अनीता , सुजाता , नीलिमा , मिनाक्षी , जे सी फिलिप शास्त्री , मसिजीवी सभी अध्यापन के कार्य से जुडे हैं । और भी बहुत से ब्लॉगर जो अध्यापक हैं या टीचिंग प्रोफेशन से जुडे हैं उन सब को " टीचर्स डे " की शुभकामनाए , नारी ब्लॉग सदस्यों की तरफ़ से ।
गुरु और गोविन्द मे से जब भी चुनो , गुरु को की चुनो क्युकि गुरु ही गोविन्द से मिलवाता हैं ।
शिक्षा का प्रसार निरंतर चलता रहे इसी आशा के साथ हर गुरु मेरा नमन स्वीकारे और हम सब को आशीर्वाद दे की माँ सरस्वती का वास हम सब के घरो मे हो ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
September 05, 2008
शिक्षा का प्रसार निरंतर चलता रहे इसी आशा के साथ हर गुरु मेरा नमन स्वीकारे और हम सब को आशीर्वाद दे की माँ सरस्वती का वास हम सब के घरो मे हो ।
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@गुरु और गोविन्द मे से जब भी चुनो , गुरु को ही चुनो क्युकि गुरु ही गोविन्द से मिलवाता हैं ।
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात है. पर आज कल तो शिबू सोरेन गुरु जी कहलाते हैं.
जो गुरु गोबिंद से मिला सके उसे मेरा प्रणाम.
मेरी ओर से भी अनीता , सुजाता , नीलिमा , मिनाक्षी , जे सी फिलिप शास्त्री , मसिजीवीजी तथा अन्य ब्लागर शिक्षकों को को बहुत बहुत शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसब को बधाई
ReplyDeleteशिक्षकों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
ReplyDelete------------------------------------------
एक अपील - प्रकृति से छेड़छाड़ हर हालात में बुरी होती है.इसके दोहन की कीमत हमें चुकानी पड़ेगी,आज जरुरत है वापस उसकी ओर जाने की.
शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन.
ReplyDeleteयह एक कटु सत्य है कि आज शिक्षा के मायने और उद्देश्य बदल गए है. प्रत्येक शिक्षक न तो गुरु हो सकता है न गुरु का स्थान ले सकता है. गुरु तो अति आदरणीय पूज्य देवतुल्य होते है जो व्यक्ति से कुछ पाने कि आशा नही करते अपितु उसे सुयोग्य व विज्ञ बनाना अपना परम पुनीत उद्देश्य समझते है.
ReplyDeleteआजका व्यक्ति शिक्षक और गुरु को एक ही मानने कि भूल कने लगा है. आज के इस व्यावसायिक और भौतिकवादी समय में गुरु मिलना तो असंभव व सौभाग्य की बात है. आजके शिक्षक उनका उद्देश्य ये केन प्रकारेण धनोपार्जन हो गया है जिसके लिए छात्रो को ट्यूशन हेतु बाध्य और विवश करते है. शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण हो जाने से अनेक विकृतियां उत्पन्न हुई है. प्रश्न पत्र को सेट करना, लीक कराना, अपने कोचिंग या विद्यालय के छात्रो को उत्तीर्ण कराने, मैरिट में लाने, अपने विद्यालय को परीक्षा केन्द्र बनवाने, तरह तरह से नक़ल करवाने जैसे घृणित और निंदनीय कार्यो में रत लोग अपने विद्यार्थियों को क्या दे पायेगे क्या दशा और दिशा दे सकेगे सोचने की बात है. आज विद्यालयों और महाविद्यालयों कि अंदरूनी राजनीति किसी से छुपी नही है.
विशेषकर उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का इतना बुरा हाल इस लिए है कि प्राथमिक शिक्षक क्षमा कीजियेगा विशेषकर महिलाए विद्यालय जाते ही नही है. वो तैनात तो गाव में होते है पर शहर में रह कर पूरा वेतन लेने जैसा निर्लज्जतापूर्ण कार्य अत्यन्त सहजता से करते है. ये शिक्षिकाये अपने घर में रह कर पूरा वेतन लेती रहती है.
इस अंधेरे भरे समय में भी रोशनी कि किरण के रूप में ऐसे विरले, प्रणम्य, स्तुत्य है जो शिक्षा और समाज के प्रति समर्पित है और आज का यह दिन उन्ही महामना अपवादों को समर्पित है.
सही बात लिखी है रचना जी।
ReplyDeleteआदमी के व्यक्तित्व के निर्माण में गुरुजनों का योगदान बहुत बड़ा होता है।
शिक्षक दिवस पर मेरी ओर से भी आप सभी को बधाई और शुभकामनाएं।
शिक्षक या गुरु वही जिसे एक भी शिष्य ऐसा मिल जाए जो जीवन की सच्ची राह पर चलना सीख जाए.. सभी को शिक्षक दिवस पर बधाई और शुभकामनाएँ
ReplyDeleteचाहे जितना हम अपनी शैक्षिक प्रणाली को कोस् ले उसके बावजूद हर क्षेत्र में सफल व्यक्ति के पीछे एक शिक्षक की भूमिका देखी जा सकती है । एक स्कूल में तमाम तरह के संसाधनों के बावजूद एक शिक्षक के न होने पर वह स्कूल नहीं चल सकता है । दुनिया में ऐसे हजारों उदाहरण हैं, और रोज ऐसे हजारों उदाहरण गढे जा रहे हैं ,जंहा बिना संसाधनों के शिक्षक आज भी अपने बच्चों को गढ़ने में लगे हैं । वास्तव में आज के प्रदूषित परिवेश में यह कार्य समाज में आई गिरावट के बावजूद हो रहा है ,इसे तो दुनिया का हर निराशावादी व्यक्ति को भी मानना पड़ेगा ।
ReplyDeleteआज शिक्षक दिवस को 5 सितम्बर के दिन हम सबको यह बातें ध्यान में रखनी चाहिए , इसके साथ हमारे मस्तिष्क में यह प्रश्न भी उठना ही चाहिए कि आख़िर अपने पुरातन संस्कृति में महत्व के बावजूद आज समाज में एक शिक्षक इतनी अवहेलना का निरीह पात्र क्यों बन जाता है? स्कूली शिक्षा का यह स्तम्भ जब तक मजबूत नहीं होगा ,तब तक अपनी शैक्षिक प्रणाली में कोई आमूल - चूल परिवर्तन फलदायी नहीं हो सकता है । हाँ सब को यह समझना होगा कि संस्कृति से अधूरे बच्चे केवल साक्षरों की संख्या ही बढ़ा सकते हैं, पर कोई मौलिक परिवर्तन उनके बूते कि बात नहीं?
प्राइमरी का मास्टर
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