काफी दिनो बाद कुछ आप सबसे बाटने की इच्छा जागृत हो रही है। बात चाहे मेरी अपनी हो या नारी समुदाय की हो, कई दिनो से जैसे मौन सी हो गयी थी... कारण की मै समझ रही हूँ कि सिर्फ बोलने से क्या होगा? स्थिती कुछ ऐसी है कि तुम लाख चिल्लाओ हम तो वही करेंगे जो करना है।
पर आज इसलिये बोलना चाहती हूँ क्योंकि सिर्फ अब बात सिर्फ बोलने की नही है... अब बताने की है...
तुम अगर नही मानोगे तो मत मानो हमने अपना रास्ता देख लिया है... हम वो करेंगी जो काफी पहले करना चाहिये था...
पहला उदाहरण दे रही हूँ मेरे ऑफिस की सफाई कर्मचारी राजेश की...
राजेश सीधी साधी.. बेवकुफ सी लगने वाली महिला है। पर वो कितनी बेवकुफ है वो कुछ इस तरह समझ मे आया।
राजेश एक दिन बोली दीदी मुझे कुछ ज्यादा पैसे दे दोगी। मुझे ना परीक्षा देना है... समय हो गया है पर मेरे पास फीस के पैसे नहीं हैं। वो क्या है की अभी तक मैने ना अपने घरवाले को नही बताया था कि मै पढ़ाई कर रही हूँ। तो जो कमाती थी उसमे से बचाकर फीस भर लेती थी। लेकिन उसको पता लग गया तो उसने मुझसे पैसे छिन लिया... और अब मै...
राजेश ने और भी बहूत कुछ कहा जो यहां बताना कोई बहूत जरूरी नही लग रहा है... क्योंकि बाकि जो बाते बताई वो आमतौर पर पारिवारिक कलह रूदन के अलावा कुछ नही था... पर जो खास था वो ये कि वो इस सबको अपनी किस्मत नही मान बैठी है... बल्कि जो वो कर रही है सभी शायद ना करें...
मै बस उसके आत्मविश्वास से भरे चेहरे को देखकर प्रफ्फुलित हुए बिना ना रह सकी...
नारी... अबला, वगैरह वगैरह उदाहरण तो खूब देखे... पर ना री नारी का ये रूप भी है।
एक और सफाई कर्मचारी रानी...
रानी कुलमिलाकर १००० रुपये कमाती है... और अपनी मेहनत की कमाई का आधे से भी ज्यादा पैसा अपनी दोनो बेटियों को पढ़ाने मे लगा रही है। कारण कि वह नही चाहती कि उसकी बेटी उसकी तरह अनपढ़ रह जाये। वो हमेशा कहती है कि दीदी मेरे बच्चे पढ़ जायेंगे तो फिर वो भी आपकी तरह सर उठा के इस समाज मे जी सकेंगी।
ये भी एक रूप है...
मेरी एक क्लाईंट अपनी बेटी के लिये मार्शल आर्ट की क्लास तलाश कर रही हैं... हालांकि बाकि औरते उनके इस निर्णय पर उनका मजाक ही उडा़ती थी.. लेकिन उनका कहना है की एक लड़की हमेशा नाजुक कमसिन सी ही क्योंकर दिखे... उसे तो और ताकतवर होना चाहिये ताकि उसे छोटी छोटी होने वाली अवांछित घटनाओ को भी इग्नोर ना करना पड़े, ना ही अपनी सुरक्षा के लिये दुसरो पर निर्भर होना पड़े...
आखिरकार इस तरह की बाते अन्य महिलाओं को भी समझ मे आ ही गयीं... मार्शल आर्ट तो नही मिला कहीं पर हां अब यहीं सेन्टर पर जो कुछ भी उप्लब्ध हो सका है उससे फिजिकर ट्रेनिंग शुरू हो गयी है।
मेरी एक ट्रेनी कान्हु कहती है कि दीदी... ये तो हम सब जानते हैं कि आये दिनो हम किस किस तरह के प्रताड़नाओ से गुजरते है... इसके बारे मे क्या बोलना... अब तो समय है कि हम ये बतायें कि मान तुम नही सुधरोगे...पर हम बदल रहे हैं।
उदाहरणार्थ...
