हर रोज़ जब भी समाचार पत्र पढने बैठती हूँ ,तो महिलाओं के अपहरण ,बलात्कार ,हत्या व् महिलाओं द्वारा आत्महत्या की ख़बरों से समाचार पत्र को भरा पाती हूँ !आज के परिवेश में जब पति ,पत्नी ,बच्चे सभी मानसिक रूप से परिपक्व व स्वतंत्र हैं तो इस प्रकार की घटनाओं में वृद्धि क्यों हो रही है !आश्चर्य तो इस बात का है संभ्रांत परिवारों में भी उच्च पद पर होते हुए भी पति द्वारा मानसिक यातनाएं दिए जाने की खबरें पढने को मिलती हैं !इन महिलाओं में डिप्रेशन के कारण आत्महत्या की प्रवृति उत्पन्न हो जाती है ! जीवन के प्रति सोच नकारात्मक हो जाती है ,फलस्वरूप बहुत सी महिलायें शराब व् सिगरेट का सेवन करने लगती हैं !
मध्यम वर्ग में भी जो महिलायें अपने पति पर पूर्ण रूप से निर्भर होती हैं , न चाहते हुए भी पति की यातनाएं सहती हैं क्यूंकि वो विरोध नही कर पाती ,अपने परिवार और बच्चों की खातिर वे चुप रहना बेहतर समझती हैं.
आज भी ८०% निम्नवर्गीय परिवारों में महिलाओं की स्थिति बहुत ही दयनीय है !ये महिलाएं अपना व् परिवार का पेट पालने के लिए कुछ भी काम करने को मजबूर हैं !वह काम चाहे बर्तन मांजने का ,कपड़े धोने ,मजदूरी या सब्जी बेचने का हो !अधिकतर महिलाओं के पति घर में रहते हैं और बेरोजगार होते हैं या यूँ कहिये कि काम नही करना चाहते!अपनी औरतों को सम्मान देने के बदले अपनी शराब के लिए पैसे की मांग करते हैं और मारपीट करते हैं उन्हे शारीरिक व् मानसिक यातनाएँ भी देते हैं !
दरअसल घरेलू हिंसा तब उत्पन्न होती है , जब घर का कोई सदस्य अपने परिवार के दूसरे सदस्य पर मानसिक व् शारीरिक रूप से हावी होने की कोशिश करे !ये बहुत ही गंभीर समस्या है !हमें इस समस्या से निजात पाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ! आवश्यकता है पुरुषों की मानसिकता में बदलाव लाने की !
घरेलू हिंसा की शिकार महिला के ऊपर बात विस्त्रत होनी चाही ये क्योकि ये बहुत कॉमन बात हैं बहुत बार हम सब समझ ही नहीं पाते हैं . जब इसका शिकार ashvaryia ray हो सकती हैं तो आप सब समझ सकते हैं की ये समाज मे कितना फेला हैं .
ReplyDeleteइसे आप इस तरीके से समझ सकती हैं कि अदालत ने जब एक आदमी को अपनी पत्नी की पिटाई का आरोप सुनाया तो उस ने स्वीकार करते हुए अदालत को कहा कि यह उस का अधिकार है।
ReplyDeleteनिम्न वर्ग में या बहुत ज्यादा है पर कई बहुत पढ़े लिखे भी यह सब करते हैं . ठीक कहा मानसिकता बदलनी जरुरी है
ReplyDeleteसबसे पहले जरूरी हॆ खुद ऒरत की मानसिकता में बदलाव लाना। वह बहू या पत्नी के तॊर पर अन्याय को सहन ना करे;सास या नणद के रूप में हिंसा की भागीदार ना बने। बहुत से ऎसे मामले होते हॆं जब पति मां या बहन के भडकाने से पत्नी पर हिंसक हो उठता हॆ। ऒरत को खुद्न को हिंसा सहने ऒर करने से रोकने के अलावा इसका पुरजोर विरोध भी करना होगा। यदि १/४ आबादी भी क्रान्ति कर दे तो सिंहासन पलट जाते हॆं तो हमारी आबादी तो १/२ हॆ।
ReplyDeleteमैंने सत्संग में सुना है, अगर आपने कोई पाप किया है या किसी का दिल दुखाया है तो रामायण पढने से पाप करने के स्वभाव में कमी आती है ! रामायण, पाप पुण्य चाहे जो कुछ भी हो ये मानाने ना मानाने वाली बात है !
