" ऐसा प्रत्येक पुरुष जिसमे लेशमात्र भी कामाग्नि मौजूद है असावधान स्त्री के लिए खतरनाक है। "
आइये सावधान रहे अपने पिता से http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-11-28/mumbai/44546220_1_malwani-eight-year-old-daughter-survivor
आइये सावधान रहे अपने भाई से http://kayceeweezy.wordpress.com/2012/02/15/sisters-kill-own-brother-for-sexual-harassment/
आइये सावधान रहे अपने पति से http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-09-07/bhopal/41854188_1_husband-habibganj-khargone
इन रिश्तो के बाद सावधान रहे अपने गुरु से , अपने बॉस से। http://mangopeople-anshu.blogspot.com/2013/11/mangopeople_27.html?showComment=1385789655195#c2859946066595373664
आप सीधा सीधा ये कह रहे हैं कि पुरुष के बायोलॉजिकल डिसऑर्डर के लिये सावधान स्त्री रहे
क्यूँ सारे समाज में स्त्री ही सावधान क्यूँ रहे ? पुरुष क्यूँ ना कम से अब सावधान हो जाए
कि अब आज कि नारी अपनी चिंता ना करके उस पुरुष को बेनाकाब करेगी और इतना बेनकाब करेगी वो समाज में मुँह नहीं दिखा सकेगा।
जिस दिन स्त्री ने ये सोच लिया कि "उसको अब फर्क नहीं पड़ता " जो करेगा वो ही दोषी हैं और उसको निर्वस्त्र करके समाज का हित स्त्री कर रही हैं उस दिन समाज बदेलगा।
बहुत सदियाँ स्त्री को निर्वस्त्र किया जाता रहा हैं और माना जाता रहा कि शर्म भी उसी को आनी चाहिए थी क्युकी वो सावधान नहीं थी
बस जिस दिन उस पुरुष " जो किसी भी महिला के साथ रेप , मोलेस्ट या अनय कोई भी दुष्कर्म करता हैं " सबसे निकट महिला सम्बन्धी { माँ , बहिन , पत्नी , कुलीग } उसका बहिष्कार कर देगी और उस पर डिफेमेशन{ मानहानि } करके अपनी बदनामी का हिसाब उस से मांगेगी उस दिन सब बदल जाएगा।
अभी ये जो बीवी और माँ और अन्य के पीछे छुप कर दुष्कर्म करके पुरुष अपने को देवता सिद्ध करता हैं वो ख़तम होगा और वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं हैं
क्यूँ नहीं एक माँ बीवी या बहिन को ये अधिकार होना चाहिये कि वो अपने पुरुष सम्बन्धी के कारण बदनामी के लिये डिफेमेशन का केस कर सके और हर्जाना प्राप्त कर सके
कितनी जिल्लत सहनी पड़ती हैं महिला सम्बन्धियों जिन्हे समाज में एक गुनाह गार के साथ रहना पड़ता हैं
आज लोग सोमा चौधरी पर थूक रहे हैं अगर सोमा चौधरी के पास ये अधिकार होता कि वो तरुण तेजपाल के कारण हुई अपनी बदनामी का हिसाब हर्जाने के रूप में तरुण तेज पाल से ले सकती या तरुण तेजपाल कि बेटी टीआ अपनी बदनामी का हिसाब हर्जाने के रूप में अपने पिता से कानून ले सकती तो आज उनको अपना परिवार बचाने के अपराध का दोषी ना बनना पड़ता।
कितनी बदनामी होती हैं एक परिवार कि जब एक पुरुष एक अश्लील हरकत करता हैं क्यूँ नहीं उस परिवार को कानूनन उस पुरुष को परिवार से बेदखल करने का अधिकार हो और हर्जाना लेने का भी
अपनी राय दे
If A man is involved in a crime of rape , molestation , sexual harassment the woman of his family , mother , daughter and sister face the wrath of society for standing with him . The same society conditions the woman to look after the family .
Why should these woman be given a legal right to disown the culprit { man } and put up a defamation case against them .
Why should they not be entitled legally to claim monetary compensation from such man for loss of their repute and prestige in society .
How much social stigma a wife faces when her husband rapes a woman , why should she not be given a legal right for monetary compensation .
