नारी ब्लॉग की पोस्ट
आज के समय मे संस्कार , रीति रिवाज के नाम पर कन्यादान करके आप खुद वैवाहिक रीति की शुचिता को नष्ट करने का आवाहन देते हैं
को राष्ट्रिये सहारा ने बिना पोस्ट का उल्लेख दिये छापा हैं । मैने विनीत उत्पल जी से खुद एक हफ्ते पहले फ़ोन पर बात की थी और उन्होंने आश्वासन दिया था की कोई भी पोस्ट लेखक के नाम के साथ ही छपेगी लेकिन अब तो ब्लॉग का नाम भी हटा दिया गया
इसे कहते हैं चोरी और सीना चोरी
शर्म करो शर्म करोतस्वीर आभार blogsinmedia.com
पुराना रिवाज है अखबारों का..
ReplyDeleteहद है! इधर चोरियां कुछ ज़्यादा ही हो रही हैं. लेखक का नाम तो जाना ही चाहिये.
ReplyDeleteलेखक/लेखिका को क्रेडिट तो दिया जाना ही चाहिए !
ReplyDeleteबेहद अफसोसजनक .....लेखिका और ब्लॉग का नाम तो देना ही चाहिए...
ReplyDeleteअब???
ReplyDeleteये तो गलत है.
ReplyDeleteयही है दोहरा मानदंड -जब अपनी पर आती है तब पीड़ा घनीभूत होती है और जब दूसरों का दुःख दर्द होता है तब उपहास उड़ाया जाता है!
ReplyDeleteकहीं तो जीवन में समतलता हो !
मैं मानता हूँ की इस प्रकार के प्रकाशन में लेखक का नाम तो जाना ही चाहिये!
ReplyDeleteपरन्तु इस प्रकार के ब्लॉग का उदेश्य कवल नारी उथान के लिए कोशिश करना हैं !
जो की इस ब्लॉग के माध्यम से हो भी रहा है !नाम ना छाप कर जो उन्होंने गलती की है वो इसके लिए अवगत हो गए होंगे
परन्तु ख़ुशी इस बात की है की वो लोग जो आप के ब्लॉग तक पहुँचाने में असमर्थ थे उन्होंने भी आपके विचार पढ़े!
एवं अगर वो इस से थोड़े से भी प्रभावित हो गएँ होगे तो ख़ुशी की बात है !
इस प्रकार का ब्लॉग प्रख्यात होने के लिए तो कदापि नहीं लिखे जाते मेरा ऐसा मानना है .....................
प्रतिष्ठित पत्रों को ये शोभा नहीं देता है. सवाल यहाँ क्रेडिट का नहीं है, सवाल है पत्रकारिता की शुचिता का . इसके तो ब्लॉग का कोई अस्तित्व ही नहीं है कोई भी उठाये और बिना किसी उल्लेख के छाप सकता है. इस पर कुछ होना भी जरूरी है. लेखक का नाम तो उल्लिखित जरूर होनाचाहिए.
ReplyDeleteबिना नाम और बदली हुई तस्वीर के साथ नारी का एक लेख पहले भी ही छापा गया था..यह गलती पहले भी हो चुकी है...
ReplyDeletehad hai chori ki...
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