एक दिन ऐसे ही "स्त्री को स्मान अधिकार मिले" इस पर बहस हो रही थी हम लोगो के बीच मे... कि अचानक एक यहां के नामी व्यक्तित्व ने प्रवेश किया और कहा की वैसे तो आप लोग जो कह रही हैं कुछ ऐसा लग रहा है जैसे जूते को सर पर पहना जाये।
मेरी बहन ने तुरन्त जवाब दिया... सर हमको समझ मे नही आया... मेरे ख्याल से यह फैशन भी बुरा नही है...
बात बढ़ गयी तकरार हो गयी जबरजस्त... अन्ततः उन्होने अपना जूता उठाया सर पर रखा और कहा की देखो ये तुम लोग हो और उसे ऐसे सर पर रखना हमारे बस का नही है... लड़किया भी बोल उठी जर रख के दिखाईये। और उन्होने जोश मे रख भी लिया... और हम सब ताली बजा के हंस पड़े... चलो कम से कम आपने जूता सर पर रखा तो सही...
नतीजा ये हुआ कि बस वो मुझे काफी धमकी दे गये... ऑफिस बन्द करवा देंगे वगैरह वगैरह। ये अलग बात है कि अभी तक वो कुछ कर नही पाये... आगे देखेंगे...
इस तरह के और कई उदाहरण हैं मेरे पास... जो एकदम सटीक है.. सही है... जिन्हे सोचकर ये कहना पड़ता है कि नारी... अब वो नही है... जिसकी छवि सर्वविदित है... अब बदलाव आ रहा है...
और मै चाहती हूँ कि सिर्फ वो ना कहूँ कि कितना जुल्म हुआ... वो बताऊँ की कैसे उसके प्रति खिलाफ उठाया जा रहा है।
आगे से मेरी यही कोशिश होगी कि इस तरह के सच्चे उदाहरण जो की मेरे इर्द गिर्द घट रहे हैं... उन सबसे आप सबको रूबरू करवाती रहूँ..
खामोशी तोडो और बताओ कि अब नारी मे बदलाव आ गया है...
नारी अबला... ना री
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
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March 05, 2010
August 12, 2009
वन्देमातरम की स्वर लहरियाँ बिखेरतीं 6 सगी मुस्लिम बहनें
वन्देमातरम् से एक संदर्भ याद आया। हाल ही में मेरे पति एवं युवा प्रशासक-साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव के जीवन पर जारी पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर‘‘ के पद्मश्री गिरिराज किशोर द्वारा लोकार्पण अवसर पर छः सगी मुस्लिम बहनों ने वंदेमातरम्, सरफरोशी की तमन्ना जैसे राष्ट्रभक्ति गीतों का शमां बाँध दिया। कानपुर की इन छः सगी मुस्लिम बहनों ने वन्देमातरम् एवं तमाम राष्ट्रभक्ति गीतों द्वारा क्रान्ति की इस ज्वाला को सदैव प्रज्जवलित किये रहने की कसम उठाई है। राष्ट्रीय एकता, अखण्डता, बन्धुत्व एवं सामाजिक-साम्प्रदायिक सद्भाव से ओत-प्रोत ये लड़कियाँ तमाम कार्यक्रमों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराती हैं। वह 1857 की 150वीं वर्षगांठ पर नानाराव पार्क में शहीदों की याद में दीप प्रज्जवलित कर वंदेमातरम् का उद्घोष हो, गणेश शंकर विद्यार्थी व अब्दुल हमीद खांन की जयंती हो, वीरांगना लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस हो, माधवराव सिन्धिया मेमोरियल अवार्ड समारोह हो या राष्ट्रीय एकता से जुड़ा अन्य कोई अनुष्ठान हो। इनके नाम नाज मदनी, मुमताज अनवरी, फिरोज अनवरी, अफरोज अनवरी, मैहरोज अनवरी व शैहरोज अनवरी हैं। इनमें से तीन बहनें- नाज मदनी, मुमताज अनवरी व फिरोज अनवरी वकालत पेशे से जुड़ी हैं। एडवोकेट पिता गजनफरी अली सैफी की ये बेटियाँ अपने इस कार्य को खुदा की इबादत के रूप में ही देखती हैं। 