मिसाल है मोनाम्मा कोक्कड़ जिन्होने १२ जुलाई १९९९ मे केरल हाई कोर्ट मे पी आई अल { पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन } दाखिल किया था की सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध हो । उन्होने इस लिटिगेशन मे उस सर्वे का हवाला दिया था जिसमे कहा गया था की ७५ % लंग कैंसर के शिकार व्यक्ति धूम्रपान करते थे ।
एक साल बाद जब फैसला उनके पक्ष मे आया और जस्टिस नारायणा कुरूप और जस्टिस लक्ष्मणन ने सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने पर बैन लगा दिया ।
मोनाम्मा कोक्कड़ मानती हैं की इस प्रकार का बैन ज्यादा कारगर नहीं हो पाता क्युकि सिगरेट की सेल से सरकार को आय होती हैं ।
मोनाम्मा कोक्कड़ ६१ वर्ष की अवकाश प्राप्त प्रोफेसर हैं और अब धूम्रपान के नुक्सान पर निरंतर काम कर रही हैं । बिना इनका नाम लिखे इस " धूम्रपान निषेध " के विषय मे लिखना शायद सम्भव ना हो उअर निरर्थक भी हैं ।
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और इसे ही कहते हैं
"The Indian woman has arrived "
aapki kalam ko naman, bahut hi aacha vishay aur aacha laga aapko padh kar. likhte rahiye, samaj ke uthaan ke liye kalam ka chalna bahut zaroori hai
ReplyDeleteअफ़सोस है कि जिसने पहल की उनका नाम कहीं नही बताया गया ! महिला होकर कोर्ट में जाकर जीत हासिल करना, यही गुण होने चाहिए महिला नेत्रियों में !
ReplyDeleteइनको आदर सहित
बहुत से धुम्रपान प्रेमियों को आप ने असली विलेन का नाम बता दिया है।
ReplyDeleteबढ़िया काम किया है इन महिला ने ..देखते हैं सफलता कितनी मिलती है अब
ReplyDeleteउत्साहवर्द्धक जानकारी के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteMadam, bahut hi achhi jankari di hai aapne yahan pe.
ReplyDeletemera naam abha sinha hai , mai jharkhand me ek mining company ke sath job kar rahi hun.
mai aapse ek permission lena chati hun ki kya mai is post ki ek copy le sakti hun , mai ise www.jaibhojpuri.com pe paste karna chahti hun taki bahut sare logon tak is mahila ki mahan karya ki jankari pahuncha sakun.
pls permit me.
thnaks
abhasinha83@gmail.com