एक स्थानीय दैनिक मे छपी ख़बर के अनुसार हल्बा समाज की एक युवती स्वयम्वर के द्वारा विवाह रचाने जा रही है , जिसकी चर्चा पुरे छत्तीसगढ़ मे है तथा जिज्ञासा भी, की कैसा होगा यह स्वयम्वर । छत्तीसगढ़ का बालोद तहसील एक विकासशील तहसील के रूप मे जाना जाता है इस तहसील मे दुसरे वर्ग केसाथ साथ हल्बा जो कीइस क्षेत्र की प्रगति शील जन जाति है, बहुतायत मे रहते है ,हल्बा मुख्या रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्ग राजनांदगांव,बस्तर ,धमतरी ,कांकेर जिले मे अधिक संख्या मे है, छत्तीसगढ़के दुर्ग जिले के बालोद से 9 किमी दूर ग्राम घुमका में आदिवासी हल्बा समाज की युवती के लिए स्वयंवर का आयोजन किया जा रहा है। स्वयंवर समारोह में ऐसे वर सम्मिलित हो सकते है, जो अपने आपको अन्नपूर्णा के वर बनने के योग्य समझते हैं।घुमकामें जन्मी२२वर्षीय अन्न्पुर्न्ना का कहना है कि स्वयंवर रचाने का निर्णय उसने ख़ुद लिया तथा वह कुछ ऐसा करना चाहती थी जिसे दुनिया याद रखे। शादी तो हर किसी की होती है, लेकिन वह इस कलियुग में स्वयंवर के माध्यम से अपने लिए वर ढूंढ़कर एक अलग मिसाल पेश करना चाहती है।अन्नपूर्णा स्वयंवर में सम्मिलित हुए वरों से पांच सवाल पूछे जाएंगे। यह सवाल अभी गुप्त रखे गए हैं। आयोजन के दिन ही इसे सामने लाया जाएगा, जो वर पांचों सवालों के सही उत्तर देगा, उसी को अन्नपूर्णा अपना वर चुनेगी।
स्वयंवर में भाग लेने वाले को पांच सवाल के जवाब तो देने ही होंगे, लेकिन इसके पहले उन्हें अपनी योग्यता का परिचय भी देना होगा। स्वयंवर की शर्त यह है कि युवक आदिवासी हल्बा समाज का ही हो। वर की आयु कम से कम 22 और अधिकतम 26 वर्ष हो। स्वयंवर में छत्तीसगढ़ के बालोद,गुंडरदेही,लोहारा,गुरूर,धमतरी इन पांचों तहसील के ही युवक भाग लेंगे। स्वयंवर में भाग लेने के इच्छुक युवक 3 जुलाई तक ग्राम घुमका विकासखंड बालोद में उक्त परिवार से संपर्क कर अपनी इच्छा व्यक्त कर सकते है।अन्नपूर्णा के लिए योग्य वर का चुनाव स्वयंवर के माध्यम से हो,यह इच्छा उसकी माता पलटीन बाई और पिता रामरतन ठाकुर की भी थी। उनका परिवार रामचरित मानस कथा प्रभावित हैं, इसलिए वे भी इसका अनुकरण करते हुए लीक से हटकर कुछ अलग करने की चाह रखते हैं। पूरे गांव में उत्सवी माहौल होगा। स्वयंवर की खबर दूर-दूर तक पहुंच चुकी है। गली-गली में पंपलेट चिपकाया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है।
आयोजक परिवार के द्वारा ही 4 जुलाई शुक्रवार से 8 जुलाई मंगलवार को पांच दिवसीय रामचरित मानस यज्ञ का आयोजन किया गया है,यज्ञ समाप्ति दिनाक 8 जुलाई के दिन ही स्वयंवर आयोजित है। स्वयंवर समाप्ति के बाद सामाजिक रीति रिवाज एवं परंपरा अनुसार विवाह संपन्न कराया जाएगा । क्या उक्त लडकी का ऐसे तरीके से विवाह करना सही है ?समाचार से यह स्पष्ट है कि उक्त परिवार धार्मिक ग्रंथो से प्रेरित होकर ऐसे आयोजन कर रही,उक्त युवती भी कुछ अलग करने कि चाह मे स्वयम्वर रचाने की बात स्वीकार कर रही, लेकिन क्या सिर्फ़ पाँच प्रश्नों के उत्तर से योग्य जीवन साथी का चुनाव किया जा सकता है ,क्या यह नारी स्वातंत्र्य की पराकाष्टा है , या यह मामला धार्मिक ग्रंथो पर अंध विश्वास का है जहा योग्य वर की मिलने की संभावना भाग्य पर छोड़ जाता है या ये एक पब्लिसिटी स्टंट हैं हो दिखाता हैं की हमारी युवा पीढी अपनी उर्जा को कैसे नष्ट करती हैं ?? आप क्या कहते हैं ??
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
इस प्रकार के काम केवल ध्यान आकर्षित करने के लिये किये जाते हैं . आज कल मीडिया से पब्लिसिटी बहुत मिल जाती हैं और कई बार तो चेंनेल्स अपनी टी आर पी के लिये इन सब आयोजनों को स्पोंसर भी करते हैं . ये और इनके जैसी अन्य लडकियां आज़ादी का मतलब ही नहीं जानती . आप ने सही लाख लिखा हैं हम सब को इन सब घटनाओं का बहिष्कार करना चाहिये सामाजिक तौर पर .
ReplyDeleteरचना जी से पूरी सहमति है।
ReplyDeleteमैं भी रचना जी से सहमत हूँ,दूसरों का ध्यान अपनी तरफ़ आकर्षित करना ही ऐसे लोगों का मकसद है...
ReplyDeleteआमतौर पर लड़की लड़का देखने की प्रथा से तो कुछ अधिक बुरा नहीं है यह।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
मिंया बीवी राज़ी तो क्या करेगा काजी? .......... रही बात समाज द्वारा बहिष्कार की तो यह निकम्मा समाज खूनी, बलात्कारी, अपराधी और भ्रष्टाचारी लोगों को अपना रहनुमा बनाए हुए है तो फ़िर तो यह बड़ा मासूम सा ध्यान खींचने का प्रयास है.......... और जो चैनल, समाचारपत्र (यहाँ तक की ब्लॉग भी) इसे कवर कर रहें हैं, इसके बारे में बहस करके तमाशबीनों की भीड़ में शामिल हो रहे हैं वही ऐसी बातों पर ध्यान न देने की बात कह रहे हैं...............और ऐसे प्रयास अगर पसंद नहीं है तो इनके बारे में बात ही न करें, जब कोई इन तमाशों की तरफ़ देखेगा ही नहीं तो लोग यह सब करना भी छोड़ देंगे......... वैसे हम भारतीय बड़े ही मंजे हुए और हद्द फुरसतिया किस्म के तमाशबीन हैं ;-)....... कैसे भी और किसी भी वक़्त होने वाले हर तमाशे के चश्मदीद बनने हम हरदम तैयार हैं :-D
ReplyDeleteआज कल का ट्रेंड है यह ख़बरों में ख़ुद को लाने का ..मिडिया तो ख़ुद ही ऐसी खबरों को कवर करने में लगी रहती है ..पर यदि इस लड़की को लगता है की इस तरह उसको सह जीवन साथी मिल जायेगा तो यह उसकी जिन्दगी का फ़ैसला है ..
ReplyDelete