नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।

यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का

15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं

15th august 2012

१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं

"नारी" ब्लॉग

"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।

" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "

हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

February 18, 2013

क्या हैं कोई कानून ? या और आप क्या कहना चाहते हैं इस परिस्थिति में खड़े व्यक्ति को


Meenu Rana <rana.meenu@gmai.com>

to me
Hello Rachnaji,

I am Meenu Rana, 29 yrs old from Delhi. I am a doctor by profession.
I need your help to get justice.

I have been cheated by a guy for 9 yrs in the name of a relationship, he promised that he will marry me, his family was also aware of our relationship but now i have learnt from one of our common friend that he recently got married. I was waiting for him to get marry to me and now he is not even talking to me.

There are so many youngsters going through this phase, but even the breakups should be with mutual consent this is what i feel. I am not sure whether there is any law for such frauds or not but there should be some. Physical injuries can be treated but such emotional and mental traumas pain a lot. Some people take relationships as a game, they will spend time with each other, go for  a movie and then suddenly they realize that our family will not accept this. This should be stopped somewhere.

Please if you could help me in this, i will be very every thankful to you.

Thanks & Regards,
Meenu rana 
Mobile # 9xxxxxxxxxxxxx

हेलो रचना जी
मेरा नाम मीनू राणा , 29 वर्ष , दिल्ली निवासी , एक डॉक्टर हूँ
मुझे आप की मद्दत चाहिये अपने लिये न्याय पाने के लिये
9 साल से रिलेशन शिप के नाम पर एक व्यक्ति ने मुझे ठगा हैं , उसने मुझसे शादी का वायदा किया था . उसका परिवार भी इस बात को जानता था . अभी मुझे एक कोमन दोस्त से पता चला हैं की उसकी शादी होगयी हैं . मै इंतज़ार कर रही थी की वो मुझ से शादी करेगा पर वो तो बात भी नहीं कर रहा
बहुत लोग इस प्रक्रिया से गुजरते हैं अपनी जिंदगी में , पर मुझे लगता हैं की रिलेशनशिप में ब्रेकअप भी आपसी रजामंदी से ही होना चाहिये .
मै नहीं जानती ऐसा कोई कानून हैं या नहीं जो इस प्रकार की धोखा धडी को रोक सकता हो , अगर नहीं हैं तो होना चाहिये .
शारीरिक चोट का इलाज हो जाता हैं पर इस प्रकार का भावनात्मक और मेंटल ट्रौमा बहुत तकलीफ देता हैं .
कुछ लोग रिलेशन शिप को एक खेल मात्र लेते हैं , एक दुसरे के साथ समय बिताया , सिनेमा देखा , और एका एक उनको समझ आया की उनका परिवार ये नहीं मानेगा .
ये सब कहीं रुकना चाहिये ,
क्या आप मेरी मद्दत कर सकती हैं इस मामले में . मे बहुत शुक्रगुजार रहूंगी
मीनू राना 


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मुझे ये ईमेल मिली थी . आप सब से बाँट रही हूँ ताकि आप लोग भी अपनी राय यहाँ दे सके . आप की बात ना केवल मीनू को अपितु उस जगह खडी / खड़े किसी युवती / युवक के काम आ सकती हैं 

क्या हैं कोई कानून ? या और आप क्या कहना चाहते हैं इस परिस्थिति में खड़े व्यक्ति को 

निसंकोच राय दे 

22 comments:

  1. यहाँ क़ानून लड़की के पक्ष में है। मुझे कानून की बारीकियों की जानकारी नहीं है। पर इस तरह की कुछ घटनाओं से वाकिफ हूँ।

    एक लड़का और लड़की लिव इन रिलेशनशिप में थे, इन्हीं डा. मीनू की तरह।
    चार साल के बाद दोनों में अनबन हो गयी। और लड़की ने लड़के के ऊपर बलात्कार का केस कर दिया।
    लड़के को जेल हो गयी। इस केस में बेल भी नहीं मिलती। काफी दिन वह जेल में रहा फिर लड़की से लड़के के माता--पिता ने समझौते किये। उसे ढेर सारे रुपये दिए। और लड़की ने केस विड्रा कर लिया।

