आज बहुत ही अफ़सोस के साथ मे ये लिंक नारी ब्लॉग पर दे रही हूँ । हिंदी ब्लॉग जगत मे अब ब्लॉग का उपयोग किस लिये हो रहा हैं आप सब देखे । क्या कारण हैं किस भी लड़की का चित्र इस प्रकार से डालने का ? कितना गिरना अभी और शेष हैं ? जानती हूँ मेरे लिये फिर गालियों कि बौछार होगी लेकिन क्या कोई मेरे साथ विरोध मे भी खड़ा होगा और अपना विरोध खुले शब्दों मे व्यक्त करेगा । क्या अब हम अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता के नाम पर ब्लॉग जगत को एक बाज़ार बना देगे ??
इस के अलावा एक और ब्लॉग भी सविता भाभी टाइप जहां बहुत से ब्लॉगर के कमेन्ट में पढे हैं उसका लिंक नहीं दे रही हूँ पर आप सब से विनती करती हूँ कहीं कमेन्ट देने से पहले एक बार प्रोफाइल पर दिया हुआ ईमेल जरुर पढ़ ले
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
February 17, 2010
क्या अब हम अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता के नाम पर ब्लॉग जगत को एक बाज़ार बना देगे ??
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हम जो कर सकते हैं .....कर रहे हैं तथा करते रहेंगे ....हमारे प्रयास सफल भी हो रहे है ...........अब आजादी को कोई किस तरह से इस्तेमाल कर रहा है .......ये उसके विवेक पर छोड़ दे तो कैसा रहेगा
ReplyDeleteAAPKE DIYE LINK PAR GAYE AUR WAHAN DEKHA KI PHOTO PA RCLICK KARNE PAR LADKI KA NAAM BHI HAI AUR USKA PHN NUMBER BHI .............YE TO GALAT HAI AGAR PHOTO PAHCHCANNI HI HAI TO LADKI KA NAAM KYUN DIYA AUR SATH MEIN USKA PHONE NUMBER DENE KA TO KOI AUCHITYA HI NHI HAI KYUNKI WO US PAHELI SE SAMBANDHIT NHI HAI........ISSE TO GALAT SANDESH JA RAHA HAI.........GALTI KO JALDI HI SUDHARA JANA CHAHIYE KYUNKI KAAM HUM KOI BHI KAREIN MAGAR HAMARA SANDESH SAHI HONA CHAHIYE.
ReplyDeleteरचना जी,
ReplyDeleteमैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी औरत की फोटो लगाकर अपनी टी.आर.पी. बढ़वाना, किसी भी तरह उचित नहीं है. क्या इस चित्र को लगाने से पहले उक्त महिला से अनुमति ली गयी थी? क्या ये लोग टी.आर.पी. बढ़ाने के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं? मैं अपना विरोध यहाँ दर्ज कराती हूँ.
ये मोहतरमा कौन हैं तस्वीर वाली ..और मामला क्या है ?
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनैतिकता का आग्रह हर किसी से नहीं कहा जा सकता... न ही तर्क की राह हर किसी के द्वार तक जाती है। परंपरा से ही हमारे समाज में विदूषकों को अभय प्रदान किया जाता है अत: केवल खेद व्यक्त करें और इग्नोर करें
ReplyDeleteयह तो निश्चित ही है कि यह सब नाटक लोकप्रियता पाने के लिये है. नहीं तो नाम और फोन नम्बर के साथ फोटो देकर उस पर पहेली क्यों पूछी जाती?
ReplyDeleteMuktiji ki baat se main puri tarah sahmat hun. Dukh ka vishay hai ki aaj kyun hamari sanskrit ko daagdaar karte phir rahi hain kuch log.. shayad or raasta nahi bacha inke liye.....
ReplyDeleteHum aapke saatha hai.
आज अभी श्री अलबेला खत्रीजी का ब्लॉग देखा. एक महिला की फोटो+फ़ोन नंबर के साथ उनका परिचय पुछा व उस पर पुरस्कार.(वो भी गलत अंदाज़ में)
ReplyDeleteक्या एक महिला का निरादर करने का इस हद तक अधिकार किसी को भी है. चाहे वे परिचित हों या अपिरिचित.
स्वतंत्र देश की हर नारी शक्ति इस पोस्ट का विरोध करती हैं.
कृपया इस तरीके को आप(खत्रीजी) ही नहीं दूसरे लोग भी न फोलो करें तो बेहतर है.
दूसरों की नज़रों में हम बाद में जाते हैं पहले स्वयं अपना अवलोकन करें.
