पता नहीं कब और कैसे नारी को अबला कहा और माना जाने लगा. वह भी उस देश में जहाँ माँ दुर्गा की पूजा की जाती है. माँ दुर्गा - साक्षात् शक्ति का प्रतीक. असंख्य राक्षसों का संहार करने वाली माता दुर्गा सवारी भी करती हैं तो शेर की जो अपने आप में बल और शक्ति की एक मिसाल है. शेर जंगल का राजा है .ऐसे बलशाली और साहसी प्राणी की सवारी कोई बलशाली और अदम्य साहसी व्यक्ति ही कर सकता है. माँ दुर्गा एक नारी है और शेर की सवारी करती हैं, अत: नारी को अबला मानाने की धारणा ग़लत है.
अपने बल ,बुद्धि और पराक्रम से माँ भगवती ने अनेकानेक दानवों का विनाश किया. अकेले ही विभिन्न रूप धारण कर उन पर विजय प्राप्त की. यह उनका आत्मबल ही था, आत्म विश्वास ही था, जो निरंतर उनका सहायक बना. नौ दिन तक लगातार महिषासुर से युद्ध करके उस पर जीत हासिल करने वाली, दृढ़ इछाशक्ति और आत्मबल से युक्त माता की बेटियां अबला कैसे हो सकती हैं ? माँ के गुण तो बच्चे में स्वभाव से ही आ जाते हैं. पर कभी-कभी परिस्थितियाँ इन गुणों को उभरने नहीं देती. पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि मन में दृढ़ इच्छा हो, स्वयं पर विश्वास हो तो हर काम संभव हो जाता है.
अत: माँ दुर्गा की बेटियों को , भारत की नारियों को अब स्वयं को हीन और क्षीण नहीं मानना है. उन्हें यह जानना है कि वे भी माँ दुर्गा की, माँ काली की शक्तियों को स्वयं में धारण किये हुए हैं. आवश्यकता है तो मात्र इन शक्तियों को पुन: स्थापित करने की है . अपने आप को पहचानने की है.
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
thanks poonam for joining naari blog welcome
ReplyDeletekeep writing
नारी अबला इसलिए बनी क्योकि उसे कभी दुर्गा काली के बेटी के रूप में माना ही नहीं जाता उसे तो सीता , पार्वती के बेटियों के रूप में पहचान दी जाती है जो पिता ,पति कि आज्ञा पालन करने के लिए और एक संस्कार वान पुत्र कि माँ के रूप में और अपनेसतित्व कि शक्ति के रूप में जानी जाती है और समाज नारी को बस इसी रूप में चाहता है | दुर्गा और काली तो वो तब बनती है जब उनके किसी अपने पर या उनके सतित्व पर कोई आंच आती है |
ReplyDeleteपूनम, नारी के लिए सकारात्मक पक्ष लिखकर मन को खुश कर दिया लेकिन एक शिकायत भी है कि साथ में ऐसा गाना चिपकाया जो एकदम नकारात्मक है। गाना बहुत अच्छा है और मुझे बेहद पसन्द भी है। लेकिन पोस्ट के साथ मेल नहीं खा रहा।
ReplyDeletegana template mae haen post mae nahin
ReplyDeletehar post par bajaegaa aur gaana modrator ki karastani haen
सही कहा आपने...पूर्ण सहमत हूँ..
ReplyDelete.मात्रि शक्ति की पूजा करना और नारी को अधिकार विहीन कर अबला बनाये रखना भारतीय समाज के महानतम पाखंडों का उच्चतम पड़ाव है .
ReplyDeleteआज भी माँ भ्रूण में ही मार दी जा रही है .अब वक्त आ गया है की पूजन का नाटक ही नहीं जारी रहे ,नारी शक्ति ' दुर्गा ' बने .
सर्व पाप पाखंड विनासिनी सबला .
.मात्रि शक्ति की पूजा करना और नारी को अधिकार विहीन कर अबला बनाये रखना भारतीय समाज के महानतम पाखंडों का उच्चतम पड़ाव है
ReplyDeleteraj ji se sahmat.bhartiya sandharbhon me durga apwaad swaroop aisa charitra hai jiska vyaktitva kisi purush ke sandharbh bina bhi paribhashit kiya ja sakta hai.parantu vyavahaar me samaaj kisi stree ke swatantra astitva ko swikaar nahi kar pata ulte usse bhaya khata hai.
सत्य बचन !
ReplyDelete