Anulata Raj Nair Shikha Varshney Rashmi Ravija Ranju Bhatia Anju Choudhary Nirmla Kapila Shobhana Chourey Neelima Chauhan Sujata Tewatia Vandana Gupta Aradhana Chaturvedi Mukti वाणी गीत Saras DarbariRekha Srivastava Dr-Monika S Sharma Harkirat Heer
ऊपर टैग किये नामो को मैने ५ मिनट के समय में फ्रेंड लिस्ट में से खोजा हैं।
इनकी रचनाओ के पाठक गण में
सतीश सक्सेना अनूप शुक्ल Udan Tashtari सलिल वर्मा Girish Pankaj Ismat Zaidi Shifa
इनकी रचनाओ के पाठक गण में
सतीश सक्सेना अनूप शुक्ल Udan Tashtari सलिल वर्मा Girish Pankaj Ismat Zaidi Shifa
शामिल हैं और मित्र सूची मे भी शायद हैं
फिर भी इनमे से किसी ने भी इन महिला के लेखन को इस योग्य नहीं समझा की उनका नाम Ananda Hi Anandahttps://www.facebook.com/Vivekjii/photos/a.10150339646279303.363227.170976869302/10153556284649303/?type=1&fref=nf
राष्ट्रीय भाष्य गौरव पुरस्कार के लिये नॉमिनेट करे।
इस वर्ष ७ पुरूस्कार दिये गए लेकिन एक भी नाम महिला का नहीं हैं। पिछले साल एक महिला को दिया गया था उसकी और इस विषय पर और विस्तृत चर्चा करुँगी अभी रिसर्च कर रही हूँ और सेलेक्टर्स से इस सिलेक्शन के रूल्स और चयन की प्रक्रिया के विषय में बात कर रही हूँ। ३ से कर चुकी हूँ। बाकी सब का इंतज़ार हैं क्युकी मेरे बार में कहा जाता हैं की मैं नकारात्मक सोच रखती हूँ और सकारात्मक नहीं इसलिये बता दूँ की मेरी सोच न्यूट्रल होती हैं और उसमे केवल और केवल महिला और पुरुष की समानता की ही बात होती हैं।
जहां भी महिला को केवल मातृ शक्ति मान कर पवित्रता की बात की जाती हैं मुझे वहाँ केवल और केवल महिला की उपलब्धियों को दबाने की बात ही नज़र आती हैं।https://www.facebook.com/satish1954/posts/10205853510190222…
न्यूट्रल हो कर सोचना मेरे लिये बड़ा आसान हैं
अगली कड़ी शीघ्र ही जो नाराज होना चाहे हो सकते हैं क्युकी हम जो आवाज उठाते हैं उसका फायदा हमारी आने वाली पीढ़ी की लड़कियों को अवशय होगा वो उस कंडीशनिंग को तोड़ सकेगी जिस मे चुप रह कर अन्याय सहने को "त्यागमय " की उपाधि दी जाती हैं
अगली कड़ी शीघ्र ही जो नाराज होना चाहे हो सकते हैं क्युकी हम जो आवाज उठाते हैं उसका फायदा हमारी आने वाली पीढ़ी की लड़कियों को अवशय होगा वो उस कंडीशनिंग को तोड़ सकेगी जिस मे चुप रह कर अन्याय सहने को "त्यागमय " की उपाधि दी जाती हैं
हाँ मैं ईमेल देकर लिंक देकर चैट पर अपनी साथी महिला को सूचित करती हूँ की कहाँ क्या हो रहा हैं ताकि वो जान सके की उनको कहाँ कहाँ आवाज उठानी हैं ताकि हमारी अगली पीढी की लडकियां बराबरी की इस लड़ाई को ना लड़े
सोशल मीडिया के आने से अब कुछ भी छुपाना मुश्किल हैं
ये शायद एक व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद ना पसंद के पुरूस्कार हैं। उनको अधिकार हैं अपनी पसंद को पुरुस्कृत करने का पर सोशल मीडिया पर चयनकर्ता के नाम देना और इसको एक पारदर्शी प्रक्रिया का भरम देना गलत हैं।
https://www.facebook.com/Vivekjii/photos/a.10150339646279303.363227.170976869302/10153556284649303/?type=3
