कभी कभी सोचती हूँ
क्या मतलब हैं बराबरी का , महिला दिवस का , समानता का , सशक्तिकरण का ??
international woman's day क्यूँ मानना जरुरी हैं
इस लिये नहीं की एक दिन महिला की उपलब्धियों को याद करना हैं बल्कि इस इस लिये की इस दिन हर महिला एक मकसद को याद करे
उसके अधिकार बराबर हैं इस समाज में ,
वो दोयम नहीं हैं ,
उसको किसी के सहारे की जरुरत नहीं ,
वो इस समाज में उतनी ही सुरक्षित हैं जितना क़ोई और
अंतरराष्ट्रिये महिला दिवस याद दिलाता हैं एक मकसद की , एक लड़ाई की , लड़ाई अपने को सशक्त करने की , अपने को बराबर समझने की और पुरजोर तरीके से दूसरो को इस बात को समझाने की । अपने से अशक्त महिला के साथ खड़े होने की और अपने को एक "मानक " की तरह स्थापित करने की ताकि दूसरी महिला आपको देख कर आप से प्रेरणा ले सके , आप से शक्ति पा सके ।
मधुरानी तेवतिया एक आ ई अस हैं और उनके पति नरेन्द्र सिंह एक आ ई पी अस । नरेन्द्र सिंह का मर्डर ड्यूटी पर हुआ उनको खनन माफिया ने अपने खिलाफ काम करने की सजा दी और मार दिया । महज ३० साल के थे नरेन्द्र कुमार ।
मधुरानी तेवतिया , नरेन्द्र कुमार की पत्नी हैं और २२ मार्च को उनकी डिलीवरी की तारीख तय हैं , पहली डिलीवरी । महज २ साल हुए हैं उनकी शादी को ।
१ वो उतनी ही पढ़ी लिखी हैं जितने उनके पति
२ उन्होने अपने पति के डाह संस्कार खुद किये और अपने ससुर और अन्य घरवालो के साथ अपने पति को मुखाग्नि भी दी ।
एक आम महिला हैं वो भी , लेकिन ये हैं वो जीवटता जो उनको बराबर बनाती हैं । ९ मार्च को अपने पति को मुखाग्नि देना जबकि २२ मार्च को पहली जचगी होनी हैं , क्या आसान हैं ?? ये हैं वो मिसाल जो बताती हैं समानता क्या हैं , सशक्त होना क्या हैं ।
महिला दिवस पर अपने पति को खोने वाली महिला हैं मधुरानी तेवतिया पर मेरे मन में कहीं भी उनके लिये टी वी पर सारे समाचार देख कर "बेचारी " का भाव नहीं उभरा । जब उन्होने मुखाग्नि दी तो मन यही किया की उठ कर इनको सलूट करूँ क्युकी ये वो मिसाल हैं जिनको हम नारी ब्लॉग पर " THE INDIAN WOMAN HAS ARRIVED " का खिताब देते हैं और कहते हैं "उसने घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित की " ।
पति की मृत्यु का दुःख , महज विधवा होने का दुःख नहीं होता हैं , वो दुःख होता हैं अपने जीवन साथी को खोने का दुःख और अंतिम विदाई देने के लिये पत्नी का उसको मुखाग्नि देना एक परम्परा की तरह स्थापित होनी चाहिये । और मधुरानी ने ये किया ।
अगर पति अपनी पत्नी को मुखाग्नि देता हैं तो पत्नी क्यूँ नहीं दे सकती । समानता और सशक्तिकर्ण की पहली सीढ़ी हैं ये ।
ईश्वर नरेन्द्र सिंह की आत्मा को शांति दे और मधु तेवतिया के प्रसव में उनकी सहायता करे ताकि उनका पहला बच्चा सकुशल इस दुनिया में आ सके और अपनी बहादुर माँ से सीख सके जीवन को जीने का तरीका ।
I SALUTE I.A.S MADHURANI TEWATIA WIFE OF SLAIN I.P.S NARENDRA SINGH
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I salute her too.
ReplyDeleteऐसी महिलाएं ही समाज को दिशा देती हैं.... गर्व होता है उन पर समाज को।
ReplyDeleteआईपीएस अफसर की मौत एक दुखद घटना है पर उनकी पत्नी ने जो किया, वह नारी शक्ति को साबित करता है।
श्रध्दासुमन शहीद आईपीएस को और उनकी पत्नी को नमन......
