*प्रयास से परिवर्तन संभव*
बहुधा हम अपने आस-पास गलत घटित ,लिखित,सुनी बातों या घटनाओं को पढकर-देखकर-सुनकर विचलित हो जाते हैं. हम जितना आगे बढ़ते हैं उतने ही कुछ लोग पीछे लोग धकेलने की कोशिश करते हैं. चाहे वो ब्लोगर्स हों ,पेपर्स में हों, या किसी की बातें हालाँकि इनकी संख्या ऊँगली पर गिनने वालों की रहती है. ये वे लोग होते हैं जो कुंठित रहते हैं या अपने आप में असफल रहकर निराश रहते हैं , हम इनको *मानसिक विकलांग* कह सकते हैं ,जो दूसरों को पीड़ा पहुंचाकर खुश होते हैं. हालाँकि ऐसी ओछी मानसिकता वाले लोग हमारे ही घर या बाहर कहीं भी हो सकते हैं. ये कुछ लोग अपने आप को श्रेष्ट साबित करने का कितना भी दंभ भरें इसकी कोशिश में वे स्वयं निम्न विचारों के बन जातें हैं. "तो इनको नजरंदाज न करके इनपर पैनी निगाह तो रखें " साथ ही अपने हक या अधिकार के लिए सदैव आगे बढें. अपने संकीर्ण विचार त्यागकर ,अपनी आवाज बुलंदकर कोई जुल्म या अत्याचार न सहें पर अपने धैर्य का परित्याग कभी न करें ,निराश न हों सदैव आशावादी द्रष्टि रहे स्वनिर्णय लेने की क्षमता रहे. अपना आत्मसंयम-अनुशासन हमें बड़ी से बड़ी समस्या, विकट कठिनाइयों व विपरीत परिस्थितियों में भी हमें आसानी से विजय दिलाता है. बस योजनाबध्द तरीके से अपने कार्य को करें.
NEVERDOUBT THAT A SMALL GROUP OF THOUGHTFUL ,COMMITED CITIZENS CAN CHANGE THE WORLD .
INDEED ITS THE ONLY THING THAT EVER HAS.
वर्त्तमान समय में हमारी *नवयुवा पीढ़ी* स्वयं स्फुटित ज्योतिपुंज स्वरुप बनकर सशक्त हो रही है। संपूर्ण चेतना से जागरूक ,चैतन्यशील व सुशिक्षित होकर अपना मार्ग निर्धारण करने का साहस बटोरकर निरंतर उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर होती जाती है.
जीवन के संघर्ष-कड़े रास्ते, कटु वचन-मानसिक या शारीरिक हिंसा भी उनको डिगा नहीं पाते बल्कि उत्क्रष्टता के मार्ग को प्रशस्त करते हैं ।
"योग्यता व सफलता" एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ,"सफलता" के आकाश को विस्तृत करने के लिए अपनी "योग्यता" को निरंतर विकसित करते रहना आवश्यक है.
*बहुत विशाल होता है ख्वाहिशों का आसमां-----और उतना ही मुश्किल होता है ,हर इच्छा को साकार कर पाना ,लेकिन जब कुछ हासिल करने का जज्बा दिल में रहे नई राहें मिल जातीं हैं व मंजिलें करीब आ जातीं हैं आपके प्रयास से सफलता आपके कदम छूने को आतुर हो जाती है.*
हाँ निस्वार्थ भाव से हमें अपने भाई-बहिनों को भी पीछे न धकेलकर ,दुर्व्यवहार न कर उनकी योग्यता के अनुरूप सबको साथ लेकर सतत सहयोग को तत्पर होना होगा . हमारा प्रयास सार्थक होगा व जैसा परिवर्तन हम चाहते है अवश्य होगा . समय के साथ बदलना होगा ,स्वाभिमानी-स्वावलंबी-साहसी बनने के लिए समर्पित -संकल्पित यज्ञ की प्रगति में सहायक होना है.
*इस अँधेरी रात को हरगिज मिटाना है हमें. इसलिए हर खेत से सूरज उगाना है हमें.*
अलका मधुसूदन पटेल
*लेखिका व साहित्यकार*
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
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bahut hi prerna dayi aalekh chunotiyo ko sweekar karke hi aage bdha ja skta hai
ReplyDeleteबहुत ही उत्साहवर्धक पोस्ट है आपकी. मैं आपकी बात से सहमत हूँ. आज की पीढ़ी निश्चित ही बहुत ही सशक्त और ऊर्जावान है. उसे अपनी योग्यता का निरन्तर परिष्कार करते रहना चाहिये और अपने भीतर की ललक को सकारात्मक रूप देना चाहिये.
ReplyDeleteबहुत ही उत्साहवर्धक पोस्ट है आपकी. मैं आपकी बात से सहमत हूँ.
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