    प्रीति जैन और मधुर भंडारकर का किस्सा भी अक्सर अखबार की सुर्खियाँ बना रहता है। अभी तक उस केस का फैसला आना बाकी है। मधुर भंडारकर प्रभावशाली व्यक्ति हैं, इसलिए उन्हें जेल नहीं हुई। उन्होंने पहले ही वकीलों से बात कर सारे इंतजाम कर लिए थे .
    (यह कमेन्ट भी स्पैम की भेंट न चढ़ जाए )

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  2. मेरे विचार से इस सम्बन्ध में कानून है. इस तरह की धोखाधड़ी चाहे मानसिक हो या शारीरिक हो या आर्थिक, एक अपराध है. किसी ने आपसे इस तरह का कोई वायदा किया और निभाया नहीं, तो वह धोखेबाज है. कानून के सम्बन्ध में दिनेश जी बता सकते हैं.
    वैसे मैं आपको बता दूँ कि मेरे आसपास इस तरह के कई केसेज़ हैं, जब कुछ दिन लिव इन में रहने के बाद या प्रेम-समबन्ध (शारीरिक सम्बन्ध के साथ) के बाद लड़का या लड़की ने दूसरे को बिना बताए शादी कर ली. यहाँ सिविल की तैयारी करने वाले अक्सर ऐसा करते हैं. दो लोग तैयारी के दौरान साथ रह रहे होते हैं. जब लड़का या लड़की का चयन किसी अच्छे पद पर हो जाता है, तो वह दूसरे को छोड़कर माँ-बाप की इच्छा के अनुसार शादी कर लेता है (लड़की अपने पद के बराबर पति की चाह में और लड़के इसके साथ दहेज के लालच में)
    (यहाँ ये ध्यातव्य है कि 'लिव इन' में रहने वाले पचास प्रतिशत मामले में ऐसा होता है, लेकिन पचास प्रतिशत मामले में वे शादी कर लेते हैं. इसलिए हम 'लिव इन' को दोष नहीं दे सकते)
    इस मामले में मेरी सलाह ये है कि इस तरह के सम्बन्धों में जाने के लिए आपको मानसिक रूप से बहुत सशक्त होना चाहिए क्योंकि इसमें सम्बन्धों को सुरक्षित रखने के लिए न कानूनी मान्यता होती है ना सामाजिक दबाव. एक मात्र प्रेम और विश्वास ही इस सम्बन्ध का आधार है. इसमें कमी आयी कि सम्बन्ध टूटा. आपको इतना मजबूत होना चाहिए कि अगला छोड़कर जाय, तो आप खुद को संभाल सकें. क्योंकि आप दोष सिद्ध नहीं कर सकते. सामने वाला कह देगा कि उसने कोई वादा किया ही नहीं था.
    खैर, जब इस मामले में ऐसा हो ही चुका है, तो कानून की शरण लेनी चाहिए, लेकिन इससे होगा क्या? लड़के की शादी तो हो चुकी है. दिनेश जी से पूछा जा सकता है कि इस तरह के मामले में कानून कितनी मदद कर सकता है.

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    Replies
    1. मुक्ति जी के आप के पुरे कमेन्ट से सहमत हूँ , बेहतर साथी के मिलते ही पहले को छोड़ देना ,और इन संबंधो को लेकर समझदारी न दिखाना और नादानी में ऐसे सम्बन्ध किसी के साथ भी बना लेना , आम सी बात हो गई है ।

      Delete
  3. .
    .
    .
    Dear Meenu,

    I am sorry to say but this was an error of judgement on your part, which continued for nine long years.

    In any case... love-deception, commitment-betrayal, expectations-disappointments, relationship-breakup... all these are part of this wonderful game called life.

    Get up and get on with your life, time will take care of the rest.


    ...

    ReplyDelete
  4. कानून तो है और ऐसे मामलों में सजाएँ भी होती रहती हैं ।ये शायद यौन शोषण का मामला बनेगा।पर आपके केस में लडके की शादी हो चुकी है मतलब आपने काफी देर कर दी अब कानूनी कार्रवाई में शायद मुश्किल आए ।आपको किसी अच्छे वकील से ही सलाह लेनी चाहिए।

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  5. Dear Naari Blog Reader
    There is no law as of now but you if have any proof to prove that he used you physically and cheated you after promising marriage you can surely file a case of sexual harassment against him and claim monetary compensation etc . A lawyer can give you better options

    But if want a reconciliation with him , its not possible , there is no law which can ask him to leave his wife and come to u

    I also want to tell you he is not even worth talking about lest getting back to him
    You are doctor , please take charge of your emotions and please move ahead with life and dont look back to him
    People commit mistakes in judgement and this was yours


