नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।

यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का

15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं

15th august 2012

१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं

"नारी" ब्लॉग

"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।

" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "

हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

June 06, 2011

जन हित मे जारी

जो अखबार मे पढ़ा हैं आज सुबह और जो कल से दिख रहा हैं
रात १२ बजे तक की समय सीमा थी जिसका नोटिस श्री रामदेव जी के पास था { अब ये बाबा रामदेव कहना मुझे उचित नहीं लगता क्युकी वो कोरपोरेट फ्य्सिकल ट्रेनर मात्र हैं } . उस नोटिस के अनुसार उनके पास योग शिविर { रैली } नहीं चलने के परमिशन थी .
समय सीमा समाप्त होते ही पुलिस ने उनको नोटिस दिया और पंडाल खाली करने का आग्रह किया .
वो सत्याग्रही थे तो रैली के लिये आज्ञा लेते , योग शिविर के लिये क्यों ली
उस पंडाल मे पाइप लाइन बिछी थी जहां से पानी की सप्लाई की जा रही थी
किसने दिया इतना पैसा ??
जो भी उस शिविर में गया उसका बाकायदा रजिस्ट्रेशन किया गया , एक पहचान पत्र दिया गया और एक अलिखित आश्वासन भी की उनको ट्रस्ट से पैसा मिलेगा दिन के हिसाब से .
लाठियां पुलिस ने नहीं बरसाई हां पुलिस ने पत्थर जरुर खाए
एक रैली मे bhagdadh मचती हैं क्यूँ , क्युकी राम देव जी ऐसा चाहते थे
वो खुद महिला के कपड़ो मे पुलिस को मिले
देश की राज धानी मे सिविल disobedience का नाटक चल रहा था
जो खुद कानून को नहीं मानते वो कानून के रक्षक बन भ्रष्टाचार मिटाने की बात करते हैं
रामदेव जी के संरक्षक हैं नारायण दत्त तिवारी जो खुद एक निर्लज इंसान हैं , जो बच्चा पैदा तो कर सकते हैं पर नाम नहीं दे सकते
५००० लोगो का शिविर था , इतने की ही परमिशन थी फिर उस से ऊपर लोगो को क्यूँ आने दिया
पिछले बीस सालो में ना जाने कितने " युग परुष !!!!!!!" आये और चले गए जनता को ठग कर क्युकी आज भी भारत मे इनकी "जरुरत " हैं . आसा राम हो , सुधांशु हो , या बालाजी मंदिर मोडल town के "संत जिन्होने ने कई महिला का शोषण किया " सब एक से हैं .

अगर राम देव जी को आम जनता की फ़िक्र होती तो समय सीमा के अन्दर पंडाल खाली होता .
कानून को मान कर आम आदमी खुद भ्रष्टाचार से लड़ सकता हैं
बेवकूफ लोग इन लोगो को गुरु मानते हैं किसी पढे लिखे को गुरु मानिये अपने आप इन लोगो से मुक्ति का रास्ता मिलेगा शिक्षा आखे खोलती हैं और आस्था और पाखंड मे फरक सीखाती हैं । सेहत के लिये योग आसन जरुर करे पर हर योग आसन सिखाने वाला "योगी " नहीं हो जाता

जो वहाँ थे वो अपनी कम अकली से थे , पुलिस के पास भीड़ को हटाने का क्या रास्ता हैं अगर भीड़ जगह से ज्यादा हो जाए और मत भूलिये बे पढी लिखी जनता अंध भक्त होती हैं और उनको जागरूक करना पड़ता हैं ,
जिनको चोटे आयी उनके लिये मन द्रवित हैं क्युकी पहले भी वो बिचारे बेवकूफ बनते रहे हैं , कुछ पैसे देकर भीड़ जमा कर के कौन सी पार्टी रैली नहीं करवाती रही हैं .

आप से आग्रह हैं लोगो मे चेतना लाये अपने आस पास और लोगो को इन जैसो से दूर रहने का आग्रह करे
अफवाहों से दूर रहे और अपनी अपनी जगह खुद भी कानून का पालन करे और दूसरो से भी करवाए

38 comments:

  1. .
    .
    .
    रचना जी,

    एक स्वघोषित 'हिन्दूवादी ब्लॉगर' होने के बावजूद बिना किसी लागलपेट के आपने वही लिखा है जो सच है...
    आपके साहस को नमन व आपका आभार भी...



