ना जाने कितनी बार डाइवोर्स पर बहस होती रही हैं लेकिन भारतीये समाज इसको एक सहज सम्भावना मानने से इंकार करता रहा हैं।
हमेशा बच्चो का हवाला दे कर साथ रहने के समझौते को करते रहना ही शादी में बने रहने के लिये जरुरी समझ लिया जाता हैं।
कल एक नाबालिग बच्चे ने , जिसने अपने ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे की निर्मम हत्या की हैं जुविनाइल बोर्ड को अपनी अन्य बातो के अलावा ये भी कहा की उसके घर का माहौल अच्छा नहीं हैं। माँ पिता की निरंतर लड़ाई के कारण उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता।
क्या सही हैं इस केस में क्या नहीं लेकिन कहीं ना कहीं समाज के पुराने नियमो को या तो सख्ती से लागू करने का समय हैं या उन्हे बदलने का समय हैं।
नयी पीढ़ी बिलकुल दिशा हीन हो चली हैं। उनके पास कोई दिशा निर्देश नहीं हैं की सही और गलत क्या हैं।
हमेशा बच्चो का हवाला दे कर साथ रहने के समझौते को करते रहना ही शादी में बने रहने के लिये जरुरी समझ लिया जाता हैं।
कल एक नाबालिग बच्चे ने , जिसने अपने ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे की निर्मम हत्या की हैं जुविनाइल बोर्ड को अपनी अन्य बातो के अलावा ये भी कहा की उसके घर का माहौल अच्छा नहीं हैं। माँ पिता की निरंतर लड़ाई के कारण उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता।
क्या सही हैं इस केस में क्या नहीं लेकिन कहीं ना कहीं समाज के पुराने नियमो को या तो सख्ती से लागू करने का समय हैं या उन्हे बदलने का समय हैं।
नयी पीढ़ी बिलकुल दिशा हीन हो चली हैं। उनके पास कोई दिशा निर्देश नहीं हैं की सही और गलत क्या हैं।