इस पूरे सप्ताह हम नारी ब्लॉग पर *अलका मधुसूदन पटेल* जी के आलेखों को पोस्ट करेगे । अलका जी से मेरा परिचय नारी ब्लॉग की वजह से हुआ हैं । अभी मिलने का सौभाग्य नहीं मिला हैं पर उनको पढ़ा हैं और पढ़ कर लगा की एक पूरी सीरीज़ उनसे लिखवाई जाये । विषय वही घिसा पिटा "नारी " । कभी कभी लगता हैं हम कितना भी इस घिसे पीटे विषय पर लिख ले हमेशा नवीनता रहती हैं क्युकी दशको से नारी की पीड़ा वही हैं बस कलम बदलती जा रही हैं ।
अलका मधुसुधन जी का जीवन परिचय दे रही हूँ और आप सब से अनुरोध हैं कि उनको पढे और मुझे ये अवश्य बताये की नारी ब्लॉग पर आप को ये प्रयास कैसा लगा । दूसरे साल मे पहुच गया हैं ये ब्लॉग सो कुछ नया करने का प्रयास हैं । ब्लॉगर इस पर अपनी सीरीज़ डलवाना चाहे वो मुझसे संपर्क कर सकते हैं विषय वही पुरना घिसा पिटा यानी "नारी " ।
सारांश----साहित्यिक जीवन परिचय
स्वतंत्र लेखन - सामाजिक सेवा - अध्यापन ,पूर्व शिक्षिका - कोचिंग इंस्टिट्यूट .
जन्म स्थान - सागर , वर्तमान निवास आगरा.
पति डॉ.एम.एस.पटेल ,राजकीय स्वास्थ्य सेवा उ.प्र. (इन्फोसिस में कार्यरत इंजिनियर पुत्र U.S.A.में )
शिक्षा-स्कूलिंग- नेपानगर , स्नातकोत्तर "एम.एस सी. जीव शास्त्र" जबलपुर
लेखकीय परिचय-1 संपादन मासिकपत्रिका *पारमिता* - 2 *आर्टक्लब*संस्थापिका,साहित्य व विशेष विधा, झाँसी.
नियमित लेखन - हिंदी व अंग्रेजी में .
प्रकाशन प्रादेशिक, राष्ट्रीय स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं व अंतर्जाल पत्रिकाओं में..
लगभग १५० कहानी ,लेख ,गीत ,परिचर्चा प्रकाशित-प्रकाशनाधीन.
नियमित आकाशवाणी प्रसारण २५-३० झाँसी, छतरपुर - सी केबल टी. वी. ९-१० आगरा.
प्रकाशित पुस्तकें- कहानी संग्रहों की.
१.*लौट आओ तुम*-------२१ कथा संग्रह १९९८
२. *मंजिलें अभी और हैं* - १८ कथा संग्रह २००३
३. प्रकाशनाधीन-१. ईश्वर का तो वरदान है बेटी २. १००१ हस्त शिल्प कला
पुरस्कार--------लेखन - सामाजिक कार्यों
अखिल भारतीय लेखन - *कहानी प्रतियोगिता* दिल्ली प्रेस पत्रिका.
१.कहानी *बंद लिफाफों का रहस्य* पुरस्कृत २००१ में .प्रकाशन "गृह शोभा" फ़रवरी २००२ .
२.कहानी *दूध के दांत* पुरस्कृत २००३ में .प्रकाशन “सरिता” मई द्वितीय *२००४ .
पुरस्कृत - तत्कालीन राज्यपाल उ.प्र. महामहिम स्व. विष्णुकान्तजी शास्त्री द्वारा.
३. सरदार पटेल महिला कल्याण समिति-सामाजिक कार्यों ,नामांकन रोटरी क्लब द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर..
४. अन्य अनेकों संस्थाओं व स्थानीय प्रशासन-लेखन निबंध सामाजिक व लायंस क्लब्स पुरस्कार.
५.Police Services are Challenge for Public Expectations-
Awarded Essay in English by S.S.P.Office झाँसी
अलका जी ने अपनी सीरीज़ की प्रस्तावना मे लिखती हैं
*नई किरण की ओर*--------
नवीन सहस्त्राब्दी की दहलीज पर आधुनिक भारत ने अपने कदम बढा लिए है. .
संपूर्ण विश्व में हमारा देश एक अपूर्व शक्ति के साथ बढ़कर हर क्षेत्र में अपनी गौरवमयी उपलब्धियों पर गर्वान्वित है.. हमारे कर्त्तव्य-उत्तरदायित्व बढ़ गए हैं----तो हमारे देश की नारी-शक्ति क्यों पीछे रहे. जरूरत है उनको आगे लाने की,सहेजने की,मिलकर कदम बढ़ाने की,उनकी योग्यता परखकर उत्साहित करने की,उनका आत्मविश्वास बढ़ाने की. .हमें विश्वास है आपकी संवेदनशीलता पर ,मानवीय मूल्यों पर. .
स्त्री-मुक्ति-मानवमुक्ति के संघर्ष में हम-आप साथ चलें......*और एक नए समाज का निर्माण करें*.
