हमारी एक जानकार महिला हैं । उनके तीन बेटियाँ हैं । दो का विवाह हो चुका हैं , सबसे बड़ी अपने कार्य छेत्र मे बहुत आगे हैं आर्थिक रूप से सक्षम हैं । महिला के पति का स्वर्गवास हो चुका हैं । महिला आर्थिक रूप सक्षम हैं और सरकारी पेंशन पाती हैं क्युकी उन्होने ४५ वर्ष तक विश्विद्यालय मे पढ़ाया हैं । मै जब भी इन महिला से मिलती हूँ इनको बहुत संतुष्ट पाती हूँ ।
वो अक्सर मुझ से बताती हैं की जब से उनके पति क़ा स्वर्गवास हुआ हैं अक्सर कोई ना कोई उनसे कहता हैं आप मुझे "गोद " ले ले । "आप के कोई बेटा तो हैं नहीं " । वो पूछती हैं की जब उन्होने कभी किसी से नहीं कहा की उनके बेटा नहीं हैं तो लोग क्यूँ इस प्रकार की बात करते हैं ।
मेरे पूछने पर की ऐसा किसने कहा वो बताती हैं की उनके भतीजे , मोहल्ले पड़ोस के लोग और बहुत से ऐसे लोग जो उनके आस पास हैं जिनसे केवल उनके सामाजिक सरोकार हैं अक्सर ऐसी बात मजाक मे करते हैं ।
लेकिन ये मजाक नहीं हैं क्युकी वो मेरी बेटियों के अस्तित्व को नकारते हैं ।
इसके अलावा वो मेरे अपने अस्तित्व को नकारते हैं क्युकी वो सोचते हैं एक अकेली महिला को संरक्षण चाहिये ही चाहिये किसी पुरुष क़ा ।
क्या बेटा ना होने से कोई कमी होती हैं की हम बेटी होने के बाद भी एक बेटा जरुर पैदा करे या गोद ले ?? क्यूँ वो अक्सर मुस्करा कर मुझ से पूछती हैं ???
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
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bahut sahi kaha hai aapki jankar in mahila ne.aurat ke astitva ko nakarna to aaj kya sadiyon se chala aa raha hai.aur isi ne god ki parampara ko janm diya hai.are bhi jab unke betiyan hain to unhe beto ki kya zaroorat hai.sarahniy prastuti..
ReplyDeleteबिलकुल यही सवाल मेरे मन में भी उठता है जब कुछ लोग मुझे भी राय देते है की अब तुम्हारी बेटी चार साल की हो गई है और अब एक " बेटा " कर लो परिवार पूरा हो जायेगा | क्या मेरी बेटी से मेरा परिवार पूरा नहीं हो रहा है या मैंने एक और बेटी को जन्म दिया तो क्या मेरा परिवार अधुरा रहेगा किसी परिवार में बेटे का होना इतना जरुरी क्यों है | कभी सुना देखा नहीं की किसी ने बेटी न होने पर ये कहा है तब तो लोग खुश हो कर कहते है की फलाने को काहे की चिंता उसे तो बेटे ही है बेटी नहीं, तब ये नहीं कहते की उसका परिवार बेटी के बिना अधूरी है |
ReplyDeleteसही सवाल है और इसका एक ही जवाब है…………बे्टियां किसी से कम नही उनका अपना स्थान है और सबसे ऊपर है।
ReplyDeleteafter a long time a post from you suman and the question is always there and the bias is also the same
ReplyDeleteक्या कहें..मेरी छोटी बेटी 18 साल की हो गयी है मगर अब तक आशीर्वाद मिलता रहता है ..:)
ReplyDeleteअनपढ़ अशिक्षित लोग कहें तो खास फर्क नहीं पड़ता ,मगर शिक्षित लोग इस तरह की बात करते हैं तो बहुत आश्चर्य और दुःख होता है!
बेटियां किसी से कम नहीं। मेरी एक बेटी है। चार साल की है। शुरू से मन में इच्छा थी कि बेटी हो और ऊपर वाले ने सुन ली। अब विराम। मुझे अपनी बेटी में ही सब कुछ दिखता है।
ReplyDeleteमैंने ऐसे कई लोगों को देखा है जो बेटे की आस में लगे रहते हैं, उन्हें कौन समझाए कि बेटियां बेटों से किसी बात में कम नहीं।
अच्छी पोस्ट।
ऐसी सोच वालों पर तरस आता है, नारी अपने आप में सक्षम है और आज बेटियाँ भी बेटे से कम नहीं है. मेरे भी दो बेटियाँ ही हैं और बड़ी बेटी कि शादी करने जा रही हूँ लेकिन उसका अपने होने वाले पति से यही सवाल था कि मेरे भाई नहीं है और उसे बेटे के तरह ही मेरे माँ बाप को भी देखना होगा. दोनों परिवार को देखने की जिम्मेदारी दोनों की ही होगी.
ReplyDeletebahut badhiyaa prashn aur uske saath bahut santulit comments.
ReplyDeleteis mahila ko mera pranam
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