मिसाल हैं डॉ आशा सिंह जो CRPF मे डॉक्टर हैं । डॉ आशा सिंह को उनके सीनीयर ने मजबूर किया की वह एक पुरूष कैडेट के साथ घर शेयर कर के रहे जबकि और घर खाली पडे हुए थे । डॉ आशा सिंह को बार बार उन जगहों पर पोस्ट किया जाता था जहाँ केवल पुरूष बटालियन होती थी और कोई महिला अधिकारी नहीं होती थी । उनको 100-200 km दूर दराज CRPF companies मे निरंतर पोस्ट किया जाता था जहाँ कोई भी मेडिकल की सुविधा नहीं थी और उनसे रात मे ओफ्फिसर्स मेस मे शराब पिलाने की ड्यूटी करने को कहा जाता था । अजीब लगता है ये जानकर की एक महिला को जिसने अपनी जिन्दगी के बहुमूल्य ७ साल मेडिकल की पढाई मे लगाए और CRPF को ज्वाइन किया उसका इस प्रकार से यौन शोषण और उत्पीडन किया जाए । पर तारीफ करनी होगी डॉ आशा सिंह की , उन्होने RTI का उपयोग करके अपने सीनियर को जवाब देने के लिये मजबूर किया । Central Information Commission ने माना हैं की CRPF को RTI के तहत आई इस शिकायत याचिका पर जवाब देना होगा , CRPF चाहती थी की सुरक्षा एजेन्सी होने की वज़ह से उसको RTI के दायरे से बाहर रखा जाये । इस चरित्र कोई यहाँ रखने का मकसद हैं की नारी को यौन शोषण के ख़िलाफ़ हमेशा सजग रहना होगा और समय रहते ही इसके ख़िलाफ़ लड़ना भी होगा । किसी भी डर के बिना नए रास्तो पर चलना होगा और बंधी बंधाई लिक पर ना चल कर घुटन से अपनी आज़ादी को ख़ुद अर्जित करना होगा । सच हर मुश्किल से मुश्किल रास्ते को आसन करदेता हैं और किसी न किसी तो पहल करनी ही होती हैं तो हम क्यों नहीं ??
ज्यादा जानकारी के लिये लिंक देखे
डॉ आशा सिंह जैसी महिला को जानकर फिर एक बार The Indian Woman Has Arrived
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
July 15, 2008
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बहुत अच्छा .ऐसी ही घटना उम्मीद की किरण जगाती है
ReplyDeleteरचनाजी आज काफ़ी दिनों बाद इस ब्लोग पर आना हुआ. जिस विभाग में भी पारदर्शिता का अभाव है. वहीं शोषण होता है महिलाओं का भी और पुरुषों का भी. महिलाओं का शारीरिक ही नहीं भावनात्मक शोषण भी होता है. RTI act भी अधिकारिओं की किरकिरी बना हुआ है. निश्च्य ही आपने प्रेरक घट्ना दी है.
ReplyDeleteवाकई उनकी हिम्मत को लाखो सलाम ......ऐसे विभाग में लडाई लड़ना ओर मुश्किल होता है .......
ReplyDeleteबहुत अच्छा। प्रेरणास्पद घटना है...
ReplyDeletevakayi unki himmat ki daad deni hogi
ReplyDeleteitni himmat vali mahilaye kum hi milti hai
योन शोषण के ख़िलाफ़ संघर्ष करना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है अपराधियों को सजा मिले. आज के अखबार में ख़बर है कि भारतीय सेना में कार्यरत एक महिला अधिकारी ने शिकायत की है उसे योन शोषण का शिकार बनाया जा रहा है. इस केस का काफ़ी कुछ सीआरपीऍफ़ से मिलता जुलता है. सेना ने उसकी इस शिकायत को नकार दिया है. कुछ समय पहले ऐसे ही एक केस में महिला अधिकारी का कोर्ट मार्शल कर दिया गया था. यह मुख्य कारण है कि महिलाओं का योन शोषण बढ़ता जा रहा है. अगर एक भी उच्च अधिकारी को सजा दे दी गई होती तो कुछ तो कमी आती ऐसे अपराधों में.
ReplyDeleteजिस सेना की कमांडर-इन-चीफ एक महिला हैं, उसमें महिलाओं का योन शोषण शर्म की बात है.
esi ladaae ko mera salaam. aae din assi gatnaae hoti hai. enke khilaaf aaeaaj uthna achha sanket hai
ReplyDeletegood
Manvinder
हम डा आशा सिह जी के साथ हैं , उन ऑफ़िसर्स को सजाए होनी चाहिए जिन्हों ने यौन उत्पीड़ीन किया
ReplyDeleteडॉ सिंह का साहस काबिले तारीफ है...ऐसी खबरे जानकर शायद कमज़ोर मन कुछ हिम्मत जुटा सकें.
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