    ...

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  2. प्रवीण जी हिन्दू होना कोई गली नहीं हैं मुझे फक्र हैं की मै हिन्दू हूँ , हिन्दू आस्था पर कोई चोट करे मुझे मंजूर नहीं लेकिन आस्था और पाखण्ड में अंतर हैं और रहेगा . और पाखण्ड हर धर्म में हैं .

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  3. apki rachna padhkar dukh huaa....badhiya post.

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  4. रचना दी अखबार में मैंने भी पढ़ा ये सब बाकि दिनों बस यूँही ऊपर ऊपर देखती थी पर कल "रामदेव बाबा हिरासत में" पढ़ कर पूरा समाचार पढ़ा और आज भी और कौन सही है कौन गलत इसी उलझन में थी | महिला के कपडे पहने हुए बाबा की तस्वीर तो आज फ्रंट पेज पर ही है | मैं तो पेपर में जितना लिखा है उतना हीं जानती हूँ शायद मेरी बुध्धि इतनी परिपक्व नहीं अभी की इन राजनीतिक बातों को समझ पाऊं पर आपकी पोस्ट पढ़ कर ऐसा लग रहा है की आप सही हैं |

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  5. धारा के विपरीत चलने का साहस बीरलो मे ही होता है जिनमे से एक आप है!

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  6. सरकार हो या बाबा, कोई किसी से कम नहीं है.



    प्रेम रस

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  7. बाकी सब बातें ठीक हैं .. क्या पुलिस और सरकार को ३-४ दिन पहले से पता नही था ये क्या होने वाला है ... बाबा और सारे मीडीया वाले चीख चीख कर कह रहे थे लाकों लोग आएँगे तो उस समय क्यों नही बोली ये सरकार और पुलिस .... और फिर रात के बारह बजे नोटिस देने की ज़रूरत कहाँ आन पड़ी .... मैं किसी के पक्ष नही पर एक ऐसा सवाल कर रहा हूँ जिसका कोई समाधान नही है ... बाबा हों या कांग्रेस या कोई भी पार्टी ... सब अपना अपना फ़ायडा सोच रहे हैं ... देश की किसी को नही पड़ी ... आपका लेख इक तरफ़ा लगा ती ऐसा लिख रहा हूँ .....

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  8. बढ़िया पोस्ट !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?

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  9. kuch likh diya to vivad ho jayaga ...

    isleya santi main hi sakti hai ....

    jai baba banaras.........

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  10. पुलिस को आधी रात में कानून का पालन करवाने की याद आयी , वो भी निहत्थे लोगों पर लाठियां बरसा कर ??

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  11. मेरे लिए यह नई सूचना है कि जिन लोगों का पंजीकरण हुआ उन्हें दिन के हिसाब से धन दिए जाने का आश्वासन दिया गया था।

    वाह रे, बाबा वाह!

    सरकार बेवकूफ निकली। जिस ने वहाँ से भीड़ तो हटाई पर बेवकूफी के साथ।

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  12. दिनेश ji बाकायदा रजिस्ट्रेशन हुआ हैं . aashwasan kae saath

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  13. आप का लेख बिलकुल एकतरफा तथा गलत तथ्यों पर आधारित है जिससे मै बिलकुल सहमत नहीं हूँ | नकारा सरकार ने सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज कर के जो बर्बर कार्यवाही की उसकी जीतनी निंदा की जाया कम ही है | आधी रात को दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब , बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! वाह रे सरकार ! ये कैसी नकारा सरकार है !
    जहां तक हो सके रामदेव बाबा को भी राजनितिक पार्टिओं, आर एस एस तथा कट्टरवादी हिन्दू संगठनों से दूर ही रहना चाहिए | ऐसे लोगों से उनकी छवि धूमिल ही होगी | महर्षि दयानंद सरस्वती जी जिन्होंने जिन्दगी भर कट्टर हिन्दू धर्म का विरोध किया तथा इसी लिए अपने प्राण की आहुति दी को अपना मानसिक गुरु मानने वाले स्वामी राम देव जी कट्टर वादिओं से हाथ मिलाएं ये समझ में नहीं आता |
    सत्य तभी निखार पर आता है जब उसमे किसी भी किस्म के झूठ की मिलावट न हो |आप लाख सच्चे हों किन्तु यदि आप झूठ और गलत लोगो के सहारे आगे बढ़ेंगे तो आप की गिनती भी उन्ही झूठों लोगों में की जायेगी |
    सत्य तभी निखार पर आता है जब उसमे किसी भी किस्म के झूठ की मिलावट न हो |आप लाख सच्चे हों किन्तु यदि आप झूठ और गलत लोगो के सहारे आगे बढ़ेंगे तो आप की गिनती भी उन्ही झूठों लोगों में की जायेगी |

