नूरानी रूप , मुस्कान विजय की , ऊर्जादायिनी
आठ साल की नोजूद ने अपने से 22 साल बड़े ज़ालिम पति से तलाक लेने का फैंसला ले लिया और अकेले ही कोर्ट पहुँच गई। नन्हीं सी जान समझ गई थी कि ज़िन्दगी में आने वाले तूफ़ानों से उसे अकेले ही मुकाबला करना है.
हाँलाकि यमन के कानून के मुताबिक कोई औरत तलाक नहीं ले सकती लेकिन क्योंकि नोजूद कम उम्र की थी इसलिए फौरन उसके पिता नासेर और पति फैज़ को गिरफ़्तार करने का आदेश दे दिया. यमन के कानून के मुताबिक 15 साल की उम्र के बाद ही लड़के लड़कियों की शादी हो सकती है लेकिन 1988 के संशोधन के बाद माता-पिता 15 साल से कम उम्र के बच्चों का कोंट्रैक्ट बना कर शादी करवा सकते हैं लेकिन फिर भी बालिग होने के बाद ही पति-पत्नी का रिश्ता बनाने की बात कही गई है जिसे कम ही लोग मानते हैं. 30 साल का फैज़ उन दुष्ट लोगों में से था जो मासूम नाबालिग आठ साल की लड़की का दो महीने तक ब्लात्कार करता रहा.
शादी करने से मना करने पर मारा गया और जबरन शादी कर दी गई. खिलौनों से खेलने की उम्र में उसे ही खिलौने की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. माता-पिता और रिश्तेदारों के सामने गिड़गिड़ाने पर भी कोई मुक्ति का रास्ता दिखाने को तैयार था.
यमन में ऐसा पहली बार हुआ था कि आठ साल की बच्ची ने खुद कोर्ट जाकर तलाक माँगा हो. आज पति फैज़ जेल में है जो अब भी अपने आप कसूरवार नहीं मानता. खराब सेहत के कारण पिता को छोड़ दिया गया लेकिन नोजूद को वापिस माता पिता के पास इस डर से नहीं भेजा जा रहा है कि क्या पता फिर कुछ सालों में जबरदस्ती उसकी शादी किसी के साथ करवा दी जाएगी.
नोजूद के वकील ने उसे बच्चों की गैर सरकारी संस्था में रखने का सोचा है जहाँ उसे शिक्षा पाकर अपने पैरों पर खड़े होने का मौका मिल सकता है.
यह खबर यमन टाइम्स में ही नहीं गल्फ न्यूज़ में भी थी जिसे पढ़कर कई दिनों तक नोजूद जैसी कई बच्चियाँ दिल और दिमाग में आती रहीं जो शायद नोजूद जैसी हिम्मत न कर पातीं हों और जीते जी उस आग में झुलसतीं हो......
काश ..... नोजूद जैसे उनमें भी लड़ने की ताकत आ सके...!!
कितनी बर्बरता पूर्ण घटना है,आठ साल की बच्ची की शादी करना और फिर पति का उससे बलात्कर। कैसे पेरेंट्स होंगे जो उस नन्ही जान के साथ ऐसा अन्याय किया। लेकिन उस बच्ची की हिम्मत को सलाम जो आठ साल की छोटी उम्र में अपनी लड़ाई खुद लड़ रही है।
ReplyDeletevakai samvedna bhari post hai aapki, bharat main bhi aise kai case dekhne ko mil jayenge.....
ReplyDeleteकितनी बर्बरता पूर्ण घटना है.छोटी उम्र में अपनी लड़ाई खुद लड़ रही है.
ReplyDeleteहिला के रख दिया आपकी पोस्ट ने.आंखों में आंसू आ गये,किन्तु,बच्ची की साहसिकता पर गर्व हो रहा है.अमीना की कहानी याद आ गई.
ReplyDeleteभारत में भी ऐसी हालत में लड़कियाँ मिल जाएँगी। जरुरत है लड़कियों की हिम्मत बढ़ाने की। एक बार उन में हिम्मत आ गई,वे निपट लेंगी हालात से।
ReplyDeleteयही जज्बा हर लड़की में पैदा हो जाए तो कोई अत्यचार न हो ..सलाम है इस तरह के मुल्क में तारीफे काबिल है यह घटना
ReplyDeletenaadan umar mein itni samajhdari,wakayi kabil e tariff hai ye bachhi,aasha hai wo chahe aae ke safar mein paa le.
ReplyDeleteबर्बरता पूर्ण घटना है
ReplyDeleteमासूम बच्ची की मुस्कान में विश्वास देखकर यही इच्छा होती है कि हर कोई जीवन में आने वाली मुसीबत से खुद लड़ सके.
ReplyDeleteऔर लोग बुरे मनुष्य को जानवर कहते हैं। जानवर कभी ऐसे काम नहीं करते। वे अपरिपक्व मादाओं के साथ सहवास नहीं करते। यह महानता तो केवल मानव में पाई जाती है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
शर्मनाक!
ReplyDeleteBeti ka sahas pranamya hai. yah bachchi un kattarvadi deshon mein hi nahin apitu Bharat jaise deshon mein bhi anek dabi kuchali betiyon ki role model honi chahiye.kattaratavadiyon ke viruddh aisa sahas durlabh hi nahin anukarneey bhi hai. is sahas va aatmik bal ke samaksh to natmastak hona chahiye.
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