राज्यसभा में मंगलवार को गोवा से कांग्रेसी सांसद के बयान पर हंगामा हो गया। गोवा में रेप के
मामलों का जिक्र करते हुए शांताराम नाइक ने जीरो आवर के दौरान टिप्पणी की कि कुछ बलात्कार पीड़ितों ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था क्योंकि वे देर रात तक अजनबी लोगों के साथ घुलमिल रहती थीं।
सांसद की इस टिप्पणी पर विपक्ष खासकर, महिला सांसदों ने विरोध जताया। उनका विरोध नाइक की इस बात पर ज्यादा था कि अगर रेप पीड़िता आधी रात के बाद अजनबी लोगों के साथ घूमती रही हो तो ऐसे मामलों में बलात्कार के केसों को अलग तरह से ट्रीट किया जाना चाहिए। नाइक ने गोवा में रूसी लड़की के साथ राज्य के एक नेता द्वारा डिनर करने के बाद चलती कार में कथित रेप के मामले को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने के लिए मीडिया को भी आड़े हाथ लिया।
नाइक के बयान पर सीपीएम की वृंदा कारत, बीजेपी की नजमा हेपतुल्ला, माया सिंह और एसपी की जया बच्चन ने विरोध जताया। उन्होंने डिप्टी चेयरमैन के. रहमान खान से यह कहकर हस्तक्षेप करने की मांग की कि नाइक को महिलाओं के प्रति असम्मान दिखाने वाली भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे नाइक रेप को जायज ठहरा रहे हों। खान ने नाइक से जीरो आवर के टेक्स्ट को एग्जामिनेशन के लिए सबमिट कराने का निर्देश दिया और कहा कि ऐसा लग रहा है कि सांसद इस मुद्दे को जितना उठाना चाहते थे, उससे ज्यादा बोल गए हों। बाद में नाइक की टिप्पणी को कार्यवाही में से निकाल दिया
आभार खबर यहाँ हैं
अब प्रश्न ये हैं कि अगर "नाइक की टिप्पणी को कार्यवाही में से निकाल दिया"
तो हम सब ब्लॉग जगत मे उन टिप्पणियों को क्यूँ नहीं पूर्णतः हटा देते हैं जिनमे किसी के प्रति व्यक्तिगत / जातिगत / लिंग प्रधान आक्षेप होते हैं । ऐसी बहसों मे क्यूँ नहीं उस प्रथम टिप्पणी से लेकर उस अंतिम टिप्पणी तक जहां बहस का मुद्दा गलत हैं या गलत दिशा मे जाता हैं पूरा हटा दिया जाए । पूरा हटाने का मतलब हैं कि हम वो नाम भी हटाये जिन्होने ने टिप्पणी दी । किसी कि टिप्पणी मिटा दे और उसका नाम छोड़ दे तो क्या फायदा , पूरा का पूरा डिलीट क्यूँ ना किया जाया । अगर लोग सभा , राज्य सभा जैसी जगह अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता पर "सफेदी पोती " जा सकती हैं तो ब्लोग्पर क्यूँ नहीं ।
क्यूँ बेकार कि टिप्पणियों को हम अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता के नाम पर अपने अपने ब्लोग्पर पडा रहने देते हैं ।
आप क्या कहते हैं ??
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
December 16, 2009
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प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
पहला मुद्दा पहले -
ReplyDelete1) इस कांग्रेसी सांसद "नाईक" को हमें रूस और ऑस्ट्रेलिया की गलियों में रात के 12 के बाद दारु पिलाकर छोड़ देना चाहिये फ़िर इसके साथ जो भी हो इसकी जिम्मेदारी उसी पर डाल देना चाहिये… और ऐसे केस को अलग से "ट्रीट" करना चाहिये। मजा तो तब है जब इस प्रकार के सांसदों को भारत में भी थोड़ा हटकर ट्रीट किया जाये, जैसे इटली के प्रधानमंत्री की नाक तोड़कर उन्हें ट्रीट दिया गया… :)
दूसरा मुद्दा -
2) ब्लॉग पर टिप्पणी रखना न रखना पूर्णतः ब्लॉग मालिक का विशेषाधिकार है, कोई टिप्पणी जाति-लिंग-धर्म विरोधी है या नहीं यह ब्लॉग मालिक के तय करने की बात है। जैसा कि आपने कहा कि "जब टिप्पणी मिटाई जाती है तब नाम सहित पूरी मिटाई जाना चाहिये", इसमें भी आंशिक असहमति हो सकती है, क्योंकि शायद ब्लॉग मालिक दूसरे पाठकों को प्रदर्शित करना चाहता हो कि उसने किस-किस की टिप्पणी हटाई है, यह भी उसी का विशेषाधिकार है…
बहरहाल, पहला मुद्दा अधिक गहन-गम्भीर है, उस पर बहस होनी चाहिये… जिसमे मुख्य बात यह हो कि 1) आखिर गोआ में राजनीति-अपराध-नशे के कारोबार-माफ़िया के चक्रव्यूह को कैसे तोड़ा जाये, और 2) कांग्रेसी मंत्रियों के पुत्रों के अय्याशियों-कारनामों पर "नैतिकता ब्रिगेड" नरम रुख क्यों अपनाती है, जबकि यही ब्रिगेड संघ-भाजपा के मामले में उबल-उबल पड़ती है।
मैं पूरी तरह आपसे सहमत हूँ और आपके साथ हूँ
ReplyDeleteहां सच ऐ रचना जी. यदि कोई अशोभनीय टिप्पणी है तो उसके लेखक के नाम सहित उसे हटाया जाना चाहिये.
ReplyDeleteमानसिकता बन गयी हैं ये बातें, जाते-जाते जाएंगी।
ReplyDelete--------
छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
i also agree with u rachana.
ReplyDeleteaapsi sahammti ho to naari kisi ke bhi saath ghoom sakti hai. usakee marzi ke bagair usake saath kuchh bhi karana rep hai iska samarthan nahi ho sakta. kanoon-vyavastha ki kamjori balaatkar jaisi sthitiyo ko janm deti hai. fir bhi yah savdhani rakhana hi chahiye ki aurate samooh me hirahe. shikari bhediyo ka kya bharosa...? hame bach kar bhi rahana hoga.
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