आज मिलिये अमित और उनकी पत्नी नीशू से ।
अमित से मेरी मुलाकात ब्लॉग के जरिये ही हुई थी । हम एक दूसरे को २००६ से जानते हैं जब से मैने ब्लॉग लिखना शुरू किया । अमित कि कविताये अच्छी होती हैं हमेशा सो एक दूसरे से बात चीत होती रहती हैं गूगल चैट पर लेकिन आज तक हम मिले नहीं हैं ।
अमित एक मिडिल क्लास फॅमिली से हैं और इनफ़ोसिस मे बंगलौर मे कार्यरत था जब अमित कि शादी नीशू से हुई । अमित कि तनखा अमित एक हिसाब से कम और कम्पनी के हिसाब से ज्यादा !!!!!
नीशू भी एक मिडिल क्लास कि फॅमिली से जहां २ बेटे और १ बेटी हैं ।
शादी के एक साल के अन्दर ही अमित की पोस्टिंग मॉरिशस मे हो गयी और दोनों पति पत्नी के पास इतना भी समय नहीं था कि बंगलौर से मॉरिशस जा कर अपने अपने अभिभावकों से मिल ले । सामान पेक किया और मॉरिशस पहुच गए ।
अब शुरू हुआ नीशू कि नौकरी खोजने का सिलसिला । काफी खोजा पर मॉरिशस मे उसकी क़ाबलियत के हिसाब से{ ऍम बी ऐ मार्केटिंग एंड आई टी } नौकरी नहीं मिली सो उसने दूसरी जगह नौकरी खोजना शुरू किया और एक साल के भीतर ही अपने लिये दोहा मे नौकरी { ओपरेशन कोऔरदीनेटर } खोज ही ली । और हवाई जहाज पकड नीशू दोहा पहुची । अपने लिये मकान का इंतज़ाम किया और नौकरी शुरू कि ।
मैने अमित से पूछा तुमको कोई तकलीफ नहीं हुई उसका जवाब था "मेरी पत्नी बनने के अलावा भी नीशू के अपने कुछ सपने जरुर होगे जो उसको पूरे करने चाहिये । उस ने पढाई कि हैं , वो उस पढाई के जरिये अपनी जिंदगी मे अपने सपनो को साकार कर सकती हैं ।"
अमित ने कहा "मुझ कोई हक़ नहीं हैं कि मै किसी लड़की का करीयर महज इस लिये ख़तम कर दूँ कि वो मेरी पत्नी बन गयी । जो सपने उसने शादी से पहले देखे हैं वो महज इस लिये ना पूरे हो कि अब वो विवाहिता हैं एक जिन्दगी को व्यर्थ गवाने जैसा हैं । "
आगे अमित बोले " उस मे इतनी काबलियत हैं कि वो अपनी नौकरी खोज सके , अपने लिये दोहा मे मकान खोज सके और अकेली रह सके , मै तो ये सब देख कर ही हैरान होता हूँ । "
मेरे ये पूछने पर कि अब फॅमिली लाइफ का क्या ??? अमित का जवाब था "फॅमिली लाइफ से ज्यादा जरुरी हैं अपने सहचर कि ख़ुशी । जब नीशू को लगेगा कि फॅमिली बढ़ने कि जरुरत हैं तब हम उस दिशा मे सोचेगे । "
मेरे ये पूछने पर कि तुम्हारे परिवार वालो का नीशू के परिवार वालो का क्या कहना हैं
अमित का जवाब था " दोनों परिवार खुश नहीं हैं नीशू के दोहा जाने से । उनका मानना हैं कि अकेली लड़की कैसे रहेगी और दोनों परिवारों को हमारे बच्चे कि चाहत हैं और दोनों परिवार ये मानते हैं कि हम पैसा की अंधी दौड़ मे हैं "
"लेकिन सच ये हैं कि हम एक दूसरे कि ख़ुशी कि दौड़ मे हैं । हम नए रास्तो पर चल कर अपनी खुशियों को खोजना चाहते हैं । हम उसके परिणामो के लिये भी तैयार हैं । "
अमित से कभी भी बात करो तो नीशू कि काबलियत और स्वाबलंबन कि बात ना हो ये संभव नहीं हैं हाँ अमित ने एक बात कही कि नीशू कि इस सब काबलियत के पीछे उनके बाबा का हाथ हैं उन्होंने अपनी पोती को बहुत मजबूत बनाया और रही सही कमी भाईओं और पिता ने पूरी कर दी ।
मुझे अमित और नीशू कि लाइफ स्टोरी बहुत प्रेरणा दायक लगी और लगा नई पीढ़ी कि समझदारी पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाले अगर उनको अपने रास्ते पर चलने दे तो वो ज्यादा खुश रहेगे ।
आप कहेगे नीशू भाग्यशाली हैं मै कहूंगी कि वो स्वयंसिद्धा हैं । एक घुटन भरी जिंदगी जीने से बेहतर विकल्प उसने चुन लिया ।
आज प्रत्येक युवा दम्पत्ति की यही सोच है। वे दोनों मिलकर एक दूसरे का भविष्य बना रहे हैं। अत: एक नये युग का सूत्रपात हो रहा है।
ReplyDeleteसकारात्मक बदलाव..... अजित जी की बातों से सहमत.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वर्णन दिया है आपने इस दम्पति का मै अमित और नीशू दोनों को बधाई देना चाहूंगी !