शेष कल से अगले सात दिन तक
अच्छा प्रयास है यह। इस तरह एक नए व्यक्तित्व और उस के कृतित्व के बारे में भी जानने को मिलेगा और नारी ब्लाग को नवीनता भी प्राप्त होगी।
ReplyDeleteस्वागत योग्य प्रयास।
ReplyDeleterachna, yah prayas prashansanIya hai, naye logon aur hastaksharon se parichay aur unhen padhane ka mauka milana eka badi bat hai, aur kalam ke prahari adhik jaagruka hote hain. jaroori bhi hai, eka naye parivartan ke liye duniyan aankhen pasare dekh rahi hai.
ReplyDeleteयह बहुत ही रचनात्मक प्रयोग है। वैसे यदि आप अन्यथा न लें या फिर किसी विशेष सोच में न बँधीं हों तो इस प्रयोग के अन्तर्गत उन पुरुष रचनाकारों को, लेखकों को भी ले सकतीं हैं जो लगातार महिलाओं के हित में लिख रहे हैं।
ReplyDeleteवैसे इस कार्य के लिए शुभकामनायें।
रचना जी , स्वागत है नयी लेखिका का । कुछ नया अनुभव और विचार हमें मिलेगा ।
ReplyDeleteरचना ये तो एक बहुत अच्छी शुरुआत कर रही है आप ।
ReplyDeleteकुमारेन्द्र जी का सुझाव भी अच्छा है ।
अलका जी का स्वागत है ।
स्वागत है अलका जी का. आपके सार्थक प्रयास के लिए बधाई रचना जी
ReplyDeleteपूरे सप्ताह एक लेखक/साहित्यकार की रचनाओं से उस रचनाकार के विचारों की समग्र अभिव्यक्ति हो पायेगी, और किसी विषय/विचार पर सर्वांगीण चिन्तन भी हो सकेगा । धन्यवाद इस शुरुआत के लिए।
ReplyDeleteकिसी सामयिक व ज्वलंत विषय पर जब सभी सुधि पाठक- लेखक - विद्वजन चिंतन मनन करते हैं तो निष्कर्ष सार्थक निकलने की उम्मीद बढती है. एक ही विषय पर अलग - अलग बिंदु उठाये हैं. प्रतिदिन देखते रहिये. सभी बन्धु - बांधवियों को साधुवाद.
ReplyDeleteअलका मधुसूदन पटेल
अच्छा है लेकिन बायोडाटा पढ़कर भूल जाने वाली चीज है। लोगों के योगदान का उल्लेख इस तरह से करने का प्रयास हो कि लोग उससे प्रेरणा ग्रहण करें तो और बेहतर होगा!
ReplyDeleteअनूप जी किसी का भी बायोडाटा उसकी अपनी उपलब्धि हैं और उसको देना / पढ़ना अपने आप मै एक सकारातमक उर्जा उत्पन्न करता हैं । इस के अलावा बायोडाटा देने से पाठक को भी सुविधा होती हैं की वो जिसको पढ़ रहा हैं वो लेखक अपनी बात को कहने मे सक्षम हैं । वैसे अनूप जी मैने ब्लॉग पर तो ये भी देखा हैं की ब्लोगर अपने परिचय मे अपनी नौकरी , अपनी क्वालिफिकेशन और यहाँ तक की अपनी माँ , पिता और मामा का साहित्यिक परिचय देते हैं !!!!!!!!!!। हमारी कोशिश तो सिर्फ़ स्वः को ऊपर लाने की हैं
ReplyDeleteडॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी
नारी ब्लॉग का यूनिक पॉइंट यही हैं की हम नारी के ऊपर नारी से लिखवाते हैं । अपनी लड़ाई को खुद लडो , एक दूसरे के साथ रह कर एक दुसरे के लिये बोलो । और पुरूष मित्रो के साथ खुल कर विवाद/ संवाद करो , ताकि अपने मन की ग्रंथियों से सबसे पहले मुक्ति मिले और ये समझ आए की लड़ाई पुरूष से नहीं रुढिवादी सोच से हैं
आप कोई भी ब्लॉग बना ले साझा मै अवश्य जों करुगी
सभी कमेन्ट करने वालो को थैंक्स और आगे भी नेह बनाए रखे
An Illustrious Bio data...looking forward to reading her work....Welcome Alka ji
ReplyDeleteअच्छा है यह प्रयास
ReplyDeleteरचना जी,
ReplyDeleteउम्मीद है, नई कलम का असर नई ताजा हवा की तरह होगा। हालांकि " विषय वही घिसा-पिटा-- नारी" । बायोडेटा यह अंदाजा देता है कि पढ़ने वाला लिखे को किस तरह देखे। कोई बच्चा, किशोर लिखेगा तो एक बुजुर्ग (मैं) पढ़ेगा, कोई बुजुर्ग लिखेगा तो कोई बच्चा (मैं) पढ़ेगा। (किसी को दीवार फिल्म के डायलॉग से मिलता-जुलता या नकल लगे तो सही है, अनजाने ही यह प्रभावी नकल हो गई। :-))