नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ -से अब तक
पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६०
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नारी ब्लॉग को तीन साल हो गये रहे है शक्ति के दिनों (नवरात्रों में ) में शक्ति को सफ़लता |
बधाई हो नारी ब्लाग की शक्तियों को जिन्होंने इस ब्लाग को अपने विचार देकर इस ब्लाग को सार्थक बनाया | इस उपलब्धि की स्तम्भ" रचना जी" जिन्होंने अपने स्पष्ट विचारो से इसको और मजबूत बनाया उन्हें भी हार्दिक बधाई |
रचना जी का ये कहना की "स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक नहीं हो सकते पति पत्नी एक दूसरे के पूरक है "
इस विचार को दिशा दी और सोचने को मजबूर किया की अभी तक हमारी सोचने की दिशा ही भटक गई थी |
जहांतक ब्लॉग जगत का सवाल है समय समय पर नारी ब्लॉग पर लिखे गये आलेखों से अन्य ब्लोगर की सोच में भी परिवर्तन महसूस किया है जैसे की कई बार महिलाओ को लेकर अश्लील चुटकुले ,उन पर फबतिया कसना या बात बात में उनके लिखे लेखो को कमतर समझना इन सब पर जरुर अंकुश लगा है और यह अंकुश लगना ही इस बात का धोतक है की जब नारी ने सामूहिक रूप से इस छेड़छाड़ का विरोध किया है तो उसने अपनी आधी आबादी को महसूस किया है |
अपनी तीन साल की बाधाओं को झेलते झेलते मुकाम पर पहुंचने लिये इस सार्थक यात्रा के लिये शुभकामनाये|
बधाई हो
ReplyDeleteशोभना जी जब उम्र मे अपने से बड़े किसी बात को सही कहते है तो मन मे ख़ुशी होती हैं.
ReplyDeleteबहुत सी बात केवल और केवल "कंडिशनिंग " कि उपज हैं और अगर हम सब कोशिश करेगे तो निसंदेह इन बातो का सही रूप एक दूसरे तक पहुचा सकेगे .
आप ने इस अवसर पर समय निकाल कर पोस्ट दी इसका आभार और नारी ब्लॉग के जन्म दिवस कि आप को बधाई
प्रकृति ने उसे बनाया है या स्वयं नारी की प्रकृति ऐसी है कि वह अपने आपको त्यागमयी और ममता की देवी मानती है जो इस बात को प्रमाणित करने के लिए सारा जीवन बिता देती है. अपने आप को भुला देती है....जो अपने आपको भुला दे उसे कौन याद रखेगा... जो अपने आपको सम्मान न देगा उसे कौन सम्मानित करेगा..
ReplyDeleteऐसे वातावरण में औरत हर दिन हर पल पुरुष समाज के लिए अप्रत्यक्ष रूप में एक ऐसा उदाहरण बन जाती है कि औरत कमज़ोर है, अपनी भावनाओं से वशीभूत होकर वह जो भी करती है, ऐसा वह कभी नही कर सकता.....एक सिसकी भर कर औरत सोचने लगती है कि एक दिन पुरुष बदल जाएगा....एक दिन आएगा जब क्रांति होगी और सब बदल जाएगा...नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा....
तुम अकेली हो... अकेले ही तुम्हें अपने इस जीवन को आकार देना है..अपने लिए अकेले ही तुम्हें खड़े होना है...
किसी रिश्ते में पूरक होते हुए भी तुम्हारा अपना स्वतंत्र अस्तित्व है, इस बात को याद रखना बेहद ज़रूरी है.
याद रखो...यह समाज .. परिवार और मित्र वैसा ही व्यवहार तुमसे करेंगे जैसा करने की तुम उन्हें स्वीकृति दोगी...
इसलिए अपने आपको अपमानित करना बन्द करो....अपने आप पर शक करना बन्द करो कि तुम कमज़ोर हो..अपनी नकारात्मक सोच को बदल कर सोचो कि तुम जीवन में क्या पाना चाहती हो... जिस दिन स्वयं को पहचान लोगी...उस दिन समाज भी तुम्हें पहचान लेगा...
शोभनाजी... आपके छोटे से लेख की छोटी छोटी बातों ने चिंगारी का काम किया कि औरत के एक कमज़ोर पक्ष के लिए इतना कुछ कह दिया...
ReplyDeleteनारी ब्लोग सदा आगे बढता रहे और नये आयाम तय करता रहे।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete"स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक नहीं हो सकते पति पत्नी एक दूसरे के पूरक है "...सच में इस नजरिये से तो कभी सोंचा ही नही था ....मुझे बात जम गयी यह ..रचना जी को मेरी तरफ से धन्यवाद !!
ReplyDeleteकृपया नए नजरिये को लेकर मेरी एक रचना अवश्य पढने की कृपा करें .
http://anandkdwivedi.blogspot.com/2011/03/blog-post_08.html
शोभना जी और मीनाक्षी जी....दोनों के विचार बहुत ही विचारोत्तोजक लगे...इनपर मनन करने की जरूरत है.
ReplyDeleteकिसी रिश्ते में पूरक होते हुए भी तुम्हारा अपना स्वतंत्र अस्तित्व है, इस बात को याद रखना बेहद ज़रूरी है.
याद रखो...यह समाज .. परिवार और मित्र वैसा ही व्यवहार तुमसे करेंगे जैसा करने की तुम उन्हें स्वीकृति दोगी...
बहुत ही सारगर्भित पंक्तियाँ हैं...