    Regds
    Rachna


    I had posted this reply to this young lady

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  6. इस केस में मीनू जी, कानून की मदद ज़रूर ले सकतीं हैं अगर वो अपने पार्टनर के साथ लगातार रहीं हैं, हमारे यहाँ यह अवधि 3 साल की है। किसी भी वकील से वो इस अवधि का पता लगायें और उसपर दावा करें।

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  7. Live-In Relationship

    India a country of cultural values and rituals, ceremonies cannot afford to plunge into western society. But since growing economy and people getting more and more aware, India finally has to step ahead and walk with the rest of the world by legalizing Live-in relationship. Yeah it sounds absurd that country like India would allow its citizens to do that, but its fact the state cabinet gave its green signal to amend Section 125 of Criminal Procedure Code which seeks to protect the pecuniary interests of the other women. However, it would need the centre’s stamp of approval to become a law.

    The definition of the word wife would have to be change which is under section 125. The amendment done would be like a woman who believes in Live-in relationship or wants to have a polygamous relationship is legal. The state has proposed a reasonably long period for that woman to stay with the mate, but has not defined duration of that period specially

    In a country like India this is one of the odd steps taken, but still its better one.

    Meaning of Live-in Relationship:
    The legal definition of live in relationship is “an arrangement of living under which the couples which are unmarried live together to conduct a long-going relationship similarly as in marriage.”

    Live-in relationship is one such connection in which a boy and girl have some relation before their marriage and if they are satisfied with their partner they get married or be like that for years. This kind of act though seems different; it is one, which is being implemented today. Live-in relationship handles matter of premarital sex, but those couples who are maintaining relations don’t mind such things. Overall, this relation builds up harmony between the couples, but spoils their social influence.

    Live in relation i.e. Cohabitation is an arrangement whereby two people decide to live together on a long term or permanent basis in an emotionally and/or sexually intimate relationship. The term is most frequently applied to couples who are not married.

    Cont...

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  8. Difference between Live-in Relationship and Marriage:
    A marriage is governed by a separate set of laws in all countries which safeguards the interests of both parties who enter into the union. Live-in relationships on the other hand have received due recognition in a few countries such as France and Philippines. In India, presently there is no law defining the maxims of a live-in relationship. The Supreme Court however, has observed in a current ruling that a woman who has lived in a live-in relationship for a long period of time should enjoy the same rights that a married woman is entitled to.

    Live-in relationships do guarantee immense financial freedom for both parties involved. In a marriage however, it is generally accepted that the married couple share their earnings and enter into joint financial venture. However, these rules are not carved in stone. In today’s day and age even married couples tend to keep their financial matters separate and many live-in couples decide to share their individual earnings.

    Despite the fact that there are scores of couples who are opting for live-in relationships, the society still attaches a taboo to such relationships. The majority looks at live-in relationship as a dilution of morals and more importantly tradition. Marriage on the other is still venerated by most despite the alarming rise in the number of divorces and problems in relationship. Therefore, the primary difference between live-in relationships and marriage is that marriage has received the societal stamp of approval and live-in relationships are yet to do so.

    Cont..

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  9. Live-in Relationship: Indian Scenario:
    On 23.03.2010 the Hon’ble SC in Khushboos case opined that a man and woman living together without marriage cannot be construed as an offence. “When two adult people want to live together what is the offence. Does it amount to an offence? Living together is not an offence. It cannot be an offence,” a three judge bench of Chief Justice K G Balakrishnan, Deepak Verma and B S Chuhan observed. The court said even Lord Krishna and Radha lived together according to mythology.

    Live in relations suffered a setback with the bar imposed by the Supreme Court in its recent judgment delivered on 17th May 2010 in a Family dispute in the matter of Bhaasthamata v R Vijeya Renganathan. The Supreme Court held that a child born out of a live-in relationship was not entitled to claim inheritance in Hindu ancestral coparcenary property. The dictum of the division bench comprising Dr B S Chavuhan and Swatanter Kumar, JJ appears to be a general law but its root of jurisdiction lie in the facts peculiar to this case. This ruling may not be accepted as a general law at all. It is only justified in this particular matter, but if applied to all live-in relations raising a presumption of marital bond; it would definitely result in gross miscarriage of justice. In S.P.S. Balasubramanyam v Suruttayan Andalli Padayachi & Ors. The Supreme Court allowed presumption of marriage u/s 114 of Evidence Act out of live-in relations and presumed that their children were legitimate. Hence, they are rightfully entitled to receive a share in ancestral property. In the instance case, Mariammal claim her brothe Muthu Reddiars property who died unmarried and intestate. Rengammal lived-in with Muthu and had children from that bond. After his death, she claimed inheritance. Earlier Rengammal had married Alagarasami Reddiars (who was alive) but they didn’t live together because of undissolved marriage between them. The trial Court did not accept her live-in claim. Her first appeal was dismissed. Subsequently, the Madras High Court held the judgment in favour of live-in partner.