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  14. आप का लेख बिलकुल एकतरफा तथा गलत तथ्यों पर आधारित है जिससे मै बिलकुल सहमत नहीं हूँ | नकारा सरकार ने सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज कर के जो बर्बर कार्यवाही की उसकी जीतनी निंदा की जाया कम ही है | आधी रात को दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब , बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! वाह रे सरकार ! ये कैसी नकारा सरकार है !
    जहां तक हो सके रामदेव बाबा को भी राजनितिक पार्टिओं, आर एस एस तथा कट्टरवादी हिन्दू संगठनों से दूर ही रहना चाहिए | ऐसे लोगों से उनकी छवि धूमिल ही होगी | महर्षि दयानंद सरस्वती जी जिन्होंने जिन्दगी भर कट्टर हिन्दू धर्म का विरोध किया तथा इसी लिए अपने प्राण की आहुति दी को अपना मानसिक गुरु मानने वाले स्वामी राम देव जी कट्टर वादिओं से हाथ मिलाएं ये समझ में नहीं आता |
    सत्य तभी निखार पर आता है जब उसमे किसी भी किस्म के झूठ की मिलावट न हो |आप लाख सच्चे हों किन्तु यदि आप झूठ और गलत लोगो के सहारे आगे बढ़ेंगे तो आप की गिनती भी उन्ही झूठों लोगों में की जायेगी |

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  15. मुझे नहीं पता की आप वर्तमान भारतीय राजनीति की कितनी समझ रखती हैं..
    पर यह पोस्ट पढ़ सीधे सीधे यही लग रहा है की दिग्विजय सिंह या कपिल सिब्बल ने यह पोस्ट लिखी है...

    बाकी तो क्या कहूँ...????

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  16. आप का लेख बिलकुल एकतरफा तथा गलत तथ्यों पर आधारित है जिससे मै बिलकुल सहमत नहीं हूँ | नकारा सरकार ने सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज कर के जो बर्बर कार्यवाही की उसकी जीतनी निंदा की जाया कम ही है | आधी रात को दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब , बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! वाह रे सरकार ! ये कैसी नकारा सरकार है !
    जहां तक हो सके रामदेव बाबा को भी राजनितिक पार्टिओं, आर एस एस तथा कट्टरवादी हिन्दू संगठनों से दूर ही रहना चाहिए | ऐसे लोगों से उनकी छवि धूमिल ही होगी | महर्षि दयानंद सरस्वती जी जिन्होंने जिन्दगी भर कट्टर हिन्दू धर्म का विरोध किया तथा इसी लिए अपने प्राण की आहुति दी को अपना मानसिक गुरु मानने वाले स्वामी राम देव जी कट्टर वादिओं से हाथ मिलाएं ये समझ में नहीं आता |
    सत्य तभी निखार पर आता है जब उसमे किसी भी किस्म के झूठ की मिलावट न हो |आप लाख सच्चे हों किन्तु यदि आप झूठ और गलत लोगो के सहारे आगे बढ़ेंगे तो आप की गिनती भी उन्ही झूठों लोगों में की जायेगी |

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  17. यह स्पष्ट करते हुए की मैं बाबा रामदेव की भक्त नहीं और न ही यह मानती हूँ की बाबा का जीवन और राजनितिक समस्त क्रिया कलाप संदेह से परे है....फिर भी कुछ सामान्य प्रश्न पूछना चाहूंगी ....

