दीवारों से टकराकर गिरती है वो....
गिरती है एक आधी आबादी.....
हम सब जो जिंदा हैं .......
हम सब अपराधी हैं ......
हम शर्मिंदा हैं........
आज एक खबर पढी और कवि गौरख पांडे की ये पंक्तियां मन को झकझोरने लगीं। खबर है राजधानी दिल्ली में एक 77 साल की बुजुर्ग महिला के साथ बलात्कार और उसकी निर्मम पिटाई की। अक्सर जब किसी महिला के साथ बदसलूकी की खबर पढने सुनने में आती है तो मन में गुस्से का गुबार उठता है । पर इस समाचार को पढकर मन इतना क्षुब्ध है कि खुद को शर्मिंदा महसूस कर रही हूं। हैवानियत की हद पार करने वाली इस वीभत्स घटना के बारे में जानकर मन में कई प्रश्र उठ रहे हैं। आखिर हम कहां जी रहे हैं ............? हम किस समाज का हिस्सा हैं.......? मनुष्यता कहीं बची भी है कि नहीं.......?
महिला की उम्र चाहे जो हो, वो है तो महिला ही ना । बस यही तो जुर्म है इस देश में । इसीलिए चाहे नाबालिग बच्चियां हों या बुजुर्ग महिलाएं कोई सुरक्षित नहीं है। सरकार और पुलिस की संवेदनशीलता के बारे में तो बात करना ही बेकार है। क्या राजधानी दिल्ली और क्या अन्य प्रदेश, सभी जगहों पर आए दिन ऐसी शर्मनाक घटनाओं का होना कई तरह के प्रश्रों को जन्म देता है। और कई तरह के प्रश्रों के उत्तर भी...............
इस घटना के बारे में जानकर शायद लोगों को इन प्रश्नों के उत्तर अपने आप ही मिल जायेंगें .....
उस महिला ने क्या पहना था ......... कितना पहना था...........वो उस समय वहां क्या कर रही थी........ वगैरह वगैरह............!
बेहद शर्मनाक घटना है।
ReplyDeleteछि: छि.. घृणित... वहशियाना हरकत करने वाले को तो सूली पर लटका देना चाहिये.
ReplyDeleteबड़ा बदकिस्मत हैं
ये भारत का समाज
जो बार बार संस्कार कि दुहाई देकर
असंस्कारी ही बना रहता हैं
बहुत शर्मनाकघटना है।
ReplyDeleteआदमी की बर्बरता और मरती हुई संवेदना पर दुःख होता है! क्या इसीलिए हम अपने को सभ्य कह कर गौरवान्वित होते हैं ?
ReplyDeleteलगता है मनुष्यता हासिये पर पहुँच चुकी है !
मोनिका जी ..मै जस्ट अभी -अभी शोलापुर से लौटा हूँ और बालाजी ने कम्पूटर ऑन कर दिए ,आप की पोस्ट को देखा ..समाचार पढ़ कर काफी गुस्सा आया और शर्मभी !समझ में नहीं आता की सरकार इन समस्याओ से निबटने के लिए क्या कर रही है ?साथ ही रचना जी की टिपण्णी पढ़ी तो कुछ अजीब सा लगा क्यों की कोई भी सन्सकारी पुरुष ऐसा अनर्थ कर ही नहीं सकता.अतः ये शब्द ठीक नहीं - " जो बार बार संस्कार कि दुहाई देकर
ReplyDeleteअसंस्कारी ही बना रहता हैं " जो भी ऐसा कृत्य करते है वे सन्सकारी हो ही नहीं सकते !इस जघन्य अपराध के लिए कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए !चिंता का विषय ..!
महिलाओं के लिए कितनी सुरक्षित है दिल्ली इस बेहद शर्मनाक घटना से पता चलता है!
ReplyDelete@ G N Shaw
ReplyDeleteUnder my words there is a link
इस खबर को पढकर ग्लानि हो रही है कि मैं भी एक पुरुष हूँ और ऐसे देश में रहता हूँ, जहां ऐसी विकृत मानसिकता के लोग भरे हैं।
ReplyDeleteप्रणाम
शर्मनाक।
ReplyDeleteमानवता को कलंकित करती घटना।
very sad,,kuch log nehi badal sakte visit my blog plz
ReplyDeleteDownload latest music
Lyrics mantra
रचना जी आपके दिए कमेन्ट के लिंक पर जाकर कविता पढ़ी.....
ReplyDeleteहृदयविदारक सच्चाई है हमारे समाज की ..... मार्मिक
बहुत शर्मनाक घटना..मनुष्य कितना गिर सकता है
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