
नीलम कटारा ने पिछले ६ सालों मे अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए हर सम्भव कोशिश की । हर पेशी मे कोर्ट मे वो मौजूद रहती थी। हालांकि इन ६ सालों मे कई बार उन्हें निराशा भी हाथ लगी पर उन्होंने हिम्मत नही छोडी।यहांतक कि मुख्य गवाह अजय कटारा को डराने-धमकाने और मारने की कोशिश भी की गई ताकि अजय अपनाबयान बदल दे पर अजय कटारा अपने बयान नही बदला।पर और दूसरे ना जाने कितने ही गवाह अपने दिए बयानों से मुकर गए यहां तक कि जब भारती यादव ने भी अपनी गवाही मे नीतिश को सिर्फ़ अपना एक बहुत अच्छा दोस्त बताया और उससे सिर्फ़ दोस्ती की बात को ही माना। भारती के इस बयान से नीलम कटारा दुखी तो बहुत हुई पर नीलम कटारा अकेले ही आगे बढ़ती रही।यहां तक की इस बीच उनके पति की भी मृत्यु हो गई पर उन्होंने अपनी हिम्मत और हौसला और भगवान और कानून पर विश्वास बनाए रखा।
और उनके विश्वास और हिम्मत की उस दिन जीत हुई जब कोर्ट ने यादव बंधुओं को उम्र कैद की सजा सुनाई।नीतिश को न्याय मिलने मे बहुत समय लगा ६ साल का । अब यादव बंधू हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैय्यारी मे है इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील फाइल करने के लिए। और इस सबमे कितना वक्त लगेगा कहना मुश्किल है। पर उम्मीद करते है और भगवान से दुआ करते है कि कोर्ट की कारवाही मे ज्यादा समय ना लगे और कोर्ट अपना फ़ैसला जल्दी ही सुनाये।
नीलम कटारा ने जिस लड़ाई को शुरू किया था ये उस लड़ाई मे मिली एक माँ की पहली जीत है। पर नीलम कटारा की लड़ाई अभी ख़त्म नही हुई है बल्कि लड़ाई अभी बाकी है।
एक सीधी साधी , टीचर माँ जिसका कोई रसूख नहीं था पॉलिटिक्स से कैसे इतनी लड़ाई लड़ पायी । बस सलाम कहने को मन करता हैं । और एक बार मिलने की इच्छा बलवती होते हैं । "माँ तुझे सलाम "
ReplyDeleteरचना जी ने सही कहा " माँ तुजे सलाम:"
ReplyDeleteनीलम जी कटारा की हिम्मत की दाद देनी होगी और वो सबके लिए एक प्रेरणा एक मार्गदर्शक का भी काम करगी
एक मां ही इतनी शिद्दत से अपने पुत्र के हत्यारों से लडने की हिम्मत रखती है.सच कहते हैं नारी की छुपी हुई हिम्मत संघर्ष के समय सबको चकित कत जाती है.
ReplyDeleteसच की जीत होती है .यह केस देख कर लगता है कि अभी भी न्याय बाकी है सलाम है माँ को जिसकी वजह से न्याय मिला एक बेटे को
ReplyDelete