बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि सरोजिनी नायडू एक नामी विद्वान और कवयित्री माँ की बेटी थी। इन्होंने 12 वर्ष की छोटी सी आयु में ही बारहवीं की परीक्षा अच्छे अंकों में पास कर ली थी। 13 वर्ष की आयु में 'लेडी ऑफ द लेक' कविता रच डाली थी। उच्च शिक्षा पाने के लिए इंग्लैंड गईं जहाँ पढ़ाई के साथ साथ कविताएँ भी लिखती थी। 'बर्ड ऑफ टाइम' और 'ब्रोकन विंग' ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।
डॉ गोविन्दराजुलू नायडू की जीवन संगिनी सरोजिनी से गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी भारत माता की वेदना देखी न जाती. माँ भारती को आज़ाद कराने के लिए बेचैन हो उठी. गाँधी जी से सरोजिनी की पहली भेंट इंग्लैंड में हुई थी. उनके विचारों से प्रभावित होकर उनकी परम शिष्या बन गईं. गाँधी जी का आशीर्वाद मिलते ही पूरी तरह से अपने आप को देश के लिए समर्पित कर दिया.
कई राष्ट्रीय आन्दोलनों का नेतृत्व भी किया जिसके लिए सरोजिनी को जेल भी जाना पड़ा. संकटों से न घबराते हुए एक वीरांगना की तरह गाँव गाँव घूमकर देश प्रेम की अलख जगाती रहीं. भारत माँ की यह अमर बेटी क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेज़ी, हिन्दी, बँगला या गुजराती में देती और सबको मंत्रमुग्ध कर देतीं. इनके व्क्तव्य लोगो के दिलों को झझकोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे।
अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण कानपुर में हुए काँग्रेस अधिवेशन की ये अध्यक्षा बनीं और भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं। आज़ादी के बाद उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं. श्री मती एनी बेसेंट की प्रिय सखी और गाँधीजी की प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया था।
अपडेट
इस पोस्ट पर आए दो कमेंट्स के बाद इस ब्लॉग की मोड़रेटर नए ये लिंक्स जोड़े हैं जो और जानकारी दे रहे हैं । ऊपर दिया गया चित्र १९३८ कांग्रेस कन्वेंशन का हैं । पाठक अच्छे लिंक्स कमेंट्स मे उपलब्ध करा दे , आभार होगा ।
लिंक १
लिंक २
पोएम्स
कुछ तो हटकर पढ़ने को मिला इस बार यहाँ, शायद इन्हीं को कुछ कोकिला जैसा नाम भी दिया गया था ना। मीनाक्षी धन्यवाद आपका लेकिन थोड़ा विस्तार से लिखा होता तो ज्यादा अच्छा लगता, मुझे ऐसा लगता है।
ReplyDeleteमेरे विचार में भी इसे थोड़ा विस्तार से लिखा जाता तो और भी बेहतर होता।
ReplyDeletemeenu thanks please continue the series
ReplyDeleteMinaakshi ji...
ReplyDeletejankaari update kerne ke liye saadhuwaad
je kadi jaari rahe
रचनाजी, आपने लिंक और तस्वीर लगाकर छोटे से लेख की महत्ता बढा दी.
ReplyDeleteतरुणजी,उन्मुक्तजी और मनविन्दरजी,,कोशिश करेंगे कि महान आत्माओं की यादों को विस्तार दें पाएँ.
बहुत अच्छा लेख है !
ReplyDeleteएक कर्मठ महिला की जीवनी को
आज हम सब सराहेँ -
- लावण्या
Jo Itihaas bhul jaate hai.. unke bhavishya ka bharosa nahi hota..
ReplyDeleteati sundar.. congrats..