"एक आई.पी.एस का हुआ सरेआम क़त्ल
ReplyDeleteक्या सरकार जागेगी निकलेगा कोई हल"
ऐसी जीवट नारी को मेरा सलाम
सजल श्रद्धांजलि. मधुरानी जी को नमन और इस कठिनतम घडी में हमारी प्रार्थना और संवेदनाय उनके साथ हैं. आने वाले शिशु के उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल जीवन की कामनाएँ
ReplyDeleteस्त्री द्वारा पति या पिता को मुखाग्नि देना अब आश्चर्य नहीं रह गया है। यह होने लगा है। दो-तीन अवसरों पर मैं कोटा में स्वयं देख चुका हूँ। नाटककार शिवराम की मृत्यु पर उन्हें मुखाग्नि देने वालों में उन के पुत्रों के साथ एक पौत्री भी सम्मिलित थी। इस परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए। स्त्रियों को हर वह कार्य करने की परंपरा विकसित करनी चाहिए जो उन के लिए केवल इस लिए निषद्ध किए गए हैं कि वे दोयम नंबर की नागरिक बनी रहें।
ReplyDeleteभयंकर अवसाद पर नियंत्रण पाने का जीवट भरा साहस!! स्तुत्य गुण-धर्म !!
ReplyDeleteऐसी विवेकशील सबल और साहसी महिलाएँ हीं नारी सशक्तिकरण का आदर्श बन सकती है।
great example of courage....salute to her
ReplyDeleteI support this situation .... god bless you .
ReplyDeleteनिश्चित ही वे एक जीवट वाली महिला है.
ReplyDeleteशहीद आफिसर को श्रद्धांजली,मधुरानी जी को नमन तथा उनके आनेवाले शिशु के उज्जवल भविश्य की कामना करती हू.
ReplyDeleteअब इन महिला ने तो अपना फ़र्ज निभाया है देखते है कि महिला संगठन व सरकार इनका कितना साथ निभायेंगे?
ReplyDeleteबिल्कुल यही एहसास मुझे भी इस खबर को देखने के बाद हुई की नरेंद्र कुमार की पत्नी कही से भी बेचारी का एहसास नहीं दे रही थी वो आहत थी दुखी थी किन्तु जिस तरह उनकी पति की हत्या की गई और उन पर भी गलत दबाव डाले जाने की खबर आ रही थी वो कही से भी उससे डरी हुई भी नहीं दिख रही थी बल्कि मुझे लगता है की वो अपने पति की हत्या करवाले वालो को सजा भी दिलाएंगी जो अभी तक पर्दे के पीछे है | ऐसी महिलाए आगे पढ़ने का प्रयास कर रही हर नारी की प्रेरणा श्रोत होंगी | प्रार्थन करती हूं की जो भावनात्मक नुकशान उन्हें अपने जीवनसाथी को खो कर हुआ है उन्हें उसे भी सहने की शक्ति मिले और सकुशल शिशु के जन्म दे अपनी संतान को भी उतना ही सशक्त बनाये |
ReplyDeleteI SALUTE I.A.S MADHURANI TEWATIA WIFE OF SLAIN I.P.S NARENDRA SINGH
ReplyDeleteविधुर की तुलना में,पति के गुजरने पर पत्नी का जीवन बहुत भिन्न होता है। औरत नौकरीशुदा न भी हो,जीवन के चाहे सारे स्वप्न बिखर गए हों उसके,फिर भी,वह अपने भीतर एक घर संवारे रहती है। पति ही उस घर की नींव होता है और छत भी। इसलिए,पति का विछोह एक पत्नी के लिए जीवन-साथी से बिछड़ने से कहीं अधिक होता है। आशा की किरण कुछ है तो बस यही कि जब एक जा रहा है,ठीक उसी समय जीवन में दूसरे का प्रवेश होने को है।
ReplyDeleteआपकी सोच बहुत पुरानी व्यवस्था से जुड़ी हैं जहां पति से पत्नी का अस्तित्व बंधा हैं और पति के जाते ही पत्नी का सब कुछ ख़तम माना जाता था . विधवा होना एक अभिशाप माना जाता था और विधवा का जीवन नरक से भी बदतर था
Deleteपति और पत्नी जीवन साथी हैं और एक दुसरे के पूरक हैं इसलिये विधवा और विधुर के भावी जीवन की समस्या एक सी होनी चाहिये .
एक सशक्त नारी का पति केवल और छत और छाया नहीं हैं वो उसका जीवन साथी हैं .
i always salute this type of courage vo hai jhashi ki rani i proud of u my sister....
ReplyDeletei m mohit teotia and i salute my sister ....god give her courage....
ReplyDeleteशहीद आईपीएस को श्रध्दासुमन और उनकी पत्नी को मेरा नमन......
ReplyDeletei would like to noe how is she....
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