    क्या आपको पता है की पिछले वर्ष इसी रामलीला मैदान में जब बाबा ने इसी मुद्दे पर विशाल सभा की थी तो उक्त मैदान को पानी से ऐसे भर दिया गया था की लोग वहां बैठ नहीं सकें..

    एक पूरी ट्रेन जो दक्षिण भारत से दिल्ली आ रही थी,उसके चौदह डिब्बों को रातों रात काटकर वापस निर्गमन स्थल पर भेज दिया गया था...

    दिल्ली की और आने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया गया था ताकि लोग इस सभा में न पहुँच पायें..

    सभा में मंच पर सभी धर्मों के इतने बड़े बड़े लोग मौजूद थे पर किसी चैनल ने स्क्रोलिंग न्यूज तक में इसका जिक्र नहीं किया..?(इसके वीडियो आप यु ट्यूब पर देख सकती हैं)उक्त मंच पर अन्ना हजारे भी थे,पर आकस्मिक ढंग से अन्ना हजारे ने बाबा द्वारा उठाये मुद्दों में से एक लोकपाल विधेयक वाले मुद्दे पर अलग से अनशन किया और मिडिया ने उसे कैसा कवरेज दिया था,आपने देखा ही होगा..क्या आपको लगता है की आज की बिकी हुई मिडिया इतने निष्पक्ष ढंग से ऐसे कहीं भी पिल सकती है ?

    बाबा ने एक वर्ष तक देश के विभिन्न भागों में घूम घूम कर भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागरण किया और यह वर्तमान कार्यक्रम कोई आकस्मिक नहीं महीनों से घोषित था..यदि सरकार को यह स्थगित करना था/ भ्रष्टाचार के मुद्दे को नहीं उछलने देना था, तो बाकी सब बातें हुईं,सिब्बल साहब ने सारी चिट्ठियां दिखाई,यह जनता को पहले ही क्यों नहीं बताया की यहाँ निषेधाज्ञा लागू है, समय रहते भागो,नहीं तो डंडे पड़ेंगे..

    और सबसे बड़ी बात...बाबा क्या हैं,यह छोड़ दीजिये...लेकिन उन्होंने जो प्रश्न उठाये हैं, राजनीति को साफ़ करने के जो रास्ते सुझाए हैं,वे प्रासंगिक हैं या नहीं ?

    खैर,ऐसे बहुत सारे प्रश्न और प्रसंग हैं जो अनुत्तरित हैं...

    आपसे अनुरोध है,यह समय एक ऐसे शख्स को गाली देने का नहीं है जो जन हित के मुद्दे को लेकर व्यापक जन चेतना फैलाए और सरकार को घेरने का प्रयत्न करे...कोई बाबा,मुल्ला,स्वामी,राजनेता जो भी राजनीति को दलदल से बाहर निकालने के लिए आगे बढे, बाकी सारी बातों को साइड कर हमें उसका साथ देना चाहिए..यही एक मनुष्य का, एक नारी का कर्तब्य है...

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  18. आपकी बातों से पूरी तरह असहमत ! न जाने ये तथ्य आप कहाँ से निकाल के लाई हैं ! नकारा सरकार द्वारा सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज करना बर्बर कार्यवाही करना कायरता का सूचक है उसकी जीतनी निंदा की जाया कम ही है |