हास्य भी एक सीमा के अंदर ही अच्छा लगता है वरना ---------. आशा है समझदारी बनाये रखेंगे .(Thank You for Deleting the post)
अलका मधुसूदन पटेल
अगर यह लिन्क में स्पष्ट होता तो मैं वहां जाता ही नहीं। उस ब्लोग पर जाना मैं कब का छोड़ चुका, जब से इस (नारी) ब्लोग के विरुद्ध उन्हों ने एक कविता लिखी थी। बाक़ी मसीजीवी से सहमत हूँ -- कि केवल खेद व्यक्त करें और इग्नोर करें।
ReplyDeleteहमारे एक मित्र राज्य सरकार में काम करते हैं। वे अपने यहां की कार्य संस्कृति के बारे में बताते हैं कि वहां कहा जाता है--यहां पैसा तो बहुत है। बस नाली में पड़ा है और मुंह से उठाना है।
ReplyDeleteकुछ लोग अपने प्रचार के लिये यही तरीका अपनाते हैं। अलबेला जी की यह पोस्ट भी इसी का एक नमूना है।
तमाम लोग कहते हैं कि वे गुनी हैं, ज्ञानी हैं। :)
वे देश भर के मंच पर तालियां पाते हैं। इस सब मसले पर ऐसा तर्क पेश करेंगे कि सब बातें जस्टीफ़ाई कर देंगे। लेकिन मुझे फ़िर याद आयेगा- यहां पैसा तो बहुत है लेकिन नाली में पड़ा है और आपको मुंह से उठाना है।
विष वृक्ष को रोपने में आपका भी हाथ लगा है -अब वह फल देने लगा है
ReplyDeleteफिर अब क्यों पश्चाताप हो रहा है ?
अलबेला खत्री के लिए कुछ भी करना और कहना बड़ी बात नहीं है. पहले भी उनकी इन बातों के लिए बहुत लताड़ा जा चुका है लेकिन वह कहावत हैं न, "सौ सौ जूता खाय तमाशा घुस कर देखेंगे" . ऐसे गुनी और विद्वान् लोगों को समझने लायक हम लोग नहीं है . इस लिए उस ब्लॉग को सब लोग इग्नोर ही करें. वह तो चाहे जैसे भी हो "बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा" वाली प्रवृति के है सो चर्चा में आने के लिए कुछ न कुछ शगूफा छोड़ देते हैं.
ReplyDeleteवैसे उनका कृत्य निंदनीय है. मैं इसमें विरोध दर्ज करती हूँ.
@एक सवाल अरविन्द मिश्र जी से कौन सा विष वृक्ष रोपा है , अपने तो देखा ही होगा जरा हमको भी बता देन हम भी उसको देखना चाहते हैं. फिर इस विष फल का औचित्य समझजायेंगे.
वह एक टीवी कलाकार की तस्वीर थी. साथ में फोन नम्बर देख आश्चर्य हुआ तो मैने इस बाबत वहाँ टिप्पणी भी की थी. शायद उसे छापना जा जवाब देना उचीत नहीं समझा गया.
ReplyDeleteअभिव्यक्ति की आजादी है और सौ बार है मगर किसी के फोन नम्बर बिना पूछे सार्वजनिक कैसे किये जा सकते है. कोई खुद बाँटे वह अलग बात है.
खैर अपना अपना दिमाग है, अपनी अपनी सोच है. हम कौन होते हैं?
एक गलत कदम है यह चित्र छापना, खासकर फ़ोन नम्बर सहित…। भाई अरविन्द मिश्रा जी ने अपनी टिप्पणी भी जानबूझकर अस्पष्ट और उकसाने वाली रखी है…
ReplyDeleteअब समझी...गलत है..पर क्या किया जा सकता है ...? अनूप जी से सहमत हूँ.
ReplyDelete..और वैज्ञानिक दृष्टि से सम्पन्न मित्रगन ऐसे गैर जिम्मेदार वक्तव्य कैसे देते हैं.
खत्रीजी जी का ब्लॉग उनकी ऐसी दुकान है...जिसमे "व्यस्क पुरुषों के लिए" सब प्रकार की सुविधाएँ ये उपलब्ध कराते हैं...
ReplyDeleteइन्हें बहुत पहले से अपने लिए मैंने वर्जित कर रखा है....इसलिए आपसे अनुरोध है की भविष्य में उनके दूकान की लिंक दे हमें वहां जाने का आग्रह न करें...हमने इन्हें "वर्ज्य" सर्टिफिकेट कब से दे दिया है...
अनूप भैया ने एकदम सही कहा है...उनकी बात से शब्दशः सहमत हूँ...
रचना दी..... टी वी पर चेहरा चमकाने भर से कोई संस्कारी नहीं हो जाता...
मेरा अनुरोध समस्त महिला ब्लागरों/पाठिकाओं से है कि जो भी पुरुष इस मंच पर मर्यादा का ख़याल नहीं रखते,उनका सब प्रकार से (पढना ,उसपर टिपण्णी लिखना या उनकी चर्चा करना) बहिष्कार करें...
रंजनाजी का प्रस्ताव विचारणीय है, ऐसे सभी ब्लोग्गेर्स जो की मर्यादाओं से अपने को परे समझते हौं और सस्ती लोकप्रियता के लिए लालायित हों उनका सर्वसम्मति तो बहिष्कार करना ही सभ्य समाज की निशानी है.
ReplyDeleteहमारे लिए वे त्याज्य है.
मसिजीवी जी ने बिलकुल सही कहा. कुछ लोगों के साथ संवाद में नैतिकता और तर्क के लिए कोई स्थान नहीं है. इग्नोर करने के लिए मैं नहीं कहूँगा.
ReplyDeleteअनूप जी ने तो कह ही दिया .उस से ज्यादा कोई क्या कह सकता है .बाज़ार बाज़ जहां मौका पाएंगे बाज़ार बना देंगे.
ReplyDeleteमुझे तो नहीं लगता की यहाँ चर्चा या बहस करने से उधर किसी को कुछ फर्क पड़ने वाला है.. वो तो खुश भी होगा और ठहाके भी लगा रहा होगा, की देखो कैसे लोग बाते कर रहे हैं मेरे बारे में..
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