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आज राम लला की मोहक छवि की बात कर लेते हैं
१ अवधेसके द्वारें सकारें गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे।
अवलोकि हौं सोच बिमोचनको ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से॥
तुलसी मन-रंजन रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक-से।
सजनी ससिमें समसील उभै नवनील सरोरुह-से बिकसे॥
पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ।
नवनील कलेवर पीत झँगा झलकै पुलकैं नृपु गोद लिएँ॥
अरबिंदु सो आननु रूप मरंदु अनंदित लोचन-बृंग पिएँ।
मनमो न बस्यो अस बालकु जौं तुलसी जगमें फलु कौन जिएँ॥
२ तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंचकी मंजुलताई हरैं।
अति सुंदर सोहत धूरि भरे छबि भूरि अनंगकी दूरि धरैं॥
दमकैं दँतियाँ दुति दामिनि-ज्यौं किलकैं कल बाल-बिनोद करैं।
अवधेसके बालक चारि सदा तुलसी-मन-मंदिरमें बिहरैं॥
कबहूँ ससि मागत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि डरैं।
कबहूँ करताल बजाइकै नाचत मातु सबै मन मोद भरैं॥
कबहूँ रिसिआइ कहैं हठिकै पुनि लेत सोई जेहि लागि अरैं।
अवधेसके बालक चारि सदा तुलसी-मन-मंदिरमें बिहरैं॥
३ बर दंत की पंगति कंदकली अधराधर-पल्लव खोलनकी।
चपला चमकैं घन बीच जगैं छबि मोतिन माल अमोलनकी॥
घुँघुरारि लटैं लटकैं मुख ऊपर कुंडल लोल कपोलनकी।
नेवछावरि प्रान करै तुलसी बलि जाउँ लला इन बोलनकी॥
बधाई हो राम नवमी की..
ReplyDeleteसभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको भी राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteभये प्रगट कृपाला दीनदयाला ,कौसल्या हितकारी |
ReplyDeleteहर्षित महतारी मुनि मन `हारी अद्भुत रूप बिचारी ||
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी |
भूषण बनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ||
ढुमक चलत रामचन्द्र ,बाजत पैजनियाँ .........
जय जय सियाराम |
सभी को रामनवमी की बहुत बहुत बधाई... राम लला हो या बाल गोपाल.. यह रूप तो मन को मोह लेता है.
ReplyDeleteसभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteजय सियाराम |
ReplyDeleteबधाई हो राम नवमी की|
रामनवमी की बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteरमणीय ...
ReplyDeleteबर दंत की पंगति कंदकली नहीं, कुंद कली -कुंद फूल है जो शुभ्र और दंतपंक्ति सा दीखता है -सुधार लीजिये ..रसभंग हुआ जा रहा है !
रामनवमी के पावन पर्व की आप को हार्दिक शुभकामनायें ..
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
बहुत खूब सुन्दर पोस्ट के लिए
ReplyDeleteबधाई ......