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  20. १- आधी रात को , पुलिसों द्वारा किया गया कृत्य भर्त्सनीय है।
    २- ‘शांतिपूर्ण तरीके’ की बारंबार बात बाबा अपने वक्तव्य में कई बार बोले थे, इससे साबित होता है कि प्रतिरोधों को सरकार देखना ही नहीं चाह्ती।
    ३- बाबा के राजनीतिक आसन से दिक्कत थी तो एयरपोर्ट से लेकर कार्य्वाही के पूर्व काहे सरकारी दमाद जैसी मान-मनौहल चल रही थी।
    ४- स्पष्ट है कि सरकार संख्यात्मक मान से घबराई हुई थी और सब सेट करने के लिये उसे आधी रात का मौका सूझा।
    ५- बाबा दूध के धुले हैं, मेरा ऐसा कोई दावा नहीं है, पर जितनी पैतरेबाजी हुई है, पत्र आदि के वाकये को देखते हुये, उसपर बाबा पर ही शक किया जाय - यह भी एकतरफा लग रहा।
    ६- ये दशा शांतिपूर्ण तरीकों की होगी तो निर्विकल्प की स्थिति पैदा होगी, लोगों के माओवादी तरीकों से असहमति के तर्क कमजोर होंगे।
    ७- अन्ना प्रकरण पर बैठने के बाद भूषण से संबद्ध सीडी प्रकरण आया, अब बाबा फंसेंगे, कांग्रेस मैनेज करने में निपुण है यह अपराध और अपराधी की परिभाषा तभी रचती है जब इसे व्यक्तिगत(यानी पार्टी-गत ) दिक्कत होती है।
    ८- इस तर्क में कोई दम नहीं की योग फील्ड का आदमी किसी और फील्ड पर सवाल न करे!

    बाबा से मूलगामी परिवर्तन - रेडिकल चेंज - की उम्मीद नहीं कर सकता , सिवाय इसके कि भ्रष्टाचार को लेकर और कुछ मुद्दों को लेकर मास का कन्सर्न होगा। दूसरी बात बाबा के पास अन्ना जैसा चरित्र बल भी नहीं जिसका एक प्रमाण पत्र-प्रकरण है।और इस मास कन्सर्न को लेकर ही सरकार भयभीत हो गयी, और इस भर्त्सनीय काम पर उतर आयी !

    सहमति/संतोष इनसे भी नहीं, पर अपेक्षया बेहतर के तरफ से हम अपनी बात बोलते हैं, एक खुन्नस है प्रगतिशील बनने वालों से , जो पढ़े लिखे धोखेबाज ज्यादा हैं, शायद कलम ज्यादा चलाने वाला बाकी चीजों से कट जाता है। अरुंधती जैसे कश्मीर के मुद्दे पर, खास किस्म के सांप्रदायिक मुद्दे पर बोलना पसंद करते हैं, जिनमें सृजन कम खंडन ढेर होता है, पर कभी भ्र्ष्टाचार पर इकट्ठे होकर कुछ किये हों नहीं लगता। प्रगतिशील-वामाचारी अमीरिका-ईरान-फीलिस्तीन सब बोलेंगे, पर २५ रामदेवी मुद्दों में से कितनों के लिये और कब आयोजन-बद्ध हुये? बाकी समय ही बुरा होता है, बुरे और कम बुरे में से किसी एक को चुनना पड़ता है!

    AABHAR !!

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  21. रंजना जी ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। उनसे अक्षरशः सहमत।

    पता नहीं रचना जी नें यह निर्थक तथ्य किस तरह और क्यो तैयार किये। इसी के साथ नारीहित के समर्पण की सत्यता पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

    एक जवाब तथ्यहीन बातों का एक जवाब 'अन्तर सोहिल'पर भी है

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  22. सर्वथा असहमत , पूरी तरह से । मैं भी बाबा से लेकर रामदेव बाबा तक का समर्थक नहीं हूं , और उस पर बात करूंगा भी नहीं , आपने जैसा नकारात्मक देखा वैसा ही दिखाने का प्रयास भी किया ।जो हुआ वो सबको पता है किसी से कुछ भी छुपा नहीं है इसलिए मेरे या आपके कह भर देने से वो सब नहीं बदलेगा । लेकिन किसी भी तर्क से सरकार बस ये सही साबित कर दे कि रामलीला मैदान में सोती महिलाएं और बच्चों को पीट कर वहां से खदेडने के लिए किस कानून ने इज़ाज़त दी थी । अब यही बात सर्वोच्च न्यायालय पूछ रही है ..सरकार को अपनी फ़ौज़ लेजाकर वहां भी निपटना चाहिए । जनता तो जूतों से निपटा ही रही अपने तरीके से । इसलिए इस बार असहमत हूं आपकी इस पोस्ट से