17 सितम्बर 2006 को कानपुर बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित हिन्दी सप्ताह समारोह में प्रथम बार वंदेमातरम का उद्घोष करने वाली इन बहनों ने 24 दिसम्बर 2006 को मानस संगम के समारोह में पं0 बद्री नारायण तिवारी की प्रेरणा से पहली बार भव्य रूप में वंदेमातरम गायन प्रस्तुत कर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। मानस संगम के कार्यक्रम में जहाँ तमाम राजनेता, अधिकारीगण, न्यायाधीश, साहित्यकार, कलाकार उपस्थित होते हैं, वहीं तमाम विदेशी विद्वान भी इस गरिमामयी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
तिरंगे कपड़ों में लिपटी ये बहनें जब ओज के साथ एक स्वर में राष्ट्रभक्ति गीतों की स्वर लहरियाँ बिखेरती हैं, तो लोग सम्मान में स्वतः अपनी जगह पर खड़े हो जाते हैं। श्रीप्रकाश जायसवाल, डा0 गिरिजा व्यास, रेणुका चैधरी, राजबब्बर जैसे नेताओं के अलावा इन बहनों ने राहुल गाँधी के समक्ष भी वंदेमातरम् गायन कर प्रशंसा बटोरी। 13 जनवरी 2007 को जब एक कार्यक्रम में इन बहनों ने राष्ट्रभक्ति गीतों की फिजा बिखेरी तो राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा डाॅ0 गिरिजा व्यास ने भारत की इन बेटियों को गले लगा लिया। 25 नवम्बर 2007 को कानुपर में आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में इन्हें ‘‘संस्कृति गौरव‘‘ सम्मान से विभूषित किया गया। 19 अक्टूबर 2008 को ‘‘सामाजिक समरसता महासंगमन‘‘ में कांग्रेस के महासचिव एवं यूथ आईकान राहुल गाँधी के समक्ष जब इन बहनों ने अपनी अनुपम प्रस्तुति दी तो वे भी इनकी प्रशंसा करने से अपने को रोक न सके। वन्देमातरम् जैसे गीत का उद्घोष कुछ लोग भले ही इस्लाम धर्म के सिद्वान्तों के विपरीत बतायें पर इन बहनों का कहना है कि हमारा उद्देश्य भारत की एकता, अखण्डता एवं सामाजिक सद्भाव की परम्परा को कायम रखने का संदेश देना है। वे बेबाकी के साथ कहती हैं कि देश को आजादी दिलाने के लिए हिन्दू-मुस्लिम क्रान्तिकारियों ने एक स्वर में वंदेमातरम् का उद्घोष कर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया तो हम भला इन गीतों द्वारा उस सूत्र को जोड़ने का प्रयास क्यों नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रीय एकता एवं समरसता की भावना से परिपूर्ण ये बहनें वंदेमातरम् एवं अन्य राष्ट्रभक्ति गीतों द्वारा लोगों को एक सूत्र में जोड़ने की जो कोशिश कर रही हैं, वह प्रशंसनीय व अतुलनीय है। क्या ऐसे मुद्दों को फतवों से जोड़ना उचित है, आप भी सोचें-विचारें !!
(चित्र में- वन्देमातरम गायन करती 6 सगी मुस्लिम अनवरी बहनें)
आकांक्षा यादव
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