    Cont...

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  10. In the cases prior to independence like A Dinohamy v Blahamy the Privy Council laid down a broad rule postulating that, where a man and a woman are proved to have lived together as a man and wife, the law will presume, unless the contrary be clearly proved, that they were living together in consequence of a valid marriage and not in a state of concubinage. After independence the first case that can be reviewed is Badri Prasad v Dy. Director of Consolidation wherein the Supreme Court recognized live-in relationship as valid marriage, putting a stop to questions raised by authorities on the 50 years of life in relationship of a couple.

    In Payal Katara v. Superintendent Nari Niketan Kandri Vihar Agra and Others the Allahabad High Court ruled out that “a lady of about 21 years of age being a major, has right to go anywhere and that anyone –man and woman even without getting married can live together if they wish”.

    In Patel and others case the apex court observed that live- in –relation between two adult without formal marriage cnnot be construed as an offence.

    In Radhika v. State of M.P. the SC observed that a man and woman are involved in live in relationship for a long period, they will treat as a married couple and their child would be called legitimate.

    In Abhijit Bhikaseth Auti v.State Of Maharashtra and Others on 16.09.2009, the SC also observed that it is not necessary for woman to strictly establish the marriage to claim maintenance under sec. 125 of Cr.P.C..A woman living in relationship may also claim maintenance under Sec.125 CrPC.

    The Maharashtra Government in oct. 2008 approved a proposal suggesting a woman involved in such a relationship for a ‘reasonable period’ should get status of a wife.

    The Malimath committee had also suggested that the word ‘wife ‘under Cr.P.C. be amended to include a ‘woman living with the man like his wife’ which means the woman would also be entitled to alimony.

    In Lata Singh v State of UP & Anr. The Apex Court held that live-in relationship was permissible only between unmarried major persons of heterogeneous sex. If a spouse is married, the man could be guilty of adultery punishable under section 497 of the IPC. The same was relied on in S. Kushboo v Kanniammal & Anr. With the husband surviving, Rangammal cannot invoke presumption of live-in. thus the children became illegitimate and disqualified to inherit u/s 16 of the Hindu Marriage Act, 1955. This judgment is not prohibitive law for live-in kids. So, live-in could be ‘a dangerous thing’ between a wife and non-husband as it could lead to the crime of adultery, but never to ‘marriage’.

    Cont..

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  11. Rights of Children Born out of Live-in Relation:
    Although Supreme Court of India has granted the legal status to Live-in Relationship,but what happens if one partner decides to walk out. Could the other partner be left homeless? Will the children born into live-in relationship be recognized by the law? Will it empower women with the Right to Inheritance, Right to maintenance, and Right to demand Alimony? Will the law give the same standing status to live-in relationship as that of Marriage? Answers to these questions are changing on a regular basis. Recently Supreme Court of India laid down that, child born out of live-in relationship possess a right to inherent the properties left behind by one of the partners. Bench of Justice P Sathasivam and B S Chauhan said that “if a man as well as a lady are living under the same roof and living together for quite a few years, there will be presumption under Section 114 of the Evidence Act that they live as husband and wife and the children born to them will not be illegitimate”. Delhi High Court case (Arvind Yada Vs Renu Sharma, dated 19 January, 2011) wherein a 18 years old unmarried girl chose a path for herself to live with a married man. The court protected their live-in relationship but alerted them that they will not be entitled to claim Maintenance and Alimony in case one of them later walks out of this wedlock. It is so because they do not qualify condition No. 3 of live-in relationship. They both must be unmarried.

    Even in UK also child born out of such relationship has right to maintain himself/herself. At the end of a relationship, both partners will be responsible for supporting children financially, regardless of which one of you the children live with. The court can make order about who the children should live with. The order will usually allow contact between the child and the parent with whom the child is not living unless there are exceptional circumstances. In Canada there is no difference in law in the status of a child born to someone who is legally married, to a single mother, to a person in a common-law relationship, or to a couple in a same-sex relationship or an opposite-sex relationship. A child born outside marriage is treated in the same way as a child born inside marriage.

