लॉर्ड डलहौज़ी के लालच ने एक ही रात में खुशहाल अवध का अमन चैन लूट लिया। बेग़म हज़रत चाहती थी कि वाजिद अली शाह अंग्रेज़ों को मुँह तोड़ जवाब दे लेकिन वाजिद अली शाह ऐसा न कर सके. हज़रत बेग़म ने अवध की बागडोर अपने हाथ में ले ली लेकिन ब्रिटिश राज के आगे
घुटने न टेके। 14 साल के बेटे बिर्जिस क़ादेर को अवध का राजा बना कर अंग्रेज़ो का मुकाबला करने लगी। इतिहास की गहराई मे जाने वाले चाहे कुछ भी कहें लेकिन ब्रिटिश राज को दिन में भी तारे दिखाने में हज़रत बेग़म सफल रही थी. अपनी इसी हिम्मत के कारण समय समय पर अवध को अंग्रेज़ो से लड़ने की ताकत देती रहीं.
हमारे देश की विडम्बना रही है कि देश प्रेमियों के बीच अनगिनत गद्दार भी रहे, जिनके
बारे में जानकर यकीन नहीं होता कि अपने देश पर मर मिटने वालों के बीच ऐसे नीच लोग भी थे। मूसाबाग में 9000 सैनिकों के साथ अंग्रेज़ों से लोहा लेती हज़रत महल के 5000 सैनिक गद्दारी पर उतर आए तो अकेले ही सामना करने आगे बढी लेकिन लखनऊ की हार लिखी थी. हार कर भी हिम्मत न हारती वीराँगना अंग्रेज़ों के हाथ न आईं.
कुछ विश्वसनीय सैनिको के साथ बूँदी का किला छोड़कर भटकती भटकती नेपाल जा पहुँची। अंग्रेज़ों से बिना डरे नेपालराज ने हज़रत महल को पनाह दी. कहा जाता है कि एक बार अंग्रेज़ गर्वनर जनरल ने एक गोरे चित्रकार के माध्यम से, जो बिर्जिस कादेर का चित्र बनाने गया था, 15 लाख की पेंशन बिर्जिस कादेर के लिए और 5 लाख की पेंशन हज़रत बेग़म को देने की पेशकश करके भारत लौटने की सिफारिश की थी. सोने और चाँदी की जंजीरों में गुलामी की ज़िन्दगी जीना कबूल कैसे कर सकती थी. नेपाल में ही रह कर जितनी धन सम्पत्ति उनके पास थी उसे नेपाल में भारतीय शरणार्थियों की मदद में लगा दी.
काठमांडू (नेपाल) में 150 साल से सोई हज़रत महल की साधारण सी कब्र आज भी देखी जा सकती हैं. नेपाल के राजा जंग बहादुर ने ईमामबाड़ा में हज़रत बेग़म और उनके सात अन्य साथियों की कब्र बनाने का आदेश दिया. नेपाल में अशांति के दिनों में कई लोगों ने उस ज़मीन को हथियाने की कोशिश की लेकिन करीमुद्दीन मियाँ जैसे लोग भुलाए नहीं जा सकते जो उस कब्र की हिफ़ाज़त में लगे हैं.
अपने भारत , अपने अवध से दूर नेपाल में सोई हज़रत बेग़म महल के लिए वाजिद अली शाह की लिखी भैरवी ठुमरी याद आ गई जिसमे अवध से दूर जाने का गम दिखाई देता है.
"बाबुल मोरा नैहर छूटा जाए ,
चार कहार मिल मोरी डोलिया सजावें
मोरा अपना बेगाना छूटो जाए,
आँगना तो पर्बत भयो और देहरी भयो बिदेश
जाए बाबुल घर आपनो मैं चली पिया के देश
(इतिहास में कमज़ोर होने पर भी जो दिल में उतर गया उसे ब्लॉग पर आप सबके लिए उतार दिया।
शहीदों की याद में इतना लिखना बस ऐसा ही है जैसे एक टिमटिमाता दिया...हल्की मद्धम रोशनी लिए बस... )
बहुत आभार इस आलेख के लिए.
ReplyDeletebahut kuchh kahti ek shandar post....thanks
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया इस लेख के लिए
ReplyDeleteShat shat Naman
ReplyDeleteआपके इस प्रयास की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम ही होगी.स्वत्तंत्रता दिवास की शुभकामनायें स्वीकर करें.
ReplyDeletemeenu very nice post and thanks for reminding us to bow our heads and understand how we got our freedom
ReplyDeleteमीनाक्षी जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक प्रसंग लिया है आपने। पढ़कर आनन्द आगया। भारत मात के आँचल में ईसे रत्नों की कभी भी कमी नहीं रही। ऐसे प्रसंग परोसने के लिए आभार।
बहुत-बहुत धन्यवाद! जानकारीपरक आलेख के लिये
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनायें.
आओ एक और संघर्ष चलायें
भ्रटाचार से मुक्ति पायें
देश के लिये मरे बहुत
हम अपने लिये नहीं,
देश के लिये जीकर दिखलायें.
भारतमाता को गुलामी की जंजीरो से आज़ाद कराने में कितने ही देश प्रेमी शहीद हुए. कुछ का इतिहास में नाम है तो कुछ अनाम हैं. सभी को श्रद्धाजंलि.
ReplyDeleteशहीद को जन्म देने वाली हर माँ को नतमस्तक नमन जिनके कारण ऐसे वीर रत्न जन्मे और हमें यह आज़ादी का दिन देखने को मिला. कामना है कि आने वाले समय में हर माँ अपनी संतान को वैसा ही देशभक्त बना सके और एक पल भी सोचे बिना उन्हें देश पर कुर्बान कर सके.
स्वंतत्रता दिवस के अवसर पर मैडम भीका जी कामा, भारत कोकिला सरोजिनी नायडू व बेगम हजरत महल का स्मरण कराकर आपने बहुत ही अच्छा कार्य किया है। आभार।
ReplyDeleteऔरत कमज़ोर होती ही नही है; वो कभी कभी कमज़ोरी ओढ़ लेती है. दरअसल ये कभी कभी कमजोर पड़ जाना ही औरत को औरत बनाए रखता है.
ReplyDeleteपिछली पीढ़ियाँ कितनी भी ग़लत क्यों ना हों; कल हमारे हाथ से ही बड़ा होता है... वो नही संभाला तो चूक हो जाएगी.
अपने घर के दो लाल मानुस बना के निकाल दो; जग खुद-ब-खुद सुंदर हो जाएगा...
http://mswaroop.blogspot.com/2008/03/hey-women.html
:-)
मीनाक्शीजी बहुत अच्छा लगा पड क़र इतिहास मे सॆ निकाल कर बेगम हजरत महल का आज दीदार कराया नारियाँ शुरु से ही सुद्रड रही हैँ य़ॆ बात और है कि वक्त से कभी कभी समझोता कर लेती हैँ .ऎसॆ ळॆख पड क़ॅर् अपनी जिन्दगी अपने स्वाभिमान के साथ जीने की प्रेरणा मिलती है
ReplyDelete