स्थान गाज़ियाबाद
एक ५ साल की बालिका का बलात्कार उसका १९ साल का कजिन करता हैं
बालिका की माँ वारदात होते हुए देखती हैं और ईट मार कर बलात्कारी को भागती हैं
बालिका के माता पिता बिरादरी के बड़ो के पास जाते हैं
बड़े बलात्कारी को २ -४ चांटे रसीद कर देते हैं ।
बलात्कारी से माफ़ी मंगवाते हैं
बलात्कारी का पिता १.५ लाख रुपया लड़की मे माँ बाप को देता हैं
बालिका के माँ बाप को सख्त हिदयात दी जाती हैं की बिरादरी और परिवार के मान के लिये वो चुप रहे
बालिका को अगले दिन स्कूल भेज दिया जाता हैं
बालिका को स्कूल मे उलटी होती हैं
टीचर बालिका को कुछ बच्चो के साथ घर भिजवा देती हैं और हिदायत देती हैं की इसकी माँ को साथ लाना क्युकी उलटी की गन्दी साफ़ करनी हैं
बालिका को अकेला छोड़ कर माँ स्कूल जा कर सफाई करती हैं और १ आध घंटे मे वापस आती हैं
बालिका को अवचेतन पाती हैं
पास के अस्पताल ले जाती हैं
अस्पताल वाले भारती नहीं करते हैं सरकारी अस्पताल जाने को कहते हैं
सरकारी अस्पताल ले जाती हैं
अस्पताल वाले " लाने पर मृत " कह देते हैं
पोस्ट मार्टम रिपोर्ट मे मृत्यु का कारण "गला दबाने से " लिखा जाता हैं
पुलिस को कार्यवाही नहीं करती क्युकी किसी ने शिकायत दर्ज नहीं करवाई
मृत्यु के बाद बालिका के माता पिता शिकायत दर्ज करवाते हैं
बलात्कारी को पकड़ा जाता हैं
आरम्भिक जाच से पता चलता है बलात्कारी का पिता भी एक नाबालिक लड़की के रेप मे १४ साल की जेल काट चुका हैं
एक कहानी और ख़तम हो जाती हैं
हम बेकार ही कन्या भुंण ह्त्या की खिलाफत करते हैं
जब मारना यों भी तो पैदा होने से पहले ही मारना अच्छा और बेहतर उपाय हैं
आप क्या कहते हैं कौन दोषी हैं ???
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
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bahut marmik hai ye...is tarah ki mout milane se to janm se pahle marna ...pahli nazar me theek lagta hai par ye koi jangle raj nahi hai...nabalig ke sath hone vale is tarah ke apradh fast track melade jaye aur doshiyon ko fansi ki saja hi ekmatra pravdhan ho fir chahe paristhiti koi bhi kyon na ho...bahut bade andolan ki jaroorat hai iske liye...
ReplyDeleteoof! jane kab insaan insaan banega!!..
ReplyDeleteशर्मिदा करता है यह सब होना हमारे समाज में............. न जाने कब तक चलेगा यह निर्ममता का खेल ......
ReplyDeleteरचना जी बच्चों का उनके निकटवर्ती लोगों द्वारा शारीरिक शोषण कोई नयी बात नहीं है. आप माने या न मानें बच्चा चाहे लड़का हो या लड़की दोनों का सामान रूप से शारीरिक शोषण होता है. मुझे नहीं लगता की कोई कानून इस समस्या से कभी निजात दिला पायेगा. ये मानव के भीतर छिपी पाशविकता है जिसे मिटाने के लिए तो इन्सान के जींस में ही फेर बदल करना पड़ेगा. इस समस्या पर यथार्थवादी तरीके से विचार करें. जिस खेत को उसकी बाद ही खाने लगे उस खेत का कुछ नहीं हो सकता. आपने समाज के निम्न वर्ग में बच्चों का शारीरिक शोषण देखा है जबकि मैंने इसी समाज के उच्च वर्ग में भी ऐसा ही शारीरिक शोषण होता खुद अपनी आँखों से देखा है.(अब ये न कहियेगा की अगर देखा था तो पुलिस को रिपोर्ट क्यों नहीं की? ) ऐसे मामलों में मुझे सबसे ज्यादा दोषी बच्चों के माता पिता ही लगते हैं जिनको बहुत बार इन घटनाओं का पता ही नहीं चलता या कभी पता लगता भी है तो भय या लालच वश वो चुप्पी साध लेते हैं. ये एक घटना सामने आई है पर ऐसी लाखों घटनाएँ जाने कब से होती चली आ रही हैं और आगे भी होती ही रहेंगी और आप और हम जैसे लोग बस यूँ ही हैरान परेशान होते रहेंगे. उपरी तौर पर आपको मेरा ये रवैया पलायनवादी जरुर लगेगा पर अगर जरा भी गहराई से विचार करेंगी तो पाएंगी की मेरी बात में सच्चाई है. इस विषय पर मैं आपने विचार विस्तृत रूप से अवश्य ही सबके सामने रखूँगा.