    Cont...

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  12. Conclusion:
    It’s better to have a live-in relationship rather than having a divorced life.This is common and quite rational line favoring live-in relations in the world. It should not be denied that our culture does need a legislature to regulate relationships which are likely to grow in number with changes in the ideology of people. The right time has come that efforts should be made to enact a law having clear provisions with regard to the time span required to give status to the relationship, registration and rights of parties and children born out of it. Laws should be made by the parliament, which should keep a check on the practice of evading bondages.

    Article taken from :
    http://legalservices.co.in/blogs/entry/Live-In-Relationship

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  13. इस केस में मीनू जी कानून की मदद ज़रूर ले सकतीं हैं अगर वो अपने पार्टनर के साथ लगातार रहीं हैं। हमारे यहाँ यह अवधि 3 साल की है। किसी भी वकील से वो इस अवधि का पता लगायें और उसपर दावा करें। 9 साल बहुत लम्बा समय है, और आपको आपका अधिकार मिल सकता है, चाहे वो पत्नी का दर्ज़ा हो (मुझे नहीं लगता ऐसे घटिया इंसान की पत्नी कोई भी कहलानी चाहेगी) या फिर पैसे का नुक्सान उसको करवा सकतीं हैं, नहीं तो कोर्ट के चक्कर तो लगवा ही सकतीं हैं, जिसमें उसको जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। हिम्मत से काम लें मीनू जी, आपने एक गलत निर्णय लिया, लेकिन आपने ये निर्णय अकेले नहीं लिया था, सज़ा अगर भुगतनी है तो आपका पार्टनर भी भुगते आप अकेली क्यों ?? जल्दी से कोई अच्छा सा वकील ढूँढिये और बिना झिझक केस ठोक दीजिये।

    आप डॉक्टर हैं, जाने कितनों को ठीक करतीं हैं, इस बन्दे को भी ठीक कीजिये। हमारी दुआएं आपके साथ हैं।

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  14. Woman duped into marrying an already married man entitled to maintenance :

    [Narinder Pal Kaur Chawla vs. M S Chawla (2008)]

    In a recent case decided by the Delhi High Court, it was held that where a couple had lived like a married couple for 14 years and where the man had concealed the fact that he was already married, and further that where the woman had taken the responsibility of running the household as a housewife, treated the man as her husband and had borne and bred two of his children, the woman should not be deprived of her right to maintenance under the personal law applicable to Hindus. The Court further said that denial of maintenance under such circumstances would amount to putting a premium on or rewarding the man for defrauding the woman by concealing his first marriage. It was further recorded that for the purpose of granting maintenance under the personal law, a woman placed in the position of second wife can be treated as a legally wedded wives and is entitled to maintenance.

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  15. VERY IMPORTANT :

    Police, view failed live-in relationships as cases of cheating as well as rape. Cheating, because they consider a live-in relationship as a potential marriage. "In case of failed live-in relationships, we straightaway file a case of cheating under section 420 of IPC. We invoke section 376 of IPC for rape if the man deserts the woman in a live-in relationship,"

    Very informative article :
    http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-12-25/bangalore/35998329_1_live-in-relationships-ajay-priya

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  16. मीनू जी

    ९ साल तक किसी के साथ सम्बन्ध में रही उसके बाद भी उसने आप से शादी नहीं की , आप को नहीं लगता की ९ साल कुछ ज्यादा ही लम्बा समय हो गया , ये समझने के लिए की वो आप के साथ विवाह करने में कोई रूचि नहीं रखता है । यदि वो आप को ले कर गंभीर होता तो ४-५ साल बहुत होते है विवाह कर लेने के लिए , आप डाक्टर है तो आप की पढाई भी इतनी लम्बी नहीं चली होगी जिसके लिए आप दोनों ने इंतजार किया , दिल का दर्द कानून से नहीं जायेगा , उससे आप सिर्फ बदला भर ले सकती है , और याद रखिये बदले से दिल का सकूँ नहीं मिलता है बल्कि और गुस्सा ही आता है । यदि दिल का चैन चाहिए तो उसे भूल जाइये, उसकी शादी हो चुकी है , जीवन में आगे बढिये , बहुत से लोग आप को मिलेंगे जो आप को लेकर गंभीर होंगे और उससे ज्यादा आप के योग्य और आप को प्यार करने वाले , उसे एक गलत फैसला मान कर भूल जाना ही ठीक है । रही बात कानून की तो मैंने सुना है की कोई कानून तो ऐसा नहीं था किन्तु सुप्रीम कोर्ट ने शायद एक केस में निर्णय दिया था , जिसमे लड़की ने बाकायदा लिखित सबूत दिए थे जिसमे लडके ने उससे विवाह का वादा किया था और फिर मुकर गया था , दोनों लिव इन रिलेशन में थे , कोर्ट ने उसके केस को सही पाया और उसके पक्ष में फैसला दिया था , मेरे ख्याल से उसके बाद से ही उस केस को नजीर बना कर कई केस हुए थे ।

