(इस चित्र को यहाँ दिखाने के लिए बिश्नोई माँ से क्षमा जो निस्स्वार्थ भाव से अपनी ममता लुटा रही है)
वात्सल्य और ममता का यह महान रूप … जिसे देख कर मैं मंत्रमुग्ध सी बस देखती रह गयी.. मेरी लेखनी थम सी गयी.... शब्द भी जड़ होकर उस दृश्य को देखते रह गए.... चित्र स्वयम ही जैसे बोलने लगा हो.....
"मैं हूँ नारी .... मेरे अनेक रूपों में एक रूप.....ममतामयी माँ का .... जड़-चेतन, जीव-जंतु सब पर अपना प्यार लुटाती हूँ इसीलिए शायद सभी मेरे इस अद्भुत रूप को देख कर विस्मय-विमुग्ध हो जाते हैं… मेरी गोद में मेरा रूप है तो धरती की गोद में बिन माँ का निरीह जीव ... ममतामयी माँ का वात्सल्यमयी हृदय मृग छौने की मूक आंखों की भाषा कैसे न समझ पाता… बिन माँ का मृग छौना जैसे मानव शिशु ही बन गया हो बिश्नोई माँ के लिए ...अपने बच्चोँ और उस हिरनी के बच्चे में उसे कोई अन्तर ही न दिखता.. परिवार का ही एक अंग था कोमल, मूक, निरीह प्राणी..
"मैं हूँ नारी .... मेरे अनेक रूपों में एक रूप.....ममतामयी माँ का .... जड़-चेतन, जीव-जंतु सब पर अपना प्यार लुटाती हूँ इसीलिए शायद सभी मेरे इस अद्भुत रूप को देख कर विस्मय-विमुग्ध हो जाते हैं… मेरी गोद में मेरा रूप है तो धरती की गोद में बिन माँ का निरीह जीव ... ममतामयी माँ का वात्सल्यमयी हृदय मृग छौने की मूक आंखों की भाषा कैसे न समझ पाता… बिन माँ का मृग छौना जैसे मानव शिशु ही बन गया हो बिश्नोई माँ के लिए ...अपने बच्चोँ और उस हिरनी के बच्चे में उसे कोई अन्तर ही न दिखता.. परिवार का ही एक अंग था कोमल, मूक, निरीह प्राणी..
कभी कभी शब्द और भाव मूक हो जाते हैं.... दिल की गहराई में उतर जाते हैं जिन्हें बाहर निकाल पाना कभी कभी मुश्किल लगने लगता है......... जैसे मृग छौने की आंखों की मूक भाषा समझ कर बिश्नोई माँ ने उसे अपनी ममता के आँचल में छुपा लिया वैसे ही आप सब मेरे मन के भाव जाने तो आभार होगा.... .
ममतामयी बिश्नोई माँ की अजब कहानी
बिन माँ के मृग छौने की पीड़ा पहचानी
सूनी सूनी आँखें माँ को जब भी खोजें
ममता सारी लुटा दूँ हर पल वह सोचे
नन्ही बेटी को जब भी अपनी गोद में लेती
मृग छौने को बिन भूले अपना दूध भी देती
टुकुर टुकुर देखे नन्ही सी मुनिया
उसकी माँ थी मृग छौने की दुनिया !!
ममतामयी बिश्नोई माँ की अजब कहानी
बिन माँ के मृग छौने की पीड़ा पहचानी
सूनी सूनी आँखें माँ को जब भी खोजें
ममता सारी लुटा दूँ हर पल वह सोचे
नन्ही बेटी को जब भी अपनी गोद में लेती
मृग छौने को बिन भूले अपना दूध भी देती
टुकुर टुकुर देखे नन्ही सी मुनिया
उसकी माँ थी मृग छौने की दुनिया !!
(गाँव के भोले भाले लोगो का पशु प्रेम पशु जगत को बचने के लिए एक आशा की किरण दिखाता है तो शहरी लोगो को संदेश भी देता है कि प्रकृति और जीव जगत के साथ प्रेम का मधुर सम्बन्ध बना कर किस तरह से रहा जा सकता है.. )
माँ की ममता जब जागती है तो वह कोई फर्क नही देखती है मैंने भी जब यह ख़बर पढी थी तो बहुत अच्छा लगा था दिल को ..आपकी इस पर लिखी गयीं पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी मीनाक्षी जी
ReplyDeleteनिस्वार्थ ममता कोई मां ही लुटा सकती है.गांव की सीधी सादी मांएं बगैर किसी इन्फ़ेक्शन के डर के अपने घर के दूसरे बच्चों और पडोसियों के बच्चों को अपना दूध पिला दिया करती हैं,शायद यही कारण है कि गांव के रहने वाले परिवारों के बच्चे आपस में बहुत गहरे रिश्तों में बंधे हुए हैं.
ReplyDeleteमाँ का इतना सुंदर रूप दिखाने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteऐसा निश्छल स्नेह और ममता एक माँ ही दे सकती है।
और आप ने जो अंत मे पंक्तियाँ लिखी है वो बहुत अच्छा संदेश देती है।
इस चित्र को मैने अपने इंग्लिश ब्लॉग पर डाल कर पोस्ट बनायी थी पर उस दिन इस चित्र की डिमांड इतनी ज्यादा थी की मैने इस चित्र को हटाया था । पर किसी को भी चित्र या उसमे छुपे वात्सल्य को नहीं देखना था । कभी कभी बहुत अफ़सोस होता इन्सान की विकृत सोच पर जो निर्मलता मे भी नग्नता खोजती हैं । इस चित्र को देख कर मन इस महिला के लिये नत मस्तक हो जाता है और ये भी समझ आता हैं की बिश्नोई कमुनिटी क्यों चाहती थी की सलमान खान को black buck मरने के लिये अधिक से अधिक सजा हो । आज आपने पुनेह इसे यहाँ डाल कर बहुत अच्छा किया मिनाक्षी
ReplyDeletesach maa ka itna sundar rroop pehli baar dekha,dhanya hai wo maa.
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