Once such legal right is given to them at least they will have the guts to move ahead from a family that in no way is a family .
आइये सावधान रहे अपने पिता से http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-11-28/mumbai/44546220_1_malwani-eight-year-old-daughter-survivor
आइये सावधान रहे अपने भाई से http://kayceeweezy.wordpress.com/2012/02/15/sisters-kill-own-brother-for-sexual-harassment/
आइये सावधान रहे अपने पति से http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-09-07/bhopal/41854188_1_husband-habibganj-khargone
इन रिश्तो के बाद सावधान रहे अपने गुरु से , अपने बॉस से। http://mangopeople-anshu.blogspot.com/2013/11/mangopeople_27.html?showComment=1385789655195#c2859946066595373664
आप सीधा सीधा ये कह रहे हैं कि पुरुष के बायोलॉजिकल डिसऑर्डर के लिये सावधान स्त्री रहे
क्यूँ सारे समाज में स्त्री ही सावधान क्यूँ रहे ? पुरुष क्यूँ ना कम से अब सावधान हो जाए
कि अब आज कि नारी अपनी चिंता ना करके उस पुरुष को बेनाकाब करेगी और इतना बेनकाब करेगी वो समाज में मुँह नहीं दिखा सकेगा।
जिस दिन स्त्री ने ये सोच लिया कि "उसको अब फर्क नहीं पड़ता " जो करेगा वो ही दोषी हैं और उसको निर्वस्त्र करके समाज का हित स्त्री कर रही हैं उस दिन समाज बदेलगा।
बहुत सदियाँ स्त्री को निर्वस्त्र किया जाता रहा हैं और माना जाता रहा कि शर्म भी उसी को आनी चाहिए थी क्युकी वो सावधान नहीं थी
बस जिस दिन उस पुरुष " जो किसी भी महिला के साथ रेप , मोलेस्ट या अनय कोई भी दुष्कर्म करता हैं " सबसे निकट महिला सम्बन्धी { माँ , बहिन , पत्नी , कुलीग } उसका बहिष्कार कर देगी और उस पर डिफेमेशन{ मानहानि } करके अपनी बदनामी का हिसाब उस से मांगेगी उस दिन सब बदल जाएगा।
अभी ये जो बीवी और माँ और अन्य के पीछे छुप कर दुष्कर्म करके पुरुष अपने को देवता सिद्ध करता हैं वो ख़तम होगा और वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं हैं
क्यूँ नहीं एक माँ बीवी या बहिन को ये अधिकार होना चाहिये कि वो अपने पुरुष सम्बन्धी के कारण बदनामी के लिये डिफेमेशन का केस कर सके और हर्जाना प्राप्त कर सके
कितनी जिल्लत सहनी पड़ती हैं महिला सम्बन्धियों जिन्हे समाज में एक गुनाह गार के साथ रहना पड़ता हैं
आज लोग सोमा चौधरी पर थूक रहे हैं अगर सोमा चौधरी के पास ये अधिकार होता कि वो तरुण तेजपाल के कारण हुई अपनी बदनामी का हिसाब हर्जाने के रूप में तरुण तेज पाल से ले सकती या तरुण तेजपाल कि बेटी टीआ अपनी बदनामी का हिसाब हर्जाने के रूप में अपने पिता से कानून ले सकती तो आज उनको अपना परिवार बचाने के अपराध का दोषी ना बनना पड़ता।
कितनी बदनामी होती हैं एक परिवार कि जब एक पुरुष एक अश्लील हरकत करता हैं क्यूँ नहीं उस परिवार को कानूनन उस पुरुष को परिवार से बेदखल करने का अधिकार हो और हर्जाना लेने का भी
अपनी राय दे
If A man is involved in a crime of rape , molestation , sexual harassment the woman of his family , mother , daughter and sister face the wrath of society for standing with him . The same society conditions the woman to look after the family .
Why should these woman be given a legal right to disown the culprit { man } and put up a defamation case against them .
Why should they not be entitled legally to claim monetary compensation from such man for loss of their repute and prestige in society .
How much social stigma a wife faces when her husband rapes a woman , why should she not be given a legal right for monetary compensation .
Once such legal right is given to them at least they will have the guts to move ahead from a family that in no way is a family .