जिन चयन करता के नाम ऊपर हैं उन मे से दो ने ये कन्फर्म किया हैं की उनको नाम दे कर पूछा गया था की क्या इसको दे दे और उन्होंने ने हाँ कह दिया था और ये उन्होंने पुरानी मित्रता के तहत किया हैं । नाम ना तो उन्होने चुने ना नॉमिनेट किये। जिन महिला को पिछली बार मिला था उनका नाम जिन महिला मेंबर ने बताया था उन्हें मेंबर भी केवल नाम देने के लिये ही बनाया था और उन्होंने कहा की वो एक्टिव मेंबर नहीं हैं और उन्होंने महिला को ही चुना था।
https://www.facebook.com/Vivekjii/photos/a.10150339646279303.363227.170976869302/10153556284649303/?type=3
जिन चयन करता के नाम ऊपर हैं उन मे से दो ने ये कन्फर्म किया हैं की उनको नाम दे कर पूछा गया था की क्या इसको दे दे और उन्होंने ने हाँ कह दिया था और ये उन्होंने पुरानी मित्रता के तहत किया हैं । नाम ना तो उन्होने चुने ना नॉमिनेट किये। जिन महिला को पिछली बार मिला था उनका नाम जिन महिला मेंबर ने बताया था उन्हें मेंबर भी केवल नाम देने के लिये ही बनाया था और उन्होंने कहा की वो एक्टिव मेंबर नहीं हैं और उन्होंने महिला को ही चुना था।
चयन करता की सहमति सब नाम पर नहीं ली गयी हैं हर चयन करता को दो नाम या एक नाम दे कर औपचारिकता पूरी की गयी थी। नाम पहले से चयनित ही थे और चयनकर्ता के नाम महज और महज खानापूर्ति थे { मेरी समझ } .
किसी भी महिला का ना होना ७ पुरुस्कृत व्यक्तियों में केवल और केवल इस बात का सूचक हैं की इस साल कोई भी महिला आयोजक / प्रेसीडेन्ट को योग्य लगी नहीं। उनका ये कहना की चयनकर्ता ने कोई नाम दिया नहीं केवल और केवल एक वक्तव्य हैं और उसके ऊपर कुछ नहीं।
https://www.facebook.com/satish1954/posts/10205853510190222…
https://www.facebook.com/satish1954/posts/10205853510190222…
जो महिला पिछली बार मेंबर थी उन्होंने एक महिला का ही चयन किया था और सुझाव भी दिया था की महिला और पुरुष के लिये दो अलग क्षेणी हो और आधे आधे पुरूस्कार दिये जाए पर ऐसा नहीं हुआ और क्युकी अब वो एक्टिव मेंबर नहीं हैं इस लिये उनको इस वर्ष का कोई पता नहीं हैं की क्या प्रक्रिया रही।https://www.facebook.com/naari.naari.3/posts/1643542085914367
कभी कभी सोचती हूँ बेटियों के हिस्से में इतना कम क्यों आता हैं। क्या इन ७ जिनको पुरूस्कार मिला उनको खुद ये महसूस नहीं होता हैं की उन्होने महिला के आधे हिस्से पर कब्जा किया हैं।
बहुत घरो में बचपन में बहिन के हिस्से का दूध भाई को दिया जाता था और भाई की देखभाल उसकी बहिन करती थी उसको दूध मिले ना मिले भाई के लिये गरम दूध का गिलास एक छोटी सी बच्ची ले जाती थी। यही होता था एक पत्नी के साथ पति का जूठा खाना , पति के बाद खाना , खाना ना होने पर भूखे सोना और माँ के लिये तो बच्चे का मतलब ही बेटा होता था
आज भी वो सब जारी हैं बस आयाम बदल गए हैं नारी के लिये निर्धारित आधे हिस्से पर भी पुरुष का ही अधिकार माना जाता हैं और इसमे कुछ भी गलत नहीं माना जाता।
महिला के हक़ की बात यानी महिला आधारित मुद्दो को उठाने पर हमेशा उसे " पुरुष विरोध " कह कर भटकाया जाता हैं। पुरुष वर्ग को हमेशा लगता हैं उसको कटघरे मे खड़ा किया जाता हैं क्युकी पुरुष वर्ग को अपने को इम्पोर्टेन्ट समझने की आदत हैं और वो हमेशा ये दिखाते हैं की "वो टारगेट हैं " .
महिला के हक़ की बात यानी महिला आधारित मुद्दो को उठाने पर हमेशा उसे " पुरुष विरोध " कह कर भटकाया जाता हैं। पुरुष वर्ग को हमेशा लगता हैं उसको कटघरे मे खड़ा किया जाता हैं क्युकी पुरुष वर्ग को अपने को इम्पोर्टेन्ट समझने की आदत हैं और वो हमेशा ये दिखाते हैं की "वो टारगेट हैं " .