नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ -से अब तक
पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६०
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हमारे पित्रसत्तात्मक समाज में नारियां सदियों से हाशिये पर रही हैं ...उदाहरण के रूप में कुछ ख्यातनाम महिलाओं के नाम देकर इस तथ्य को भ्रान्ति मान झुठलाने की कोशिश की जाती रही है , लेकिन फिर भी सच यही है कि आधी आबादी उत्पीडन और शोषण (शारीरिक या भावनात्मक ) के लम्बे दौर को झेला है ...जो महिलाएं दोयम दर्जे की स्थिति में होने के बाद भी अपने लिए एक अलग मुकाम हासिल कर सकी , वह उनके परिवार के सहयोग और समर्थन के कारण ही संभव हुआ , सामाजिक ढांचे के कारण नहीं ...महिलाओं को उनके आत्मसम्मान , आत्मसुरक्षा और आत्मनिर्भरता के प्रति जागरूक करने के लिए समय- समय पर नारी जागृती आन्दोलन चलाये जाते रहे हैं , और बहुत हद तक इसका प्रभाव समाज की वर्तमान परिस्थियों पर देखा जा सकता है ...आज नारी अपनी स्वतंत्र सोच रखते हुए अपने अधिकार और हक़ के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है ,वह हर कार्य कर रही है जो सिर्फ पुरुषों के लिए सुरक्षित माने जाते रहे हैं ...वह पुरुष के कंधे से कन्धा मिला कर समाज के सर्वांगीण विकास के लिए तत्पर है । मगर फिर भी दिन प्रतिदिन नारियों के साथ बढ़ते अपराध यह साबित करते हैं कि अभी भी काफी कुछ किया जाना शेष है ...
इन्टरनेट /ब्लॉगिंग युग में नारियों को जागरूक करने में " नारी " ब्लॉग ने अपने महती भूमिका निभायी है ...इस ब्लॉग के रूप में एक कोना सिर्फ नारियों के लिए सुरक्षित रखा गया है , जहाँ वे बिना किसी डर या झिझक के अपने विचार पूर्ण स्वतन्त्रता से रख सकती हैं ...अपने मिशन के प्रति पूर्णरूपेण समर्पित यह ब्लॉग नारी की दृढ़ता और साहस का प्रत्यक्ष प्रमाण है ...समय -समय पर यह मंच पर महिलाओं के आर्थिक अथवा शारीरिक शोषण , भ्रूण हत्या , अश्लील तस्वीरों अथवा पोस्ट पर पुरजोर शब्दों में अपना विरोध दर्ज करने के साथ ही वास्तविक और आभासी दुनिया में महिलाओं के आत्मसमान को जागृत करने ,समान अधिकार आदि पर विचारोत्तेजक लेख आदि प्रस्तुत कर अपने उद्देश्य की ओर पूरी दृढ़ता से अग्रसर है और बना रहेगा ...नारियों की आवाज़ को एक खुला आसमान उपलब्ध करने के लिए इस मंच को साधुवाद और शुभकामनाएं !
वाणी
ReplyDeleteआप कि पोस्ट के लिये शुक्रिया . और नारी ब्लॉग के जन्म दिन कि आप को बहुत बधाई . हम सब मिलकर नारी को सशक्त करे यही कामना हैं . जो जहां हैं वहा से बदलाव कि बात शुरू करदे , मानसिक कंडिशनिंग के बदलाव कि फिर देर नहीं होगी समानता आने मे
सार्थक पोस्ट वाणी जी .....नारी ब्लॉग यक़ीनन एक सार्थक पहल रही है ....... इस मंच से महिलाओं के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर यूँ ही आवाज़ बुलंद होती रहे .....शुभकामनायें
ReplyDeleteउम्मीद है आपकी बात एक दिन सभी को समझ में आएगी.हम खुद महिलाओं के कितने अवसर दे रहे हैं है ज्यादा महत्तवपूर्ण है.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट लंबे समय बाद पढ रहा हूँ.लेकिन आप टिप्पणियों के जरिये अपने विचारों से अवगत कराती रहती है.इस ब्लॉग की एक बात लंबे समय से खटकती रही हैं वो है इसके पुराने सदस्यों का बिल्कुल ही गायब रहना .अनुराधा जी, मुक्ति जी सुमन जी और साधना जी के नाम यहाँ विशेष रूप से लेना चाहूँगा.यदि व्यस्तता है तब भी कमेंट तो किये ही जा सकते है.ताकी नये सदस्यों का उत्साह भी बना रहे.रचना जी को इसके लिये एक बार फिर से प्रयास करना चाहिये.
वाणी जी, आपके विचारों से पूरी तरह सहमत . बस इसी तरह कदम से कदम मिला कर चलते रहें और इसे अपने उद्देश्यों के पूरा करने में समर्थ बनायें.