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  23. सुयज्ञ जी
    ये तथ्य पूरे ब्लॉग जगत मे बिखरे पढ़े हैं और हिंदी के , इंग्लिश के तमाम अखबारों मे हैं
    पण्डे , बाबा , और इन जैसे लोगो से सबसे ज्यादा नुक्सान नारी को ही होता हैं
    अंतर सोहेल जी
    अजमेरी गेट से रामलीला मैदान तक पैदल जा कर टेंट मे घुसना था , घुसने के लिये रजिस्ट्रेशन था और उसके साथ आश्वासन भी आपको विश्वास करना हो करे ना करना हो ना करे पर व्यक्तिगत आक्षेप था aap के kament मे is लिये hataa diyaa kshma karaegae

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  24. हर दिन २६ घंटे का होता हैं जो रात को १२ बजे ख़तम होते हैं और कानून साक्ष्य और प्रमाण पर चलता हैं अजय आप से बेहतर कौन जाने गा . जिस जनता को रामदेव जी खुद जाने को कह सकते थे उसको उन्होने नहीं भेज कर क्या हासिल किया .
    मेरी ६० साल की वृद्ध मेड वहां गयी थी और ये उसके बाताये हुए तथ्य थे जो मैने लिखे हैं
    आम जनता की किस को फ़िक्र हैं
    सब को राजनीति चाहिये , हर समय , हर वक्त
    और रंजना जी ने सही कहा हैं मुझे राजनीति की समझ है ही नहीं , मुझे तो तथ्य और साक्ष्य दिखते हैं
    आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तलब किया , २ हफ्ते में जवाब देने के लिये , देश मे कानून प्रणाली सही हैं अजय , और जब तक वो कानून माने जायगे हम सुरक्षित हैं पर
    क्या आम जनता जिसको ५० रुपया भी मिल जाए तो बहुत होता इस बात को समझती हैं
    आप असहमत हो कोई बात नहीं क्युकी अगर आप आम जनता हैं तो आप को भी वही परेशानी होगी जो मुझे हैं लेकिन अगर आप अंध भक्त हैं तो .....

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  25. हम अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी के कमेंट से अक्षरष: सहमत हैं।

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  26. आपको अपने ६० साल की वृद्ध मेड पर विश्वास है किन्तु वहाँ पर उपस्थित हजारों भुक्तभोगी महिलाए टीवी पर चीख चीख कर जो तथ्य बता रही हैं उन्हें आप झूठ ठहरा रही हैं | ये कहाँ का न्याय है ! कृपया आधुनिक विज्ञानिक सोच वाले बाबा रामदेव का अन्य पाखंडी, अन्धविश्वासी , धूर्त बाबाओं से तुलना ना ही करें तो अच्छा होगा ! लगता है आपने न तो रामदेव जी के विचारों को पढ़ा है ना ही उनके विचारों को सुना ही है | अन्यथा आप ऐसा उनके बारे में ना कहतीं ! गलती हर इंसान से होती है किन्तु इसका ये मतलब तो नहीं की उनके योगदान को नकार दिया जाय | किन्तु मेरा पूर्ण विश्वास है की इन सब घटनाओं से वे सबक लेंगे तथा उनमे और निखार ही आयेगा |

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  27. बस अब तो एक ही मुद्दा प्रासंगिक है -निहत्थे निरीह ,शांतिप्रिय और दो दिन से भूखे लोगों पर रात में हजारों ट्रेंड गुंडों द्वारा हमला कार्य जाना किस नीति और नीयत को प्रदर्शित करता है ? मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है ....जवाबदेही सरकार की!
    हाँ आश्चर्य यह हुआ जानकर कि महिलाओं की स्व -घोषित पक्षधर भी आज क्षद्म निरपेक्षी लोगों के सुर में सुर साध रही है !
    कितनी महिलाओं के कपडे फटे ,कितनों को धकियाया गया -यह दिखाई नहीं दे रहा ?
    क्या ग्रामीण महिलाओं की कोई निजी गरिमा नहीं होती बस शहरी औरतों की आबरू है ?
    महिला आयोग ने भी जावाब तलब कर लिया है मगर नारी नाम्नी यह ब्लॉग अप एक लग थलग राग छेड़ रहा है ?
    यही है असली "असलियत" -नारी के पक्षधर ब्लॉग क्या बस केवल घडियाली आंसू बहाता रहा अब तक और पुरुषों को गिन गिन कर गालियाँ ?
    आप भी जवाबदेही से बचती नज़र नहीं आ रही है -इसी पोस्ट पर बुलंद नारियों की आवाजें आपको आत्ममंथन पर मजबूर कर रही हैं !

