर्तमान में भी यह अहं अनवरत रूप से नारी को शिकार बना रहा है। कुछ दिन पहले ही समाचार पत्र में इस अहंकार का विकृत रूप सामने आया। पति के साथ सहयोग करने वाली एक भावुक नारी का। पति अपनी बुरी हरकतों से कानून की गिरफ्त में आया तो वह पीड़ा से कराह उठी। पति का सुख-दुख में साथ निभाने का वचन याद आया। 'मैं तुम्हें कानून के शिकंजे से बचाउँगी' का उद्घोष कर उसने अपनी पढाई प्रारम्भ की। अपनी तीव्र इच्छा शक्ति के बल पर एक सफल वकील बनी और सावित्री के समान पति को मुक्त कराया। किन्तु नारी की विडम्बना पत्नी के उपकार को मानने के स्थान पर पति उसकी ख्याति से जल उठा। भला जिस नारी उसने सदा कदमों पर झुका देखा था उसका अहंकार से दप्त मस्तक वो कैसे देखता। उसके अहंकार ने उसे पशु बना दिया और अपनी ही हितैषी, सुख-दुख की साथी संगिनी को क्रूरता से मार डाला।यह घटना नारी की अस्मिता पर एक घिनौना दाग छोड़ती है। किस पर विश्वास करे वह ? क्या अपराध था उसका ?आधुनिकता का दम्भ भरने वाले समाज में आज भी नारी इस अत्याचार की शिकार है। क्या इससे नारी की अपने संस्कारों के प्रति आस्था कम नहीं होती ? बरबस ही दिल में एक टीस सी उठी-
फिर उठी है टीस कोई
चिर व्यथित मेरे हृदय में
उठ रहे हैं प्रश्न कितने
शून्य पर- नीले- निलय में
जब यह ख़बर सुनी थी तब मेरे दिल में भी यही सवाल उठा था .आपने इस को यहाँ लिखा ठीक किया .शोभा जी ,,कई पुरषों का अहम् इतना जरुरी हो जाता है उनके लिए की अपने लिए किए गए भलाई के काम को भी नही देख पाते वह
ReplyDeletekisi criminal kaa sath dena aur uasase achhayee kee umeed rakhnaa moorkhtaa hai. is vakeel ladakee ko pahalaa kaam us aadamee se alaak lenaa chahiye tha, naki use bachaanaa.
ReplyDeleteseeta/saavitri patnee ke liye pati bhee ram hona chaahiye ravan nahee.
koee bhee kanoon aur samaj dust pati kaa sath dene ke liye nahee kahata
ऐसे पुरूष को क्या कहे - जाति हराम नमक हराम ........दुखद.
ReplyDeleteस्वप्न दर्शी जी
ReplyDeleteआप बात तो ठीक कह रहे हैं किन्तु जब बात अपनों की आती है तब हम सभी बहुत स्वार्थी हो जाते हैं ।
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ReplyDeleteफिर उठी है टीस कोई
ReplyDeleteचिर व्यथित मेरे हृदय में
उठ रहे हैं प्रश्न कितने
शून्य पर- नीले- निलय में ........
सही प्रश्न उठाया है........
जो हुआ वह बहुत दुखद था. ख़बर पढ़ने के बाद काफी समय तक मन दुखी रहा. नारी और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं, एक दूसरे की कमी पूरी करते हैं. एक दूसरे की मदद करते हैं. पर यहाँ तो उल्टा ही हो गया. पत्नी ने पति की मदद की और अपराधी पति ने उसे ही मार डाला. एक अच्छा कार्य किया था इस नारी ने. जानते हुए भी कि वह व्यक्ति अपराधी है उस से विवाह किया, वकील बनी, उस का मुकदमा लड़ा, उसे छुड़ाया, पर उस अहसान फरामोश ने उस की ही जान ले ली. समाज में कम ही होते हैं इस तरह दूसरों की मदद करने वाले. ऐसे घटनाएं ऐसे कुछ लोगों का मनोबल भी गिरा देंगी. मैं इस नारी को प्रणाम करता हूँ.
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