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने वाणी जी ! ब्लॉगिंग की दुनिया में नारी ब्लॉग एक आंदोलन से कम नहीं है. हम सभी इसके जन्मदिन पर इसके और अधिक विस्तार और सशक्त होने की कामना करते हैं.
ReplyDeletesanjivani hai nari purush dono ke liye...aur is bharat ke liye
ReplyDelete".जो महिलाएं दोयम दर्जे की स्थिति में होने के बाद भी अपने लिए एक अलग मुकाम हासिल कर सकी , वह उनके परिवार के सहयोग और समर्थन के कारण ही संभव हुआ , सामाजिक ढांचे के कारण नहीं ..."
ReplyDeleteआपकी इस बात से पूर्णत सहमत |अब जाग्रति आ गई है और यही पारिवारिक सहयोग एक दिन सामाजिक सहयोग में बदल जायेगा और समाज इसे स्वीकारेगा |
बहुत बढ़िया आलेख |
बधाई
".जो महिलाएं दोयम दर्जे की स्थिति में होने के बाद भी अपने लिए एक अलग मुकाम हासिल कर सकी , वह उनके परिवार के सहयोग और समर्थन के कारण ही संभव हुआ , सामाजिक ढांचे के कारण नहीं ..."
ReplyDeleteनहीं ये एक दम सच नहीं हैं . बहुत बार परिवार वालो का भी विरोध करना पड़ता हैं और विरोध सहना भी पड़ता हैं . परिवार का साथ होते हुए मुकाम हासिल करने मे भी महिला को दोहरा काम करना होता हैं . मुकाम किसी को मिलता नहीं हैं वो अर्जित करना होता हैं . आप बाहर वालो का विरोध सह भी सकते हैं और कर भी सकते हैं लेकिन घर वालो का विरोध सहना और करना ज्यादा मुश्किल होता हैं .
मुझे याद हैं जब कोचर आईसीआईसीआई मे सबसे ऊँचे पदवी पर आयी थी उन्होने कभी भी अपने परिवार का जिक्र नहीं किया . हर मकाम हासिल करने वाले स्त्री अपने घर मे प्रतिस्पर्धी समझी जाती हैं कभी पिता की , कभी भाई की और कभी पति की
जीत उसकी होती हैं जिसमे लडने की ताकत और मुकाम को पाने की चाहत होती हैं और मुकाम से मतलब केवल नौकरी नहीं हैं मुकाम से मतलब हैं वो सब कुछ जो वो करना चाहती हैं अपनी मर्जी से बिना किसी की आज्ञा से { एक परिपक्व उम्र यानी १८ वर्ष और आर्थिक स्वंत्रता के बाद }
प्रिय वाणीजी
ReplyDelete"नारी" ......एक आन्दोलन..... उत्कर्ष व संघर्ष का.....
सर्वप्रथम हम सबकी शुभकामनाएँ व बधाइयाँ नारी ब्लॉग के उत्कृष्ट तीन वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में. रचनाजी ने इसे प्रारम्भ किया और कारवां बढ़ता गया ,उनको भी साधुवाद.
आपकी अच्छी पोस्ट पढ़ी. वास्तविकता यही है कि आज भी एक लड़की -महिला की परिवार में समाज में दोयम की स्थिति ही है. एक बच्ची के साथ बचपन से ही हमें हमारे परिवार में ,पास-पड़ोस में ,समाज में सभी जगह तो रोज ही भेदभाव ,उत्पीडन, शोषण ,मानव अधिकार हनन देखने मिल रहा है. चाहे जिस रूप में हो. हाँ परिस्थितियां बदल रही हैं ,जाग्रति आ रही है नारी अपने अधिकारों व सम्मान के लिए सचेत हो रही है पर उसकी आवाज अब भी दबा दी जाती है. स्वाभाविक है देखकर-सुनकर मन कचोट उठता है.
अपनी प्रिय पंक्ति पुनः दोहराना चाहूंगी.
गहरा है अँधियारा... अब दिया जलाना है.
हमको तुमको सबको अब मिलकर आगे आना है.
नारी ब्लॉग में विचार प्रेषित(लिखने) करने के साथ-साथ सारे समाज में भी जहाँ भी नारी सम्मान या गलत भेदभाव की बात समक्ष आए अपनी आवाज बुलंद करनी है.
और आगे बढ़ते जाना है.अपनी पहचान-अपनी शक्ति पहचानना होगी.
पुनः आपको सार्थक पोस्ट की बधाई.
अलका मधुसूदन पटेल ,लेखिका-साहित्यकार
'नारी' ब्लॉग़ के जन्मदिन की आपको भी बधाई.....सार्थक लेख.. नारी ब्लॉग भी इस जगत में किसी आन्दोलन से कम नहीं.
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