यह सफल रहा। कृषक राजकुमारी देवी व जितेन्द्र सिंह की बड़ी बेटी किरण को सफल प्रयोग के कारण राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह सूख रहे शीशम के पेडों को बचाने की खोज कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उसकी इस नई खोज से एक नहीं बल्कि अब तक हजारो सूखे पेड़ हरेभरे हो गये हैं। इस हैरतअंगेज कार्य को उसने किसी रासायनिक प्रयास से नहीं बल्कि साधारण उपाय से ही किया है।
बहुमूल्य शीशम के पेड़ ड्राईबैग बीमारी से सूख रहे हैं। पेड़ को बचाने में अब तक के सारे प्रयास विफल साबित हुये हैं। वहीं किरण ने किरोसीन को उपयोग में लाकर सूख रहे शीशम के पेड़ों में हरियाली भर दी। गांव में सूख रहे शीशम के पांच पेड़ की जड़ को खोदकर उसमें 50 ग्राम किरोसीन व नीम का तेल तथा 100 ग्राम काबोर्फ्यूरॉंन को 10 लीटर पानी में मिलाकर वृक्ष की जड़ में 10 दिनों तक डाल कर सूख रहे पेड़ों में हरियाली भर दी।
उसके द्वारा किये गये इस प्रयोग के बाद गांव के अन्य किसान भी इसी तरह का प्रयोग करने लगे हैं। किरण के इस सफल प्रयोग से ग्रामीणों में खुशी व्याप्त है। किरण ने शीशम के अलावा अन्य पेड़ों में फैलने वाले तना छेवक पीड़क ( एक प्रकार का कीड़ा) से बचाने का उपाय ढूंढा है। चूना में तंबाकू का पाउडर मिलाकर पेड़ों को रंगने पर कीड़ा पेड़ पर नहीं चढता है। प्रयोग से पेड़ों को फायदा पहुंचा है।
किरण के फामरूले पर सैंकड़ों लोगों ने बचाए अपने-अपने पेड़
गांव के सैंकड़ो लोगों ने अपने-अपने पेड़ों पर यह प्रयोग कर सैंकड़ो पेड़ों को बर्बाद होने से सुरक्षित बचा लिया। बतौर किरण वर्ष 2005 में शीशम के सूखने की बीमारी फैली थी। उनके खेतो में सैकड़ो पेड़ सूख गये जिससे करीब 5 लाख रूपये का नुकासान हुआ। एक दिन वह सूखे पेड़ों के पास गई और उसके मन में यह खयाल आया कि आखिर यह पेड़ क्यों सूख रहे हैं। एकाएक उसे अपने दादी का ख्याल आया। उसकी दादी घर में लगे किवाड़ में जहां कीड़ा लग जाता था उस पर मिट्टी का तेल लगाती थी जिससे कीड़ा मर जाता था। उसी ख्याल को अपनाकर किरण ने सूखे पांच पेड़ों में किरोसीन व नीम तेल उस पेड़ों के जड़ में डाला।
15 दिन बाद उसमें हरियाली आने लगी। फिर क्या था। उसने किरोसीन की मात्रा बढा दी और उसमें काबरेफ्यूरॉंन 100 ग्राम व 50 ग्राम नीम का तेल मिलाकर 10 लीटर पानी में घोल बना लिया और सभी सूखे पेड़ों की जड़ में डालने लगी । कुछ ही दिनों बाद सभी पेड़ हरे हो गये। किरण के इस प्रयोग को पटना के बख्तियारपुर तथा अहमदाबाद में सैंकड़ो किसानों ने अपनाकर अपने सैंकड़ों सूखे पेड़ों में जान डाली। किरण अब अदरख व आलू के सड़न पर कार्य कर रही है।
मिल चुके हैं कई पुरस्कार, कल्पना चावला है आदर्श
16 सितम्बर 1989 को एक सुदूरवर्ती गांव में जन्मी किरण शुरू से ही मेधावी थी। आज वह मोतिहारी स्थित पंडित उगम पाण्डेय महाविद्यालय में बीए पार्ट-2 की छात्रा है। उसे पहली बार पर्यावरण पर भाषण देने के लिये जिला स्तर पर अवार्ड मिला। 2007 में तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने 28 फरवरी को प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया। वहीं नेशनल साईस कांग्रेस सिक्किम में मणिपाल इंस्टिट्यूट
ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा भी अवार्ड प्रदान किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त 19 जनवरी 2010 को आईबीएन- 7 द्वारा बेस्ट सिटीजन जर्नलिज्म अवार्ड से सम्मानित किया गया है। किरण कल्पना चावला को अपना आदर्श मानती है। उसने गांव में ही कल्पना चावला साइंस क्लब स्थापित की है। जहां सैकड़ो लड़कियों को वह देश-दुनिया में घटी घटनाओं तथा विज्ञान की आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी देती हैं
ये पोस्ट धनंजय मिश्र ने यहाँ डाली हैं
नारी ब्लॉग के लिये उपयुक जान कर कुमार राधारमण ने ईमेल से प्रेषित किया हैं उनका आभार
"सच में बहुत ही अच्छा कार्य किया है, जिसके लिये इन्हे पदक मिला है,
ReplyDeleteऐसा कार्य सभी को करना चाहिए"
अच्छा लगता है दबे-कुचले लोगों को औरों का प्रेरणा-स्रोत बनते देखकर।
ReplyDeleteकिरण से मिल कर बहुत अच्छा लगा ! बस ऐसे ही काम करते रहो , हरे भरे पेड़ तुम्हारी सफलता की निशानी हैं!
ReplyDeleteहमारी शुभकामनाएं !!
वाकई प्रेरणा स्त्रोत, इस बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताया जाना चाहिए.
ReplyDeleteआपको ये पोस्ट लगाने के लिए साधुवाद
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
सच मे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………इस उपलब्धि पर उन्हे हार्दिक शुभकामनाये।
ReplyDeleteआशा की किरण को मेरा सलाम पहुंचे।
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कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत है?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
एक ग्रामीण युवती की यह सफलता सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है.अच्छा लगा किरण से मिलकर.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteकिरण को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteइस तरह की अप्रतिम प्रतिभाएं दूर-दराज़ गाँवों में दबी-ढकी रह जाती हैं...सामने नहीं आ पातीं.
ख़ुशी है कि किरण की प्रतिभा सामने आई...थोड़ी ज्यादा ख़ुशी इसलिए भी कि वो मेरे सोते हुए शहर से है..:)
मेधावी किरण को बधाई और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसूरज की चमकती किरण तो पेड़ों के लिए वरदान सी हो गई...किरण को ढेरों शुभकामनाएँ
ReplyDeleteकिरण को बहुत बधाई और शुभकामनायें ...
ReplyDeleteआपका आभार !
किरण को हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteकिरण जैसे छात्र देश का गौरव हैं. वह इस धारणा को मजबूत करते हैं कि लाल गुदड़ी में भी पैदा होते हैं.. ईश्वर करे एक दिन किरण अपनी आदर्श कल्पना चावला जैसी ही सफलता एवं यश अर्जित करें.
किरण जैसी लड़कियां देश का उज्ज्वल भविष्य हैं ..बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteBravo....
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कैसी भी प्रतिकूल परिस्थितियां हों, अगर लगन सच्ची हो, तो क्या नहीं हो सकता? किरण की यह कहानी सभी के लिए प्रेरणा का स्तोत्र है. इसे सभी के संग बांटने के लिए आपका शुक्रिया.
ReplyDeleteकिरण का अभिनंदन...
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