ReplyDeleteनीशू और अमित के जज्बे को सलाम करता हूँ। दोनों एक दूसरे से कम नहीं हैं। पर भौतिकता की इस दौड़ में सहजीवन का त्याग भी उचित नहीं है। कामना है कि दोनों शीघ्र ही साथ होंगे।
ReplyDeletesakaratmak soch aur dono ke jajbe ko salaam, but i like to say,
ReplyDeletelekin paisa hi sab kuch nhi hota, aur jab tak hosh me aaoge, bahut khuch ko jaoge..... baki soch apni apni, jeena apna apna
जीवन-प्रसंग की सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteye apani apani soch alag alag hoti hai ki vicharon se kaun kitana paripakva hai. ek doosare ki bhavanaon ka samman karna bahut jaroori hai anyatha agar ek ne apani ichchhaaon ko dabaya to vah kunthit ho sakata hai aur ye kuntha usako manorogi bhi bana sakata hai. ek svasth jeevan ke liye amit aur neeshu ki soch behtar hai.
ReplyDeleteun donon ki sukhad bhavishya ke liye hardik shubhakamanayen.
ye apani apani soch alag alag hoti hai ki vicharon se kaun kitana paripakva hai. ek doosare ki bhavanaon ka samman karna bahut jaroori hai anyatha agar ek ne apani ichchhaaon ko dabaya to vah kunthit ho sakata hai aur ye kuntha usako manorogi bhi bana sakata hai. ek svasth jeevan ke liye amit aur neeshu ki soch behtar hai.
ReplyDeleteun donon ki sukhad bhavishya ke liye hardik shubhakamanayen.
First of all thanks to Rachna for this write up and thanks to all for their comments.
ReplyDeleteI’ll like to add a little in to this. The kind of job profile I have , I don’t have any fix time to be home, so I wanted a gal , who can take care of herself alone and same time of my family. Doing job, was left up to the gals choice. When I met her and we talked, I could notice an extreme desire in her for making her career or better say to prove her self. I just gave wings to her desire. Before taking any bold step we calculated all the associated risk and did what was best that time. We set a time line for every thing in which we were supposed to do a certain task, if not then plan B was there to act upon.
Yes, money is a big factor but I’ll not say every thing. She could get a teaching job and live with me. But I knew in that case she will not live full of her life and will not achieve what is was looking for. She still has a long way to cover.
I believe in performing best of my abilities and leave rest on God… Hope things will be fine, we’ll be more happy in future …
Hats off to this great couple... :)
ReplyDeletemujhe to laga tha aise understanding log exist hi nahi karte.. sabhi kuchh na kuch panga kar hi dete hain..!
thank god.. some hope is there..
Oh God please please mujhe bhi Amit ji jaisa koi husband dhund do... :p
warna to apna "Being single rocks!" wala naara to hai hi.. Best one.. :)
रेखा जी से सहमत हूँ ।
ReplyDeletesabsey badii baat yae haen ki yahaan neeshu ne apnae liyae naukri khud dundhi uskae liyae usnae is baat kaa intezaar nahin kiyaa ki uskaa pati uskae liyae "kuchh karey " bahut see mahila shadi hotey hi maan kar chaltee haen ab wo pati ki "zimmaedari" haen
ReplyDeleteनीशू और अमित के जज्बे को सलाम करती हूँ। आशा करती हूँ जिसकी उन्हें तलाश है वो पा लेंगे और जल्दी हे साथ होगे
ReplyDeleteसकारात्मक बदलाव को दर्शाता प्रसंग...
ReplyDeleteamit se aaj ke yuvaon ko prerna leni chahiye.pati-patni me achhi understanding ho to jeevan khushiyon ka bhandar hota hai.amit ki tareef me nishi ki taraf se...
ReplyDeletepoori dhara bhi sath de to aur bat hai,par tu zara bhi sath de to aur bat hai.
chalne ko to ek paon se bhi chal rahe hain log,
ye doosra bhi sath de to aur bat hai.
prastuti sarahniye aisi khushhal jodiyon se milwati rahen.
a good positive approach
ReplyDeleteअमित और नीशू के बारे में पढकर बहुत अच्छा लगा...शायद कुछ लोग सीख ले पाएँ कि अपने साथी की खुशी भी ज़िन्दगी मे मायने रखती है...दोनों को ढेरों शुभकामनाएँ
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteAwesome <3
ReplyDeleteI have known Amit Sharma since my childhood, He has always come across as an inspiring figure. I used to accompany him for bringing vegetables from market. And trust me, it used to be the best time of the day!!! He used to share his insights and approach on many of the life issues, and I as a teenager used to be in complete awe of his thinking. He always has that big heart and intellectual approach, that is the reason he has lot many friends across the globe.. May not be known by many ppl, that he is a great poet too and And I have been a great fan of his poetry through out my life.. He has a knack of creating something very extraordinary with ordinary yet simple word... Be it his poem on life, Rain or even chowmin..
ReplyDeleteTo be honest, I am not amazed reading about the great understanding between Amit and Nishu.. Because I always knew it could be that way only!!!! Two great individual, supporting each other and making all the sensible decisions for each other happiness.