देश के एक वरिष्ठ पत्रकार से बात हुई... बात दुआ सलाम के बाद महिला आरक्षण और फिर शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद के शर्मनाक बयान पर आकर रुक गई... वरिष्ठ पत्रकार महोदय ने हमारी प्रतिक्रिया जाननी चाही...
हमने कहा- कौम के लिए इससे ज़्यादा डूब मरने की बात क्या होगी कि कल्बे जव्वाद जैसा व्यक्ति मुस्लिम औरतों के बारे में सरेआम बेहद शर्मनाक बयान दे रहा है और मुस्लिम मर्द तमाशा देख रहे हैं...आख़िर कोई अपनी मां, बहन और बेटियों की इस 'बेइज्ज़ती' पर खामोश कैसे रह सकता है...? क्या लोगों की ग़ैरत मर चुकी है...? क्या मुस्लिम औरतों को हमेशा इसी तरह बेइज्ज़त होते रहना होगा...?
-फ़िरदौस ख़ान
thik hai.nice
ReplyDeletemillion dollar question !
ReplyDeleteधर्म के ठेकेदारों से और क्या अपेक्षा की जा सकती है?
ReplyDelete@ sister firdos
ReplyDeleteJannat maan ke Qadmon tale hai.
Kisi ne janama na hota to aaj main bhi na hota.
Maan banna aurat ke liye kaise beizzati hai?
haan maal ki khatir sare aam badan dikhana ya apne bachchon ko aaya ke chhod kar kitty partyon men jaana zurur aurat ke liye sharmnak hai.
ek bachcha maan ki puri tawajjo chahta hai.
Agar maan hi apne bachche ki tarbiyat na karegi to kya anpadh aaya karegi?
Aaya to use kisi Bhikari ko kiraye par dene men bhi na chookegi.
Aisa ho bhi chuka hai.
Naukri Taraqqi sab kuchh jayaz hai lekin apne bachchon ki bali dekar nahin.
Muslim mard agar aurton ko apni jaydad men shariat ke mutabiq unka jayaz haq hissa dene lagen to aurat ghar men reh kar bhi economically strong ho jayegi.
Muslim mard aurat ko exploit kar rahe hain.
unki mukhalifat honi hi chahiyye.
main aapke saath hun.
Aap sahi soch ko sahi rukh par aage badhayen.
Insha Allah Hamari tayeed apke saath rahegi.
kabhi hamara blog bhi dekhiyega.
apka babri masjid wala article bhi dekha tha .
mujhe wo article apne english blog ke liye chahiyye.
pls send me.
eshvani@gmail.com
देखिए, जहां धर्म का दखल चरम पर होगा वहां महिलाएं ऐसे ही प्रताड़ित होती रहेंगी।
ReplyDeleteशाबाश फिरदौस
ReplyDeleteसवाल अब इज्ज़त और बे-इज्ज़ती का नहीं अस्तित्व का है! माँ बहन भाई पिता पति से आगे निकलो वहां खुला आसमान कबसे राह देख रहा है!
अधिकार छीनो मांगो मत ! शरियत और इस्लाम की दुहाई देने वालों से पूछो की उन्होंने शरई अधिकारों का कितना प्रतिशत अपने घर की औरतों को दिया है,
मुस्लिम महिलाएं भी सोचें कि कब तक बेइज्जत होती रहेंगी।
ReplyDeleteaapki baaton mein sacchaai hai...
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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Shafiqur Rahman khan yusufzai साहब का कमेंट काबिले-गौर व काबिले-तारीफ है।
औरत माँ-बहन भी होती है? अच्छा! हमे लगा हरम में भरने का सामान होती है, जिस पर हिजड़े पहरा देते है, कहीं बाहर न निकल जाए.
ReplyDeleteशाबास ! साहस के साथ सत्य.
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