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  28. बस अब तो एक ही मुद्दा प्रासंगिक है -निहत्थे निरीह ,शांतिप्रिय और दो दिन से भूखे लोगों पर रात में हजारों ट्रेंड गुंडों द्वारा हमला कार्य जाना किस नीति और नीयत को प्रदर्शित करता है ? मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है ....जवाबदेही सरकार की!
    हाँ आश्चर्य यह हुआ जानकर कि महिलाओं की स्व -घोषित पक्षधर भी आज क्षद्म निरपेक्षी लोगों के सुर में सुर साध रही है !
    कितनी महिलाओं के कपडे फटे ,कितनों को धकियाया गया -यह दिखाई नहीं दे रहा ?
    क्या ग्रामीण महिलाओं की कोई निजी गरिमा नहीं होती बस शहरी औरतों की आबरू है ?
    महिला आयोग ने भी जावाब तलब कर लिया है मगर नारी नाम्नी यह ब्लॉग अप एक लग थलग राग छेड़ रहा है ?
    यही है असली "असलियत" -नारी के पक्षधर ब्लॉग क्या बस केवल घडियाली आंसू बहाता रहा अब तक और पुरुषों को गिन गिन कर गालियाँ ?
    आप भी जवाबदेही से बचती नज़र नहीं आ रही है -इसी पोस्ट पर बुलंद नारियों की आवाजें आपको आत्ममंथन पर मजबूर कर रही हैं !

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  29. रचना जी,
    अरे, आप भी आजादी का इस्तेमाल करना जानते हैं....
    एक समय अदालत में सत्य की परिभाषा आर्यसमाजी हुआ करता था.
    यदि अदालत को प्रमाण चाहिए होता था तो वे किसी आर्यसमाजी से तथ्य जानते थे....
    जिसकी 'आर्यसमाज' ने परवरिश की हो वह मिथ्या आचरण कभी नहीं करता.. राष्ट्र धर्म उसके लिये प्राथमिक होता है.
    .
    .
    मेरे कुछ सवालों के जवाब दीजिये ...
    — मैंने सभा की. स्वीकृति भी ली ५०० व्यक्तियों की. मीडिया आ धमका. मीडिया के लाइव प्रसारण से खिंचकर संख्या ५०१ हो गई.. क्या मैं कानूनी रूप से दोषी होउंगा? ऐसे में मेरे दोष की सजा पूरी सभा को दी जानी चाहिए?
    — क्या मेरी सभा में ५०० व्यक्तियों में मीडिया के 100 लोगों की भी गणना होनी चाहिए?
    — तभी बिना बुलाये ५००० पुलिसकर्मी आ गये... उन्होंने कहा यहाँ इतना स्पेस नहीं कि ५०० से अधिक लोग आ सकें... इसलिये सभा कानूनन जुर्म है...
    आप ये बतायें कि जहाँ ५०० से अधिक लोग नहीं आ सकते वहाँ ५००० पुलिसकर्मी कैसे फिट हो गये?

    ... आप यदि तीनों सवालों के उत्तर देंगे तो फिर तीन सवाल करूँगा. आप जन जागृति का संकल्प जो लिये हैं. मैं आपका पूरा-पूरा साथ दूँगा. सोनिया जी की तरफ से आपको मेडल दिलवाने की भी सिफारिश करूँगा.

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  30. रंजना जी की कही एक-एक बात जानकार सरकार के प्रति मेरी घृणा में इजाफा ही हुआ.

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  31. एक बात और...

    'जन हित में जारी' .... जितनी भी सूचनायें अब तक पढी थीं ... सरकार द्वारा प्रायोजित थीं... क्या आपकी भी...?

