"वैसे भारतीय नारी को पति की मृत्यु के पश्चात दूसरा विवाह नही करना चाहिए . बाल बच्चेदार महिला का दायित्व है कि वह अपने अभिभावक होने के दायित्व का निर्वहन करे।"
कल एक पोस्ट पर ये कमेन्ट आया हैं । इस कमेन्ट को पढ़ कर लगा की क्या संसार और प्रकृति के कानून भारतीये महिला के लिये अलग हैं की एक भारतीये विधवा को विवाह नहीं करना चाहिये । अगर एक विधुर के लिये विवाह जायज हैं तो एक विधवा के लिए क्यों नहीं ?? अभिभावक होने के दायित्व को निभाने के लिये अगर एक विधुर को एक सहचरी की दुबारा जरुरत होती हैं तो विधवा को दुबारा क्यूँ अपने लिये जीवन साथी नहीं चाहिये । ये दोहरी मानसिकता क्यूँ ??
एक पत्नी के मरने पर हमारा समाज कैसे रीअक्ट करता हैं मैने अपनी पोस्ट इसे क्या हादसा कहेगे ?? मे बताया था । और एक पति के मरने पर पत्नी के लिये जिन्दगी ख़तम समझ ली जाए , क्या इस मानसिकता से हम इस सदी मे भी बाहर नहीं आयेगे ।
अफ़सोस होता हैं जब ब्लॉग पर ये सब कमेन्ट मे पढ़ने को मिलता हैं क्युकी ब्लॉग लेखन एक पढा लिखा समाज करता हैं । जब ये सोच एक पढे लिखे समाज की हैं तो ये समझना बहुत आसन हैं की बाकी तबको मे नारी की स्थिति कैसी हैं ।
नारी की कई पोस्ट पर राष्ट्रप्रेमी जी और सुरेश जी निरंतर लिखते हैं की
"ब्लोगिन्ग से उन करोंडो-अरबों महिलाओं का क्या हित हो सकता है जो अपनी रोटी के लिये जूझ रही हैं? जो अपने लिये नहीं परिवार या समाज के लिये जूझ रही हैं क्या वे महिलाएं नहीं या उनके विचारों या आवश्यकताओं का कोई महत्व नहीं? क्या ऐसी महिलाऒ के लिये भी अभियान चलाकर कुछ किया जा सकता है। ब्लोगिंग से जमीन से जुडे लोगों को क्या फ़ायदा हो सकता है? यह विचार का विषय नहीं होता तो ब्लोगिंग केवल मनोरंजन की चीज है या व्यर्थ के वाद-विवाद का मंच।"
एक सूत्रधार की हैसियत से मेरा जवाब हैं
"आज कल इंटरनेट प्रसार और प्रचार का सबसे आसन साधन हैं . गावं मे भी साइबर कैफे खुल गयी हैं पर मुझे लगता हैं रुढिवादिता की शिकार पढ़ी लिखी महिला ज्यादा हैं इस ब्लॉग के जरिये अगर हम किसी भी ऐसी महिला " जो मानसिक रूप से परतंत्र " के अंदर अपने प्रति जागरूकता ला सके तो ये ब्लॉग लेखन बहुत दूर तक जायेगा । नारी ब्लॉग महिला विचारों का मंच हैं और आप जिस चीज़ की बात कर रहे वो संस्था बना कर होती हैं . इस ब्लॉग की बहुत सी सदस्या इन संस्थाओं से जुडी हैं इसीलिये निरंतेर "सच " को अभिव्यक्त कर रही हैं . ब्लॉग लेखन और ngo मे फाक हैं ."
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
August 29, 2008
क्या संसार और प्रकृति के कानून भारतीये महिला के लिये अलग हैं की एक भारतीये विधवा को विवाह नहीं करना चाहिये ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
main aapki baat se puri trah sehmat hu. lekin aap ye kyon nahi samjhti ke janwar kina bhi samjhdaar kyon na ho wo do paro par nahi chalta. usi trah hamre smaj ke thekedaar kitna bhi padh likh le ya sudharne ka dava kare lekin ve rudhivadi the hai or rahenge.ve apni is soch ko nahi badlna chahte.
ReplyDeleteor agar aap iske virodh me koi kadam uthate, to kuch der ko to thode bahut aadmi aapke saaath jaroor honge lekin kuch der baad aap akele rehjayenge. yehi hi Bharatiya Sanskriti ka dastoor Hai.
Rakesh Kaushik
शर्म आती है कि आज के तथाकथित पढ़े लिखे और सभ्य समाज में ही हमेशा महिला ही कटघरे में खड़ी दिखाई पड़ती है। मीडिया का बार बार यह कहना कि देखिए इस मां को.... कहां की सभ्यता है ये? खैर...संक्रमण के इस काल में एक महिला को इस तरह की टिप्पणियों को नकार कर आगे बढ़ने की हिम्मत पैदा कर लेनी चाहिए। आखिर कितनी भी बाधाएं हों.... मंजिल तो पानी ही है ना?
ReplyDeleteAgar pati uski patni par atya char karta he to kya atya char sahna sahi he
Delete'शिक्षित नारी को अशिक्षित नारी के लिए कुछ करना चाहिए', ऐसा जब भी कहा जाता है उसे विचार मंच और एनजीओ का फर्क बता कर नकार देना उचित नहीं है. यह एक दुखद स्थिति है कि नारी ने स्वयं को वर्गों में बाँट लिया है. एक वर्ग है उन नौकरी करने वाली नारियों का जो शिक्षित है. दूसरा वर्ग है उन नौकरी करने वाली नारियों का जो अशिक्षित हैं. तीसरा वर्ग है उन नारियों का जो नौकरी नहीं करती. इन में भी शिक्षित और अशिक्षित दोनों नारियां हैं. कया ब्लाग मंच पर केवल उन नारियों का प्रतिनिधित्व होता है जो शिक्षित हैं और नौकरी करती हैं. दूसरे वर्गों की नारियों की समस्याओं की चिंता कौन करेगा? मेरे विचार में नारी ब्लाग मंच पर इन नारियों की बात भी की जानी चाहिए.
ReplyDelete