राष्ट्रिये सहारा ने ये ना केवल लेखिकाओ के नाम देना शुरू किया अपितु ईमेल आईडी बना कर लेख माँगने की प्रक्रिया भी शुरू की । ब्लोग्स इन मीडिया मे ये पढ़ा (ब्लॉग लेखकों की आपत्ति पर, कतरन में दिया नोट भी उल्लेखनीय है)
लिंक क्लिक करके चित्र पर गयी तो पढ़ा
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नोट :
हमारी कोशिश है कि हम कुछ असाधारण ब्लॉगों को अपनी महिला पाठकों तक पहुंचाएं, जो न कंप्यूटर-फ्रेंडली हैं या उनके पास इस तरह की तकनीकी अभी नहीं है। कुछ ब्लॉग लेखक इस पर आपत्ति करते हैं इसलिए यदि आपको अपने ब्लॉग पाठकों तक पहुंचाने हैं तो कृपया हमको लिंक भेजें, धन्यवाद
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चलिये क्षमा ना सही कम से कम सुधार तो हुआ । अब जिनको अपना ब्लॉग / पोस्ट भेजनी हैं वो भेज सकते हैं फ्री मे छपने के लिये । वैसे महिला पाठक तक बात अगर लेखक के नाम के साथ जाती तो क्या जागृति नहीं आती ????
वाह बधाई!
ReplyDeleteBADHAI HO.. . . SUBHKAMNAYEN. . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
ReplyDeleteबधाई!!
ReplyDeleteबधाई ....
ReplyDeleteबधाईयाँ.....
ReplyDeletebadhaiyaan...
ReplyDeleteबधाई व शुभकानाएँ.
ReplyDeletesab ke liye subhkaamnaayen..
ReplyDeleteमगर फ्री में क्यों ?
ReplyDeleteएक समस्या तो अब भी है की जो लेखा प्रकाशित किया जाता है कई जगह उसे अपने हिसाब से सम्पादित कर दिया जाता है तो कई बार अपने तरफ से ही कुछ लिखा दिया जाता है | इस समस्या को भी उठाइये अभी हल में ही मेरे एक लेखा के साथ भी ऐसा ही हुआ है |
ReplyDeleteबेहतर शुरुआत है. अन्शुमाला की समस्या मेरी भी है.इस विषय पर बहुत कुछ करना शेष है.शायद इस पर बड़ी बहास व चर्चा होनी चाहिए.
ReplyDeleteघुघूती बासूती
बधाई!
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