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  32. मुझे तो तथ्य और साक्ष्य दिखते हैं.......तो क्या वे आपको यकीनन ही नहीं दिखे ..या आपने देखना नहीं चाहा उन्हें ..क्योंकि आज हर जगह वही तो दिखाई सुनाई दे रहा है अलग अलग अंदाज़ में ..। हां अंध भक्त तो मैं भगवान का भी नहीं हूं फ़िर इंसान की तो बिसात ही क्या । आपकी मेड वहां क्या देखने और उसने देख के क्या बताया ये तो हम नहीं जानते , लेकिन हम जो देख रहे हैं उसे कैसे अनदेखा कर सकते हैं ..

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  33. रचना जी आपका जनहित बहुत सुन्दर लगा जहाँ आपको बाबा के कृत्या की जानकारी दिखी किन्तु सोते हुए लोगों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ना नहीं दिखा. हम व्यक्तिगत रूप से बाबा के समर्थकों में कभी नहीं रहे और किन्तु इस तरह की घटना का, प्रशासन का विरोध करते हैं जो सोते हुए लोगों पर लाठीचार्ज करवाए. आपने बड़ी गंभीर जानकारी दी (आश्वासन वाली) क्या आपने इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त नहीं की कि रामलीला मैदान पूरे एक महीने के लिए किराये पर लिया गया है.
    इसके बाद भी यदि मान भी लिया जाए कि समय सीमा समाप्त होने वाली थी और पुलिस को उस जगह को खाली करवाना जरूरी ही था तो आपको पता नहीं ये संज्ञान में है अथवा नहीं कि सरकार का भोंपू बने तमाम कांग्रेसियों ने अभी भी दिल्ली के सरकारी भवनों पर कब्जा कर रखा है जबकि आज की तारीख में वे सांसद भी नहीं हैं और न ही किसी तरह के प्रतिनिधि. क्या यहाँ पुलिस को समय सीमा नहीं दिखती है?
    जहाँ तक हिन्दू हेने के गर्व की बात है तो सिर्फ हिन्दू धर्म में पैदा होना ही गर्वोक्ति का विषय नहीं है... आत्मा से गर्व होना चाहिए. आशय आप समझ गईं होंगी. कृपया इस तरह के मुद्दों पर चोट का एक और पक्ष होता है उसे भी देखिये, दिग्गी की तरह से, या कोंग्रेसी प्रवक्ताओं की तरह से अनर्गल प्रलाप न करें तो अच्छा होगा.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  34. मुझे नहीं पता की आप वर्तमान भारतीय राजनीति की कितनी समझ रखती हैं..
    पर यह पोस्ट पढ़ सीधे सीधे यही लग रहा है की दिग्विजय सिंह या कपिल सिब्बल ने यह पोस्ट लिखी है...
    ---------------
    इससे ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता ही कहाँ है..... आज की पोस्ट पर आप से पूरी तरह से असहमति है .....

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  35. ये कांग्रेस को वोट कौन देता हैं जितने लोगो ने यहाँ कमेन्ट दिये हैं क्या निर्भीक हो कर बतायेगे की उन्होने किस पार्टी को वोट दिया था .. मैने नहीं दिया .
    सरकार नहीं पसंद तो सरकार बदलो , सही को वोट दो ना की देश को और उसके नागरिको को गलत दिशा पर ले जाओ
    जब वोट देने की बारी आती हैं तो सब एक परिवार के नाम पर वोट देते हैं ??? क्यूँ
    क्युकी अस्थिरता नहीं चाहिये .
    देश को अस्थिरता की और ले जाने से क्या हासिल हो गा
    और रह गयी बात इन बाबा लोगो की तो कुछ के रंग सामने आ चुके हैं बाकी के भी आ जायेगे
    जो इनको मानते हैं वो अपनी व्यक्तिगत पसंद के लिये आज़ाद है उसी तरह हिन्दू हो कर अगर मै इन पाखंडियों से दूर रहना चाहती हूँ तो मै भी अपने ब्लॉग पर आज़ाद हूँ
    और रहगयी बात मेरी सदस्याओं की , तो ये ब्लॉग बना ही उनकी बात कहने के लिये हैं
    और जो लोग यहाँ आकर असहमत हैं उनका अपना नज़रिया हैं
    अब इस पोस्ट पर कमेन्ट बंद किये जा रहे हैं

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