ReplyDeleteठीक रामायण की तरह ही मै यहाँ आप नारियो से कुछ सिखने आया था ! ये क्या, पढने के बाद तो ऐसा लगा की मैंने कोई पाप या किसी नारी को दुःख पहुचाया ही नहीं है !
: मेरी माँ को हवाई यात्रा पसंद नहीं है, कहती है की ट्रेन से देश दुनिया दीखता है लेकिन हवाई जहाज में ऐसा कुछ दीखता ही नहीं ! परन्तु वाही मेरी बीवी कहती है की भला कौन १२ घंटे का सफ़र करे मर जाती हु मै तो ! जब कभी भी मुझे अपनी माँ और पत्नी के साथ सफ़र करना होता है तो बड़ी मुश्किल होती है एक को खुश रखो तो दूसरा क्रोधी ! वैसे मेरी माँ कुछ कहती तो नहीं है लेकिन उनके अंतरात्मा को चोट पहुचती है जब कभी उनके बातो को अनसुना करके हवाई जहाज से सफ़र करने को कहता हु वाही मेरी बीवी ट्रेन से सफ़र की नाम पर नारी प्रताड़ना की आवाज बुलंद करने लगती है !
वैसे मैंने आप सब नारियो का प्रवचन पढ़ा बिलकुल कड़वी सच्चाई झलकी है! आप लोगो की बातो से, लेकिन जहा तक मै समझता हु की नारी के पास इतनी शक्ति का भण्डार भरा है की उसे शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है ! लेकिन आपलोगों की बातो से ऐसा लगता है की आप इं शक्ति के कुप्रभाव से भस्मासुर बन चुकी है और खुद अपना ही अस्तित्व मिटाने पर तुली है !शायद आप लोग शक्ति के मद में अंधी हो चुकी है ! एक परुष में जन्म लेने से किसी को कोई खास अधिकार नहीं मिल जाता पर हां उसकी जिम्दारी हमेशा नारियो से ज्यादा होती है ! समझने की कोशिश कीजिये आपलोग ! भस्मसुर बनकर अपनी ही विनाश की लीला खुद रच रही है !
Raja Ram Rai
ReplyDeleteblog par aaney kae liyae aur apni vyathaa ki peeda kaa krodh ham sab par uttarney kae liyae dhnyavaad . ham yaahan kisi ko kuch seekha rahey esaa hamey sae kisi nae kab aur kehaa kahaa haen ?? aap aaye aapney padhaa achchalagaa , dubaraa na aaye bekar jal jaayegae !!!!!!!
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ReplyDeleteMe bhi iski shikar huu ...mene Helpline me Complain bhi par sabhi ne sirf kagajo par shikayat likhli koi samadhan nahi hua . krapaya jo meri Is samsya me madad karana chahe wah mujhe contact kare to me unhe apnee samasya batau.
ReplyDeletemera email id- rohini.khare342@gmail.com
hii
ReplyDeletemeri sister bhi is domestic violence ki shikaar huyi mai india me(lucknow)me is ka kya law hai poochana chaheti hu uski 2 saal ki beti bhi hai kya india me beti ma baap ager divorce le to kya beti father ke paas r beta mother ke paas rehenge chahy vo galte ho tub bhi kya r kya hum apni bechhi ki security nahi ker sekte plzz mujhe ans dijiye
hii
ReplyDeletemai bhi is domestic violence ka shikaar hu
hii meri didid bhi is domestic violence ka shikaar hai india me speciallly U P me ye law kya kaam kerega plzz koi betaye humko
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