ReplyDeleteकब तक दबाते रहेंगे? कभी तो ये अंगार दावानल बनेंगे।
ReplyDeleteसदियों से ये ब्याभिचार चला आ रहा है ! आज क्या देंखे ,क्या सुने या क्या बोले पर कोई अंकुश नजर नहीं आता ! मीडिया में एक से एक अशोभनीय प्रचार आते रहते है , जिन्हें परिवार में बैठ कर देखने में भी शर्म आती है ! आखिर इसका प्रभाव रंग तो लायेगा ! सीता जी भी नहीं बची , द्रौपदी जी नहीं बची ! पर आज - कल न वह सीता है , न द्रौपदी !
ReplyDeleteसदियों से ये ब्याभिचार चला आ रहा है ! आज क्या देंखे ,क्या सुने या क्या बोले पर कोई अंकुश नजर नहीं आता ! मीडिया में एक से एक अशोभनीय प्रचार आते रहते है , जिन्हें परिवार में बैठ कर देखने में भी शर्म आती है ! आखिर इसका प्रभाव रंग तो लायेगा ! सीता जी भी नहीं बची , द्रौपदी जी नहीं बची ! पर आज - कल न वह सीता है , न द्रौपदी ! न राम है ,न कृष्ण ! वश आह ही आह और तड़पन , चाहे पुरुष हो या नारी !
ReplyDeleteधिक्कार है ऐसे मां-बाप पर भी...
ReplyDeleteअब ऐसी घटनाएँ आम हो गयी हैं लोग कहते हैं कि मीडिया ऐसी खबरों को अधिक तवज्जो देकर सुर्ख़ियों में लगा रही है. न भी लाये तो क्या ऐसे जघन्य अपराध क्षम्य हैं. आज मानसिक तौर पर विक्षिप हो रहे लोग, उनके विवेक और जमीर मर चुका है. उनके लिए बच्ची बच्ची नहीं सिर्फ एक विपरीत लिंग का प्राणी समझ आता है इससे उनको कोई सरोकार नहीं कि वह किस उम्र की है. ऐसे लोगों के खिलाफ मुक़दमा लिखा भी दिया जाता है तो पुलिस कौन सा तीर मार लेती है. खुले आम घूम रहे है ऐसे अपराधी और घर वालों को धमकाते हुए पुलिस को साथ लेकर घूम रहे हैं. किस से शिकायत कीजाय और किसके खिलाफ. यहाँ सब बिकाऊ है न्याय से लेकर इंसान तक. बस जेब गरम होनी चाहिए फिर आप कुछ भी करने के इए स्वतन्त्र हैं.
ReplyDeletevichaar shunya
ReplyDeletemae aap ki baat kaa pura samarthan kartee hun aur yae jaantee hun ki sodomisation bahut badh gaya haen yaani bachcho kaa yaun shoshan kewal balika kaa nahin
hum jinda kyu hain.....mar jate to tar jate....
ReplyDeletepranam
aaj ye soch kar bhi shrmindgi hoti hae ki ham aazad hae, kya yhi aazadi hae.ham apne bachchon ko surkshit nhin rakh sakte?wo bhi apne desh men, apnon ke beech men......mujhe ye lagta hae ki bachchon ko khas taur par ladkiyon ko bachpn se hi jhasi ki rani ka roop dena chahiye,jisse kisi ki himmt avm takt na ho ki unki tarf nazr utha kar bhi dekh sake....iske liye sbko milkar aage aana hoga......
ReplyDeleteजी रही हूँ मैं, गम-ए-राह ना करो,
ReplyDeleteखिलती हुयी कली हूँ,जला के राख ना करो..!