सूज़ेन अल हूबी |
पहली अरब महिला जिसने एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच कर सारी दुनिया को दिखा दिया कि हौंसले बुलन्द हो तो फिर मज़िल दूर नही होती...पहाड़ों की दुर्गम चढ़ाई चढ़ने का शौक ही उन्हें चोटी तक पहुँचा देता है... क्लीमिंजरो , एलबर्ज़ और अब माउंट एवरेस्ट की चोटी पर....एवरेस्ट की चोटी पर पैर रखते ही सबसे पहले सुज़ेन ने अपनी बेटियों को याद किया.....उस वक्त सुज़ेन अपने आप को इतना हल्का महसूस कर रही थी जैसे पल में उड़ने लगेगी...
दुबई के जाने माने अमीरात अर्थराइटिस फाउंडेशन बोर्ड की कोषाध्यक्ष रह चुकी सुज़ेन उससे पहले दुबई बोन एंड जॉएंट सेंटर की वाइस प्रेज़िडेंट भी रह चुकी है...यह सेंटर अपने आप में पहला ऐसा सेंटर है जहाँ अर्थराइटिस के रोगियों से जुड़े रिसर्च प्रोजेक्ट होते हैं जिसके लिए एक बायोटेक कम्पनी भी खोली गई. जिसका श्रेय प्रिसेस हया बिंत अल हुसेन और सुज़ेन अल हूबी को जाता है ... यह एक चनौती भरा काम है जिसमें रोगियों के सुधार के लिए रिसर्च और
इस रोग के साथ कैसे जिया जाए इससे जुड़ी चेतना फैलाने के लिए प्रचार व्यवस्था करने का काम और उस के लिए धन इकट्टा करना......सब कुछ सुज़ेन के लिए चुनौति भरा था लेकिन मुश्किल नहीं...
आजकल दुबई की एडवेंचर टूरिस्ट कम्पनी ‘रहाल्हा’ की सी.ई.ओ हैं....इस पर्यटन कम्पनी के माध्यम से दुनिया भर के दूर दराज़ देशों की साहसिक यात्राएँ करना...उनकी संस्कृति के बारे में जानना ही इनका लक्ष्य है....दुनिया देखने का सपना पूरा करने के लिए ही इस क्षेत्र से जुड़ी सुज़ेन दुनिया भर के लोगो को भी अपने साथ जोड़ती हुई चल रही है....रहाल्हा से होती आय का 1% दान देती हैं और जब भी मौका मिलता है फलीस्तीन के बच्चों को वहाँ का पारम्परिक डांस सिखाती हैं...
सुज़ेन का कहना है कि “किसी भी काम के लिए प्रेरित होना आसान है, लेकिन उस पर अमल करना आसान नहीं” इसलिए हमें जीवन में लगातार ऐसा सूत्र तलाशना चाहिए जिससे हम दिन के अंत में कह पाएँ कि आज के दिन का हर पल लाजवाब था ..उन पलों को यादों के ख़जाने में से जब भी निकालें तो चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान उतर आए कि हम कितनी खूबसूरत दुनिया में रहते हैं...”
बेहतरीन कार्य
ReplyDeleteसुज़ेन का कहना है कि “किसी भी काम के लिए प्रेरित होना आसान है, लेकिन उस पर अमल करना आसान नहीं” इसलिए हमें जीवन में लगातार ऐसा सूत्र तलाशना चाहिए जिससे हम दिन के अंत में कह पाएँ कि आज के दिन का हर पल लाजवाब था ..उन पलों को यादों के ख़जाने में से जब भी निकालें तो चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान उतर आए कि हम कितनी खूबसूरत दुनिया में रहते हैं...”
ReplyDeleteअच्छा लगा जानकर !!
प्रेरक पोस्ट।
ReplyDeleteरोचक , उत्साहवर्धक और प्रेरक !
ReplyDeleteअच्छा लगा ऐसे व्यक्तित्व के बारे में जानकर। रोते बिसूरते रहने की बजाय जिन्होंने खुद चुनौतियों को जीवन में स्वीकारा, उनका जज़्बा सराहनीय है।
ReplyDeletecommendable job by suzan !!!
ReplyDeletetrue said
हौंसले बुलन्द हो तो फिर मज़िल दूर नही होती..
jeevan ki chunetiyon ko paar karake apni manjil per pahunchane ki aek adbhut misaal liye hui anootha lekh.badhaai aapko.
ReplyDeleteउत्साहवर्धक और प्रेरक
ReplyDeleteप्रेरक पोस्ट....
ReplyDeleteवाकई नारी किसी से काम नहीं ...........
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