हम निसर्ग की सर्वश्रेष्ठ है , शक्तिमयी ललनाएं
प्रतिभा , प्रज्ञा ,सुन्दरता की गढ़ही हुई रचनाएँ
मांग नही रही हम, हमें दो अवसर एक समान
प्रतिभा , प्रज्ञा ,सुन्दरता की गढ़ही हुई रचनाएँ
मांग नही रही हम, हमें दो अवसर एक समान
हम तो लेंगें छीन , अपने हिस्से की मुस्कान
नारी तो पहले ही सशक्त है !! सशक्तिकरण सरकारी कार्यक्रम है शिक्षा और आर्थिक सवतंत्रता जिसकी पहली सिद्दी है ,हाँ इन सब से सभी वर्ग की नारियों में एक जागरूकता आ गई है और अपने अधिकारों का बोध हुआ है ! अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आई है जो बड़ी बात है , नारी नारी का साथ देगी तो समस्याओं का सामना करना आसान हो जाएगा !!!
---नीलिमा गर्ग
बिल्कुल सही कहा हैं नीलिमा आपने , जो भी नारी अपने अधिकारों के प्रति सचेत नहीं हैं वो महिला सशक्तिकरण को नहीं समझ सकती शायद . और आपकी लिखी कवित की ४ पंक्ति आवाहन हैं और गूंज भी .
ReplyDeleteनारी ब्लॉग पर आप की पहली पोस्ट का स्वागत हैं और आप से हम सब को जागृति की उम्मीद हैं
मांग नही रही हम, हमें दो अवसर एक समान
ReplyDeleteहम तो लेंगें छीन , अपने हिस्से की मुस्कान
wah ek dam sahi,kaha hum to lenge chin apne hisse ki muskan,bahut jandaar shandaar,sahi jab nari hi nari ki maddat kare ye muskan nikharege,sundar post.
मांग नही रही हम, हमें दो अवसर एक समान
ReplyDeleteहम तो लेंगें छीन , अपने हिस्से की मुस्कान
बस इसी में है आज की नारी की बात ..बस थोडी सी जरुरत है इस रोशनी को उन अंधेरे दिलो तक पहुंचाने की जहाँ अभी भी अन्धकार फैला हुआ है ..इस रौशनी से नारी के उस अन्तर्मन को भी जगाना होगा ..जो कभी कभी जान कर भी अनजान बन जाता है ...स्वागत है आपका नीलिमा लिखती रहे ..
Thanks for all the encouragement....
ReplyDeleteयथार्थ को उकेरते इस आलेख के लिये नीलिमा को बधाई.जिन मा-बाप ने छोटे से घर में अपने तीन चार बच्चों को एक साथ पाला हो, उन्हीं के लिये बेटों के घर में जगह कम पड जाती है,ये कैसी विडम्बना है?
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