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  17. Fully agree with Anshumala. Meenu, you were just hanging on to this so called relationship just because you thought you were living with this person and you had no other option than to marry him. When relationships start failing us we know but we keep trying to justify their failure. It is hurting but it is not the end of the world. You'll come out stronger and wiser but just don't let this bitterness engulf you.

    http://girlsguidetosurvival.wordpress.com/2010/07/13/desi-dilemma-to-get-laid-or-not-to-get-laid/

    Peace,
    Desi Girl

    ReplyDelete
  18. मीनू जी स्वपन मञ्जूषा ने आपको सब क़ानूनी रस्ते बता दिए हैं ,अगर आप क़ानूनी रास्ता लेना चाहें तो ,एक तरफ तो ऐसे लोगों को सजा देने का मन करता है पर आप यह भी ध्यान में रखें कि उसे सजा देते हुए कहीं आप अपनी दूसरी बहिन को सजा तो नहीं दे रही जिसने उसके साथ विवाह किया है ,इसलिए आप सक्षम हैं तो आपको ऐसे पुरुष को भूल आगे बढ़ जाना चाहिए जैसे कि अंशुमाला ने कहा ,हो सकता है उसे ही कोई मज़बूरी आ पढ़ी हो ,फिर भी भगवान् ने अवश्य ही आपके लिए कुछ अच्छा सोचा होगा जो आपको इधर कामयाबी नहीं मिली जैसा कि पता चला आपके किसी दोस्त ने बताया यह सब क्या आपने पता किया वाकई उसकी शादी हो गई है ,यह सब भूलने में समय लगेगा पर आप को जीना है तो अछे से जी लीजिये घुट घुट कर नहीं

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  19. Why this woman needs marriage? Trading her freedom for a male. If he left, move on and find someone else, simple. Or focus on yourself and your career. See dear, marriage has no meaning now. you can get all the physical satisfaction and companionship from temporary/ nsa relations. Less modern women want child now, but if you insist you may always opt for single motherhood. Rest is up to you. RabbRakha.

    Marriage is already an irrelevant institution. Earlier, among various things, it was meant to give structure to society, it was a tool to regulate sexual promiscuity and sex related crimes, keeping youth sexually contented. All over history, barring last some decades, most youth got married as soon as they gain sexual maturity. Obsolete.

    Now it retains mostly one role, forming a two person team, to bring up new generation -- full-stop.

    Now when population is such a big problem, and sex is no taboo, society and administration must discourage marriage. Women will mainly benefit from commitment free society, freedom over their bodies, freedom from traditional gander role, all the time for career, self improvement and oneself.

    It will help economy also, regions with highest number of bachelors consistently register negative population growth rate (Japan, Germany, North Europe). And when youth will have no family to provide for and to spend time with, they will single-minded focus on their work and mission.

    Agreed, in a marriage-less society loneliness will be a big problem, but this is also good. In one way, lonely people consume more and save less, thereby pumping more money into economy, in other, they will form temporary relationships for companionship, off course child-free, no-strings-attached and can be abandoned any time. This will solve many social problems. So, seriously although society is very slow to change, time is ripe to start discourage marriages. We must fallow developed nations -- we will have to do that or we are doomed society.

    Single people are most dedicated, austere and honest(viz. Modi, Kalam, Vajpayee and Mamta).

    ReplyDelete
    Replies
    1. Tell dear, many girls willingly left their partner to marry sm1 else. Should law prosecute such girls? As you are demanding law against 'breach of promise'for men. There must be equality no? And no it wasn't rape, but consensual. So it'll be unethical to slap rape charge. And you agreed to whatever willingly without getting into marriage, so you are equally responsible.

      Delete

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